The Author RashmiTrivedi Follow Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 14 By RashmiTrivedi Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books कॉर्पोरेट जीवन: संघर्ष और समाधान - भाग 1 पात्र: परिचयसुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की... इंटरनेट वाला लव - 90 कर ये भाई आ गया में अब हैपी ना. नमस्ते पंडित जी. कैसे है आप... नज़रिया “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध... मनस्वी - भाग 1 पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (E... गोमती, तुम बहती रहना - 6 ज़िंदगी क्या है ? पानी का बुलबुला ?लेखक द्वा... 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कल रात के बाद अभी तक कोई वाक़िया नहीं हुआ है। क्यूँ? क्यूँकि शायद क्रिस्टीना अपनी मौजूदगी साबित करना चाहती थी। अभी भी वह शायद हमें देख रही हो और उसे समझ आ गया है कि हम उसके बारे में जान गए हैं!" क्रिस ने इधर उधर देखते हुए कहा,"क्यूँ क्रिस्टीना, मैं सच कह रहा हूँ न? तुम हमें देख सकती हो न? ऐसा है तो सामने आओ। सामने आओ मेरे!" उसका इस तरह यूँ अकेले बड़बड़ाना अशोक को कुछ ठीक नहीं लग रहा था। वो समझ चुका था कि क्रिस के दिलोदिमाग़ पर क्रिस्टीना की आत्मा का डर बुरी तरह हावी हो चुका था और क्रिस्टीना की कहानी को वो दिल से लगा बैठा था। उसने उसे उठाते हुए कहा,"बहुत देर हो गई है क्रिस बाबा... अँधेरा भी होनेवाला है। चलिए अंदर चलते हैं!" क्रिस ने उसकी ओर देख पूछा,"अंदर कहाँ? विला में?" अशोक ने उसकी हालत देख कहा,"आप अगर पुराने बंगलो पर जाना चाहते हैं तो मैं अभी गाड़ी निकलवाता हूँ। मेरे ख़याल से यही सही भी रहेगा!" तभी क्रिस ने उसका हाथ झटकते हुए कहा,"नहीं, मैं कहीं नहीं जाऊँगा। मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ। मुझे शॉवर लेना है।", इतना कहते हुए वह क्रिस्टीना की डायरी लेकर अपने कमरे में चला गया। अशोक उसे जाते हुए देखता रहा। वो उसके लिए चिंतित था मगर क्रिस की ज़िद आगे बेबस भी! क्रिस ने अपने कमरे में आकर सबसे पहले अपने मोबाइल पर नज़र डाली। उसका मोबाइल उसके दोस्तों के कॉल्स और मैसेजेस से भरा पड़ा था। अतुल,शिवाय, जेनेट और वेनेसा के कई मिस कॉल थे उसमें लेकिन वो किसी से बात नहीं करना चाहता था। अपने हाथ की डायरी उसने मेज़ पर रखी और वो कपबोर्ड की ओर बढ़ गया। उसमें से अपना टॉवेल निकाला और नहाने चला गया। शॉवर का गरम गरम पानी जैसे ही उसने अपने शरीर पर महसूस किया उसे ऐसा लगा जैसे उसकी दिनभर की थकान पलभर में मिट गई हो। अभी वो कुछ अच्छा महसूस कर ही रहा था कि उसकी नज़र शॉवर के पर्दे पर पड़ी। वहाँ किसी की परछाई देख वो एक पल के लिए सहम सा गया! उसने उस परछाई को देख शॉवर बंद कर दिया और उस पर्दे को झटकेसे हटाया। तभी वो परछाई पर्दे से हटकर सामने वाले दीवार पर आ गई! उसने लगभग चिल्लाते हुए पूछा,"कौन? कौन है वहाँ?...