The Six Sense - 32 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 32

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द सिक्स्थ सेंस... - 32

रूम में जाने के बाद राजवीर ने सुहासी का चेहरा बड़े प्यार से अपनी हथेलियों में भरते हुये कहा- सुहासी ऐसा नहीं है कि हमने पहले कभी अकेले में समय नहीं बिताया लेकिन ये पहला ऐसा मौका है जब हम इस तरह से होटल के एक रूम में अकेले हैं इसलिये प्लीज तुम बिल्कुल भी अन्कमफर्टेबल ना होना, हमेशा की तरह तु....!!

राजवीर सुहासी से बड़े प्यार से और हमेशा की तरह बहुत सहजता से अपनी बात कह ही रहा था कि तभी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुये उसकी बातें सुन रही सुहासी ने उसके बोलते बोलते अपने गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी और नाज़ुक होंठ उसके होंठो पर रख दिये और बहुत सॉफ्टली उसे किस करने लगी!!

ऐसा नहीं था कि इससे पहले कभी राजवीर और सुहासी ने एक दूसरे को किस नहीं किया था, किया था... लेकिन माथे पर, हथेलियों पर, सिर पर और बहुत सहजता से एक दूसरे के गालों पर!! लेकिन ये पहला ऐसा मौका था जब उन दोनों के होंठो ने एक दूसरे के होठों को छुवा था!!

सुहासी के कोमल और खुशबूदार होंठो का स्पर्श पाकर राजवीर एक अजीब सी बेचैनी महसूस करने लगा था और उसे किस करते करते उसने सुहासी को कसकर अपने सीने से चिपका लिया था, सुहासी भी जैसे मदमस्त सी हुयी बिना रुके उसे किस किये जा रही थी, थोड़ी देर तक राजवीर को ऐसे ही किस करने के बाद सुहासी ने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किये और बहुत प्यार से उसकी तरफ मुस्कुराते हुये देखकर उससे बोली- कम्फर्टेबल तो तुम्हे होना चाहिये राजवीर, मैं तो तुम्हारे साथ हमेशा से कम्फर्टेबल हूं और इसीलिये मैं यहां हूं और मैं तुम्हारे साथ कम्फर्टेबल नहीं होउंगी तो किसके साथ होउंगी पागल 💞!!

सुहासी की इतने प्यार से कही गयी ये बात सुनकर राजवीर मुस्कुराया और फिर से उसे अपने सीने से लगा लिया और सीने से लगाने के बाद बार बार अनगिनत बार उसके सिर पर, उसके माथे पर अपने निश्छल प्यार की बौछार करने लगा, इसके बाद उसका चेहरा अपनी हथेलियों मे भरकर वो बोला- तुम्हारे बिना मैं अपनी लाइफ एक्सपेक्ट ही नहीं कर सकता यार, दिल के धड़कने के लिये जैसे सांसो की जरुरत होती है वैसे ही मेरे जीने के लिये मुझे हर पल तुम्हारी जरूरत महसूस होती है सुहासी, जो मेरे मॉम डैड ने नहीं दिया वो प्यार मुझे तुमसे मिला है, सिर्फ तुम ही हो जिसने मेरे बेरंग जीवन में प्यार का खूबसूरत रंग भरा है और इसीलिये तुमसे मिलने से पहले मैं अकेला रहता था क्योंकि तुम्हारे जैसा प्यार किसी ने मुझे कभी दिया ही नहीं, मुझे पता ही नहीं था कि प्यार किसे कहते हैं लेकिन तुमने ही मुझे प्यार करना सिखाया और तुमने ही मुझे प्यार का मतलब समझाया, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता सुहासी!!

अपनी बात कहते कहते राजवीर बहुत इमोशनल हो गया था और आज इमोशंस में आकर उसने वो बात कह दी थी जिसका वो कभी जिक्र भी नहीं करता था यानि अपने मॉम डैड का जिक्र!!

