Shadow Of The Packs - 1 in Hindi Fiction Stories by Vijay Sanga books and stories PDF | Shadow Of The Packs - 1

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Shadow Of The Packs - 1

इस कहानी की शुरुवात होती है एक घनी अंधेरी रात से, जहाँ एक आदमी बड़ी तेजी से जंगल के अंदर वाले रास्ते पर चला जा रहा था। अचानक से उसे कुछ आहट सुनाई दी। उसने इधर उधर देखा पर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया। एक तो जंगल, और ऊपर से घना अंधेरा। किसी को भी ऐसे मे डर लग सकता है। आहट सुनने के बाद वो आदमी और तेजी से चलने लगा। उसे अब बहुत ज्यादा घबराहट होने लगी थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका कोई पीछा कर रहा हो। वो अचानक से दौड़ने लगा। वो थोड़ा आगे पहुंचा ही था की अचानक से झाड़ियों से एक जानवर निकलकर बाहर आया और उसपर हमला कर दिया। वो आदमी कुछ समझ पाता उससे पहले ही उस जानवर ने उसे जान से मार दिया। देखते ही देखते वो जानवर उस आदमी को लेकर जंगल मे कहीं गायब हो गया।

अगली सुबह पास ही के गांव में रहने वाले कुछ लोग जंगल मे लकड़ियां जमा करने के लिए आयें। लकड़ी जमा करते करते एक लड़की को थोड़ी दूरी पर झाड़ियों में कुछ दिखाई दिया। जब उसने पास जाकर देखा तो किसी इंसान के कटे हुए पैर झाड़ियों में पड़े हुए थे। उसने जैसे ही कटे हुए पैर देखे वो थर थर कांपने लगी। डर के मारे उसकी चीख निकल गई। जैसे ही दूसरो ने उस लड़की की चीख सुनी तो वो भागते हुए उस लड़की के पास पहुंचे। “बेटा सुहानी...! क्या हुआ?” एक आदमी ने उस लड़की से पूछा। “चाचा वो देखो झाड़ियों में... किसी इंसान के पैर पड़े हुए हैं।” सुहानी ने घबराते हुए कहा और झाड़ियों की तरफ इशारा किया। जब दूसरो ने ये देखा तो वो सब भी बहुत घबरा गए। उन्होने पुलिस को फोन लगा कर इस बात की खबर दे दी।

कुछ ही देर मे पुलिस वहां आ गई। जंगल मे हादसा हुआ था इसलिए पुलिस ने फॉरेस्ट गार्ड्स को भी वहां पर बुलवा लिया था। पुलिस ने फॉरेस्ट गार्ड्स के साथ मिलकर बाकी बॉडी की तलाश शुरू कर दी। कुछ ही देर की तलाश के बाद बाकी की बॉडी भी पुलिस को मिल गई। पुलिस और फॉरेस्ट गार्ड्स को वालो ने जब उस लाश को देखा तो सब लोग हैरान नजर आ रहे थे। लाश को देख कर कोई भी बता सकता था की ये किसी नरभक्षी जानवर का काम है। उस जानवर ने उसे बुरी तरह से चीर फाड़ कर रख दिया था।

जब फॉरेस्ट गार्ड्स से इस बारे मे पूछा गया तो उन्होने कहा की ऐसे किसी नरभक्षी जानवर की उनके पास कोई खबर नहीं है। फॉरेस्ट गार्ड्स वाले जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ थे। उनके हिसाब से तो जंगल में ऐसा कोई आदमखोर जानवर है ही नही।

पुलिस ने लाश को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया। फॉरेंसिक वालो के हिसाब से जो सलाइवा उस आदमी की लाश मे मिला था उसमे दो तरह के डीएनए मौजूद थे। उनके अनुसार यह एक डीएनए जानवर का था और दूसरा डीएनए किसी इंसान का था।

