कैपिटलिज्म in Hindi Short Stories by ABHAY SINGH books and stories PDF | कैपिटलिज्म

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कैपिटलिज्म

फोर्ड को 8 सिलेंडर का इंजन चाहिए था...

क्योकि एक सिलेंडर से, 4 सिलेंडर इंजन पावरफुल होता है, आठ सिलेंडर तो डबल पॉवरफुल होगा।

फोर्ड को ज्यादा पावरफुल कार बनानी थी।
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लेकिन वो इंजन एक्सपर्ट तो थे नही। तो एक्सपर्ट्स को इकट्ठा किया और उन्हें कहा कि 8 सिलेंडर का इंजन बनाओ। इंजीनियर्स ने कहा इम्पॉसिबल है।

फोर्ड ने कहा - सोचो।।

कोई काम नही, बस सोचो। वेतन पूरा मिलेगा। बैठे रहो, सोचो। दर्जनों हाइली पेड इंजीनियर बस बैठे बैठे सोचते रहते। बहस करते। उसी की तनख्वाह लेते रहते।

अंततः सोचते सोचते एक डिजाइन बनाया। कुछ नही, बस पिस्टन सीधे की बजाय तिरछे कर दिए। जैसे ऑटो वाला आपको सीट में आगे पीछे बैठने के लिए बोलता है, और जगह बनाकर 2-4 एक्स्ट्रा सवारी बिठा लेता है।

8 सिलेंडर इंजन बन गया। नई कार औरो से पावरफुल थी, एफिशिएंट थी। फोर्ड की कार छा गई।

उनकी दौलत में कई गुना इजाफा हुआ।
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बड़े आदमी कमाने के लिए पसीना नही बहाते। वे निर्णय लेते है। लोगो को काम पर लगा देते है। दबाव देते है इम्पॉसिबल करने को, जुगाड़ बनाने को- बस।

ऐसी चीज, जो उन्हें खुद करनी नही आती, कोई साधारण आदमी करके देता है।
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और साधारण आदमी उठता है, काम पर जाता है। आठ दस घण्टे खपता है। उसे स्किल्स चाहिए। बुद्धि लगानी है।

कुछ क्रिएट करना है। शाबासी चाहिए, प्रमोशन चाहिए। नया सीखना है, नया करता है।

औऱ हर सीख, हर नई उपलब्धि से उसे इंच भर ग्रोथ मिलती है। वह एक घर, एक गाड़ी, एक मकान खरीदता है।
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ऐसे दसियो, सैंकड़ो, हजारो लोग मालिक को कमाकर दे रहे है। लाखो की मेहनत का कट- पैसा, पैसा, पैसा - इतना पैसा...

की पैसा खुद इर्रिलेवेंट हो जाये।

याने इंसानी टाइप ख्वाहिशें, सौ दो सौ करोड़ में पूरी हो जाती है। बड़ी कार, बंगला, बच्चो की शिक्षा, देश विदेश भ्रमण, थोड़ा फेम...सुरक्षित बैलेंस।

इसके बाद वह एक फिगर है।
कैसे स्पेंड करोगे??
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ऐसा पैसा, जिसके लिए दूसरे मेहनत करते है, उसे बर्बाद करने से दर्द नही होता। दौलत मुफ्त की, अनगिनत हो जाये, तो अक्सर लोग इसके चार्म से ऊपर उठ जाते हैं।

पर किस तरह उठेंगे, उनकी इंसानी गुणवत्ता पर निर्भर है। रॉकफेलर, टाटा,अजीज प्रेमजी फाउंडेशन बनाते है। धन लोगो मे बांटते है।

अपनी पसन्द का कॉज - शिक्षा, मानवाधिकार, स्वास्थ्य... व्हाट एवर दे थिंक एसेंसियल। कुछ एल्फ्रेड नोबल जैसे भी..

जब ढेर दौलत हो गई, तो उसने ऐसे पुरस्कार का बंदोबस्त किया, कि सौ साल से हर साइंटिस्ट, इकोनॉमिस्ट, डॉक्टर का सपना गले मे नोबल का पट्टा डाल लेना है।
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लेकिन मूर्ख, कृपण और सनकी लोग दौलत सहेजते है। निजी सुख में उड़ाते है। चार हजार करोड़ का घर, डेढ़ सौ कारें, हीरे जड़ी घड़ी, दो चार हेलीकॉप्टर, ब्रांडेड कपड़े, जूते।

जाने क्या ही एक्स्ट्रा निजी सुख मिलेगा। 20 लाख की कार की गद्दी, बदन को नरमाई देती है, 120-130 की स्पीड में सड़क पर चलती है। एसी 22 डिग्री पर रहता है।

5 करोड़ की कार में गद्दी क्या एक्स्ट्रा नरमाई देगी? AC क्या -122 डिग्री कूलिंग देगा?? 600 की रफ्तार पर चलाओगे क्या??

नही। मगर उसी सुविधा की बहुत ज्यादा कीमत देने से पता लगेगा, कि आपके पास, धन ज्यादा हो गया है।
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अगर लोगो को पैसा दिखाया न जाये, तो मजा कैसा?? शादी ब्याह भारत में दिखावे का सुअवसर है।

10 करोड़ की शादी, सौ करोड़ की शादी.. अब दो चार हजार करोड़ की शादी देख रहे है।पर लेवल वही है।

यूपी में ब्याह में सस्ता लौंडा नाच होता है। आपकी बारात में रियाना और जस्टिन बीबर को नाच रहे है। इस लौंडा नाच में, देश दुनिया के तमाम "हू इज हू" ठुमके दे रहे हैं।

बहू के घाघरे में भगवान बिठा दो, यह भी पैसे का प्रदर्शन है। कोई और करता, तो दंगे हो जाते। हुजूर करें, तो कोई सुनगुन नही। क्योकि उनने सरकार भी खरीद रखी है, चैनल भी, ट्रोल भी।
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फोर्ड ने अपने कर्मचारियों को आठ सिलेंडर इंजन बनाने का चैलेंज दिया। उस सोच ने अफोर्डेबल, शक्तिशाली कार दी, इंसानी जीवनशैली को बदल दिया। धनी हुए।

बिल गेट्स ने सस्ता कम्प्यूटर दिया, हर घर डेस्कटॉप ने दुनिया को प्रोफाउंडली बदल दिया, जीवन आसान किया। धनी हुए।

बड़ा आदमी अपने लोगो को मानवीय सीमाओं कों तोड़ने का चैलेंज देता है। फोर्ड, गेट्स बौद्धिक सीमाओं को तोड़ने का चैलेंज देते हैं।

अम्बानी- अडानी भी देते है
नैतिकताओं को तोड़ने का चैलेंज।
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इन्होंने अपनी दौलत कोई नया प्रोडक्ट, कोई नई सेवा देकर नही बनाई। यह अनैतिक दौलत है। अनैतिक तरीको से कमाई,और अनैतिक मीन्स में व्यय होती हुई हम देख रहे हैं।

यह ब्याह, भारत के कैपिटलिज्म, और पश्चिम के कैपिटलिज्म का बेसिक फर्क बताता है। ऐसा कैप्टिलिज्म और इसे बनाने वाले लोग चूल्हे भाड़ में जायें।

वर वधू को मेरी शुभकामनाएं हैं।