Sunahari Titaliyo ka Vaatarlu - 4 in Hindi Fiction Stories by Pradeep Shrivastava books and stories PDF | सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 4

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सुनहरी तितलियों का वाटरलू - भाग 4

भाग-4

रिचेरिया ने बड़े प्यार से उसकी आँखों के आँसुओं को पोंछते हुए कहा, “डियर जेंसिया, हम कमज़ोर लोग नहीं हैं। आँसू कमज़ोर लोग बहाते हैं। और बहादुर हर सिचुएशन में रास्ता बना लेते हैं। तुम्हें याद ही होगा कि जिस दिन तुम साथ रहने के लिए आई तब शाम हो रही थी। नाश्ते के बाद मैंने बरतन हटाना चाहा, लेकिन तुमने मना कर दिया। 

“मैं तुम्हें किचन जाने आने तक एकटक देखती रही। तुम्हारे शरीर की एक-एक मूवमेंट मुझे बिल्कुल सम्मोहित कर रही थी। मन कर रहा था कि, तुम उसी तरह मूव करती रहो, और मैं उस मूवमेंट को अपलक देखती रहूँ। 

“तुम्हें, तुम्हारी एक-एक मूवमेंट को देखकर मैं ऐसा फ़ील कर रही थी जैसे कि, किसी परी-लोक के सामने जा पहुँची हूँ, और वहाँ की सबसे ख़ूबसूरत परी मेरे सामने तरह-तरह से एंजॉय कर रही है। मैं तो उसे देख रही हूँ, लेकिन वह अपनी धुन में ही मगन है। अपनी, अपने परी-लोक की ख़ूबसूरती में इतराती-इठलाती मस्ती में चूर है। 

“तुमने मुझे कैसे, कितना इंप्रेस, सम्मोहित किया था, इसका अंदाज़ा मेरी इसी बात से लगा सकती हो कि पहले ही दिन जब सोने से पहले तुम शॉवर लेकर टॉवल लपेटे बाथरूम से निकली, तो मुझे लगा जैसे कि किसी परी की स्टेच्यू जी उठी है, उसके स्वागत में आसमान से बादल धीरे-धीरे पानी की फुहार छोड़ रहे हैं। 

“वह पानी की बूँदें परी के दमकते बदन पर जगह-जगह मोती बनकर चमक रही हैं, कुछ इस तरह, इतनी तेज़ कि पूरी दुनिया उसकी चमक से, चमक रही है। निश्चित ही तुम भूली नहीं होगी कि, मैंने उसी समय तुम्हारी कई फोटो खींची थी। 

“तुमको फिर से उसी जादुई रूप में देखने के लिए मैंने तुमसे एक बार फिर उसी तरह शॉवर के नीचे से होकर आने की रिक्वेस्ट की थी, तुम जब फिर उसी तरह शॉवर लेकर लौटी तो मैंने मस्ती में तुम्हारी टॉवल खींच ली थी।” 

“हाँ, मुझे अच्छी तरह याद है। तुम अपने होंठों से उन बूँदों के साथ तब-तक खेलती रही, जब-तक कि तुम्हारे गर्म होंठों की गर्मी से वह बूँदें भाप बनकर हवा में उड़ नहीं गईं। मैं भी तुम्हारे होंठों की ही तरह ख़ूब तेज़ पिघलने . . . ओह मत याद दिलाओ उस फ़ीलिंग्स को। 

“मैं तुमसे यही तो जानना चाहती हूँ कि, क्या तुम्हारी यह परी बूढ़ी हो गई है। क्या यह कुरूपता, निराशा, मनहूसियत की परी बन गई है, जिससे तुम्हें कोई रोमांच एक्साइटमेंट फ़ील ही नहीं होती बल्कि इरिटेशन होती है।” 

जेंसिया बहुत भावुक होकर बोली तो रिचेरिया ने कहा, “तुम तब भी परी थी, आज भी, अभी भी परी ही हो। लेकिन यह भी एक सचाई है कि मेरी फ़ीलिंग्स, मेरी चाहतें पहले जैसी नहीं रहीं।”

रिचेरिया की बात पूरी होते-होते जेंसिया के चेहरे के भाव अचानक ही बदल कर कठोर हो गए। आवाज़ भी। उसने कहा, “प्लीज़ मुझे एकदम क्लियर बताओ कि तुम्हारी फ़ीलिंग्स, तुम्हारी नीड्स में ऐसे कौन से चेंजेज़ आ गए हैं कि, अब पहले वाली कोई बात रह ही नहीं गई है।”

