The Author RashmiTrivedi Follow Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 19 By RashmiTrivedi Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books THE WAVES OF RAVI - PART 17 BABA SANTA SINGH The Sutlej River was flowing slowly.... Hate to Love - 3 Hate to love - 3 New delhi , India We read that When Aphara... King of Devas - 3 Brahma's ancient brows furrowed slightly, revealing his conc... Trembling Shadows - 20 Trembling Shadows A romantic, psychological thriller Kotra S... Was it GHOST? Was it GHOST?A torch has enough light to make them reach to... 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आज भी मैं इसीलिए तुम्हारे पीछे वेनेसा के घर तक आई थी ताकि तुमसे माफ़ी मांग सकूं लेकिन तुम सबकी बातें सुन मैं फिर से अपने आप क़ाबू न रख पाई। मैं वेनेसा पर इस तरह हमला नहीं करना चाहती थी लेकिन मैं भी मजबूर थी और मैं यह भी जानती थी, तुम मेरा साथ ज़रूर दोगे।" "हाँ,वो तो ठीक है लेकिन आज जेनेट और वेनेसा पूरी तरह डर गई थी। मुझे भी एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे तुम उसकी जान ही ले लोगी।" उसकी बात सुन क्रिस्टीना ने कहा,"मैं ऐसा कभी नहीं करुँगी। कर ही नहीं सकती! मैं जानती हूँ, दम घुटता है तब कैसा लगता है। जान निकलने के दर्द को मुझसे ज़्यादा बेहतर और कौन जान सकता है? मैं तुमसे वादा करती हूँ, अब कभी किसी पर इस तरह हमला नहीं करुँगी!" वो दोनों बातों में ही लगे थे और तभी क्रिस को अपने कमरे की ओर बढ़ते कुछ कदमों की आहट सुनाई दी। अचानक उसके कमरे का दरवाजा खुला और एक के बाद एक अतुल, शिवाय, वेनेसा और जेनेट कमरे में दाख़िल हुए। क्रिस ने देखा, क्रिस्टीना तो कब की वहाँ से ग़ायब हो चुकी थी। उसने अपने दोस्तों को वहाँ देख पूछा,"तुम लोग यहाँ?" अतुल ने उसके पास आते हुए कहा,"हाँ हम...तो तुमने क्या समझा था, हम सिर्फ़ नाम के दोस्त हैं तुम्हारे? हम सब तुम्हारे साथ हैं क्रिस। अब जो भी होगा हम सब मिलकर उसका सामना करेंगे।" "हाँ बिल्कुल! वैसे भी हम अगर क्रिस्टीना का साथ देंगे तो वह हमें कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगी। क्यूँ ठीक कहा न मैंने?", शिवाय ने उससे पूछा। तभी ग़ायब हुई क्रिस्टीना ने सबके सामने आकर कहा,"हाँ शिवाय, तुमने सही कहा। अब मैं तुम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊंगी।" अचानक से सबके सामने आई क्रिस्टीना को देख शिवाय ने कुछ कदम पीछे हटते हुए कहा,"ओह.. हो..मैं तो भूल ही गया था।तुम हमें कहीं से भी सुन सकती हो। बुरा मत मानना, मुझे आत्माओं से बात करने का कोई एक्सपीरिएंस नहीं है तो मैं थोड़ा डर गया था।" उसकी बात सुन सभी लोग हँसने लगे। क्रिस्टीना के चेहरे पर भी वही प्यारी मुस्कान थी जिसे पहली नज़र में देख ही क्रिस अपने होश खो बैठा था। क्रिस्टीना ने आगे बढ़कर जेनेट और वेनेसा से माफ़ी मांगी," मैं तुम लोगों को डराना नहीं चाहती थी, मुझे माफ़ कर देना।" जेनेट ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और कहा,"हे, भूल जाओ वह सब! हम भी तुम्हारी मजबूरी समझ गए हैं। लेट्स बिकम फ्रेंड्स!" वेनेसा भी जेनेट की बातों से सहमत थी। वहाँ मौजूद किसी ने कभी सोचा भी न था कि इस तरह कभी एक आत्मा और इंसान भी कभी दोस्त बन सकते हैं पर यह सच्चाई थी। आगे शिवाय ने पूछा,"तो प्लान क्या है? हमें कहाँ से शुरुआत करनी चाहिए?" तभी अतुल ने जवाब दिया," मेरी मानो तो सबसे पहले हमें पीटर के पिताजी यानी जॉन अंकल जो क्रिस्टीना की फ़ैमिली को सबसे क़रीब से जानते थे उनसे मिलना चाहिए। हो सकता है कोई न कोई बात हमें पता चल जाएं।" "ग्रेट आयडिया अतुल! मैं अशोक अंकल से पीटर के घर का पता ले लेता हूँ। हम आज ही चलेंगे।", क्रिस ने कहा। तभी वेनेसा कहा,"लेकिन उससे पहले क्रिस्टीना...