The Six Sense - 33 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 33

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द सिक्स्थ सेंस... - 33

राजवीर से नीचे कार में वेट करने की बात कहकर सुहासी वहां से चली गयी, राजवीर भी फटाफट तैयार होकर नीचे गया और दरवाजे के बगल में ही टंगी चाभी लेकर और लॉक खोलकर बाहर चला गया, बाहर जाकर उसने देखा कि सुहासी अपने वादे के मुताबिक कार में बैठी है, सुहासी को इतनी मुश्किलों से और इतने दिनों बाद अपने सामने देखकर राजवीर मन ही मन खुशी के मारे जैसे उछला जा रहा था और ये सोचते हुये कि "जुबैर से मिलकर अमेरिका की यादें ताजा हो जायेंगी फिर हम तीनों कहीं घूमने जायेंगे!!"... कार के पास गया और उसका दरवाजा अनलॉक करके उसमें बैठ गया, राजवीर के कार में बैठते ही सुहासी ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुये देखा और बोली- अब हमें और देर नहीं करनी चाहिये वरना कहीं बहुत देर ना हो जाये!!

राजवीर खुश होते हुये बोला- हां यार I am very excited to meet chhota hathi आज तो उसको जरूर गुदगुदी करूंगा!!

अपनी बात कहकर राजवीर ने कार का हॉर्न बजाया और उसके हॉर्न बजाते ही मेनगेट पर खड़े गार्ड ने गेट खोल दिया इसके बाद राजवीर निकल पड़ा जुबैर से इतने दिनों के बाद मिलने के लिये!!

रात काफी हो चुकी थी और तूफान भी आया था इसलिये सड़कें बिल्कुल सूनसान थी, फिलहाल बस हल्की हल्की बूंदा बांदी ही हो रही थी इसलिये राजवीर अपनी कार तेज स्पीड में भगा रहा था!!

अपने घर से निकलकर इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पार करने के कुछ ही मिनटों के बाद राजवीर गुरुग्राम के बॉर्डर पर स्थित महिपालपुर चेकपोस्ट के पास पंहुचने ही वाला था कि तभी उसने देेखा कि वहां पुलिस वालों ने बैरिकेडिंग लगायी हुयी है और कुछ गाड़ियों को रोक कर शायद उनकी चेकिंग की जा रही है और एक पुलिस वाले ने एक स्निफर डॉग की रस्सी पकड़ी हुयी है और वो डॉग एक गाड़ी को सूंघ रहा है शायद ये दो राज्यों के बॉर्डर की रेगुलर चेकिंग थी!!

राजवीर अपनी कार से बॉर्डर के करीब पंहुच ही रहा था कि तभी सुहासी ने कहा- मेरी तरफ देखो राजवीर!!

राजवीर ने जब उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराते हुये बोली- कहते हैं कि पहला प्यार हमेशा याद रहता है और मैं कितनी लकी हूं ना कि आज इतने सालों के बाद भी मेरा पहला प्यार ना सिर्फ मुझे याद है बल्कि मेरे साथ भी है!!

इससे पहले कि राजवीर सुहासी की इस बात का कोई जवाब दे पाता अचानक से... जोर से धाड़ की आवाज आयी, ऐसा लगा जैसे गाड़ी के बोनट से कोई चीज जोर से टकरायी हो लेकिन इससे पहले कि राजवीर कुछ समझ पाता स्पीड तेज होने की वजह से उसकी कार बैरिकेडिंग वाली जगह से काफी आगे आ गयी थी, राजवीर ने साइड मिरर से देखा कि उसकी कार की टक्कर बैरिकेडिंग से हो गयी है और एक पुलिस वाला घायल हुआ जमीन पर पड़ा है!!

ये सीन देखकर राजवीर घबरा गया और डर के मारे हांफते हुये कार को रोकने लगा, उसे कार रोकते देख सुहासी उससे बोली- तुम चलते रहो राजवीर... वो लोग खुद हमारा पीछा करते हुये हम तक पंहुच जायेंगे!!

राजवीर बौखलाया हुआ सा बोला- अरे पर उनसे पीछा करवाना क्यों है यार और.. और मुझे बैरिकेडिंग क्यों नहीं दिखी!?

