Kali ghati - 4 in Hindi Horror Stories by दिलखुश गुर्जर books and stories PDF | काली घाटी - 4

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काली घाटी - 4

शिवा- सुबह की पहली किरण के साथ ही में उस गुफा को ढूंढूंगा।

यह कहकर वह सोने की कोशिश करता है, पर कमबख्त नींद कहां आने वाली थी।
और उपर से शिवा को गांव वालों की चिंता हो रही थी।
शिवा- पता नहीं मां और बाकी गांव वाले कैसे होंगे।

सोचते सोचते शिवा की कब आंख लग जाती है पता ही नहीं चलता।

(सुबह )

जब सुबह होती है तो सूर्य की पहली किरण शिवा के ललाट पर गिरती है।

मानो सुर्य देव शिवा को जगा रहे हो। चारों तरफ शांति का माहौल था,
और चिड़िया के चहचहाने की आवाजें आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे सम्पूर्ण प्रकृति ही शिवा का उत्साहवर्धन कर रही हो।

अचानक एक जोर दार आवाज से शिवा की आंख खुलती हैं।
शिवा हड़बड़ा कर उठता है।
उठते ही वह सामने देखता है की एक छोटे कद का आदमी जिसकी हाइट लगभग 4 फिट थी, वह एकटक शिवा को देख रहा था।

शिवा को उठता देखकर वह हड़बड़ा कर वहां से भागने लगता है।

उसको भागता देखकर शिवा भी जल्दी से उठकर उसके पीछे जाने लगता है।
वह छोटे कद का आदमी अपने छोटे पैरों से जल्दी जल्दी दौड़ रहा था,
छोटा आदमी- 'अरे बाप रे' लगता है आज ये आदमी मुझे छोड़ने वाला नहीं है।
डर् डर् डर् डर् अरे मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है नौजवान छोरे
---बिगाड़ा है? "अरे बहुत कुछ बिगाड़ा है" , तुम रुको तो सही फिर बताता हूं!
'क्या पता तुम मेरा कहीं भाव ना लगा दो '
अरे नहीं छोटे , रुको तो सही तुम्हारा भाव लगाने के लिए तुम कौनसे कोई स्टार हो।
फिर थोड़ी दुर भागने के पश्चात वह आदमी थककर जमींन सो जाता है।
शिवा भी जल्दी से उसके पास जाता है और उसके पास जाकर बैठ जाता है।
हां बड़बुड़क......... मुझे देखकर भागे क्यों......तुम ?

'मुझे लगा की तुम....... मेरे गांव के जीलामी हो! उन्होंने मेरे परिवार को खत्म कर दिया,
(वह छोटा आदमी दु:खी भाव से कहता है)
दो साल की छोटी सी गुड़िया जिसका कोई कसूर नहीं था,जो ठीक तरह से इस संसार को देखी भी नही थी,उसको भी...........
यह कहकर वह रोने लगता है, शिवा उसको दिलासा देता है
देखो छोटे मुझे नहीं पता कि उन्होंने तुम्हारे परिवार के साथ क्यों इतना सब कुछ किया
लेकिन उनको उनके कर्मों की सज़ा ज़रूर मिलेगी, उस पर विश्वास है ना।
(शिवा उपर आकाश की तरफ देखकर कहता है)
रोने से क्या होगा, क्या वो‌ तुम्हारे लोग वापस आ जायेंगे?
नहीं ना।
तों फिर चलो बताओ नाम क्या है तुम्हारा
'रें.... रेंचो'

रेंचो, बहुत ही प्यारा‌ नाम है, क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे
शिवा आशापूर्वक पूछता है
रेंचो उसकी तरफ भावुक होकर देखता है,

