...मेरे..वक्त की हसीन लम्हो की,
तुम वो किताब हो,
जिसके हर एक पन्ने पर नाम है .."तुम्हारा"।
कहा से ढूंढकर लाते हो .. इतने सारे शब्द...?नीलिमा ने पूछा ।
जी ....शुक्रिया😊 कहते हुए नारंग ने कहा....ये तो यही है,
बस आप को देखकर सूझ रहे है...
नीलिमा...अच्छा जी।
जी...
मैं तो बस अहसास लिखता हूं।
जो कही खो जाते है।
बस उन्हें समेटकर लाता हूं।
और अपने "शब्दों" में पिरोकर उनकी "माला" बनाता हूं जी....🌼
..अपने व्यस्त हो रहे काम में नारंग से बात करना नीलिमा को सुकून देता था।
इन्ही सारी बातों से तो ,
वह सबको मोहित कर लेता था।
किसी से अपनी स्तुति को सुनकर आखिर आनंद की प्राप्ति किसे न हो.?
इंसान को चाहिए कि उसकी बाते कोई सुने..
उसकी हर एक आवाज को ,
जो खो जाती है कही।
नारंग बखूबी जानता था की,
किसी को कैसे आकर्षित किया जाता है।
यह उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था।
हफ्ते में कभी कभी होने वाली बात अब लगभग रोज होने लगी।
मानो एक दूसरे की आदत हो गई हो।
एक वक्त के बाद जिस तरह हमारे जरूरी काम करना नही भूलते है,
जो रोज के आदतों में शामिल हो जाती है।?
मगर अभी तक उसने काम क्या करते हो.?
इस सवाल के कई जवाब दिए थे।
लेकिन अपने एक काम पर वह कभी टिका नही।
हर बार नया काम ,
कहकर बात को टाल देता था।
🌄
....मंदिर में आरती शुरू हो चुकी थी।
बाहर हल्की हल्की रोशनी होने लगी थी।
पक्षियों के गुंजन से सारा पेड़ चहकने लगा था।मुरझाए हुए ख्वाबों में पुनः जीवन के रस उतरने लगे थे।
मानो...जीवन का संदेश यही हैं,
नित्य कुछ भी नही।
एक वक्त के अधीन सब घटित होता है।
अंधेरे के बाद उजाला और उजाले के बाद अंधेरा ।
यही शास्वत सत्य है।
जरूरी है की ,
अपने अस्तित्व के प्रमाण पर जो ,
कार्मिक बंधनों को सत्य की राह से जोड़ना।
जीवन में उतार_ चढ़ाव आना भी जरूरी है।
वह हमे उस सत्य से अवगत कराते है की,
रात चाहे कितनी भी लंबी क्यों न हो..?.
उषा की प्रभा से वह निसंदेह मिट जाती है ।
और उसके बाद अंधकार।
जीवन की भी यही अवस्था....सदा सर्वदा हम एक ही अवस्था में नही होते.
सब प्रवर्तनीय है।
रास्ते पर लोगों की आहट शुरू हो रही थी।
गलियों में साफसफाई चल रही थी।
बीच में सब्जी मार्केट को गांव के ओर से गाड़ियों की आना शुरू हो रहा था।
हम जिस जगह है,
बस वही बहुत है।
सुबह का यह नजारा वह अपनी बरामदे से देख रही थी।
उसने खिड़कियों के परदे हटाए,
सूरज की किरणों के अंदर आने दिया।
वह सुबह की उस ताजगी पूर्ण हवा को महसूस कर रही थी ,
और खुद को ऊर्जावान।
क्या होता है.?
कुदरत का कमाल...
जो जीवन के हर रंग को हमसे मिलवाता है।
एक लड़का पेपर दे रहा था।
उसके और नीलिमा की नजर पड़ी।
दुबला पतला सा शरीर ..सायकल पर सवार होकर वह अपने काम
को पूरी शिद्दत के साथ कर रहा था।
उसको देखकर नीलिमा के मन में ,
यह विचार चमक उठा की,
शिक्षित होना कितनी जरूरी बात है।
जो हमारे जीवन के स्तर को बेहतर बनाती है।
घड़ी की टिकटिक चल रही थी।
वक्त कभी ठहरत नही ,
उसका अपनी चाल पर अडिग रहना ही हमे ,
उसके प्रति सजग बनाता है
आज के पेपर के बातों को पढ़कर वह ऑफिस जाने के लिए तयार हो गई।
🌼 🌼🌼🍁