यह तब की बात है जब मैं पंद्रह वर्ष का था। तब मुझे अक्सर घर पर अकेला छोड़ दिया जाता था क्योंकि मैं परिवार में एकलौता था और मेरे डॉक्टर माता-पिता को अनियमित शिफ्ट में काम करना पड़ता था।
एक विशेष बरसात की रात को मुझे हमेशा की तरह घर पर अकेला छोड़ दिया गया। मैं बहुत खुश था, क्योंकि यह सप्ताहांत था और मैं जब तक चाहूँ देर रात तक जाग सकता था और सारी रात अपने दोस्तों के साथ ऑनलाइन गेम खेल सकता था। मैंने ठीक आठ बजे अपना खाना खा मैंने अपने दोस्तों को रैंडम असैसिनेशन गेम खेलने के लिए आमंत्रित किया, जो मुझे सर्फिंग करते समय मिला। यह एक खुला निमंत्रण था कि कहीं से भी कोई भी आपके टीम के साथी या प्रतिद्वंद्वी के रूप में खेल में शामिल हो सकता है। मैं एक औसत खिलाड़ी था इसलिए मैं कुछ ही मिनटों में बाहर हो गया, जबकि मेरे अन्य दोस्त पेशेवर थे और शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल थे। तभी मुझे चैट बॉक्स पर एक अनजान खिलाड़ी का संदेश मिला, जिसमें उसने कहा, "क्या आप भी मेरी तरह आउट हो गए?",
मैं बिल्कुल अकेला रह गया था और खेल भी लंबा चलने वाला था तो मुझे समय बिताने के लिए ये ही ठीक लगा। इसलिए मैंने जवाब दिया, "हाँ!"
फिर उसने कहा, "क्या आप बातचीत कर समय बिताना चाहते हैं?"
मैंने कई बार उनकी प्रोफ़ाइल जाँची क्योंकि प्रोफ़ाइल किसी सुंदर लड़की की थी जो मेरी उम्र की थी या शायद मुझसे एक साल बड़ी थी। मैं तुरंत इसके लिए तैयार हो गया। हम काफी देर तक बातें करते रहे, यहाँ तक कि खेल खत्म हो गया था पर हमारी नहीं। हमारे बीच में कुछ तो था जो अलग था। हम अपनी ही दुनिया में थे। उसके बाद हमने अपने नंबरों का आदान-प्रदान किया और महीनों की बातचीत के बाद अंततः हमारी पहली डेट पंद्रह तारीख की तय हुई थी।
कई दिनों तक माँ-बाप के पैर पड़ने के बाद मुझे जाने की मंजूरी मिली। मुझे अपनी डेट के लिए पाँच हज़ार रुपये दिए गए। जिसके लिए मेरी जिम सदस्यता, जिसका मैंने वास्तव में पहली जनवरी के बाद उपयोग नहीं किया था, इसलिए यह मूल रूप से ठीक था। लेकिन मुझे अपने सभी गेमिंग, खेल और संगीत ऐप की वार्षिक सदस्यता भी छोड़नी पड़ी।
मेरी पहली डेट के दिन, मैं अच्छी तरह से तैयार होकर, अपने माता-पिता से मंजूरी ले, फिर अपने दोस्तों से ली, मौसम पूर्वानुमान की अनुमति ले, और आज के लिए तैयार सभी चेकलिस्टों की जाँच कर उसका इंतजार करने के लिए तय कैफे में चला गया। मैंने यूट्यूब से सबकुछ सीखा। कैफे और कुछ बातचीत, फिर अच्छे रेस्तरां में लंच, फिर फिल्म, फिर पार्क में टहलना और फिर गले मिलकर अलविदा कहना, यही मेरी अंतिम प्रयुक्त योजना थी! मैं लड़ाई के लिए तैयार था। फिर मेरी लड़ाई, युद्ध में बदल गई जब मुझे उसका संदेश मिला जिसमें उसने पूछा कि "मैंने क्या पहना है?",
"कैफे की बाईं मेज पर लाल जैकेट।", जवाब लिखकर दिया।
"ठीक है।", मैं एक लड़की का इंतजार कर रहा था लेकिन तभी एक अच्छा दिखने वाला खूबसूरत आदमी मेरे सामने आया और पूछा कि क्या मैं महेश हूँ? यह सोचकर दंग रह गया कि शायद यह एक शरारत होगी, लेकिन बाहर निकलने से पहले मुझे अपने इज़्ज़त के लिए पूरी कहानी जाननी ज़रूरी है।
वह वहीं खड़ा था तो मैंने बातचीत शुरू करते हुए पूछा, "मैं आपकी किस प्रकार मदद कर सकता हूँ?", मैं एक औसत लड़का हूँ, इसलिए मैं चाहकर भी कोई झगड़ा शुरू नहीं कर सकता और ना ही घर में कैद रहना चाहता। उसने फिर एक पल के लिए देखा और फिर जवाब दिया, "मैं यहाँ उसी बात के लिए हूँ जिस पर हम सहमत हुए थे। डेट!",
मैं स्तब्ध और अवाक रह गया था।
"दो लड़के एक साथ डेट पर कैसे हो सकते हैं?"
