Me and my feelings - 106 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 106

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में और मेरे अहसास - 106

प्यार भरा प्रेम पत्र लिखने में वक्त तो लगता हैं l

कच्ची कलियों को खिलने में वक्त तो लगता हैं ll

 

टूट के चाहा हो जिसे उस ज़ालिम की दूरी में l

चाक जिगर को सिलने में वक्त तो लगता हैं ll

 

लहरों से लड़ने का हुनर सीख रहे हैं अभी तो l

कश्ती साहिल से मिलने में वक्त तो लगता हैं ll

 

आसमानों से उतारने का इरादा है तो सुन ले l

सितारों का तेज़ झिलने में वक्त तो लगता हैं ll

 

बाद मुद्दतों के ख़ुद को सम्भाला है आज मैंने l

मुकम्मल जगह से हिलने में वक्त तो लगता हैं ll 

१-७-२०२४ 

 

हम तुम एक दूसरे के साथ साथ ही जिएंगे l

आँखों ही आँखों में मुहब्बत का जाम पिएंगें ll 

 

आवारगी का शौक सिर चढ़कर बोल रहा ll

जम के मुस्तकिल हौसलों से दर्दो गम सिएंगे ll 

 

प्यार किया है कोई बड़ा गुनाह नहीं किया l

किसीसे भी नहीं बस एक खुदा से बिएंगे ll

 

दिल भी एक ज़िद पर अड़ा है बच्चे की तरह l

ग़र मुहब्बत में जान भी देनी पड़े तो दिएंगे ll

 

हुस्न पर ये किस रंग पर आई हुईं हैं बहार l 

दुनियावालों के सामने हाथों को थाम लिएंगे ll

२-७-२०२४ 

 

महफ़िल में मौन के इशारों को समझो तो जरा l

निगाहों की सुराही से जाम पी बहको तो जरा ll

 

सज सँवर कर आई है आसमान से यहाँ पर l

हुस्न की परियों के सिंगार से मचलो तो जरा ll

 

शायद दिले बेक़रार को करार ही आ जाए l

आज दिल की जवा धड़कनों में महको तो जरा ll 

 

तड़पते तरसते दिल पर इश्क़ की बारिश करके l

नाज़ नखरे उठाने के वासते सरको तो जरा ll

 

उम्रभर का लाइलाज रोग पालने जा रहे हो तो l

खेल रहे हैं या सच में मुहब्बत परखो तो जरा ll

३-७-२०२४ 

 

यूँ गुमसुम बैठे रहने से क्या होगा?

दर्द चुपचाप सहने से क्या होगा?

 

कैसे है? किस मलालों में रहते है? 

दुनिया को कहने से क्या होगा?

 

हवा में गुम-शुदा यादों के संग l

मौसमों के बहने से क्या होगा?

 

एक अरसा हो गया मिले हुए l

बीते लम्हें पहने से क्या होगा?

 

हमेशा दो पल देर कर देते हैं l

फ़िर एसे दहने से क्या होगा?

४-७-२०२४ 

 

कहने सुनने को कुछ भी नहीं रहा हैं l

इशारों में ही बहुत ज्यादा कहा हैं ll

 

जिससे उम्मीद की वहीं धोखा दे गया l

अब तक चुपचाप सब कुछ सहा हैं ll

 

समझी नासमझी की खिंच तान में l

ना जाने कितना खूने जिगर बहा हैं ll

 

जिंदगी में ताउम्र तमाशे होते ही रहे l

सुन जो सामने आया है वहीं गहा हैं ll

 

रोज नया सवेरा लेकर आती सुबह l

जहा जानेमन का बसेरा है वहा हैं ll

५-७-२०२४ 

 

अजनबी रास्तों पर निकल पड़े हैं दो अजनबी l

मुकम्मल मंजिल को तरस रहे हैं दो अजनबी ll

 

इतनी दूर जा चुके के वापसी भी नामुमकिन l

अपनों से मुलाकात तड़प रहे हैं दो अजनबी ll

 

