अब आगे,
रूही की सौतेली मां कुसुम की बात सुन कर अब रूही के पिता अमर ने कुछ सोचते हुए अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "तुमने रूही के कपड़े, रीना की अलमीरा में क्यू रखे थे...?"
रूही के पिता अमर की बात सुन कर पहले तो रूही की सौतेली मां कुसुम को कुछ समझ नही आया कि आखिर वो अपने दूसरे पति अमर को क्या बोले पर फिर वो कुछ देर कुछ सोचने के बाद अब रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपनी दूसरे पति अमर से कहा, "वो मैने इन कपड़ो को प्रेस होने के लिए दिया था और फिर गलती से ये कपड़े रीना के अलमारी में रख दिए थे...!"
रूही की सौतेली मां कुसुम की बात सुन कर अब रूही के पिता अमर ने अपनी सौतेली बेटी रीना से कहा, "रीना, जाओ जाकर छत पर कपड़े सुखा आओ और थोड़े कपड़े बाथरूम में पड़े हुए हैं तो वहा से भी उठा लेना..!"
अपनी बात अपनी सौतेली बेटी रीना से कह कर अब रूही के पिता अमर ने अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "और तुम जरा रूही के लिए खाना ले आओ, शायद भूख की वजह से बेहोश हो गई थी क्योंकि उस की होठ सूख गए हैं..!"
अपनी बात अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कह कर अब रूही के पिता अमर अपनी सौतेली बेटी रीना के कमरे से अपनी बच्ची रूही के लिए नए कपड़े लेकर रूही के ही कमरे में चले गए..!
रूही के पिता अमर के जाने के बाद रूही की सौतेली मां कुसुम ने अब अपनी सगी बेटी रीना से कहा, "जा जाकर छत पर कपड़े सुखा दे नही तो फिर उस रूही का बाप मुझे सुनाने बैठ जायेगा...!"
अपनी सगी मां कुसुम की बात सुन कर अब उस की सगी बेटी रीना ने गुस्से में अपने पैर पटकते हुए अपने कमरे से बाहर निकल गई और रूही की सौतेली कुसुम भी अपनी सगी बेटी रीना के कमरे से निकल कर रसोई घर की तरफ बढ़ गई..!
और अपनी सौतेली बेटी रूही के लिए खाना निकलते हुए अपने आप से बड़बड़ाते हुए कहने लगी, "इस करमजलि का बाप को भी अभी टपकना था हर बार की तरह शाम को नही आ सकता था तब तक मैं उस रूही से घर के सारे काम करवा लेती और अभी तो घर के सारे काम पड़े हैं अब मुझे ही करने पड़ेंगे और अब उस करमजली का बाप उस को नए से नए कपड़े भी देगा..!"
रूही की सौतेली मां कुसुम अपनी बात अपने आप से कहते हुए मुंह बनाने लगी..!
रूही के पिता अमर ने अपनी बच्ची रूही के कमरे में पहुंच कर उस के लिए नए कपड़े वहा रख दिए और जब उन्होंने देखा कि उन की बच्ची रूही को होश आ गया तो उस के पास जाके बैठ गए और अब अपनी बच्ची रूही से कहने लगे, "रूही बेटा, अब तुम ठीक हो ना..!"
जब रूही ने अपने सगे पिता अमर को देखा और उन के मुंह से अपना नाम सुना तो अब रूही झट से अपने सगे पिता अमर के गले से लग गई और अब रूही ने अपने सगे पिता अमर से पूछा, "आप कब आए पापा...?"
अपनी सगी बेटी रूही की बात सुन कर अब रूही के पिता अमर ने अपनी बच्ची रूही से कहा, "अभी कुछ देर पहले ही आया हु और जब तुम से काम नही होता तो इतना काम करती क्यू हो, और कुछ बिना खाए घर के काम मत किया करो, अभी तुम्हारी मां कुसुम और बड़ी बहन रीना है इस घर में तो तुम्हे काम करने की क्या जरूरत पड़ रही थी..!"
अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर अब रूही ने कुछ नही कहा पर उस को बहुत भूख लग रही थी तो अब उस को न चाहते हुए भी अपने सगे पिता अमर से कहना ही पड़ा, "पापा मुझे भूख लग रही है..!"
अपनी बात अपने सगे पिता अमर से कहने के बाद और साथ में डर भी रही थी क्योंकि अगर ये कहते हुए उस की सौतेली मां कुसुम ने देख लिया तो उस के सगे पिता अमर के जाने के बाद उस की सौतेली मां कुसुम उस को बहुत मारेगी...!
अपनी सगी बेटी रूही की बात सुन कर अब रूही के पिता अमर ने मुस्कराते हुए उस से कहा, "अरे मुझे पता था कि तुम बिना कुछ खाए ही घर के काम करने और अपनी मां (सौतेली मां कुसुम) की मदद करनी लग गई होगी बस इसलिए मैंने पहले ही तुम्हारी मां (सौतेली मां कुसुम) से तुम्हारे लिए खाना लाने को बोल दिया था और वो आती ही होगी और तब तक तुम नहा कर आ जाओ वो देखो तुम्हारी मां (सौतेली मां कुसुम) ने तुम्हारे नए कपड़े भी दिए हैं...!"
अपने सगे पिता की बात सुन कर अब रूही अपने बेड से उठ गाई उन कपड़ो को लेकर नहाने के लिए अपने कमरे के बाथरूम मे चली गई और अब रूही के पिता अमर ने अपने आप में बड़बड़ाते हुए कहा, "कुसुम को इतनी देर क्यों लग रही है खाना लाने में और लगता है किसी काम में लग गई होगी, चलो मै ही देख के आता हु...!"
रूही की सौतेली मां कुसुम अपने आप में ही बढ़बड़ा रही थी और तभी वहा रूही के सगे पिता अमर वहा पहुंच गए और अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से पूछा, "अरे मै कितनी देर से तुम्हारा अपनी बच्ची रूही के कमरे में इंतजार कर रहा हु और तुम हो की आने का नाम ही नही ले रही थी, वही हमारी बच्ची रूही को भूख लगी है साथ में शरीर में कमजोरी भी हो रही है..!"
रूही की सौतेली मां कुसुम ने जब रूही के सगे पिता अमर को रसोई घर में देखा और उन की बात को सुना तो उस के हाथ में पकड़ी हुई कल सुबह की सब्जी नीचे गिर गई तो रूही के पिता अमर ने अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "अरे संभाल के ध्यान किधर रहता है तुम्हारा और सारी सब्जी नीचे गिरा दी ना, चलो कोई न मेरी बच्ची रूही ये मटर पनीर की सब्जी खा लेगी और तुम अपने और रीना के लिए कुछ और बना लेना...!"
अपनी बात कहते हुए अब रूही के सगे पिता अमर मटर पनीर की सारी सब्जी और चार से पांच परांठे एक प्लेट में रख कर अपनी बच्ची रूही के लिए निकल लिए और अब अपनी बच्ची रूही के कमरे की तरफ चले गए और रूही की सौतेली मां कुसुम, अपने दूसरे पति अमर को बस जाते हुए देखती रही..!
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।