फिर उसने कहा, "मुझे एक लड़की के रूप में सोचो।",
"ऐसा नहीं हो सकता!", मैं अनजाने में चिल्लाया,
"तो इसे सामान्य हैंगआउट सोचों।", मैं अपने होश में नहीं था। मैंने वही किया जो मैंने योजना बनाई थी, लेकिन अब यह मेरे नए ज़बरदस्ती के दोस्त के साथ था, सिवाय गले लगाने के। जैसे ही आकाश सुनहरा होने लगा, इस अजीब डेट के समापन का समय भी आ गया। पूरी डेट के दौरान वह चुप रहा फिर उसने पूछा, "यही है?",
पूरे दिन उसके साथ रहते हुए भी मुझे पता था कि वह इस भीड़ में कुछ नहीं उखाड़ सकता, "नहीं, पिछली बार मैंने अलविदा के तौर पर गले लगना या हाथ पकड़ना था, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं करना चाहता।",
"क्यों क्योंकि मैं एक लड़का हूँ?",
"और नहीं तो क्या?!",
"या तुम चाहते कि एक सुंदर लड़की तुम्हारे गले लगे और तुम्हें चूमे?", उसने ऐसे पूछा जैसे वह मेरा मज़ाक उड़ा रहा हो,
वह मुझे परेशान करता रहा लेकिन मैंने शांति से कहा, "अपने चेहरे को देखो, यह वह चेहरा है जो सुंदरता की मांग करता है, मेरा नहीं। मैंने केवल इसलिए डेट के लिए कहा क्योंकि हमारी अच्छी जम रही थी और एक बार उस व्यक्तित्व से मिलना चाहता था। अगर वह मुझे पसंद नहीं करती तो ठीक था। उसकी अपनी पसंद है, कोई भी उसे मेरे साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है। मैं बस उससे मिलना चाहता था, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कैसी दिखती है या मैं कैसा दिखता हूँ। देखो भाई, मैं साधारण दिखता हूँ इसलिए मैं अपने मानकों को अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं उसके जैसी सुंदर लड़कियों के साथ नहीं रह सकता। यदि तुम उसके प्रेमी हो तो मेरे मुँह पर बता दो इस तरह खिलवाड़ करने की ज़रूरत नहीं या...", मैं एकदम से रुका और बोला, "या ये तो नहीं तुम उस मासूम लड़की की तस्वीर का उपयोग कर रहे हो?",
"अगर इस्तेमाल कर रहा होता तो यहाँ क्यों आता?", उसने बिना डरे कहा,
"ओह! हाँ।", मुझे बेवकूफ़ महसूस हुआ,
"तुम उससे मिलने के योग्य हो। कृपया मेरी बहन का ख्याल रखना...", फिर अचानक वह आवाज़ धीमी पड़ने लगी। जैसे ही आसमान में अंधेरा छा गया, चारों ओर का वातावरण ढह गया और मैं संतुलन खो बैठा और गिरने लगा। घबराहट में जागा और अपने बिस्तर पर पसीना से भीगा हुआ था। बाहर उजाला था। मम्मी मुझे गाली दे रही थी, "उठ जा... उठ जा... उठ जा!! महाराजा से सुबह जल्दी उठा नहीं जाता और चले डेट पर। नाकारा!", मैंने फोन में देखा तो पंद्रह तारीख की सुबह थी।
मैंने दूसरे कपड़े पहने और असमंजस में वही कैफे गया। मैं डरा हुआ था कही वो आदमी ना आ जाए पर इस बार कोयल ही थी। मेरी सारी डेट, प्लान के हिसाब से गयी और हमने अगली की डेट भी तय की। अंततः मैंने उसे डर से बुरा सपना सोच छोड़ दिया।