पथरीले टेड़े मेढे अंधेरे रास्तों की राहगुज़र में l

आहिस्ता आहिस्ता सॅभल रहे हैं दो अजनबी ll 

 

बेकरारी इस तरह बढ़ गई है मंज़िल पाने की l

आज एक दूसरे पर बरस रहे हैं दो अजनबी ll

 

मुकम्मल खूबसूरत आशियाने के तलब में l

सखी साथ साथ पनप रहे हैं दो अजनबी ll

६-७-२०२४ 

 

यादों की बारीश से साँस ठहरने लगी l

भीगी भीगी सी खुशबु से बहकने लगी ll

 

लम्हा भर की मुलाकात के वादें से आज l

फ़ज़ाओं के करिश्मे से बहलने लगी ll

 

छुपकर कहीं जिन्दा मुहब्बत अभी है l

ख्वाबों की कायनात महकने लगी ll

 

बरसात में बच्चों को भीगता देख l

मुंड मुंड के तमन्नाएं मचलने लगी ll

 

बरसों बाद इश्क़ की याद आते ही l

सोयी हुईं इच्छाएं धड़कने लगी ll

 

एक ही छाते में मनचाहे स्पर्श से l

दिल की धड़कन दहकने लगी ll

 

आँखों ही आँखों में राते कटती है l

मुलाकात की उम्मीदें तड़पने लगी ll

 

सुना है आज हुस्न पे बहार आई है l

दीदार ए यार को तरसने लगी ll

 

ज़हन में ख्याल है बदनाम न करना l

आशिकी रफ्ता रफ्ता उभरने लगी ll

८-७-२०२४ 

 

राज़ की बात विश्वसनीय व्यक्ति को बतानी चाहिये l

मुहब्बत में दिल में यकीन की लौ जगानी चाहिये ll

 

एक बार चले जाते हैं जो लम्हें वो लौटकर नहीं आते l

गर मुहब्बत है तो वक्त रहते हुए उसे जतानी चाहिये ll

 

घनघोर अंधेरी रात में भी उजाला हो जाए इस तरह की l

प्यारी सी अपनों के दिलों में जगह बनानी चाहिये ll

 

विश्वास हो तो पत्थर में भी भगवान दिखने लगते हैं l

शांति और अमन से क़ायनात को सजानी चाहिये ll

 

लोग मिशाल दे के मुकम्मल जिंदगी जीकर गया बंदा l

दुनिया से जाने के बाद पीछे सच्ची कहानी चाहिये ll

८-७-२०२४ 

 

 

स्वस्थ जीवन जीने के लिए तन मन घिसना 

जरूरी हैं ll

सफ़लता को जिन्दगी की चक्की में पिसना जरूरी हैं ll

 

क़ायनात में अपने वज़ूद को बरक़रार रहने

को और l

आगे बढ़ने के लिए अपनी जगह से हिलना जरूरी हैं ll

 

नाकामियों में तो परछाईं साथ छोड़ कर चली जाती है l

दुनिया में जीने के वास्ते चारों और से फिरना जरूरी हैं ll

 

जूठे लोगों के साथ रहने से बेहतर अकेले ही रहना l

चाहें कितने ही टूटे हुए हो सरबुलंद दिखना जरूरी हैं ll

 

टूटे हुए को और भी तोड़ते हैं ये दुनिया वाले मान कहना l

गम में भी खिलखिलाते मुस्कराना सिखना जरूरी हैं ll

९-७-२०२४ 

 

ये कैसी विडंबना में फसा हुआ है दिल?

मुकम्मल रास्ता सोचने लगा हुआ है दिल ll

 

नाजुकी इस नादाँ दिल की क्या कहने l

मुहब्बत की रस्सी से बंधा हुआ है दिल ll

 

जिन्दगी की हर साँस में समझौता किया l

अपनों की खुशी के लिए दबा हुआ है दिल ll

 

शुरू लेकर आज तक में इंतिहा देते रहे हैं l

ताउम्र राह ए उल्फत में डुबा हुआ है दिल ll

 

गुज़रते हुए वक्त का हर लम्हा जीना चाहते हैं l

बरसते भीगते मौसम में लुटा हुआ है दिल ll

१०-७-२०२४ 

 