इसी के साथ जेंसिया ने रिचेरिया के दाहिने गाल पर एक झन्नाटेदार चाँटा जड़ दिया। यह इतना तेज़ था कि, पूरा फ़्लैट उसकी आवाज़ से गूँज उठा। रिचेरिया सोफ़े पर ही बायीं तरफ़ लुढ़क गई। एकदम निढाल सी। उसकी दाहिनी हथेली गाल से चिपकी हुई है। आँखों में आँसू आ गए हैं। 

मारने के साथ ही जेंसिया ने कहा, “तुम अक़्सर मुझ पर प्रेशर डालती रहती हो कि, मैं तुम्हें पीटूँ, ख़ूब पीटूँ। बेड पर तुम बार-बार मेरा हाथ खींच कर ख़ुद पर मारती हो, लेकिन मैं सोच कर ही घबरा जाती थी कि, तुम्हें पीटूँ। मुझे लगता था कि, तुम यूँ ही ओवर एक्साइटमेंट के चलते बोलती हो। 

“लेकिन अभी तुम्हारी बातें सुनकर लगा कि नहीं, मैं ग़लत हूँ। मूर्ख हूँ। तुम कितना क्लियर कह रही हो और मैं समझ ही नहीं रही हूँ। मेरी इसी मूर्खता ने तुम्हें मुझसे इतना दूर कर दिया। और यही बिलकुल सही समय भी है कि मैं अपनी ग़लती को तुरंत करेक्ट करूँ, फिर से तुम्हें पहले से भी ज़्यादा अपने पास ले आऊँ।”

अब-तक जेंसिया की आँखों से भरभरा कर आँसू ऐसे बरसने लगे हैं, जैसे कि बादल ही फट गए हैं। वह रो रही है। उसका पूरा शरीर थरथरा रहा है। 

और रिचेरिया! वह जेंसिया के अनुमान से अलग उसे देख रही है, उसकी आँखों में गहराई तक उतरती जा रही है। उसके चेहरे पर मानसिक नहीं, ज़बरदस्त चाँटे की पीड़ा नज़र आ रही है। और उसके आपस में बँधे होंठ थोड़ा और ऐसे फैल गए हैं, जैसे कि वह अंदर-अंदर ख़ुश है, मुस्कुरा रही है। 

जेंसिया ने उसकी ऐसी अप्रत्याशित प्रतिक्रिया से अचंभित होकर पूछा, “तुम कुछ बोलती क्यों नहीं? इतनी पिटाई के बाद भी तुम्हारी इस मुस्कुराहट का आख़िर मतलब क्या है? क्या करना चाहती हो तुम? प्लीज़ बताओ ना। मैं ऐसे तुम्हें और फ़ेस नहीं कर पाऊँगी।”

जेंसिया के बहुत ज़ोर देने पर हल्के से मुस्कुराती हुई रिचेरिया बोली, “मुझे बहुत अच्छा लगा जेंसिया। लॉक-डाउन की सारी बोरियत, सारा प्रेशर ख़त्म हो गया। ये मुझ पर फिर अटैक नहीं करें, इसलिए अभी मुझे और मारो जेंसिया, प्लीज़, प्लीज़ जेंसिया . . .” 

रिचेरिया के जवाब से जेंसिया आपे से बाहर हो गई। वह उस पर एकदम से हमलावर होती हुई चीखी, “ओके, ओके, यह लो, यह लो, यह लो। तुम्हें चाँटे ही अच्छे लगते हैं, इन्हीं से तुम्हारी बोरियत, प्रेशर ख़त्म होती हैं, तुम हैपिनेस फ़ील करती हो तो यह मैं तुम्हें ख़ूब दूँगी, तुम ख़ूब फ़ील करो पहले वाली हैपिनेस, फ़ीलिंग्स। इतनी कि मुझसे दूर होने की बात सोच भी नहीं सको।” 

जेंसिया उसके दोनों गालों पर एक के बाद एक चाँटे तब-तक मारती जब-तक ख़ुद थक कर चूर नहीं हो गई। उसके हर झन्नाटेदार चाँटे से रिचेरिया का चेहरा बाएँ-दाएँ होता रहा। दोनों ही गालों पर उसकी उँगलियों के सुर्ख़ लाल निशान दिखने लगे हैं। 

