भाग –५१
मैने मन बना लिया था। बच्चे को जन्म देने के बाद यहां से हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊंगी।
अभिषेक और मां ने मेरा बहुत खयाल रखा। धीरे धीरे मेरी हालत में सुधार आने लगा। मैं अब 7 महीने गर्भवती थी।
मांजी ने अभिषेक से कहा
"बेटा 7वे महीने , गोद भराई की रस्म होती है। ये रस्म वैसे तो मायके वाले करते है मगर इसके मायके वालों को तो ये बुलाने से रही । और शायद वो लोग आएंगे भी नही मगर रस्म तो करनी पड़ेगी। "
"आप चिंता ना करे मां,, मैं कुछ करता हूं" कहते हुए वो होटल चले गए।
शाम को जब लौटे तो गोद भराई का पूरा सामान लाए थे और साथ लाए थे दो लोगों को जो अधेड़ उम्र के थे।
मैं उन्हे देख कर मांजी की और देखने लगी। मांजी उन लोगों के पास गई । और उनमें से जो महिला थी उनके गले लग कर बहुत रोई।
मैने सवालिया नजरों से अभिषेक की और देखा।
"कीर्ति,, इनसे मिलो ये है दिनेश अंकल और महिमा आंटी।"
मैने उनके करीब जाकर उनके पैर छुए।
"अरे बेटा इस हालत में झुकते नहीं। "
"कीर्ति ये लोग तुम्हारे मम्मी पापा की जगह आज तुम्हारी गोद भराई करेंगे।" अचानक ये नए मम्मी पापा का इंतजाम कैसे कर दिया अभिषेक ने।
इतने महीनो से अभिषेक के साथ रह रही थी मगर अब तक उसकी लाइफ के बारे में कुछ जान नही पाई थी। वह मेरे लिए किसी मिस्ट्री बॉक्स की तरह था जो खुलता ही नही था कभी।
वो लोग हमारे साथ ही रुकने वाले थे । उन्हे उनका कमरा दिखा कर मैं अपने कमरे में आ गई। मेरे पीछे अभिषेक भी आया ।
"जानता हूं तुम्हारे मन में उमड़े सवालों के तूफान को"
"तो जवाब देकर शांत क्यों नही कर देते अभी?"
"कीर्ति उसके लिए तुम्हे मेरा अतीत जानना होगा।"
"मैं तो हमेशा से वो जानना चाहती हूं , आप ही कुछ बताते नही अभी।"
अभिषेक ने गहरी सांस ली। और कहना शुरू किया ।
"कीर्ति बात कुछ सालों पुरानी है। जब मैं दिल्ली में कॉलेज के प्रथम वर्ष में था । मेरे कॉलेज में ही एक लड़की और थी किंतु उसका विषय दूसरा था । बस आते जाते मेरी उससे कॉलेज में मुलाकात होती । दरअसल मुलाकात तो बड़ा शब्द है । मैं और वो बस एक दूसरे को देख मुस्कुरा देते थे ।फिर कॉलेज का एनुअल फंक्शन हुआ । उसमे मेरी उससे मुलाकात हुई । मेरे दोस्तों के बलपूर्वक कहने पर मैंने हिम्मत करके उससे बात की। हमारी दोस्ती हो गई । और फिर धीरे धीरे हमारी मुलाकातों का सिलसिला और समय बढ़ गया। हमे न जाने कब एक दूसरे से प्यार हो गया । वैसे वो कॉलेज के सिवाय कभी घर से कही बाहर नहीं जाती थी।
देखते देखते 3 साल बीत गए । ये कॉलेज का अंतिम वर्ष था । मैने उससे अपने प्यार का इजहार किया। किस्मत से वह भी मुझे पहले दिन से पसंद करती थी। उसने मुझे बताया कि उसके माता पिता अब उसे आगे पढ़ने से रोक रहे है ।
उनके यहां लड़कियां पढ़ाई करती ही नही उसे कॉलेज करने दिया वही बहुत था । मैने उससे कहा कि इसके बाद वो क्या करेगी तो उसने मायूस होते हुए बताया कि शायद उसके माता पिता उसकी शादी करा दे । मेरा दिल बैठ गया ।
मैं अभी पढ़ाई कर रहा था । ऐसे में उससे मैं शादी नही कर सकता था । मगर मैं उसे खोना नही चाहता था। मैने जॉब ढूंढना शुरू कर दी । किस्मत से एक होटल में मुझे वेटर की जॉब मिली। मैने उसे स्वीकार किया । और उसे कहा कि वह कैसे भी करके किसी और से शादी के लिए हां ना करे । मैं मेरे मां को उसके यहां बात करने भेजूंगा ।
फिर क्या हुआ था ? क्यों आज वो लड़की अभिषेक के साथ नही है? आगे जानेंगे ।