Beyond Words : A Love Born in Silence - 1 in Hindi Thriller by Dev Srivastava books and stories PDF | बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 1

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बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस - भाग 1




Disclaimer - इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक तो नहीं कहेंगे, लेकिन पूर्णतः मौलिक अवश्य हैं । कहानी में वास्तविकता का पुट लाने के लिए कुछ वास्तविक स्थानों के नामों का प्रयोग किया गया है ।

इसे अन्यथा ना लें एवं इस कहानी को केवल मनोरंजन की दृष्टि से ही पढ़ें इस कहानी का उद्देश्य किसी के भी विचारों धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं है ।

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23 मई 2030,

तारामंडल - गोरखपुर,

सुबह के लगभग 7 : 30 बजे,

एक लड़का दौड़ते हुए कहीं जा रहा था । उसकी उम्र 25 साल के आस पास रही होगी । उसने सफेद रंग की ट्रैक पैंट के साथ काले रंग का टी - शर्ट पहना हुआ था ।

उसने अपने बाएं हाथ में एक काले रंग की स्पोर्ट्स वॉच और दाएं हाथ में एक कलावे के साथ सिल्वर ब्रेसलेट पहना हुआ था ।

उसके दाएं हाथ की रिंग फिंगर में एक हीरे की अंगूठी चमक रही थी । उसके पैरों में सफेद रंग के स्नीकर्स थे । उसके गले में एक हेडफोन लटक रहा था और उसके मुंह पर मास्क लगा हुआ था ।

वो इस समय एक पार्क में था और अपनी मस्ती में दौड़ते हुए कहीं जा रहा था कि तभी किसी ने उसका नाम लेकर उसे बुलाया, " सिड भैया ! "

सिड ने जैसे ही वो आवाज सुनी, उसके कदम जहां के तहां रुक गए । वो उस आवाज को बहुत अच्छे से पहचानता था ।

उसने अपनी गर्दन आवाज की दिशा में घुमाई तो वहां पर एक 20 - 21 साल का लड़का खड़ा था । उसने काले रंग की जींस के साथ नीले रंग का टी - शर्ट पहना हुआ था ।

उसने अपने कंधे पर एक बैग लटका रखा था । सिड उसे देख कर मुस्करा दिया लेकिन उसने अपना मास्क नहीं उतारा ।

वो लड़का दौड़ कर उसके पास आया तो सिड ने कहा, " क्या हुआ छोटे, इतनी सुबह सुबह यहां क्या कर रहा है ? "

उस लड़के ने मुंह बना कर कहा, " क्या सिड भाई, अब तो मुझे छोटे बुलाना छोड़ दीजिए । "

उसकी बात सुन कर सिड को हंसी आ गई । ये देख कर उस लड़के ने अपना मुंह फेर लिया तो सिड ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, " अच्छा, ऐसे मुंह मत बनाओ । अब नहीं बुलाएंगे । "

उस लड़के ने कन्फर्म करते हुए कहा, " पक्का न ! "

सिड ने उसे यकीन दिलाते हुए कहा, " हां बाबा, पक्का ! "

ये सुन कर वो लड़का खुश हो गया तो सिड ने कहा, " अब बता, इतनी सुबह सुबह यहां कैसे ? "

उस लड़के ने अपने बैग में से एक बॉक्स उसके सामने करके कहा, " हैप्पी बर्थडे, भाई ! "

सिड ने वो बॉक्स उसी की ओर बढ़ाते हुए कहा, " थैंक यू, लकी ! लेकिन इसकी जरूरत नहीं है । "

लकी ने फिर से मुंह बना कर कहा, " भाई ! "

लेकिन सिड ने तुरंत वो बॉक्स और ज्यादा उसकी ओर बढ़ा कर कहा, " इसे तुम रखो । तुम्हें इसकी ज्यादा जरूरत पड़ सकती है । "

लकी ने संकोच करते हुए कहा, " पर पापा... ! "

लेकिन सिड ने तुरन्त कहा, " उनसे हम बात कर लेंगे । "

लकी ने बॉक्स वापस अपने बैग में रखते हुए कहा, " ठीक है, भाई ! "

और इसी के साथ उसने एक लंच बॉक्स अपने बैग से निकालते हुए कहा, " लेकिन ये तो आपको लेना ही पड़ेगा । "

सिड ने उस लंच बॉक्स को देखते ही कहा, " हमारी खीर ! "

और अगले ही पल लकी के हाथ से वो खीर ले लिया । उसने वहीं बेंच पर बैठ कर वो बॉक्स खोला और अपना मास्क थोड़ा सा साइड करके वो खीर खाने लगा ।

उसने पहला बाइट लेते ही कहा, " वाह ! माता श्री के हाथों की खीर के बाद ये खीर ही दुनिया की बेस्ट खीर है । "

