Ishq to hona hi tha - 5 in Hindi Love Stories by M K books and stories PDF | इश्क तो होना ही था - 5

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इश्क तो होना ही था - 5

अगस्त्य : चाय का एक घूंट पीते ही जोर जोर से खांसने लगता है ," मौका का फायदा उठाकर क्या हुआ चाय अच्छी नहीं है या चीनी की जगह कुछ और मिला है अपनी हंसी को दबाते हुए आरोही बोली । "

अगस्त्य : जी .... चाय बहुत अच्छी है गहरी सांस भरते हुए बोला ।

आरोही : इतने नमक वाली चाय पीने के बाद इसे अच्छी लग रही है " लगता है इसने मुझसे शादी करने का पूरा मन बना लिया है , अब तेरा क्या होगा आरोही मन ही मन बड़बड़ाई? "

अगस्त्य : चाय में चीनी की जगह नमक वो भी इतने सारे .... जानबूझकर लगता है आरोही डाली है या गलती से डाल दी हो ..... मन ही मन सोच रहा था ।
फिर जल्दी से कैसे भी चाय को खत्म किया । उसके बाद आरोही जूस का ग्लास और चाय का कप लेकर चली जाती है।

शर्मा जी तब तक बोल पड़े : बेटा आरोही को किचेन का काम ज्यादा नहीं आता है , मुझे लगता है उसने कुछ और ही मिला दिया था इसलिए खांसी आने लगी थी।

अगस्त्य : नही ... नही अंकल चाय बहुत अच्छी थी ।

आरोही : दरवाजा के बाहर ही रुक जाती है शर्मा जी
जब अगस्त्य को बता रहे थे । " लगता है मिस्टर अगस्त्य के सिर से अच्छाई का भूत उतारना ही पड़ेगा । "
पापा के सामने कुछ ज्यादा ही अच्छा बन रहा है ।
" कही ऐसा न हो मेरी जिंदगी की नैया डूब जाए मुंह बनाते हुए खुद से बड़बड़ाई । "

अगस्त्य : अच्छा अंकल अब मैं चलता हूं , जैसे ही कोई मुझे अच्छा लड़का मिलेगा .... आपको जरूर बताऊंगा हल्की मुस्कान के साथ बोला और अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। आरोही एक अच्छी और पढ़ी लिखी लड़की है ... कोई सरकारी नौकरी वाला लड़का जरूर मिल जायेगा .... आप चिंता मत कीजिए गा। मैं हूं न सब कुछ ठीक हो जाएगा।

आरोही के कान में यह बात पड़ते ही " अपने माथे पर हाथ मारते हुए क्या कर दिया मैने ? ये तो! वो लड़का नही है जिससे पापा मिलवाने वाले थे । "
बेचारे के साथ मैंने बहुत बुरा कर दिया । आरोही मन ही मन बहुत अफसोस कर रही थी ।
मुझे माफी मांगनी चाहिए खुद से बोली और किचेन के तरफ बढ़ गई ।

शर्मा जी : बेटा जाने की क्या जल्दी है ? वैसे भी तुम घर जाकर अकेले ही रहोगे। तुम्हारी मां भी तो मुंगेर से बाहर गई हुई है।

" जी अंकल " लेकिन मुझे काम के सिलसिले में कल मुंगेर से पटना के लिए निकलना है ।
इसीलिए घर जाना पड़ेगा ।।

आरोही : पापा जब इतना बोल रहे हैं तो आप रुक जाइए । क्यों पापा ?? रात का डिनर आप हमारे साथ ही कीजिएगा अपनी नजरे चुराते हुए बोली ।

अगस्त्य : नमक वाली चाय कम थी क्या ?जाने अब खाना
में क्या डाल कर खिलाने वाली है ?? मन ही मन सोच रहा था।

लेकिन शर्मा जी अगस्त्य को लगातार रुकने के लिए बोल रहे थे तो अगस्त्य को रुकना पड़ा और यह भी कहा " बेटा आरोही को भी साथ पटना लेते जाना ।

आरोही : मन ही मन खुश हुई , अपनी गलती सुधार लेगी और अगस्त्य को सॉरी बोल देगी ।

अगस्त्य : अंकल मैं अभी आया गाड़ी से फाइल्स को लेकर ... जो मुझे पटना लेकर जाना है । कहकर अगस्त्य बहार चला जाता है ।

शर्मा जी : कैसे कहूं ?? अगस्त्य बेटा आरोही के लिए तुम ही मुझे बेस्ट लगते हो .... बुलाया तो था मैने तुम्हे आरोही से मिलवाने के लिए लेकिन सोचा कुछ और था हो कुछ और गया । आरोही को मैं अच्छे से जानता हूं वो शादी के लिए नही मानेगी लेकिन तुम दोनो एक दूसरे को समझने लगोगे तो वो शादी के लिए जरूर मानेगी ।
तुम मेरी हर बात मानते हो , कुछ आदतें मेरी तरह भी है " एक लड़की को जब अपने पिता की खूबियां किसी दूसरे लड़के में दिखने लगती है तो वो उसे पसंद के साथ साथ उसे प्यार भी करने लगती है । "
मुझे उम्मीद है जब तुम अगस्त्य के साथ समय व्यतीत करोगी तो तुम्हारा रिश्ता बहुत अच्छा होगा ।
अपनी आखिरी सांस लेने से पहले तुम्हे अगस्त्य को सौप कर जाऊंगा ।

घर के बाहर ...... तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी .... जिससे अगस्त्य भींग जाता है जो गाड़ी से फाइल्स लेने गया था ।




Continue......