रिचेरिया की कनपटी तक लाल हो उठी है। आँखों में भी लालिमा दिख रही है। उसकी आँखों से आँसू बराबर निकल रहे हैं। उसने चेहरा नीचे ज़मीन की तरफ़ झुका लिया है। ऐसे हाँफ रही है जैसे कि, काफ़ी दूर से दौड़ती हुई चली आ रही है। 

दूसरी तरफ़ जेंसिया उससे भी ज़्यादा रो रही है। थकी हुई वह जैसे ही, उसके बग़ल में बैठी रिचेरिया ने अपना सिर उसी की गोद में रख दिया, और दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर अपना चेहरा धीरे-धीरे उसके पेट पर रगड़ने लगी। 

जेंसिया बड़े प्यार, स्नेह से उसके सिर को सहलाती हुई कह रही है, “यह क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? तुम इस तरह आख़िर क्या पा रही हो? क्या पाना चाहती हो? मुझे सब-कुछ साफ़-साफ़ बताओ। मुझे डर लग रहा है कि कहीं कुछ ग़लत, कोई अनहोनी न हो जाए। 

“तुम क्यों इस तरह से मुझसे पिटना चाहती हो? इस तरह मार खाने, इतनी चोट सह कर तुम कौन सा मज़ा, कौन-सा सुख महसूस करती हो? सबसे इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन यह कि, क्या यही एक कारण है जिससे तुम मुझसे दूर हो रही हो।”

यह कहते हुए उसने उसे प्यार से उठाया, आँसुओं से भीगे, सूजे हुए उसके गालों को चूम कर, जग में रखे पानी से उसके चेहरे को धोया, टॉवल से पोंछ कर फिर पूछा, “प्लीज़, यह सब क्या है? बताओ न? मैंने तुम्हें इतना मारा, तुम्हें ज़रा भी बुरा नहीं लगा?” 

जेंसिया के बार-बार पूछने पर बड़ी देर बाद रिचेरिया बोली, “नहीं, बिल्कुल भी नहीं। पता नहीं क्यों तुमसे इस तरह पिटने पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैं बहुत-बहुत लाइट फ़ील कर रही हूँ।” 

“क्या!”

“हाँ जेंसिया, मैं बिलकुल सच कह रही हूँ। जानती हो चेहरे पर इतनी पिटाई के बावजूद मेरा मन कर रहा है कि, तुमसे कहूँ कि, तुम मेरे सारे कपड़े फाड़ के फेंक दो। फिर मेरे हिप्स पर अपनी स्लीपर से मारो, अपनी लेदर बेल्ट फ़ोल्ड करके मेरी पीठ, थाइस, ब्रेस्ट पर मारो। जेंसिया प्लीज़, प्लीज़ तुम ऐसा करो न। तुम्हें संकोच हो रहा है तो मैं ख़ुद ही कपड़े उतार रही हूँ।”

यह कहते-कहते रिचेरिया ने जब-तक जेंसिया कुछ समझे, अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए। और सोफ़े पर बैठी जेंसिया के पैरों के सामने पड़ी उसकी फैंसी पतली सी स्लीपर उठाकर उसके दोनों हाथों में पकड़ा दी, और क़रीब जाकर बोली, “प्लीज़-प्लीज़ जेंसिया . . .” 

जेंसिया आश्चर्य से उसे सिर, पीठ, हिप्स से लेकर नीचे एड़ियों तक देख रही है। उसके दोनों हाथों में स्लीपर हैं। हाथ काँप रहे हैं। आँखों से आँसू फिर निकलने लगे हैं। रिचेरिया बार-बार उसे पीटने के लिए कह रही है। कई बार कहने पर भी जब जेंसिया ने हाथ नहीं उठाया तो रिचेरिया खीझ उठी और काफ़ी तेज़ आवाज़ में बोली,  “जेंसिया . . . जेंसिया . . .” 

उसने यह भी ध्यान नहीं रखा कि, गहन सन्नाटे में डूबी कॉलोनी में हल्की सी आवाज़ भी दूर तक जा सकती है। लेकिन जेंसिया का ध्यान इस ओर तुरंत गया और उसने उठकर बालकनी की तरफ़ का दरवाज़ा, खिड़की दोनों ही बंद कर दिए, पर्दों को पूरा खींच दिया। 

और बहुत ही तमतमाए चेहरे के साथ रिचेरिया के पास लौटी तो वह वैसी ही खड़ी मिली, जैसी वह छोड़ गई थी। लेकिन अब उसके बदन की थरथराहट बढ़ गई है, उसकी आँखें बंद हैं। जेंसिया की आहट मिलते ही उसने कहा, “जेंसिया प्लीज़ और वेट नहीं कराओ, मैं और वेट . . .” 