सुहासी फिर से मुस्कुराते हुये बोली- तुम बस चलते रहो और वो भी तेज स्पीड में!! आज किसी भी कीमत में हमे जुबैर से मिलना ही है!!

राजवीर बोला- मुझे कुछ समझ में नही आ रहा कि ये हो क्या रहा है!!

अपनी बात कहकर राजवीर ने फिर से तेज स्पीड में अपनी कार आगे बढ़ा ली!!

इधर चेकपोस्ट पर राजवीर की कार से टक्कर लगते ही वहां भगदड़ सी मच गयी थी और महिपालपुर चेकपोस्ट पर पहले से ही खड़े इंस्पेक्टर उदय ने फौरन चेकपोस्ट पर बैठे सीसीटीवी मॉनिटर करने वाले ऑपरेटर से कहा - फौरन चेक करो कार का क्या नंबर है?

इसके बाद वो चिल्लाते हुये वहां खड़े अपने साथी पुलिस वालों से बोला- अरे देख क्या रहे हो एंबुलेंस को फोन करके बुलाओ और दो जीपों से उस गाड़ी का पीछा करो!!

उदय का आदेश पाते ही कुछ पुलिस वाले दो जीपों से राजवीर की कार के पीछे चले गये, उनके जाते ही उदय के फोन पर एक कॉल आया, वो कॉल राजवीर के उसी नौकर का था जिसे उदय ने पैसे देकर सब पर नजर रखने के लिये कहा था, उदय ने जैसे ही फोन रिसीव किया वैसे ही वो नौकर बोला- साहब.. राजवीर बाबा अभी अपनी कार से कहीं गये हैं!!

उस नौकर की ये बात सुनकर उदय बुरी तरह चौंक गया और उससे बोला- ये क्या कह रहे हो तुम!! वो कैसे कार चला सकता है जब उसे कुछ याद नहीं है तो!!

वो नौकर बोला- साहब मुझे ये नहीं पता लेकिन वो कहीं गये हैं अपनी काली रंग की स्कॉर्पियो से!!

"काले रंग की स्कॉर्पियो!!" सुनकर उदय बिल्कुल अवाक् रह गया और उससे बोला- न.. नंबर क्या है उसकी कार का?

वो नौकर बोला- DL-2C-9xxx!!

उदय ने अपनी शर्ट की जेब से फटाफट एक पॉकेट डायरी निकाली और राजवीर की गाड़ी का नंबर नोट करने लगा, वो नंबर नोट कर ही रहा था कि तभी अंदर रूम से सीसीटीवी ऑपरेटर बाहर आया और उदय को एक चिट देते हुये बोला- सर ये रहा उस गाड़ी का नंबर!!

वो नंबर देखते ही उदय के होश उड़ गये और वो धीरे से बोला- मतलब वो गाड़ी जिसने यहां बैरिकेडिंग तोड़कर एक पुलिस वाले को घायल किया वो गाड़ी राजवीर चला रहा था!!

ये बात खुद से बोलते हुये उदय जोर से चीखा और अपनी पुलिस जीप के ड्राइवर अमित से बोला- अमिsssत गाड़ी निकालो!!

उदय के ऐेसे चीखते ही अमित फौरन दूर खड़ी उसकी पुलिस जीप लेकर वहां आ गया, अपनी जीप की तरफ दौड़ते हुये उदय स्निफर डॉग को पकड़कर खड़े हवलदार से चीखते हुये बोला- डॉग वैन लेकर मेरे पीछे पीछे आओ..!!

अपनी गाड़ी में बैठते ही उदय ने अमित से कहा - तुम बहुत तेजी में गाड़ी चलाओ और वो कार जो अभी हिट करके गयी है उस तक पंहुचो, तब तक मैं वायरलेस पर उन लोगों से बात करता हूं जो राजवीर के पीछे गये हैं!!

उदय के कहने पर अमित ने पुलिस जीप बहुत तेज स्पीड में आगे बढ़ा ली और हैरान हुआ बोला- राजवीर के पीछे!!

उदय बोला- हां वो गाड़ी राजवीर चला रहा था!!

