Pagal - 50 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 50

Featured Books
Categories
Share

पागल - भाग 50

भाग–५०

अभिषेक ने मुझे बताया कि मैं प्रेगनेंट हूं यह सुनकर मेरे चेहरे के भावों से वो समझ गया कि शायद मैं नहीं जानती थी कि मैं प्रेगनेंट हूं ।

"क्या आपको नहीं पता था आप प्रेगनेंट है"
मैने अपना सिर ना में हिला दिया।

"देखिए कीर्ति जी,, मैं नहीं जानता आपके साथ क्या हुआ है । मगर अब इस हालत मैं आपका यूं दर दर भटकना ठीक नही है। मैं जानता हूं यहां आपकी कोई मासी नही रहती । मैं उसी दिन जान गया था आप झूठ बोल रही है। मैं आपको फोर्स भी नही करूंगा कि आप मुझे सबकुछ बताइए । लेकिन मैं अब आपको भटकते हुए नही छोड़ना चाहता । या तो आप अपने घर वापिस जाइए और अगर नही जा सकती तो आप यही रहेंगी मेरे साथ।"
अभिषेक की मां भी अब कीर्ति के लिए खाना लेकर कमरे में आ गई थी। उन्होंने भी उनकी सारी बातें सुन ली थी।

अब तक अभिषेक ने अपनी मां से मेरी प्रेग्नेंसी की बात नही की थी।उसे डर था उसकी मां मुझे घर से निकाल देंगी। मगर उनकी प्रतिक्रिया बिलकुल उलट थी।
"बेटी ,, इसे अपना ही घर समझो। डरो मत,। बहुत खयाल रखेंगे हम तुम्हारा , हम वैसे भी दो ही लोग है घर में" उनका प्यार और अपनापन देख के मेरा गला भर आया और आंखो से आंसू गिरने लगे। एक तरफ राजीव था जो मेरे कैरेक्टर पर उंगलियां उठा रहा था । और ये लोग तो जानते भी नहीं कि मैं शादीशुदा भी हूं या नहीं फिर भी मेरे बच्चे और मेरे लिए कुछ ऐसा नहीं सोच रहे।

मुझे रोता हुआ देख अभिषेक बाहर चले गए। वो जानते थे उनकी मां से शायद मैं आराम से बात कर पाऊंगी ।
"मां,,,, मैं कीर्ति ,, मैं एक लड़के से बहुत प्यार करती थी। मगर वो किसी और को चाहता था । फिर उसकी गर्लफ्रेंड ने उसे धोका दे दिया । पर वो मेरा दोस्त भी था प्यार भी मैने उसे संभाला । और फिर कुछ कारणों से उसने मुझसे शादी की ।मगर ये शादी बस एक साल के लिए थी । ये एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज थी। ये सब उसने प्रॉपर्टी के लिए किया।मांजी मुझे लगा था मैं अपने प्यार से इस रिश्ते को टूटने से बचा लूंगी । इसी एक साल में बस एक बार ही मेरा उसके साथ शारीरिक संबंध भी बना । मैं सोचती थी शायद शरीर से जुड़ने के बाद वो मुझे नही छोड़ पाएगा । मैने अपना प्यार बचाने की हर संभव कोशिश की मगर वो मेरे चरित्र पर उंगलियां उठाने लगा । मैं सब सह सकती थी मगर ये कैसे कि वो मुझे चरित्रहीन कहे।बस 6 महीने ही हुए थे शादी को कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं हुआ था मगर मैं घर छोड़कर आ गई। "यह कहकर मैं फिर रोने लगी।
"तो इसका मतलब है कि तुम मां बनने वाली हो ये बात तुम्हारा पति भी नही जानता?"
"नहीं मांजी"
"तुम घर वापिस जाना चाहती हो?" मैने ना में सिर हिला दिया ।

"तो अब तुम यही रहोगी ,, और मेरी बहु बनकर।" मैने आश्चर्य से उनकी और देखा।
"घबराओ मत बेटा , मेरा अभी तुम्हे कभी छुएगा नही। और तुम ना चाहोगी तो शादी भी नही करेगा तुमसे । मगर तुम्हारे बच्चे को जमाने के तानों से बचाने के लिए बाप का नाम तो देना ही होगा न ।वो शादी करना ही नही चाहता । और मुझे बहु चाहिए । क्या तुम मेरी बहु की तरह मेरे साथ रहोगी? मैं तुम्हे अभी से शादी करने को नही कह रही हूं बस नाम से मेरी बहु रहोगी"

मेरी कुछ भी समझ नही आ रहा था। मैं अभिषेक की जिंदगी कैसे बरबाद कर सकती थी। वो कुंवारा था चाहे तो शादी कर सकता था । फिर ये सब तो उसकी जिंदगी बर्बाद कर देगा । मैं इतनी स्वार्थी नही हो सकती।

मेरे अभिषेक की जिंदगी में आने के बाद उसका प्रमोशन भी हुआ । लेकिन मैं उस पर बोझ नहीं बनना चाहती थी।
मांजी तो इतना कहकर चली गई थी। मगर मुझे हर रोज वो बात कानों में सुनाई देती । और मुझे लगता मैं गलत कर रही हूं ।

आसपास के लोगों को यही लगता कि मैं उनकी बहू हूं । अभिषेक ने कभी कोई शिकायत भी नही की अपनी मां की बात इतनी आसानी से क्यों मान ली ये प्रश्न मेरे दिल में उठता था । पर मैं अभिषेक से ज्यादा बात नही करती थी।

क्या होगा इसका अंत जानना है तो पढ़ते रहिए । कहानी आपको कैसी लग रही है समीक्षा में बताइएगा जरूर। धन्यवाद 🙏