उसकी बात पूरी होने से पहले ही जेंसिया के दोनों हाथ एक क्रम में रिचेरिया के राउंडेड बड़े-बड़े हिप्स पर स्लीपर बरसाने लगे। फ़्लैट में चट्ट-चट्ट का शोर गूँज रहा है। हर चोट पर रिचेरिया ऐसे सिसकारी ले रही है, जैसे बेहद तीखी चाट का लुत्फ़ ले रही हो। स्लीपर की चोट पड़ते-पड़ते उसके हिप्स एकदम सुर्ख़ लाल हो गए हैं। 

उसके कहने पर जेंसिया ने उसकी थाईज़ पर भी आगे-पीछे दोनों ही तरफ़ स्लीपर बरसाए। वह मारते-मारते कुछ ज़्यादा ही ग़ुस्से में आ गई थी, इसलिए जितनी तेज़ मार सकती थी, उतनी तेज़ मारा। स्लीपर की स्ट्रिप टूट गई हैं। 

रिचेरिया अब-तक मार खा खाकर पस्त हो, ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई है। उसकी आँखें और सुर्ख़ हो गई हैं, आँसू बराबर गिर रहे हैं। पता नहीं चोटों से हो रही दर्द से या कि, इस विचित्र हरकत से वह जो एक विचित्र सा सुख पाना चाह रही थी बरसों से, उसके मिल जाने की ख़ुशी में। 

जेंसिया टूटी स्लीपर हाथ में लिए ठीक उसके पीछे हाँफती हुई खड़ी है। कमरे में दोनों की उखड़ी हुई साँसों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही है। आख़िर जेंसिया ने झुककर उसे बाँह पकड़कर उठाया, बेड-रूम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। उसके लेटने पर उसने देखा कि, उसकी सामने की जाँघों पर स्लीपर की चोट कुछ ज़्यादा ही तेज़ पड़ी है। स्लीपर का पूरा शेप सुर्ख़ उभर आया है। 

रिचेरिया ने आँखें बंद की हुई हैं। चेहरे से ऐसा लग रहा है जैसे कि, न जाने कितने बड़े सुख का अनुभव कर रही है। जेंसिया ने वही नीली साटन चादर उसे ओढ़ा दी, जिसे ओढ़ कर वह रात में सोई थी। फिर एसी ऑन कर कूलिंग बाइस डिग्री कर दी। 

हालाँकि दोनों कोरोना वायरस के सम्बन्ध में जारी होने वाली राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एडवाइज़री को पूरा-पूरा फ़ॉलो करती हैं, इसलिए कमरे का टेम्प्रेचर लॉक-डाउन के बाद से ही पच्चीस डिग्री ही मेन्टेन कर रही थीं। क्योंकि एडवाइज़री के अनुसार यह वायरस ड्रॉप-लेट्स के ज़रिए मूव करता है। टेंपरेचर ज़्यादा रहेगा तो ड्रॉप-लेट्स जल्दी सूख जाएँगे। 

लेकिन रिचेरिया, जेंसिया की इस एडवाइस को मानने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है कि, अब वह शान्ति से चादर ओढ़ कर सो जाए। वह अपनी शुरूआती बात पर अड़ी है कि, अब उसे बेल्ट से पीटो। आख़िर जेंसिया ने परेशान होकर कहा, “मैं सोच रही हूँ कि, एंबुलेंस बुलाकर तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँ या किसी सायकियाट्रिस्ट को बुलाऊँ, क्योंकि लगता है कि तुम सेल्फ़ कंट्रोल खो चुकी हो। अब तुम्हें ट्रीटमेंट की सख़्त ज़रूरत है।”