राजवीर के मुंह से उसके मॉम डैड का जिक्र सुनकर सुहासी ने जब उससे पूछा कि वो ऐसा क्यों कह रहा है कि उसके मॉम डैड ने भी उसे कभी प्यार नहीं दिया तो वो जैसे टूट सा गया और बिस्तर पर बैठकर सुहासी को अपनी बांहो मे लेकर भावुक होते हुये बोला- सुहासी मेरे मॉम डैड बहुत रिच हैं इतने रिच कि उनके पास मुझे देने के लिये पैसे तो हैं पर टाइम और प्यार नहीं है!!

राजवीर की ये बात सुनकर सुहासी बोली- लेकिन राजवीर मॉम डैड तो सबके अपने बच्चो से बहुत प्यार करते हैं ना!!

राजवीर बोला- मेरे भी करते हैं ना, हर महीने बिना मांगे अपना प्यार मेरे अकाउंट में डाल देते हैं ना लेकिन वो ये नहीं समझते कि पैसा ही सब कुछ नही होता, साथ देना सबसे जादा जरूरी होता है जो उन्होंने कभी दिया नहीं!!

कहते हैं कि कोई लड़का किसी के सामने भावुक होकर तभी टूटता है जब वो उस शख्स पर हद से जादा यकीन करता है और आज राजवीर टूट रहा था और टूट कर अपने दिल में छुपा एक एक दर्द वो सुहासी को बताये जा रहा था!!

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये राजवीर ने कहा- जब मैं पैदा हुआ था उसके 6 महीने बाद ही मुझे आया को पालने के लिये दे दिया गया था, पहले तो मुझे लगता था कि वो ही मेरी मां हैं लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होने लगा तब मुझे समझ आया कि मेरी मां तो कोई और है जो कभी कभी मुझसे मिलती है, थोड़ा बड़ा हुआ उसके बाद मुझे बोर्डिंग भेज दिया गया, वहां सबके पैरेंट्स अक्सर आते थे और वो लोग बाहर घूमने भी जाते थे लेकिन मेरे मॉम डैड सिर्फ पैरेंट्स मीटिंग में आते थे... थोड़ी देर रुकते थे और पैसे देकर चले जाते थे, वो मुझसे पूछते भी नहीं थे कि मुझे क्या चाहिये, मैं क्या चाहता हूं कभी कुछ नहीं पूछते थे!! यही वजह थी कि पिछले पांच सालों में मैं कभी इंडिया नहीं गया और उन्होंने भी कभी फोर्स नहीं किया, सुहासी मुझे प्यार क्या होता है पता ही नहीं था क्योंकि मुझे कभी मेरे मॉम डैड ने वो प्यार दिया ही नहीं जो एक बच्चे को चाहिये होता है और शायद यही वो खालीपन था जिसकी वजह से मैं अकेला रहता था, मेरे खर्चे ही क्या हैं सुहासी ना मैं सिगरेट पीता हूं, ना शराब और ना ही क्लब्स में जाता हूं... मुझे पैसा नहीं प्यार चाहिये था सुहासी प्यार!! जो मुझे मेरे मॉम डैड से नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ तुमसे मिला और इसीलिये मैंने ये डिसिज़न लिया है कि मैं जल्द से जल्द तुमसे शादी करके हमेशा के लिये तुम्हे अपना बना लूंगा!!

आज का दिन राजवीर के घर पर दिल्ली में---

राजवीर से अपनी बात बताते बताते सुहासी उदास सी होकर बोली- लेकिन इत्तेफाक देखो इंडिया आने के बाद तुम्हारे साथ इतना बड़ा हादसा हो गया!!

राजवीर बोला- वैसे तुम्हे कैसे पता चला सुहासी कि मेरे साथ ये सब हो गया है?

सुहासी बोली- जिस दिन तुम्हारे साथ ये हादसा हुआ उसके अगले दिन न्यूज पेपर में ये खबर फ्रंट पेज पर पब्लिश हुयी थी और उस न्यूज की फोटो खींचकर जुबैर ने मुझे वॉट्सएप करके ये बात बतायी थी जिसको पढ़कर मैं बीच में ही अपनी जॉब छोड़कर इंडिया आ गयी तुमसे मिलने, तुम्हारा साथ देने और तब से ही मैं जुबैर के साथ हूं गुरुग्राम के मानेसर में उसके फार्म हाउस पर और तभी से मैं तुम्हे हर जगह ढूंढ रही थी लेकिन आज जाकर मुझे पता चला कि तुम यहां हो और मैं फौरन चली आयी!!