उसे ऐसे देख कर लकी मुस्करा दिया । उसने अपना बैग फिर से अपने कंधे पर चढ़ा कर कहा, " अच्छा भाई, मैं चलता हूं, गैरेज में काम है । "

सिड ने कुछ कहने के बजाय अपना अंगूठा दिखा दिया तो लकी उसी मुस्कान के साथ वहां से चला गया । उसके जाने के बाद सिड की मुस्कान एकदम से गायब हो गई और उसके चेहरे के भाव बदल गए ।

उसके आंखों में थोड़ी नमी भी थी, थोड़ा गिल्ट भी था और थोड़ा गुस्सा भी । उसने उस खीर को बिल्कुल गुस्से में खाना शुरू कर दिया ।

खीर खाने के लगभग दो मिनट बाद ही उसके हाथ से लंच बॉक्स छूट गया और वो बेहोश होकर वहीं गिर गया ।


लगभग एक घंटे बाद,

हर तरफ हौले - हौले ठंडी हवाएं बह रही थीं जो मन को सुकून देने वाली थीं । इसी सुकून के बीच एक लड़का अपने घर के गार्डन में सीढ़ियों पर बैठा हुआ था ।

वो घर देखने में बहुत खूबसूरत था । वो एक दो मंजिला घर था जो लगभग पांच डेसीमल के एरिया में बना हुआ था । घर के बाहर बहुत बड़ा गार्डन था जो कि घर के चारों ओर फैला हुआ था और फिर चारदीवारी ।

चारदीवारी के पास अलग अलग फलों के पेड़ लगे हुए थे जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे । मेन गेट से घर के दरवाजे तक रास्ते के दोनों तरफ कई प्रकार के फूलों के गमले रखे हुए थे जो उस घर की शोभा को और भी बढ़ा रहे थें ।

वो लड़का सिर ऊपर की ओर किए हुए बैठा था । उसने काले रंग की पैंट के साथ सफेद रंग का टी शर्ट पहना हुआ था । साथ में उसने एक सफेद रंग का शर्ट पहना हुआ था जिसके बटंस खुले हुए थे ।

हवा से उसके बाल और शर्ट पीछे की ओर लहरा रहे थे । उसने अपने हाथ पीछे रखे हुए थे । वो अपनी आँखें बंद किए हुए उस हवा को महसूस कर रहा था ।

उसके चेहरे पर इस वक्त बहुत ही सुकून नजर आ रहा था, तभी उसका फोन बज उठा । उसने फोन उठा कर देखा तो वो कॉल बैंक से था ।

उसने चिढ़ कर खुद से ही कहा, " इन बैंक वालों को कुछ काम - धंधा नहीं रहता है क्या ! "

ये बोलते हुए उसने फोन काट कर वापस से साइड में रख दिया लेकिन अचानक से उसे कुछ याद आया तो उसने तुरंत फोन उठा लिया । उसने समय देखा तो सुबह के नौ बज रहे थे ।

उस लड़के ने खुद से ही कहा, " ये सिड कहां रह गया ? उसे तो अब तक आ जाना चाहिए था । "

ये कहते हुए वो लड़का उठ खड़ा हुआ । उसने अपने फोन में एक नंबर निकाला जिस पर माय लाइफ लिखा हुआ था । उसने उस नंबर पर कॉल किया पर कॉल आंसर नहीं हो रहा था । उसने दुबारा ट्राई किया लेकिन इस बार भी कॉल आंसर नहीं हुआ ।

उस लड़के ने बार - बार फोन ट्राई करते हुए कहा, " कहीं इसने फिर से अपना फोन डू नॉट डिस्टर्ब मोड पर तो नहीं डाल रखा है न ! "

फिर उसने चिढ़ कर कहा, " क्या करें हम इस लड़के का ! "

और अपना फोन जेब में डाल कर, अपनी बाइक लेकर बाहर निकल गया ।

कुछ देर बाद वो एक जिम के सामने था । उसने अंदर जाते ही चिल्ला कर कहा, " सिड, सिड, वेयर आर यू ? "

उसकी आवाज सुन कर उस जिम का मालिक अपने केबिन से बाहर आया ।

उस लड़के को देख कर जिम के मालिक, जिसका नाम राहुल था, ने कहा, " क्या हुआ यश, इतने परेशान क्यों लग रहे हो ? "

यश ने उसे देख कर कहा, " भाई, सिड कहां है ? "

राहुल ने कन्फ्यूजन के साथ कहा, " सिड, उसे निकले हुए तो लगभग 1 घंटा हो गया है । "

यश ने अपनी आँखें बड़ी करके कहा, " क्या ? "

राहुल ने नासमझी से कहा, " हां ! "

फिर उसने यश से ही सवाल करते हुए कहा, " क्यों, वो घर नहीं पहुंचा क्या अभी तक ? "

यश ने बाहर जाते हुए कहा, " हम आपसे बाद में बात करते हैं । "