कुछ सालों तक हम डेट करते रहे। हमारे परिवार को इन सबके बारे में पता था पर हम कभी एक दूसरे के घर नहीं जा सकते थे, ना कही बंद जगह मिल सकते थे। यह शर्त थी हमारे लिए जिसका हम दोंनो ने सम्मान किया पर एक बार कोयल के माता-पिता मुझसे मिलना चाहते थे तो मैं पहली बार उसके घर गया। मैं वैसे ही डरा हुआ था और मैंने जान तब छोड़ा जब मैंने मेरे सपने वाला लड़का मेरे सामने देखा। उसकी फोटो पर माला चढ़ी हुई थी। मैं डर के मारे लगभग गिर पड़ा। कोयल और उसका परिवार उस फोटो को देखकर मेरी प्रतिक्रिया से आश्चर्यचकित रह गऐ। शांत होने के बाद मैंने उनसे उसके बारे में पूछा।
"राजीव, वह मेरा भाई शौर्य है जिसका तीन साल पहले देहांत हो गया था।", कोयल ने कहा,
मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकता! "ऐसा कैसे हो सकता है?",
"तुम्हारा क्या मतलब है राजीव?", कोयल ने चिंतित होकर पूछा,
मैंने उसे उस सपने के बारे में सब कुछ, हर विवरण समझाया। वह कैसे बात करता था, कैसे चलता था और क्या कहा, "और उसने कहा कि मुझे उसकी बहन का ख्याल रखना होगा।",
इसपर पूरा परिवार फूट-फूटकर रोने लगा खासकर कोयल की माँ।
कोयल के पिता ने मुझसे कहा, "शौर्य हमारा बड़ा बेटा था। वो कोयल से दो साल बड़ा था। वो अपनी बहन को बहुत लाड़ प्यार से रखता था। एक सड़क दुर्घटना में वो हमें छोड़ कर चला गया। वो अपनी बहन को किसी भी ऐसे-वैसे साथ जाने तो क्या अगर कोई उनकी बहनों की तरफ से गलत नजरों से भी देख लेता तो वो वही उसे ख़त्म कर देता था।",
"इसलिए जब हमने डेट पर जाने का तय किया तो वह मेरे सपने में आकर मुझे जाँचने लगा?",
"लगता तो है बेटा। शौर्य ने जब तुम्हें अपना लिया तो हम कौन होते है? मानता हूँ तुम अब सिर्फ बीस साल के हो, मैं जल्दबाज़ी कर रहा होंगा और मैं तुम्हें बेवकूफ भी लगूँगा पर मेरी बेटी का ख्याल रखना, बेटे।", उन्होंने मेरे दोंनो हाथ को पकड़कर आशा भरो नज़रों से कहा,
मैंने तुरंत कहा, "मैं रखूँगा!",
उसके बाद मैं पीछे नहीं हटा। अब मेरे पास आगे बढ़ने का ठोस मकसद था। मैं किसीके के प्यार और भरोसे को हल्के में नहीं ले सकता था। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपना माता-पिता की तरह डॉक्टर बना ताकि शौर्य जैसे जानो को बचा सकूँ। फिर अपने बड़ो की रज़ामंदी से विवाह रचाया और आज सोलह साल बाद हमारा पंद्रह साल का शौर्य अपनी पहली डेट पर जा रहा है।
"बाय मम्मा, बाय पापा।",
"बाय! अपना और आपनी डेट का ख्याल रखना।", हमने कहा,
"क्या हो गया राजीव आज इतने खोए हुए हो?", मेरी पत्नी ने पूछा,
"कुछ नहीं प्रिय अपनी पहली मुलाकात याद कर रहा था।", हम दोंनो वापस अपनी जवानी में खो गए।
"चलो आज हम भी डेट पर चलते है।", मैंने पूछा,
"उसी कैफे पर चले?",
"नेकी और पूछ-पूछ।", मैं आज भी शौर्य का अहसानमंद हूँ जिसके कारण मुझे मेरा खुशहाल परिवार मिला।