राजवीर थोड़ा हैरान सा हुआ बोला- जुबैर..!! वो तो वहीं अमेरिका में रुका था ना? फिर उसने कैसे फोटो खींचकर भेजी यहां के न्यूज पेपर की??

सुहासी बोली- तुम्हारे इंडिया आने के कुछ दिन बाद ही वो ये बोलकर कि "अब्बू बिज़नेस संभालने के लिये मुझे बुला रहे हैं, मुझे जाना होगा!!" वो यहां आ गया था और ये बात मैंने तुम्हे बतायी भी थी शायद तुम्हे याद नहीं है!!

राजवीर बोला- हां हां याद आया और तुमने ये भी कहा था कि वो मुझसे मिलने की बात कर रहा था यहां आने के बाद पर शायद कभी मिला नहीं या अगर मिला हो तो मुझे कुछ याद नहीं!! पर वो है कहां और तुम्हारे साथ यहां क्यों नही आया?

सुहासी बोली- वो नहीं आया तो क्या हुआ हम तो चल सकते हैं ना उससे मिलने के लिये, उसे एक बहुत बड़ा सरप्राइज़ तो हम दे ही सकते हैं!!

राजवीर बोला- हां दे तो सकते हैं पर इतनी रात में उसे डिस्टर्ब करना ठीक होगा?

सुहासी बोली- तुम्हे याद नहीं है शायद वो हमें भी बहुत डिस्टर्ब करता था जब हम अकेले में टाइम बिता रहे होते थे, तो आज हमारी बारी है और रात में डिस्टर्ब करने का मजा ही कुछ और है जब उसने सपने में भी ना सोचा हो कि उससे मिलने कौन आ रहा है और अब उसके साथ क्या होने वाला है!!

सुहासी की ये बात सुनकर राजवीर एकदम से खुश होकर अपनी जगह से खड़ा हुआ और सुहासी से बोला- हां यार अभी चलते हैं वैसे भी बारिश रुक गयी है!!

राजवीर को खड़ा हुआ देखकर सुहासी भी खड़ी हो गयी थी इसलिये अपनी बात कहते कहते राजवीर उसकी तरफ देखकर बोला कि "मैंने कहा था ना सुहासी कि जैसे दिल को धड़कने के लिये सांसो की जरूरत होती है वैसे ही मुझे जीने के लिये तुम्हारी जरूरत रहती है और देखो तुम आज आयीं और मुझे धीरे धीरे करके सब याद आने लगा!!"

अपनी बात कहते कहते राजवीर इतना खुश हो गया कि उसने अपनी दोनों आंखे बंद करलीं और जैसे ही वो सुहासी को हग़ करने के लिये आगे बढ़ा वैसे ही... ये क्या उसके दोनों हाथ खाली घुमकर एक दूसरे से टकरा गये, राजवीर ने आंखे खोलकर देखा तो सुहासी उससे दूर हटकर खड़ी हो गयी थी... दरवाजे के पास!!

वहां खड़े होकर वो राजवीर से बोली- राजवीर तुम तैयार होकर आओ, मैं नीचे गाड़ी में तुम्हारा वेट कर रही हूं!!

राजवीर को ये बात थोड़ी अजीब लगी कि सुहासी ने उसे हग़ क्यों नहीं करने दिया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं और सुहासी की बात सुनकर वो बोला- अम्म्म् ठीक है मैं बस दो मिनट में आया!!

सुहासी बोली- तुम कार चला लोगे ना राजवीर?

राजवीर ने कहा - हां हां क्यों नहीं, मेरी चोट तो ठीक हो ही चुकी है बस कुछ याद नहीं था और अब तुम्हारे आने से वो प्रॉब्लम भी काफी हद तक सॉल्व हो गयी है, अभी नो प्रॉब्लम, अब हम चलेंगे छोटे हाथी को बिग सरप्राइज़ देने!!

सुहासी बोली- ठीक है मैं नीचे वेट कर रही हूं!!

क्रमशः