Dhundh : The Fog - A Horror love story - 15 in Hindi Horror Stories by RashmiTrivedi books and stories PDF | धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 15

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धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 15

क्रिस्टीना का रुद्र रूप देख क्रिस को लगा जैसे आज ही उसका यह आख़िरी दिन होगा दुनिया में! लेकिन जब क्रिस्टीना की ओर से आगे किसी प्रकार की कोई हलचल महसूस न हुई तो उसने धीरे से अपनी आँखों को खोला और देखा, क्रिस्टीना फिर खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई थी।

वो समुंदर की ओर देख रही थी। वो बहुत उदास लग रही थी। वो क्रिस की ओर देखते हुए कहने लगी,"मैं जानती थी! तुम भी डरते हो न मुझसे? लेकिन एक बात कहूँ? तुम उन बाकी सब लोगों से अलग हो! आज से पहले जो भी यहाँ आया, वो मेरी मौजूदगी को महसूस कर मुझसे डरता तो था फिर भी यह मानने को तैयार नहीं था कि मैं...यानी एक आत्मा सच में यहाँ मौजूद हूँ। बल्कि वो तो मुझे नजरअंदाज कर देते थे। पर तुम...तुम वैसे नहीं हो! तुमने मेरी मौजूदगी को महसूस किया। उसे माना और तुम ही वो पहले शख्स हो जिसने पहली बार मुझसे मिलने की इच्छा जताई। तुमने हिम्मत कर कहा कि यह तुम्हारा घर है,जबकी तुम जानते थे कि तुम यह बात किसी आम इंसान से नहीं बल्कि एक आत्मा से कह रहे थे!"

उसकी उदास आवाज़ सुन क्रिस ने कहा,"मैं समझ सकता हूँ क्रिस्टीना, इस विला से तुम्हारी कुछ यादें जुड़ी होंगी और इसीलिए तुम शायद अब तक यहाँ भटक रही हो!"

"कुछ यादें? मेरा तो जीना-मरना ही इस विला से जुड़ा है! क्या तुम जानते हो, मेरा जन्म इसी कमरे में हुआ है? और क्या तुम्हें पता है, जब मैं बड़ी हुई तो मेरे मम्मी पापा ने यह कमरा मेरे लिए अपने हाथों से सजाया था?"

क्रिस उसे सुन रहा था। उसकी सारी भावनाओं को भी समझ रहा था लेकिन उसे उसके आत्मा बनने की कहानी जानने में ज़्यादा उत्सुकता थी। उसने धीरे से पूछा,"और...और तुम्हारी मौ...?"

क्रिस अपनी बात पूरी न कर पाया। किसी के मौत के बारे में उसी से पूछना यह कितना अजीब था लेकिन क्रिस्टीना शायद समझ गई थी। उसने कहा,"मेरी मौत कैसे और कहाँ हुई, यही पूछना चाहते हो न?"

उसने अपने लहराते हुए बालों को संवारते हुए एक बार फिर खिड़की के बाहर समुंदर की ओर देखा। अपना हाथ उठाते हुए उसने समुंदर की उस रेत की ओर इशारा किया जहाँ उसने अपनी अंतिम सांसें ली थी। क्रिस धीमे कदमों से खिड़की के पास आया और ठीक क्रिस्टीना के पास आकर खड़ा हो गया। खिड़की के बाहर झांकने से पहले उसने क्रिस्टीना की ओर देखा। रात के अंधेरे में कमरे में जलती थोड़ी सी रोशनी में भी वो किसी परी की तरह जगमगा रही थी। फिर जब क्रिस ने समुंदर की ओर देखा तो अचानक वहाँ बाहर का नज़ारा ही बदल गया।

रात के अंधेरे की जगह वहाँ सुबह सुबह की धुँध नज़र आने लगी। क्रिस ने देखा, एक लड़की समुंदर के किनारे बैठ अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी और उसके पीछे एक नकाब पहनें शख्स खड़ा था। देखते ही देखते उस शख्स ने उस लड़की पर हमला कर दिया। क्रिस्टीना की मौत का पूरा का पूरा दृश्य क्रिस देख पा रहा था लेकिन वो उस हमलावर का चेहरा नहीं देख पा रहा था। कैसे देख पाता? जो कुछ भी वो देख रहा था वो क्रिस्टीना की केवल एक याद थी जिसमें उसने भी अपने हमलावर को देखा नहीं था!