रिचेरिया ने उसकी बात पर कोई ध्यान दिए बिना ही कहा, “तुम जो चाहो वह करो। मुझे तुम्हारे किसी भी काम पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं है। लेकिन उसके पहले मैं जो कह रही हूँ वह करो। ज़्यादा नहीं, बस कुछ बार ही बेल्ट यूज़़ करो। वैसे भी आज की डेट में कोविड-१९ के पेशेंट के अलावा किसी अन्य पेशेंट के लिए न तो कोई हस्पिटल एविलेबल है, न ही डॉक्टर।” यह कहते हुए रिचेरिया ने अपने ऊपर से चादर खींचकर हटा दी। 

जेंसिया के इंकार करने पर वह पहले से भी ज़्यादा ज़िद करने लगी। उसकी इस हरकत से जेंसिया खीझ उठी है, बुरी तरह थक गई है। उसने कभी सपने में भी ऐसी स्थिति की कल्पना तक नहीं की थी। यह सोचकर वह घबरा गई कि, पिछले सत्ताईस दिन से घर में ही बंद है, कहीं यह किसी मेंटल प्रॉब्लम की तो शिकार नहीं हो गई है। 

लेकिन पीटने वाली डिमाँड तो यह सालों से करती आ रही है। स्पेशली उस दिन ज़रूर की है, जिस दिन क्लब या होटल में ड्रैग क्वीन नाइट या पब से होकर लौटी है। यह प्रॉब्लम नहीं बल्कि इसकी एक डिमांड है, जिसे यह आज हर हाल में पूरा करना चाहती है। कहीं यह सेक्ससोम्निया जैसी किसी रेयर बीमारी का तो शिकार नहीं हो गई है। 

उसमें पेशेंट नींद में सेक्स कर लेता है, इसकी बीमारी में पेशेंट अपनी पिटाई को एन्जॉय करता है। यदि यह ऐसी किसी मनोदशा की शिकार हो गई है, जिसमें कई लोग सेक्स टाइम में ख़ुद को पिटवाना पसंद करते हैं, उस दौरान पिटाई से वो एक ख़ास तरह का आनंद, संतुष्टि महसूस करते हैं, तब तो बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी। 

जेंसिया को ज़्यादा सोचने-विचारने का टाइम रिचेरिया ने नहीं दिया। उस पर इतना प्रेशर डाला कि, जेंसिया वॉर्ड-रोब से अपनी एक ड्रेस की बेल्ट निकाल लाई और चादर हटा कर लेटी रिचेरिया के बदन पर चटाक-चटाक दस-बारह बेल्ट मारी। हर बार बेल्ट उसकी छातियों, पेट, पीठ, जाँघों पर अपना निशान छोड़ती गई। 

अत्यधिक आवेश के कारण जेंसिया ने एक बेल्ट इतनी तेज़ मारी कि, वह जाँघों पर सटाक की आवाज़ के साथ मानों चिपक गई। रिचेरिया ने दर्द से कराहते हुए दोनों घुटने एकदम मोड़ कर अपनी छातियों से जोड़ लिए। दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ लिया है, और ख़ूब तेज़-तेज़ हाँफ रही है। 

आँखें और भी ज़्यादा लाल हो गई हैं, आँसुओं से चेहरा तरबतर हो रहा है। पूरा बदन मार खा-खा कर लाल हो रहा है। उसकी हालत देखकर जेंसिया के भी ख़ूब आँसू निकल रहे हैं। वह बेड पर रिचेरिया से चिपक कर रो रही है। 

रोते हुए ही उसने पूछा, “रिचेरिया, रिचेरिया तुम्हें क्या हो गया है? आय एम सॉरी, सॉरी मैंने तुम्हें बहुत बुरी तरह पीटा है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुम कितना भी कहती, तो भी मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। जैसे इतने दिनों तक तुम्हारी यह बात नहीं मानी थी, उसी तरह मुझे आज भी नहीं माननी चाहिए थी।”

जेंसिया उसके सिर को सहलाती हुई बोलती जा रही है, मगर कुछ देर बाद ही उसने महसूस किया कि, रिचेरिया तो सो रही है। वह सीधे बैठ गई। और बड़े आश्चर्य से उसे देखती हुई सोच रही है कि, कोई इतनी मार खाने के बाद, भला इतनी आसानी से, इतनी जल्दी कैसे सो सकता है। 