अशोक अंकल आप हो क्या?" वह जवाब के इंतजार में वही खड़ा रहा और अचानक तभी उसे किसी लड़की के हँसने की आवाज़ आई! उसने देखा,परछाई दीवार से हटकर जैसे दरवाज़े से होते हुए बाथरूम से बाहर निकल गई। क्रिस ने भीगे बदन ही जल्दी जल्दी में कपड़े पहने और वो भी बाथरूम से बाहर आया। उसने अपने कमरे में चारों ओर नज़र घुमाई। वहाँ कोई नहीं था! फिर अचानक उसकी नज़र मेज़ पर गई,"यह क्या? क्रिस्टीना की डायरी कहाँ गई?" उसे समझते देर न लगी कि वो परछाई कोई और नहीं बल्कि क्रिस्टीना ही थी! क्रिस ने पूरे कमरे में एक नज़र घुमाई और कहा,"मैं जानता हूँ क्रिस्टीना...यह तुम हो! कहाँ हो तुम? मेरे सामने आओ। प्लीज मेरे सामने आओ। मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ!" देखते ही देखते एक पल में पूरे कमरे में धुँध सी फ़ैल गई। क्रिस इस उम्मीद में इधर उधर देखने लगा कि कहीं तो कुछ नज़र आए लेकिन कहीं कोई नहीं था। तभी फिर वही खिलखिलाती हँसी उसे सुनाई दी। साथ ही एक लड़की की मधुर आवाज़ ने उसे चौंका दिया,"क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता?" उस समय क्रिस के चेहरे पर एक साथ कई भाव थे। वो कुछ डरा हुआ भी था और उसके मन में कई सवाल भी थे। उसने हिम्मत कर आगे कहा,"नहीं.. मुझे नहीं लगता डर... तुम सामने क्यूँ नहीं आती? मुझे तुमसे बात करनी है?" एक आवाज़ फिर आई,"अच्छा, तो तुम्हें डर नहीं लगता?... तो फिर इतनी सर्द रात में माथे पर यह पसीना क्यूँ?" क्रिस ने अपने माथे को छू कर देखा। वाकई में उसके माथे पर पसीने छूटे हुए थे। फिर उसको वही हँसी सुनाई दी और एक ठंडा सा झोंका बिल्कुलउसके पास से गुज़र गया। वो कुछ सहमा, फिर संभला। तभी कमरे के खिड़की के पास उसे वह नज़र आई! क्रिस हैरानी से उसकी ओर देख रहा था,"यह तो वही है जो मेरे सपने में आई थी! कितनी मासूम... कितनी प्यारी! क्या यह क्रिस्टीना है?" सफ़ेद रंग की लॉन्ग फ़्रॉक में हाथ में अपनी डायरी लिए वो खिड़की के पास खड़ी होकर क्रिस की ओर ही देख रही थी। उसने अपनी मीठी आवाज़ में पूछा,"क्यूँ बुलाया मुझे और मेरी डायरी क्यूँ ली है तुमने?" उसके सवाल सुनकर भी क्रिस पहले तो कुछ बोल ही नहीं पाया। वो तो बस उसे देखते ही जा रहा था। वो अपनी आँखों पर विश्वास ही न कर पा रहा था और ऐसा हो भी क्यूँ न? आख़िर उसके सामने एक आत्मा खड़ी थी। सचमुच की एक आत्मा! फिर क्रिस ने उससे पूछा,"तो क्या तुम ही क्रिस्टीना हो?" "अरे.. बड़े अजीब हो! अभी तो तुमने मुझे मेरा नाम लेकर पुकारा और अब मुझे ही पूछ रहे हो कि मैं ही क्रिस्टीना हूँ या नहीं? एक बात जान लो... मैं ही क्रिस्टीना हूँ और यह मेरा घर है, समझें तुम?", उस आत्मा ने कहा। क्रिस ने आगे कहा,"लेकिन...तुम तो ..तुम तो अब इस दुनिया में हो ही नहीं! तुम एक आत्मा हो... अब यह मेरा विला है। मेरी ग्रैनी ने मुझे गिफ़्ट किया हैं।" उसकी बात सुन अभी तक मासूम सी नज़र आने वाली क्रिस्टीना का चेहरा ग़ुस्से में सुर्ख लाल हो चुका था। उसकी आँखों से जैसे शोले बरस रहे थे। एक ही पल में खिड़की के पास खड़ी उसकी आत्मा ठीक क्रिस के सामने आकर खड़ी हो गई और ग़ुस्से में कहने लगी,"क्या? क्या कहाँ तुमने? तुमने सुना नहीं? यह मेरा घर है!" क्रिस्टीना का वह भयावह रूप देख क्रिस ने अपनी आँखों को कसकर बंद कर लिया और बस वही खड़ा रहा। क्रमशः .... रश्मि त्रिवेदी ‹ Previous Chapterधुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 13 › Next Chapter धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 15 Download Our App