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रेलवे ट्रैक
नीमवती भी रिमझिम को देखें जा रही है, “ बेटा मुझे भी तुम्हारी शक्ल किसी की याद दिला रही है।“ “किसकी?” उसने उसे हैरानी से देखते हुए पूछा,
किसकी आंटी?
थी मेरी एक सहेली, इसी गॉंव कीI उसकी आँखें नम हो गईI तभी रिक्शे वाले ने नीमवती को आवाज़ दींI बहन जी! चलना है तो बतायेँI
आ रही हूँ, भैया? वह अब रिक्शे में सवार हो गई और थोड़ी देर में ही रिमझिम की आँख से ओझल हो गईI रिमझिम अब भी बेचैन सी इसी महिला के बारे में सोच रही हैI वह धीरे कदमों से अपने घर की तरफ जा रही हैंI तभी उसने देखा कि कोने में कई बरसो से बंद पड़ा मकान तोड़ा जा रहा हैI उसने पड़ोस में बैठी एक बुजुर्ग महिला से पूछा, “अम्मा यह किसका मकान टूट रहा हैI”
“यह सरगम का घर था, दोनों पति पत्नी मर गए I कुछ दिन पहले उनकी बेटी का पति आया था और मकान बेचकर चला गया I कहता है कि अपनी बेटी की शादी करनी हैI सुना है, इसी गॉंव में उसका रिश्ता जमींदार के मंझले बेटे से हो रहा है I
पर यहाँ तो कभी कोई दिखाई नहीं दिया था?
बिटिया! उन दोनों की एक ही बेटी थींI उसकी शादी हो गई तो उनका दामाद अपने सास ससुर को भी ले गयाI लड़का अनाथ थाI उसे भी माँ बाप मिल गए और क्या चाहिएI
क्या नाम था, उनकी बेटी का ?
नीमवती!! तेरी माँ की तो बड़ी जिगरी सहेली थीI अम्मा की अब सांस फूलने लगी तो उन्होने बोलना बंद कर दिया और पानी पीने के लिए अंदर चली गईI यह सुनकर रिमझिम के कदम अपने घर की तरफ तेज़ी से बढ़ने लगेI
निर्मला का पति उसे लेने आया हुआ है I सोनाली अपने जीजाजी से हँसी ठिठोली कर रही हैI उसके पिता गिरधर सिंह दामाद से उसके कामकाज़ के बारे में पूछने में लगें हैंI गोपाल भी उसके पास बैठा हुआ हैI निर्मला रसोई में खड़ी अपनी किस्मत को कोस रही हैंI इसके साथ जाने से अच्छा तो मर जाना हैI मगर मरना तो इसे चाहिएI फिर वही ख़्याल उसे परेशां कर रहें हैंI अब उसने सोनाली को अपने पास बुलाते हुए कहा, “जीजाजी को पिताजी के साथ बतियाने दें I तू अंदर चली जा,” “ क्यों? मैं कौन से उन्हें काट खाऊँगीI “ उसने चिढ़ते हुए कहा तो उसने डाँट दिया, “कहा न, अंदर जाI” अब वह मुँह बनाते हुए अंदर चली गई I
करीब एक घंटे बाद, सुनील ने गिरधर को कहा, “बाबू जी अब इज़ाज़त दीजिएI उन्होंने गोपाल को ट्रेक्टर से स्टेशन तक छोड़ने की बात कही तो वह मान गया और अब उन्होंने निर्मला को आवाज दी,
“नीरू!! बेटा सामान लेकर जल्दी आ जाI दामाद जी इंतज़ार कर रहें हैंI” वह मन मसोसते हुए हाथ में अपने कपड़े की पेटी लिए आकर खड़ी हो गईI उसके भाई ने सामान ट्रेक्टर पर रख दिया और वे दोनों गिरधर को प्रणाम कहकर निकल गएI उसने अपनी तरफ से अपने दामाद सुनील को फलों की टोकरी और शगुन के साथ विदा कियाI अब ट्रेक्टर कानपुर की ट्रैन को पकड़ने के लिए स्टेशन पर जाता जा रहा हैI रास्ते में सुनील ने धीरे से कहा, “सोनाली भी अच्छी लगने लग गई हैI तुम कहो तो मैं अपने दोस्त राजा से उसके रिश्ते की बात करोI” उसने उसे घूरते हुए जवाब दिया, “वह अभी पढ़ रही है और तुम उसकी फ़िक्र न ही करो तो इसी में तुम्हारी भलाई हैI” अब सुनील की त्योरियाँ चढ़ गईI