फॉरेसिक जांच के बाद ये केस और उलझ कर रह गया था। पुलिस ये नही समझ पा रही थी की जानवर के डीएनए के साथ किसी इंसान का डीएनए कैसे मिल सकता है! पुलिस ने इस हादसे के बाद लोगों को जंगल की तरफ जाने से मना कर दिया। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने जंगल की तरफ जाने वाले रस्ते पर फेंसिंग लगवा दी

कुछ समय तक तो कुछ भी नहीं हुआ। कोई भी हादसा नहीं हुआ। कई दिनों तक छान बीन चलने के बाद भी पुलिस इस केस को सुलझा नहीं पाई। कुछ समय बाद पुलिस ने केस को बंद कर दिया। और जंगल की फेंसिंग हटवा दी। फेंसिंग हटने के बाद फिर से लोगों का जंगल मे आना जाना शुरू हो गया।

कुछ समय तक तो कुछ नही हुआ। पर एक शाम गांव के कुछ लोग जंगल के रास्ते से बाजार से घर लौट रहे थे की तभी अचानक उन्होंने देखा की थोड़ी दूर में ऊंची झाड़ियों के पीछे से दो चमकती हुई आंखें उन्हें घूर रही है। पूरे चांद की रात होने की वजह से उन्हें वो जानवर कुछ कुछ नजर आ रहा था। उसके लंबे नुकीले नाखून और दांत देख कर वो सब डर के मारे भागने लगे। वो जो भी चीज थी कुछ दूर तक उसने उन लोगो का पीछा किया, फिर जंगल में कहीं गायब हो गई।

लोगो ने जब पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस को ये बात बताई तो पुलिस ने सोचा कि शायद इन लोगो ने अंधेरे में किसी भालू को देख लिया होगा। उनकी बात वहां खड़ा एक ऑफिसर भी सुन रहा था। उस समय तो उस ऑफिसर ने उन लोगों से कुछ नही कहा। पर जब वो लोग पुलिस स्टेशन से बाहर निकले तब वो पुलिस ऑफिसर भी उनके पीछे पीछे पुलिस स्टेशन से बाहर आ गया। उस ऑफिसर ने उन्हे अपने पास बुलाया और कहा–“नमस्ते...। मेरा नाम पवन कुमार है। क्या आप लोग मुझे बता सकते थे की आपने जंगल मे जिस जानवर को देखा वो दिखने मे कैसा था?” पवन कुमार ने उन लोगों से पूछा। उन लोगो ने पवन कुमार को बताया कि अंधेरे में उसकी आंखे चमक रही थी। वो तकरीबन 8 फिट ऊंचा लग रहा था। उसके बड़े बड़े नाखून और दांत देख कर हम लोग घबरा गए थे। दिखने मे वो किसी भेड़िये जैसा लग रहा था। पर वो कुछ अलग और बहुत भयानक सा था। वो अपने दोनो पैरों पर किसी इंसान की तरह खड़ा था। जब पवन कुमार ने उन लोगों की बातें सुनी तो वो सोचने लगे की जंगल मै ऐसा कौनसा जीव होगा जो इस तरह नजर आता हो! वो बहुत उलझन मे पड़ गए।

जंगल से करीबन 20 किलोमीटर दूर एक कॉलेज है। जिसका नाम यू एस टी कॉलेज उत्तराखंड है। उत्तराखंड का ये कॉलेज बहुत ही बड़ा और जाना माना कॉलेज है। इस कॉलेज में दूर दूर से बड़े बड़े नामी ग्रामी हस्तियों के बचे पढ़ने आते हैं। उन्ही कॉलेज स्टूडेंट्स मे एक लड़का है विक्रांत सिंघाल। विक्रांत बाकी स्टूडेंट्स से बिलकुल अलग थलग रहना पसंद करता है। ना किसी से कोई लेना देना ना किसी से कोई मतलब। बस अपने ही आप में खोया रहता। वो सबके लिए बहुत अजीब है। सब उसे कॉलेज मे फटीचर कह कर बुलाते हैं। विक्रांत बाकियों की तरह अमीर घर से नही आता था। वो अकेला ही रहता था। किसी को भी नही पता था की उसका कोई परिवार भी है या नही! उसका घर भी जंगल के कोने की तरफ एक छोटी सी जगह पर था। वहां आस पास मुस्किल से 3 या 4 घर ही थे। विक्रांत के आस पास रहने वालो को भी उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे।

