दूसरे के जीवन में घुसपैठ
कामना बड़ी जिद्दी लड़की थी। वह बचपन से ही ऐसी थी, कोई चीज चाहिए तो बस चाहिए, जब तक नहीं मिलती रोती रहती और मुंह फुलाकर बैठी रहती। हर बार पिता को उसकी जिद्द पूरी करनी पड़ती। उसकी सहेली के पास बैटरी से चलनेवाली कार थी। ‘मुझे भी यही चाहिए’ पिता ने वैसी ही कार लाकर दी फिर भी नहीं मानी। ‘मुझे वो ही कार चाहिए’ आखिर पिता ने नई कार उसकी सहेली को दी और उससे उसकी कार लेकर बेटी को दी तब जाकर शांत हुई।
कामना अवनी की अंतरंग मित्र थी और अवनी उसके साथ सब कुछ शेयर करती थी। अवनी कामना से हमेशा अपने हसबैन्ड की तारीफ करती थी। अवनी ने उसे बताया कि “मेरा हसबैन्ड बहुत लविंग है, प्यारा है, मैं लकी हूँ कि मुझे ऐसा हसबैन्ड मिला।”
‘ऐसा हसबैन्ड तो मुझे मिलना चाहिए’ कामना ने सोचा। अवनी ने ही अपने हसबैन्ड से उसका परिचय कराया था। वे अक्सर अवनी के घर मिलते और वे सब आपस में सामान्य बातचीत करते। औपचारिक होते हुए भी काफी इनफ़ॉर्मल हो जाते। एक बार अवनी जब चाय लेने रसोई में गई तो अनंत ने कामना की तरफ लगभग घूरते हुए कहा ‘बड़ी क्यूट लग रही हो।’ कामना शरमा गई और मुंह नीचे किए कनखियों से उसे देखती रही। ‘साले की मुस्कराहट कितनी किलिंग है! फिदा हो गई कामना। तब ही उसने मन ही मन निश्चय किया कि ‘अनंत जैसा लविंग हसबैन्ड तो उसे मिलना चाहिए, अनंत मेरा होकर रहेगा।
अवनी का दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया जब उसकी दोस्त कामना ने बताया, “मैं तेरे हसबैन्ड के साथ सोई थी। बिस्तर में वह कमाल का था। उसने ही मुझे बताया था कि ऐसा मजा तो अवनी के साथ भी नहीं आया। तुम्हारा हसबैन्ड अब तुम्हारे लाइक नहीं है, बेहतर होगा तुम उसे तलाक दे दो। अब वह मेरा है और मेरा ही रहेगा।”
अवनी की जिंदगी में जैसे भूचाल आ गया। ‘अनन्त मेरा है और मेरा ही रहेगा यह चुड़ैल उसे मुझसे नहीं छिन सकती। अनंत ने कामना के साथ ऐसा कुछ नहीं किया होगा। यह अनंत को मुझसे छीनने की साजिश है। मुझे अनंत से बात करने कि जरूरत है।’
अंतरंग क्षणों में उसने अनन्त से पूछा, ‘कामना के साथ सोने का अनुभव कैसा रहा!’
‘क्या कह रही हो?’
‘उसने ही मुझे बताया था।’
‘और तूने मान लिया।’
‘मान लेती तो तुझसे पूछती क्यों?’
‘दरअसल उसने जबरन अंतरंग होने की कोशिश की थी। एक बार तो प्रतिबंधित फल चखने की इच्छा भी हुई फिर तेरा खयाल आ गया।’
‘फिर भी थोड़ी बहुत चूमा चाटी तो हुई होगी।‘
‘नहीं, कहूँगा तो बेईमानी होगी।’
‘वह तुम्हें मुझसे छीन लेगी, वह बहुत जिद्दी लड़की है जिस चीज को चाहती है उसे हासिल करके छोड़ती है।’
‘तुम्हें इतना असुरक्षित महसूस करने की जरूरत नहीं मैं तुम्हारा हूँ और तुम्हारा ही रहूँगा।’ अनंत के आश्वासन के बाद भी वह आश्वस्त नहीं हो पाई। कामुक स्त्रियों की पहल को कौन पुरुष कब तक टाल सकता है!