साजन की चिट्ठी आते ही चहेरे पर ख़ुशी की फुहार हुईं l

ख़त में प्यारी मीठी बातों से पतझड़ में भी बहार हुईं ll

 

रूठे हुए को मनाने के लिए हवाई जहाज में बैठकर l

जल्द ही आने का वादा निभा रहा है कोई कमाल हुईं ll

 

खुद ही दिल के दयार बंध कर देगे के कोई आ न पाए l

कितने ही दूर रहे भुला न देगे दिल से वज़ूद ज़बान हुईं ll

 

इक शोला दबा हुआ है जिगर के अंदर आकर ठंडा करो l

जैसे मिलन की घड़ी नजदीक आई तो धड़कने जवान हुईं ll

 

साथ साथ जीने की बर्षों की तमन्नाएं पूरी 

होने को हैं l

आज तक लम्हा भर के वस्ल की ख्वाइशे फनाह हुईं ll

११-७-२०२४ 

 

बाप की मोहब्बत होती हैं बेटियाँ l

ख़ुदा की इनायत होती हैं बेटियाँ ll

 

जान, प्यार और ममता लूटा दो l

घर में अमानत होती हैं बेटियाँ ll

 

खिलखिलाहट से चहेकता अंगना l 

घर की सजावट होती हैं बेटियाँ ll 

 

सच्चे संस्कारों की परवरिश से l

माँ की अदायत होती हैं बेटियाँ ll

 

बेटी बिना घर उजड़ा हुआ लगता l

सब की चाहत होती हैं बेटियाँ ll

 

कोमल कली की तरह से सभालना l  

फूल सी नजाकत होती हैं बेटियाँ ll

१२-७-२०२४ 

 

जैसी वाणी वैसा ही आचरण करना चाहिए ll

सदाकत औ अच्छाई की राह चलना चाहिए ll

 

कुमार्ग से बचकर सद मार्ग पर आगे बढ़कर l

जीवन की राह को सत्यता से भरना चाहिए ll

 

बच्चों को पहले से ही अच्छे संस्कार देकर l

अपने अपनों की ख़ातिर तो मरना चाहिए ll 

 

विपदा औ संकट की घड़ियोंमें हौसलों के संग l

देश देशवासियों के लिए आगे सरना चाहिए ll

 

प्रगति और विकास की सीढ़ी को चढ़ते वक्त l

हमेशा ही अदृश्य शक्तिओ से डरना चाहिए ll

१३-७-२०२४ 

 

हर जगह हर लम्हा अपनों से कटता चला गया l

हर हसी मंजर बहुत ही जल्दी छुटता चला गया ll

 

न जाने कौन सी कमी रह गई रिश्ता निभाने में l

आज मुट्ठी से हर एक जुगनू मिटता चला गया ll

 

पूरी क़ायनात में एक हम ही रईस दिखे उसे तो l

हर पल झोली से कुछ न कुछ लुटता चला गया ll

 

जो लुटाया अपनों के ही घर में जायेगा ये सोच l

रोज अपनोंकी ख़ुशी के लिए बिकता चला गया ll

 

आज ठान लिया है ज़ख्म खाकर मुस्कराते रहेंगे l

खुद के उजालों में ही जीना सिखता चला गया ll

१४-७-२०२४ 

 

क़ायनात में प्यार को ख़ुदा कहते हैं l

चाहनेवाले हमेशा दिल में ही रहते हैं ll

 

इश्क़ का मीठा ज़हर पिला दिया है कि l

ताउम्र ज़िन्दा रहने की दुआ सहते हैं ll

 

हौसलों का दामन थामे निलक तो पड़े l

जहां रुख मोहब्बत का वहा बहते हैं ll

 

दो कदम हमराही साथ क्या चले जैसे l

जादूई करिश्माई के साथ आगे बढ़ते हैं ll

 

मसला मोहब्बत का नहीं फ़िक्र का भी हैं l

पल दो पल प्यारी बातों से पलते हैं ll

१५-७-२०२४