“तुम्हारी ज़बान ज़रूरत से ज़्यादा चल रही हैI घर चलो, तुम्हें बताता हूँI” निर्मला के चेहरे पर डर साफ़ नज़र आ रहा हैI
“वैसे तुम इतना सामान लाई क्यों थी, घर आने का ईरादा नहीं थाI” उसने बड़ी सी पेटी को देखते हुए कहा पर पार्वती ने कोई ज़वाब नहीं दियाI उसे पता है कि अब कोई ज़वाब दिया तो यह और खूंखार हो जायेगाI
अब स्टेशन भी आ गया और गोपाल उनसे विदा लेकर वहाँ से चला गयाI सुनील ने प्लेटफार्म पर ट्रैन के बारे में पता किया तो पता चला कि पंद्रह मिनट बाद ट्रैन आने वाली है I दोनों वहीं प्लेटफार्म पर बैठ गएI ‘क्या इस आदमी को चलती ट्रैन के आगे धक्का दे दो, या इसे चलती ट्रैन से नीचे फ़ेंक दोI ऐसे कई नकरात्मक विचार उसके मन में आने लगे तो उसने खुद की बिगड़ती मनोस्थिति पर काबू पाते हुए कहा, “मुझे बाथरूम जाना हैI” “ जल्दी आनाI” सुनील की आवाज में आदेश हैI
खाना बनाती नानी से रिमझिम ने पूछा,
नानी !! किसका कोने वाला मकान जो टूट रहा है, वो किसका है I
नानी ने रोटी तवे पर डालते हुए कहा, “सरगम और रूपेश काI”
ये दोनों कौन है?
“निम्मी के माता पिता थेंI” उसकी नानी अब उसे रोटियाँ बनाने का बोलकर अंदर कमरे में चली गई और रिमझिम सोचने लगी “चलो, शुक्र है, कुछ तो पता चलाI”
ट्रैन तो आ गई पर निर्मला का कोई पता नहीं हैI सुनील को गुस्सा आने लगा कि तभी उसे सामने से आती निर्मला दिखाई दीI “ इतनी देर क्यों लगा दी?” “ इतनी गंदगी थी, सभी बाथरूम में I एक साफ़ था पर उसके बाहर भीड़ थी इसलिए देर हो गईI अब उस गंदगी की खुशबू मेरे नाक में चढ़ गई है इसलिए मुझे उबकाई आ रही है I” “ यह ड्रामे बंद करो और जल्दी चलोI” अब वे दोनों सामान लेकर ट्रैन के अंदर सवार हो गए और अपनी सीट पर बैठ गएI ट्रैन दस मिनट बाद चलने वाली हैI निर्मला खिड़की से बाहर देख रही है, अब ट्रेन के इंजन की आवाज आने लगीI
तभी अचानक निर्मला को उल्टी आने लगीI उसने कहाँ “दो मिनट में आई” और यह कहकर वह ट्रैन से निकल गई और पटरी के पास खड़ी उल्टियाँ कर रही हैंI सुनील खिड़की के पास खड़ा होकर ज़ोर से चिल्लाया, “ निर्मला जल्दी करोI” अब ट्रैन के इंजन की आवाज तेज़ हो रही है, “यह पागल औरत कहाँ रह गई” वह फिर ज़ोर से चिल्लाया “निर्मला!!!!” और ट्रैन ने स्पीड पकड़ लीI सुनील ने खिड़की से प्लेटफार्म पर झाँका तो देखा कि निर्मला कहीं नहीं हैI वह ज़ोर से चिल्लाता जा रह है “निर्मला! निर्मला” मगर उसे निर्मला कहीं दिखाई नहीं दे रहीI ‘कहीं वह रेलवे ट्रैक पर गिर तो नहीं गई?’ सुनील यह सोचकर घबरा गयाI