अब अवनी उसे अपने घर में घुसने नहीं देती। मेरी दोस्त होकर मुझसे ही चालबाजी। मेरे ही घर को बर्बाद करने पर तुली है।
अनंत अब तुम उससे फ़्लर्ट करना बंद करो। तुम अकेले मुझे इस जंग में नहीं झौंक सकते।
यह जंग हम दोनों को मिलकर लड़ेंगे। हाँ, हम मिलकर इस बला को दूर करेंगे। कामना ने अनंत से अंतरंग होते बहुत से फ़ोटो अवेर कर रखे थे। उसने अनंत को धमकाया भी कि अगर उसने उससे दूरी बना ली तो वह पुलिस के पास जायगी।
तमाम सदिच्छा के बावजूद यह काम-प्रसंग चलता रहा। कभी कामना के घर तो कभी होटल में। एक तरह से अनंत बुरी तरह फंस चुका था और निकलने का रास्ता ढूँढ़ रहा था। अवनी से उसका व्यवहार प्रेमपूर्ण और सम्मान जनक था। वह बराबर यह कोशिश करता की अवनी को इस प्रसंग का पता न चले। लेकिन कभी कामना ने ही अवनी को फिर बता दिया तो क्या होगा?
इसी समय एक सुखद समाचार कामना ने उसे दिया कि उसके पिता उसकी शादी के लिए बहुत दबाब बना रहे हैं। और अगले हफ्ते के बुधवार को उससे मिलना है। ‘जाकर देख लो, मिल लो, बातचीत कर लो, क्या पता तुम्हें पसंद आ जाये? अब तुम्हारे पिता ने ढूंढा है तो अच्छा ही ढूंढा होगा।’
‘नहीं, मुझे तो तुम्हारे साथ घर बसाना है।’
‘कामना समझा करो, तुम्हारे पिता इस बात को कभी नहीं स्वीकारेंगे कि उनकी एकलौती कुंवारी बेटी तलाक शुदा पुरुष से शादी करे। समाज भी इस तरह की शादी को बहुत बुरा मानता है।’
‘नहीं तुम अवनी को तलाक दो फिर मैं तुम से विवाह करूंगी। मुझे केवल तुम पसंद हो।’
‘फिर भी मिलने में क्या बुराई है? हो सकता है बंदा मुझसे ज्यादा दमदार हो। और मैं तो तेरे लिए हमेशा उपलब्ध हूँ। एक अतिरिक्त नये खिलौने से खेलना सुखद हो सकता है।’
‘ठीक है तुम कहते हो तो मिल लेती हूँ । पापा भी खुश हो जाएंगे।’
नये बंदे से मिलने के अवसर मात्र से वह रोमांचित थी। वह समय से पहले ही क्वालिटी रेस्त्रां की रिजर्व सीट पर बैठ गई थी। बंदा चमचमाती कार से उतरा जैसे फिल्म का अभिनेता उतरता है। वह कुछ कदम उसकी ओर बढ़ा, हाथ हिलाकर ‘हैलो’ कहा। उसने भी हल्का सा हाथ हिला दिया।
बंदा बॉडी बिल्डर था। चेहरे से तेज चमक रहा था। वह चौंधिया गई, पापा ने तो कमाल कर दिया। कहाँ से ढूँढ़ लाए? घोड़ा अच्छा ढूंढा है सवारी के लिए। इतने में वह टेबल के पास आ गया। एक बार फिर हैलो कहकर हाथ आगे कर दिया ‘माइसेल्फ करण सिंह’। उसने उठकर हाथ मिलाया और अपने को इन्ट्रोड्यूस करते कहा ‘कामना सिंह’।
“क्या लेंगी आप?”
