Pagal - 42 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 42

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पागल - भाग 42

भाग ४२

राजीव काशी में गंगा नदी किनारे , खुद को साधु बना लेता है। वह भगवा वस्त्र धारण कर लेता है और महादेव की पूजा अर्चना करता मंदिर के सामने बैठ कर ध्यान करता और माला कर के शिव नाम दोहराता रहता ।
राजीव के दिन इसी तरह बीतने लगे । उसका बिजनेस डूब ना जाए इसलिए सम्राट अंकल ने वो बिजनेस मिहिर और मीशा के पति को संभालने की हिदायत दी। मिहिर ने अपने विश्वसनीय मित्र को राजीव का बिजनेस संभालने उसकी कंपनी भेजा। और मिहिर हर वीक आकर कंपनी का राउंड मारकर अपडेट लेता रहा । मिहिर के ऊपर अब बड़ी जिम्मेदारी आ चुकी थी। राजीव का काम और खुद का काम उसे देखना होता था । मीशा के पति भी राजीव का बिजनेस संभालने में मिहिर की मदद कर दिया करते थे। हालाकि वो कैनेडा से बार बार आ नही सकते थे पर वही रहकर मिहिर की बहुत मदद कर देते थे।

इधर राजीव साधु बना बैठा था और उधर उसका बिजनेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था ।
कुछ 3–4 महीने बीत गए । मीशा फिर से कुछ महीनो के लिए मायके रहने आई, तो जीजू ने सम्राट जी की अनुमति ली कि वो जाकर राजीव को मना कर ले आए। मिहिर और जीजू काशी जाने के लिए टिकट बुक करवा चुके थे।

वो लोग जानते थे उन्हें राजीव कहां मिलेगा । वो लोग सीधा मंदिर ही गए उन्होंने वहां दर्शन किए और जब बाहर निकले तो उन्हे सामने ही एक साधु तपस्या करता हुआ दिखा । उन्हे पहचानते देर ना लगी कि ये राजीव है । हालाकि राजीव काफी दुबला हो चुका था और उसके चेहरे पर अब दाढ़ी उग चुकी थी। बाल कुछ लंबे हो गए थे । और चेहरा थोड़ा काला पड़ गया था।

वो ध्यान मग्न था । जीजू और मिहिर उसके पास जाकर बोले "राजीव" उनकी आवाज सुनकर राजीव ने अपनी आंखे खोली । तो उन्हे देखकर वह बहुत खुश हो गया ।
"अरे मिहिर , जीजू आप लोग?"
"हां राजीव, तुझे लेने आए है , चल यार"
"नहीं जीजू, अब यही मेरा जीवन है। "
"लेकिन हुआ क्या है? तूने तो किसी को कुछ बताया भी नही बस पापा को सीधा फैसला सुना दिया " जीजू ने पूछा ।
"जीजू, मैं जब काशी आया मुझे यहां कीर्ति मिली , " यह सुनकर मिहिर ने कहा "हां ये बात तो सम्राट अंकल ने बताई है लेकिन उसके बाद क्या हुआ?"
"कीर्ति शादीशुदा है, उसका हसबेंड उसके साथ था और उसका एक बेटा भी है"
"अच्छा फिर?" दोनो बड़ी गंभीरता से उसकी बात सुन रहे थे।
"पहले तो मैंने उसे बहुत ढूंढा ये सोचकर की उसे अपने साथ कैसे भी मना कर ले जाऊंगा , लेकिन फिर धीरे धीरे एहसास हुआ कि पहले भी मैने बस अपने बारे में सोचा और अब भी वही कर रहा हूं , मैने उसकी जिंदगी से दूर होकर ये मार्ग अपना लिया क्योंकि उसके बिना मेरी जिंदगी अधूरी है , वो नही तो मैं कुछ नही । उसके बिना ये सांसारिक जीवन जीना मेरे लिए नामुमकिन है । "
"बड़े साधु महात्माओं जैसी बातें करने लगा है यार तू तो" जीजू बोले।
राजीव हल्का मुस्कुरा दिया।
"राजीव , अगर वो अपनी जिंदगी में खुश है तो तू भी मूव ऑन करके अपनी जिंदगी में खुश रह, देख जो हुआ सो हुआ । होनी को कोई टाल नहीं सकता ।शायद उसका तेरा साथ उतना ही था । पर इस उम्र में अपना पूरा बिजनेस और परिवार छोड़ के तेरा ये कदम उठा लेना सही नही है। ये उम्र तपस्या करने की नही है । अपना घर दोबारा बसा ले।" मिहिर बोला।
"हां राजीव मिहिर सही कह रहा है। तू पापा मम्मी और मीशा के बारे में तो सोच, मीशा दिन रात तेरे लिए फिक्रमंद रहती है । और कई बार रो पड़ती है।"

"लेकिन जीजू" उसने इतना कहा ही था कि अचानक उसकी नजर उस छोटे राजीव पर पड़ी। वो किसी बुजुर्ग औरत के साथ आज मंदिर आया था और उनका हाथ पकड़ कर चल रहा था। जब राजीव ने उसे देखा तो वह अपने चप्पल पहन रहा था।
उसे चुप और एक ही और देखते हुए मिहिर और जीजू ने पलट कर देखा तो उन्हें कुछ समझ नही आया ।
राजीव आखिर क्या देख रहा था।
राजीव ने उस बच्चे की और उंगली दिखाते हुए उन्हे बताया "ये कीर्ति का बेटा है" राजीव पर उस बच्चे की नजर तो पड़ी मगर दाढ़ी और साधु के भेस में वो राजीव को पहचान ना पाया। उसे थोड़ा अजीब लगा कि सब उसे क्यों देख रहे है मगर वह इस औरत के साथ चल दिया।
जीजू और मिहिर उस बच्चे को ध्यान से देखने लगे । मिहिर के मन में कुछ सवाल उठे । लेकिन उस वक्त उसके सवालों के जवाब उसे मिलने से रहे । इन सवालों के जवाब जानने के लिए उसे कीर्ति से मिलना होगा । लेकिन क्या अब कीर्ति उससे मिलेगी ? क्या कीर्ति अब पुराने संबंधों का कुछ खयाल रखना चाहती है ।ये सोचते हुए मिहिर एक बार फिर राजीव से बोला
"राजीव प्लीज ज़िद छोड़ो,हमारे साथ घर चलो"
"नही, मिहिर"
"राजीव एक बार,," जीजू की बात पूरी होती उससे पहले उसने कहा
"जीजू प्लीज मुझे फोर्स मत कीजिए मेरा मन हुआ तो खुद आ जाऊंगा वापिस " मिहिर और जीजू एक दूसरे की और देखने लगे ।
वो लोग बोझिल मन से राजीव को गले लगाते हुए वापिस जाने लगे ।
"राजीव फिर एक बार सोचना , अपने परिवार के लिए । मीशा के लिए " जीजू ने पलटते हुए कहा ।
राजीव ने बस हां में अपनी गर्दन हिला दी।

क्या राजीव घर वापिस जायेगा ? क्या मिहिर जाने से पहले कीर्ति से मुलाकात करेगा ? , जानने के लिए कहानी पढ़ते रहिएगा ।