उसके दिमाग़ में बड़ी उथल-पुथल मच गई है कि, आख़िर यह हो क्या रहा है। उसने चादर उसके ऊपर डाली और बाथ-रूम में जाकर अपना हाथ-मुँह धोया, किचन में जाकर फ़्रिज से ठंडा पानी निकाल कर पिया, एक गिलास लेमन जूस लेकर बालकनी में बैठ गई। विटामिन सी, डी, से कोविड-१९ से बचाव में मदद मिलती है, यह जानने के बाद से दोनों ऐसी चीज़ें ज़्यादा से ज़्यादा यूज़ कर रही हैं, जिनसे यह मिल सकती हैं। लेमन जूस पर दोनों का ज़ोर ज़्यादा है। 

बाहर तेज़ धूप में उसकी आँखें चुँधिया रही हैं, इतनी तेज़ धूप, चमकदार नीला आसमान, सोसाइटी में पसरा पड़ा गहरा सन्नाटा वह पहली बार देख रही है। ऐसा सन्नाटा उसने एक बार जम्मू-कश्मीर में तब देखा था जब वहाँ घूमने गई थी। 

घाटी में कुछ आतंकियों ने दूसरे प्रदेश के कुछ मज़दूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद सेना ने उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया तो घाटी में उनके समर्थकों, स्लीपर सेल ने दंगा शुरू कर दिया। दंगा होते ही कर्फ़्यू लगा दिया गया। 

वह अपनी साथियों सहित होटल में क़ैद होकर रह गई थी। खिड़की की झिरी से बाहर देखने पर ऐसा ही गहन सन्नाटा दिखता था। बालकनी में ऊपर पंखा चल रहा है। लेकिन हवा गर्म है, इसलिए वह अंदर ड्राइंग-रूम में आ गई। वह इस अप्रत्याशित स्थिति से बहुत दुखी और परेशान हो गई है। उसे अपना भविष्य अंधकार से भरा दिखने लगा है। वह दो तीन बातें ही सोच रही है कि, क्या अब रिचेरिया सम्बन्ध ख़त्म करके अलग हो जाएगी, वह किसी और की ओर अट्रैक्ट हो गई है। 

जो भी हो लेकिन स्थितियाँ अब मेरे लिए अच्छी नहीं हैं। यदि ये साथ नहीं छोड़ती है तो भी प्रॉब्लम बहुत-बहुत बड़ी हो गई है। इस तरह पीटना कितना बुरा, कितना गंदा लगता है। इसे पीटने से जब मेरे हाथों में दर्द हो रहा है, तो इसे कितना दर्द हो रहा होगा। 

मगर यह कैसी है कि, इतनी मार खाकर भी आराम से सो रही है। इस बुरी तरह से पीटना अब मुझसे नहीं हो पाएगा। लॉक-डाउन ख़त्म होते ही इसे किसी साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाऊँगी। यह एक बीमारी के सिवा और कुछ भी नहीं है। यह कितनी एग्रेसिव हो जाती है। ऐसे तो किसी दिन कोई अनहोनी हो सकती है। इसकी इतनी तकलीफ़ मैं सहन नहीं कर सकती। 

जेंसिया ने टेंशन, मन में उठते प्रश्न प्रति प्रश्न से दिमाग़ की नसें फटती हुई सी महसूस की। माइंड चेंज करने के लिए उसने टीवी पर म्यूज़िक चैनल लगाने के लिए रिमोट उठाया, तभी उसे रिचेरिया के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह रिमोट टेबल पर फेंक कर तुरंत उसके पास पहुँची। 

रिचेरिया की चादर अस्त-व्यस्त हो गई है। वह गहरी नींद सो रही है, लेकिन दर्द से बीच-बीच में कराह भी रही है। जेंसिया ने देखा छाती, जाँघों पर बेल्ट के निशान स्लीपर से ज़्यादा गाढ़े हैं। स्किन तनी हुई है। यह देख कर उसकी आँखें फिर भर आई हैं। 

वह रोती हुई बुदबुदाई है, “मेरी प्यारी रिचेरिया तुमने मुझसे यह कैसा गंदा काम करवाया है। कुछ भी हो जाए, मैं जीवन में कभी यह भूल नहीं पाऊँगी। इसका दर्द हमेशा फ़ील करूँगी।”

इसी समय रिचेरिया फिर कराही तो जेंसिया उसके सिर के पास बैठ कर, एक माँ की तरह प्यार से उसके सिर को सहलाने लगी है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि, उसे कौन सी दवा दे जिससे उसका दर्द ख़त्म हो जाए। उसे कुछ न सूझा तो नारियल का तेल हर उस जगह लगाया जहाँ पिटाई के निशान थे।