क्रिस्टीना ने अपने हाथ को नीचे किया और थोड़ी देर में ही फिर से वहाँ पहले की तरह रात का अँधेरा छा गया।

क्रिस ने पूछा,"कौन था वो? किसने मारा तुम्हें इतनी बेदर्दी से? क्या तुमने उसे देखा नहीं?"

"यही तो वजह है मेरे भटकने की! जब तक उस व्यक्ति का पता लगाकर मैं उसकी जान नहीं ले लेती तब तक मैं इस विला से नहीं जाऊँगी! मैं जानना चाहती हूँ, आख़िर मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था जो मेरी इतनी बेदर्दी से जान ही ले ली गई!", क्रिस्टीना ने कहा।

"लेकिन तुमने कुछ तो देखा होगा? क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं? कोई तो होगा जिसपर तुम्हें शक हो। तुम्हारे विला में कोई तो होगा जो तुम्हारी जान लेना चाहता होगा! तुम्हें कैसे पता चलेगा कि वो कौन है?", क्रिस ने बड़ी शिद्दत से उससे पूछा। वो पूरी तरह से क्रिस्टीना की कहानी में डूब चुका था।

क्रिस्टीना ने उसकी ओर देखा और आगे कहा,"उस समय विला में मैं अकेली थी। मेरी मॉम घर पर नहीं थी और जॉन अंकल रात को ही अपने घर चले गए थे। वो सुबह जल्दी आने वाले थे। उस दिन मेरी नींद जल्दी ही खुल गई थी। मुझे यहॉं की सुबह सुबह की धुँध बहुत पसंद थी। उस दिन भी समुंदर का किनारा सफ़ेद धुँध से ढँका हुआ था। मैं अपनी डायरी लेकर समुंदर किनारे सैर के लिए चली गई थी। कुछ देर टहलने के बाद मैं बैठकर लिखने लगी और फिर अचानक मुझ पर पीछे से किसी ने हमला कर दिया।"

तभी क्रिस ने पूछा,"यह जॉन अंकल कौन हैं?"

"वो हमारे घर के बहुत पुराने लेकिन वफ़ादार नौकर थे।", उसने जवाब दिया।

"ओह, कहीं तुम पीटर के पापा की बात तो नहीं कर रही?"

"हाँ वही। बहुत चाहते थे मुझे! हम सब उनकी बहुत इज्ज़त करते थे। हमले की बात करूँ तो उस दिन अचानक हुए हमले से मैं सहम गई थी। मेरा दम बुरी तरह घुट रहा था,आँखों में जैसे ख़ून उतर आया था।।तभी मैंने उस हमलावर के हाथ में एक टैटू देखा। वो एक समुद्री लुटेरों का जहाज़ का टैटू था। बस उसके बाद मैंने दम तोड़ दिया! मैं उस टैटू को कभी नहीं भूल सकती!", क्रिस्टीना ने कहा।

बात करते करते उसने सामने वाली दीवार पर देखा। अचानक वहाँ दीवार पर वही समुद्री लुटेरों के जहाज का टैटू उभर आया जिसकी बात उसने की थी। क्रिस ने उस टैटू को देखा और फिर वो क्रिस्टीना की ओर देखने लगा। उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन साथ में बदले की ज्वाला भी!

वो आगे बढ़कर उसे सांत्वना देना चाहता था तभी कुछ आहट सी हुई। दोनों ने एक साथ कमरे के दरवाज़े की ओर देखा। दरवाज़े के बाहर अशोक खड़ा हुआ था। उसने धीरे से दरवाज़े पर दस्तक दी और वो अंदर आते हुए कहने लगा,"डिनर रेडी है क्रिस बाबा! आज सब कुछ आपके पसंद का खाना बनवाया है मैंने!"

अशोक को देख क्रिस ने क्रिस्टीना की ओर देखा पर वहाँ कोई नहीं था! दीवार पर भी कोई टैटू नहीं था! उसके चेहरे के भाव देख अशोक ने क्रिस से पूछा,"क्या हुआ बाबा, क्या आपने किसी को देखा खिड़की के बाहर?"

क्रिस ने सहज होते हुए कहा,"नहीं अंकल, कोई नहीं है वहाँ! चलिए, खाना खाते हैं। बहुत भूक लगी है!"

बात करते हुए दोनों कमरे से बाहर निकल गए। जाते जाते जब क्रिस ने एक बार पीछे मुड़कर देखा तो क्रिस्टीना वही खिड़की के पास खड़ी मुस्कुरा रही थी!

क्रमशः ....
रश्मि त्रिवेदी