विक्रांत रोज 20 किलोमीटर दूर अपनी एक पुरानी सी बाइक से आया जाया करता था। एक दिन कॉलेज में विक्रांत को कुछ लड़के परेशान कर रहे थे। विक्रांत उन्हे कुछ भी नही बोल रहा था। वो बस उन सबकी बातें सुन रहा था। दूसरे लड़कों के मुकाबले विक्रांत बहुत गरीब था। विक्रांत को इस कॉलेज में एडमिशन भी स्कॉलरशिप की वजह से मिली थी। इसलिए सब उसे घिन्न भरी नजरों से देखते और हमेशा उसका मजाक उड़ाते। सभी स्टूडेंट्स के बीच मे एक ऐसी भी लड़की थी जिसे विक्रांत को ऐसे देख कर बहुत बुरा लगता था। उसे बिलकुल अच्छा नही लगता था की कोई विक्रांत का मजाक उड़ाए या उसे नीचा दिखाने की कोशिश करे।

एक दिन विक्रांत लंच टाइम मे एक तरफ अकेला बैठ कर खाना खा रहा होता है की तभी एक लड़की उसके पास मे आकर बैठ जाते है। ये वही लड़की थी जो विक्रांत की फिक्र किया करती थी। “हेलो...! मेरा नाम सुप्रिया है।” उस लड़की ने विक्रांत को अपना परिचय देते हुए कहा। “हेलो, मैं विक्रांत हूं।” विक्रनत ने भी मुस्कुराते हुए सुप्रिया को अपना परिचय दिया। “तुम्हे ये सब लोग इतना परेशान करते हैं पर तुम इन्हे कुछ बोलते क्यों नही हो? तुम्हे इनकी बातों का जरा भी बुरा नही लगता क्या?” सुप्रिया ने विक्रांत से पूछा। “मेरा मानना है की इन्हें जवाब देने से कोई मतलब नही। मेरे कुछ भी बोलने से उन्हे कोई फर्क नही पड़ेगा। उल्टा वो मुझे और भी ज्यादा परेशान करने लगेंगे।” विक्रांत ने अपनी बात समझाते हुए कहा। “फिर भी अगर तुम इन्हें कुछ नही बोलोगे तो ये हमेशा तुम्हे ऐसे ही परेशान करते रहेंगे। कभी न कभी तो तुम्हे इन्हें जवाब देना ही होगा।” सुप्रिया ने कहा। “अरे यार कोई बात नही। अगर उनको ये सब करके खुशी मिलती है तो उन्हे ये सब करने दो। मुझे इस बात की खुशी रहेगी की किसी के चेहरे पर मेरी वजह से मुस्कान है।” विक्रांत ने मुस्कुराते हुए कहा। सुप्रिया विक्रांत की इस बात से बहुत प्रभावित हो गई।

सुप्रिया और विक्रांत बात कर ही रहे होते हैं की तभी अचानक वहां कुछ स्टूडेंट्स आ जाते हैं। वो सब विक्रांत के साथ साथ सुप्रिया को भी परेशान करने लगते हैं। सुप्रिया को ये सब बरदास नही होता और वो उनमें से एक लड़के को तमाचा मार देती है। वो लड़का भी सुप्रिया पर हाथ उठाने वाला होता ही है की तभी विक्रांत बीच में आ जाता है, और उस लड़के का हाथ विक्रांत के गाल पर जा लगता है। विक्रांत के मुंह से खून आने लगता है। ये देख कर वो लड़के हंसते हुए वहां से रवाना हो जाते हैं।