“सम स्नैक्स एंड कोल्ड ड्रिंक”
करण ने कहा, “पहली बार मिल रहे हैं, सेलिब्रेशन के लिए शेम्पेन तो बनता है, मेरी खातिर ही सही।” वह चुप रही उसने कोई अतिरिक्त उत्साह नहीं दिखाया।
उसने स्नेक्स कोल्ड ड्रिंक और शेम्पेन ऑर्डर कर दिया। ‘बंदा डैशिंग है, कहीं मुझ पर सवारी न कर बैठे।’ उसने सोचा। करण ने शेम्पेन के दो पैग बनाए एक कामना को थमाया और दूसरा स्वयं उठाया जाम टकराते हुए करण ने कहा “दुनिया की सबसे सुंदर कन्या के लिए!” करण ने ‘सुंदर कन्या’ इस अंदाज में कहा कि दोनों हँस पड़े। फिर कामना ने पकौड़ा मुँह में रखते हुए कहा ‘मस्का लगा रहे हो?’ तुम्हें क्या मास्क लगाएं तुम तो हो ही मक्खन जैसी मेरा बस चले तो पूरा का पूरा चाट लूँ।‘
सेलिब्रेशन के बाद करण ने प्रस्ताव किया ‘जरा तफरी हो जाये। ‘ड्राइव पर चलें’, थोड़ी देर का साथ और मिल जायेगा।‘
“बड़े लालची हो।”
“वो तो मैं हूँ।”
करण ड्राइव कर रहा था। उसी के साथ बैठी थी कामना। उसने अपनी गाड़ी होटल पर ही छोड़ दी थी। बड़े से पार्क के आगे गाड़ी खड़ी कर दी। वे उतरे और बगीचे की सैर करने लगे। वाचाल कामना चुप-चुप सी चल रही थी। करण बोला, ‘अच्छा, मेरे बारे में बताएं कैसा लगा मैं आपको?’
‘आप तो अच्छे ही हैं?’
‘बस अच्छे! कुछ और भी तो कहो।’
‘क्या कहूँ ?’
‘अच्छा मैं बताता हूँ कि आप मुझे कैसी लगी?’
‘नहीं, नहीं मुझे पता है आप मुझे पसंद नहीं करते।आप जैसा स्मार्ट और रईस व्यक्ति मुझ जैसी लड़की को क्यों पसंद करने लगा?’
‘वाह! आप तो अंतर्यामी है लेकिन आप यहाँ गलती कर रही हैं। मैं आपको पसंद ही नहीं करता बल्कि बहुत पसंद करता हूँ। क्या मेरी जीवन साथी बनोगी?’ अचानक से ऐसा प्रश्न वह ऊहापोह में पड़ गई।
‘अनंत पर तो मैं सवारी कर सकती हूँ पर यह बंदा तो मुझ पर सवारी करेगा, मुझे अपनी मिल्कियत बना लेगा, नहीं मुझे ये नहीं चाहिए। फिर भी पापा से एक बार बात कर लेनी चाहिए।’
‘पापा से बात करके बताऊँगी।’
‘पापा ने तो हमें क्लीन चिट दे दी है। कहा था मेरी बेटी के लिए तुमसे अच्छा वर नहीं मिलेगा।’
‘क्या कहे! इस बात का क्या जबाब दे?’ उसे चुप देखकर करण ने कहा, ‘कोई बात नहीं सोच समझ कर बताइएगा।’
पापा से करण के बारे में बात की मगर अनंत का जिक्र नहीं किया। जब उससे मामला बैठना ही नहीं है तो क्यों बात की जाये? जबकि वह हर हालत में अनंत को पाना चाहती थी, अवनी से उसे छीनना चाहती थी फिर ये हृदय परिवर्तन कैसे हो गया!
‘करण हैंडसम है, पैसेवाला है कोई लड़की उसे ‘ना’ कैसे कह सकती है ! लेकिन मुझे डर है कि वह मुझे अपनी बाँदी न बना ले। इसके तो कई अफेयर होंगे। मुझे तो कुछ गाँठेगा ही नहीं।’
‘नहीं बेटा, वे लोग खानदानी है, रईस है इसका मतलब यह नहीं है कि आवारागर्दी करते फिरें यह उनके खून में नहीं है। अपनी इज्जत संभालना खूब जानते हैं , परिवार में बहू को इज्जत बख्शी जाती है। तुम निश्चिंत रहो वहाँ तुम खुश रहोगी फिर करण तुम्हें पसंद भी करता है। फिर भी चाहो तो एक बार और उससे मिल लो।’
‘नहीं पापा इसकी जरूरत नहीं है आप उन्हें हाँ कह सकते हैं ।’
‘ठीक है मैं उन्हें हाँ कह देता हूँ लेकिन तुम्हारी तरफ से अब कोई बचकानी हरकत नहीं होनी चाहिए। कोई बॉयफ्रेंड हो तो उससे मिलना बंद कर दो। नहीं तो बात बिगड़ सकती है।’
‘आप निश्चिंत रहें ऐसा कुछ नहीं होगा ।’ उसने मन ही मन सोचा अब अनंत से मिलना बंद। करण के आगे उसकी शख्सियत ही क्या है!