कुछ समय बाद
अच्छा बताओ शिवा तुम यहां क्यों आए हो।
मैं हां........... हमारे गांव में एक काली घाटी है, जहां पर शाम होते ही नहीं जाते, लेकिन एक शाम मेरे पिताजी को आने में देरी हो गई, और वो कभी लौटकर नहीं........ उसकी आंखों से आंसु आने लगते हैं।
देखो शिवा जो हुआ सो हुआ अब जो हो रहा है उसपर ध्यान दो ,
अच्छा तुम यहां क्यों आए थे?
शिवा अपने आंसु पौंछते हुए कहता है कि यहां पर एक गुफा है जिसमें मुझे जाना है।

अच्छा तुम गुफा की बात कर रहे हो , लेकिन वहां तो मैं रहता हूं
वहां तो कुछ भी नहीं है , यकीन नहीं हो तूआवो में ले चलता हूं तुम्हें
यह कहते ही शिवा उसके पीछे जाने लगता है
थोड़ी दुर बाद घने पेड़ों के पीछे जाने के बाद एक गुफा दिखती है, जिसके बाहर की तरफ लकड़ी का दरवाजा लगा हुआ था, ताकि कोई जानवर अंदर ना जा सके
रेंचो बड़ी मुश्किल से दरवाजा खोलता है

यह गुफा ऐसी जगह बनाई गई थी, ताकि किसी को‌ बाहर से दिखाई ना दे, घने पेड़ों के पीछे जहां से बहुत मुश्किल से निकला जा सकता था।
रेंचो और शिवा दोनो अंदर की तरफ जाते हैं, वहां अंदर ज्यादा रोशनी नहीं थी और बिल्कुल भी आवाज नहीं आती थी,वह गुफा लगभग 100 मीटर के दायरे में थी।
रेंचो पास की दीवार में टॅंके मशालों को जलाता है और शिवा को गुफा दिखाने लगता है।

देखो शिवा यहां पर कुछ भी नहीं है, में इतने समय से यहां रह रहा हूं लेकिन आज तक मुझे कुछ नहीं मिला, सिवाय इस प्रतिमा के शिवा उस प्रतिमा की तरफ देखता है वह एक सूर्य की तरह दिखाई पड़ रही थी, जो कि एक पत्थर की शिला पर टिकी हुई थी।
मेरा सूर्य देव से संबंधित होना,इस गुफा में आना और यहां ये सूर्य जैसी प्रतिमा का होना यह कोई संयोग तो नहीं हो सकता कुछ तो है जो हमें दिख नहीं रहा ।

यह कहकर शिवा उस प्रतिमा की तरफ जाने लगता है वह सबसे पहले प्रतिमा के चारों तरफ देखता है और फिर उस शिला को खिसकाने की कोशिश करता है, शिवा को ऐसा करता देखकर रेंचो भी उसकी मदद करने के लिए शिला को खिसकाने का प्रयास करता है पर दोनो असफल हो जाते हैं और शिला को कुछ नहीं होता है।
थोड़ी देर बाद शिवा सूर्य की प्रतिमा को ध्यान से देखता है
देखो रेंचो इस प्रतिमा को देखकर तुम्हें ऐसा नहीं लगता की इसको घुमाया जा सकता है
रेंचो प्रतिमा को देखकर उसकी हां में हां मिलाता है।
फिर शिवा और रेंचो दोनो मिलकर उस प्रतिमा को घुमाने की कोशिश करते हैं और धीरे-धीरे प्रतिमा के घूमने के साथ शिला में हलचल होने लगती है,
प्रतिमा को पूरी तरह से घूमाने के बाद शिला अपनी जगह हिलने लगती है
और शिला को हिलता देख शिवा और रेंचो दोनो पीछे की तरफ आ जाते हैं

अचानक शिला पीछे खिसकती है और वहां पर नीचे की तरफ सीढ़ीयां जाती हुई दिखाई देती है,यह देखकर शिवा को अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता है,
मेंने सोचा नहीं था यहां कुछ ऐसा भी हो सकता है
( रेंचो चौंकते हुए कहता है)
तो चलते है फिर................

कहानी जारी रहेगी

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