काफी देर तक पीछा करने के बाद और वायरलेस पर बार बार राजवीर की लोकेशन लेने के बाद आखिरकार उदय उन दोनों पुलिस जीप के पास पंहुच गया जो राजवीर का पीछा कर रही थीं, उदय ने पहले ही वायरलेस पर बात करते हुये उन लोगों से कह दिया था कि वो अपनी जीप पर लगी पुलिस लाइट ऑफ कर दें और सायरन भी ना बजायें!!

अब उदय की गाड़ी राजवीर की गाड़ी के करीब बीस मीटर पीछे थी, राजवीर की गाड़ी मानेसर की तरफ जा रही थी, हाइवे पर उसकी गाड़ी का पीछा करते करते उदय ने कहा - यार ऐसा कैसे हो सकता है कि इसकी याददाश्त भी वापस आ गयी और ये गाड़ी भी चलाने लगा और ऐसी कौन सी आफत आ गयी कि इतनी रात में इसे कहीं जाना पड़ रहा है और आखिर ये जा कहां रहा है!!

उदय की बात सुनकर जीप चला रहा अमित बोला- आप सही कह रहे थे सर कि अमीरों के ड्रामे अलग ही लेवल के होते हैं!!

उदय बोला- एक काम करते हैं मानेसर पार करके इसे रोकते हैं तब तक देखो ये कहां जा रहा है!!

उदय के ये बात बोलने के करीब दस मिनट बाद मानेसर में बने मारुति सुजुकी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को पार करके अगले ही बांये मोड़ पर राजवीर ने अपनी गाड़ी मोड़ ली, उसकी गाड़ी मुड़ते देख उदय बोला- अबे ये कहां जा रहा है जंगल और खेतों की तरफ इतनी रात में!!

उस मोड़ से मुड़ने के बाद करीब एक किलोमीटर अंदर एक फार्महाउस जैसी जगह पर राजवीर ने जैसे ही अपनी कार रोकी वैसे ही उसके पीछे करीब दस से बीस मीटर दूर चल रहे उदय ने अपनी और बाकि की दोनों पुलिस जीपों और डॉग वैन को रुकने के लिये कह दिया!!

फार्म हाउस के गेट पर ताला लगा हुआ था इसलिये गाड़ी से उतरकर राजवीर जब फार्म हाउस के मेनगेट के बगल में खाली पड़ी झाड़ वाली जगह से झाड़ झंकाड़ से बचते हुये जब अंदर गया तब उदय बाकि के पुलिस वालों को लेकर पैदल ही उस तरफ जाने लगा, मेनगेट पर पंहुचकर उसने साथ आये करीब आठ दस पुलिस वालों से कहा- जब तक मैं ना कहूं तब तक किसी भी तरह की कोई आवाज नहीं होनी चाहिये, अभी सिर्फ ये देखना है कि ये यहां क्यों आया है बाकि कोई एक्शन नहीं लेना...!!

इसके बाद उदय के साथ सारे पुलिस वाले उसी झाड़ झंकाड़ वाले रास्ते से चुपचाप फार्म हाउस के अंदर चले गये और राजवीर की गतिविधियों को ध्यान से देखने लगे|

इधर सुहासी के साथ फार्म हाउस के अंदर चलता जा रहा राजवीर अभी भी घबराया हुआ था और उसी घबराये हुये लहजे में वो सुहासी से बोला- जुबैर कहां मिलेगा सुहासी यहां तो लग रहा है अंदर कोई नहीं है!!

सुहासी उससे बोली- चलते रहो अभी सब पता चल जायेगा और यहां काफी महीनों से तीन लोग परमानेंट रह रहे हैं!!

क्रमशः

इतने वीरान फार्म हाउस में तीन लोग परमानेंट रह रहे हैं!! ये क्या बोल रही है सुहासी? कहीं ऐसा तो नहीं कि उदय का शक सही हो और राजवीर पर हुये हमले के पीछे सच में सुहासी और उसकी फैमिली का ही हाथ हो और राजवीर के जिंदा बच जाने का पता चलते ही सुहासी उससे मिलने आयी हो ताकि इससे पहले कि राजवीर को सारी बातें याद आ जायें.. वो उसे सिर्फ उतनी ही बातें याद दिलाये जितना सुहासी के लिये जरूरी हैं... कहीं ऐसा तो नहीं सुहासी.. राजवीर को आज यहां ऐसी वीरान जगह पर लाकर अपना अधूरा काम पूरा करना चाहती हो??