तुम हमें बताओगी कि वह टैटू कैसा दिखता था। मैं अभी उसका स्केच बना लेती हूँ। हो सकता है जॉन अंकल उसे देखकर कुछ बता सकें।" "वाओ, सब लोग एक के बाद एक बढ़िया आइडियाज दे रहे हैं। गाइज अगर हम इसी स्पीड से सोचते रहेंगे तो हम जल्दी ही अपनी मंज़िल के पास होंगे।", क्रिस ने बड़े ही जोश से कहा। वेनेसा के कहने पर क्रिस्टीना ने एक बार फिर उस टैटू को याद कर सामने वाली कोरी दीवार पर देखा। तभी दीवार पर अपने आप एक चित्र उभर आया। वो एक बड़ा सा समुद्री जहाज़ का टैटू था जिसके ऊपर एक काले झंडे पर खोपड़ी का चित्र था। वेनेसा ने क्रिस से एक पेंसिल और पेपर मांगा। सभी जानते थे वेनेसा स्केच बनाने में माहिर थी। पलक झपकते ही उसने पेपर पर टैटू का हूबहू स्केच उतार लिया। "रास्ते में हम लोग इसकी ख़ूब सारी फोटोकॉपी बना लेंगे। सेफ साइड मैं इसकी एक तस्वीर ले लेता हूँ।" इतना कहकर शिवाय ने अपने मोबाइल से उसकी एक तस्वीर ले ली। फिर थोड़ी ही देर में सब लोग नीचे उतरकर हॉल में इकट्ठा हुए। क्रिस ने अशोक से पीटर के घर का पता मांगा। मैनेजर अशोक समझ चुका था,हो न हो इन सबने मिलकर कोई खिचड़ी तो ज़रूर पकाई हैं मगर क्या यह वो समझ नहीं पा रहा था। इसीलिए उनसे बात निकलवाने के लिए अशोक ने आगे कहा,"क्रिसबाबा, पीटर के घर का एड्रेस तो मैं आपको दे दूँगा, पहले आप सब लोग मुझे बताओगे की आखिर यहाँ हो क्या रहा है? आप सब लोग एक साथ पीटर के घर क्यूँ जाना चाहते हैं? भूलिए मत, मैडम ने आपकी पूरी जिम्मेदारी मुझे सौंपी है। मेरा सब कुछ जानना बहुत ज़रूरी है।" सभी ने एक दूसरे की ओर देखा। सभी को अशोक अंकल पर पूरा भरोसा था। फिर क्रिस ने विस्तार से अशोक को पूरी बात समझाई जिसे सुन अशोक बहुत हैरान हुआ। "एक आत्मा से दोस्ती? उसकी मदद करना चाहते हो? ख़ूनी को ढूंढना है? जहाज़ का टैटू? यह सब क्या है? आप लोगों को अंदाज़ा भी है कि इसमें कितना ख़तरा है?" कोई कुछ जवाब देता इससे पहले ही एक धुंधला सा साया अशोक के सामने आया,"क्या आप मेरी मदद नहीं करेंगे अशोक अंकल?!" क्रिस्टीना को देख अशोक के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई। उसने अपने दाएं हाथ की शर्ट की स्लीव्स ठीक करते हुए कहा,"हाँ... हाँ.. क्यूँ नहीं? तो क्या तुम ही क्रिस्टीना हो?" शिवाय ने मज़ाकिया लहज़े में अतुल के कानों में धीरे से कहा,"क्रिस्टीना की एंट्री ने अंकल की सिट्टी-पिट्टी गुल कर दी।" तभी क्रिस ने कहा,"अंकल, अब तो आपको यक़ीन आ गया न? तो फिर जल्दी से हमें पीटर के घर का एड्रेस दे दीजिए प्लीज!" अशोक ने झटसे अपने मोबाइल से एक मैसेज क्रिस को भेजा और कहा,"मैंने आपको मैसेज भेज दिया है अगर आप ठीक समझे तो मैं भी चलता हूँ आप लोगों के साथ!" "नहीं अंकल, हम मैनेज कर लेंगे। वैसे भी अगर कोई काम रहा तो हम आपको ही कॉल करेंगे। यू डोंट वरी, बस ग्रैनी का फोन आए तो बात संभाल लेना।" इतनी बात कहकर क्रिस अपने दोस्तों के साथ आगे बढ़ गया। उनके साथ साथ क्रिस्टीना की आत्मा भी वहाँ से ग़ायब हो चुकी थी। इधर अशोक अपने दाएं हाथ की शर्ट की स्लीव्स को बार बार ठीक करते हुए पैराडाइस विला में इधर उधर देख रहा था... क्रमशः .... रश्मि त्रिवेदी ‹ Previous Chapterधुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 18 › Next Chapter धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 20 Download Our App