राहुल ने उसे रोकते हुए कहा, " पर यश... " लेकिन यश उसे अनसुना करके चला गया ।

यश ने वापस घर आकर सिड को ढूंढना शुरू कर दिया । उसने सिड को हर जगह ढूंढ लिया था पर उसका कहीं कोई अता - पता नहीं था ।

उसे परेशान देख कर एक महिला जो पौधों को पानी दे रही थी, उसने यश से कहा, " क्या हुआ, बेटा ? "

उनकी उम्र कोई पचास साल के आस पास रही होगी ।

यश ने उनकी ओर देख कर कहा, " मां वो, वो ! "

वो पैनिक करने लगा था । उसे ऐसे देख कर सिड की मां ( मिसेज माथुर ) ने घबरा कर कहा, " वो क्या, यश ? "

यश ने एक ही सांस में कहा, " सिड कहीं मिल नहीं रहा है, मां । "

मिसेज माथुर ने तुरंत कहा, " क्या ? "

यश ने फिर से कहा, " हां मां, उसने हमसे कहा था कि वो जिम जा रहा है । "

मिसेज माथुर ने घबरा कर कहा, " तो वहां जाकर देखा ! "

यश ने टेंशन के साथ कहा, " हां मां, वहां भी देख लिये । राहुल भाई ने बताया कि सिड वहां गया था पर उसे निकले हुए लगभग एक घंटा हो गया है । "

मिसेज माथुर ने बौखला कर कहा, " ऐसा कैसे हो सकता है । अगर उसे निकले हुए इतना समय हो गया है तो अब तक तो उसे यहां आ जाना चाहिए था । "

यश ने टेंशन के साथ कहा, " वही तो समझ नहीं आ रहा है न ! "

मिसेज माथुर ने अपना सिर पकड़ कर कहा, " कहां चला गया ये लड़का ? "

यश ने मिसेज माथुर की ओर देख कर कहा, " मां, आप टेंशन मत लीजिए । हम, हम कुछ करते हैं । हम ढूंढते हैं उसे । "

मिसेज माथुर ने भी बाहर की ओर जाते हुए कहा, " हां, हम भी देखते हैं । कहीं कॉलेज में तो नहीं है न ! "

यश ने उन्हें रोकते हुए कहा, " नहीं मां, हमने वहां भी पता किया है । वो वहां भी नहीं है । एक काम करिए, आप पहले सनी भाई को इनफॉर्म कर दीजिए और हम लक्ष्मी दीदी और काव्या दीदी से पूछते हैं । "

मिसेज माथुर ने अपना फोन निकालते हुए कहा, " हां, ये ठीक रहेगा । "

यश ने कहा, " हम्म ! " और फिर वो दोनों अपने अपने फोन से कॉल करने लगे । "

उधर मिसेज माथुर सनी से बात कर रही थीं तो वहीं यश ने फोन पर काव्या से कहा, " प्रणाम दीदी, सिड आपके यहां आया है क्या ? "

सामने से काव्या ने कहा, " नहीं तो ! क्यों, क्या हुआ ? "

यश ने तुरंत कहा, " कुछ नहीं, हम आपसे बाद में बात करते हैं । "

काव्या ने कहा, " पर... " लेकिन यश ने तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया ।

मिसेज माथुर ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, " क्या हुआ, सिड है वहां ? "

यश ने निराशा के साथ अपना सिर ना में हिला कर कहा, " नहीं । "

मिसेज माथुर ने उसकी ओर देख कर कहा, " लक्ष्मी को कॉल करो । "

यश ने भी कहा, " हां, हां, करते हैं । "

यश ने लक्ष्मी से बात कर ली तो मिसेज माथुर ने बेचैनी के साथ कहा, " क्या हुआ, कुछ पता चला ? "

यश ने फिर निराशा में सिर हिला कर कहा, " नहीं मां, सिड वहां भी नहीं है । "

वो दोनों बातें कर ही रहे थे कि इतने में एक आदमी अंदर आया ।

उसे देख कर यश ने कहा, " पापा ! "

उस आदमी ( मिस्टर सिन्हा ) ने उसकी ओर देख कर कहा, " हां, बेटा ! "

यश ने उनसे सवाल करते हुए कहा, " आपने सिड को कोई काम दिया है क्या ? "

मिस्टर सिन्हा ने अपना सिर ना में हिला कर कहा, " नहीं, तो ! "

यश ने फिर से सवाल किया, " आपने उसे किसी मिशन पर नहीं भेजा है ! "

मिस्टर सिन्हा ने कहा, " बिल्कुल नहीं, बल्कि हम तो उसे खुद ही मना करने वाले थे । "

मिसेज माथुर ने अपना सिर पकड़ कर कहा, " अब क्या किया जाए ? "

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कौन है सिड ?

क्या हुआ था उसके साथ ?

कहां था वो ?

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,

बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस

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लेखक : देव श्रीवास्तव