Mahila Purusho me takraav kyo ? - 97 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 97

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 97

बदली अपनी उस दबंग महिला मित्र को याद करती है । उसके दिमाग में कुछ चल रहा है ..
थोड़ी देर सोचने के बाद उसने उस दबंग महिला को फोन लगाया .. उधर से दबंग महिला ने फोन रिसीव किया .
अरे मेघा ! (बदली) कैसी है तू ? कहा पोस्टिंग है तेरी ? अरे यार बहुत दिनों के बाद फोन किया ? अच्छा तू बता कैसे फोन किया ? इस तरह प्रश्नों की झड़ी लगा दी उस दबंग महिला ने । बदली ने धीमे स्वर मे कहा ..अरे यार एक मुर्गा है हट्टा खट्टा .. उधर से दबंग महिला बोली ..क्या बात कर रही है ..मै तो सोच रही थी ..अरे सोचना क्या है ..उसका फोटो भेज .. मिल बांटकर खायेंगे । ठीक है मै उसकी फोटो सैंड करती हूँ । अरे सुन सुन ..मेघा ! तुझे कहां मिला ..अरे बॉस मिला क्या, मै तो" उसके साथ दो दिन से थी ..लेकिन गधे ने घास नही डाली .. तू फिकर ना कर , वह घास भी डालेगा ..मै कल ही तेरे पास पहुंच रही हूँ । बदली ने उत्तर दिया.. ठीक है मै आपका वेट करूंगी ।
उधर अभय नहा धोकर भोजन कर चुका था । भोजन कर अभय अपने शयन कक्ष में चला गया, थका हुआ था फिर भी वह सोया नही ..अभी अपनी प्रियसी का आलिंगन जो करना था । वह आंखे बंद किये लेटा हुआ था । अभय की पत्नी केतकी रूम मे आई, लेकिन अपने पति को सोया देख, अपने हाथों की चुड़ियां खनकायी..किन्तु अभय पर उसका कोई असर नही हुआ..केतकी ने अभय की बांह पर हाथ रखकर हल्का सा दबाया ..अभय ने आंखे खोली और मुस्कुराकर उसे गले से लगा लिया .. अभय ने रूम की लाइट बंद कर दी ।

अभय और केतकी सोये हुए है । रात्रि के 2:00 बज रहे थे ..अचानक मौहल्ले मे पहरा देने वाले प्रहरी ने विसिल बजाई ..केतकी की नीन्द टूट गयी ..गहन रात्रि है, अभय गहन निद्रा में है ऐसा जान केतकी धीरे से उठी और अपने पति के गालों को हल्का सा चूम लिया । अब क्या था.. कपट की नीन्द सोये पति ने केतकी को बाहों में भर लिया, उसे लंबे समय तक चूमता रहा..
इस प्रकार दोनों पति पत्नी की रात हंसी भोग विलास के साथ बीती ।
केतकी के मुखमंडल पर आज अलग सी चमक है । अपने शयन कक्ष से केतकी बाहर आई ..दिन निकल आया था , सूर्य देव की सुनहरी किरणें दीवारो व पेड़ो के अंतिम छोरों पर गिर रही थी । मयूर की मधुर पीहू की ध्वनि वातावरण को मधुर बना रही थी । केतकी की नजरे अपनी सास कस्तुरी से मिली ..कस्तुरी बहु को देखकर मुस्कुराई ..केतकी ने तुरंत अपनी नजरे हटा ली ..शरमाकर तेज कदमों से आकर अपनी सास के गले लग गई.. कस्तुरी
ने अपनी बहु की पीठ थपथपाकर कहा ..बेटा ऐसे ही हंसती खेलती रहो .. अब तुम दोनों कही घूम आवो ..अभी तो अभय की भी छुट्टी है । केतकी ने अपनी सास को कसकर पकड़ा और कहा ..मम्मी आप भी हमारे साथ चलोगे ना ? .. कस्तुरी ने मना कर दिया, नही बेटा मै नही जा सकती ..घर मे गाय भैंस को कौन देखेगा ?