Pagal - 38 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 38

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पागल - भाग 38

भाग–३८

मैने राजीव से कहा कि "राजीव तुम ये सब क्या कह रहे हो?"
"सच ही तो कह रहा हूं, और मैं ये समझ के परेशान हो रहा था कि तुम मुझे चाहती हो और मैने तुम्हारी जिंदगी खराब कर दी। अरे क्या फर्क है तुम में और वैशाली में । मिहिर से प्यार करती हो पर उससे शरीर की भूख नहीं मिटी तो कल मुझे शिकार बना लिया ।"
तभी एक जोरदार चांटा राजीव के गाल पर पड़ा । ना ये चांटा कीर्ति ने मारा था , ना सम्राट अंकल ने , ना ही मिहिर ने ।
ये चांटा उसे मारा था निशी ने ,,
"खबरदार जो मिहिर और कीर्ति के रिश्ते को लेकर एक शब्द और कहा तो, कीर्ति और मिहिर का रिश्ता उतना ही पवित्र है जितना द्रौपदी और कृष्ण का था समझे , अरे तुम क्या समझोगे , तुम बहुत सेलफिश हो , तुमने कीर्ति का बस इस्तेमाल किया । प्रॉपर्टी के लिए उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करके उसकी जिंदगी खराब कर दी। वो तो फिर भी तुम्हारे प्यार में पागल थी । बहुत पागल , इस उम्मीद से शादी करली के उसके पास बहुत दिन है तुम्हे उसके प्यार का एहसास दिलाने को । लेकिन तुम देख भी नही पाए उसका प्यार महसूस क्या करते । तुमसे ज्यादा बदनसीब इंसान मैने दुनिया में नही देखा है । चलो मिहिर "
कहते हुए निशी मिहिर का हाथ पकड़ कर वहां से उसे लेकर चली गईं।
मैं जमीन पर बैठकर रोने लगी। मुझे रोहिणी आंटी ने सहारा देकर उठाया । और सम्राट अंकल ने पूछा "बेटा , ये निशी क्या कह कर गई है? कॉन्ट्रैक्ट मैरिज?"
मैं कुछ नही बोल पाई। मीशा ने मुझसे कहा "कीर्ति तूने मुझे क्यों नहीं बताया अगर पता होता कॉन्ट्रैक्ट मैरिज है तो मैं तुझे खुद मना करती ये शादी करने को। मुझे नहीं पता था मेरा भाई इतना खुदगर्ज है।" मीशा गुस्से से राजीव की और देख रही थी।
मैं बिना किसी से कुछ कहे अपने पैरो को घीसते हुए धीरे धीरे कमरे में चली गई । मेरा जैसे सब कुछ लूट गया हो ऐसा महसूस हो रहा था ।
राजीव नशे में अब भी वही खड़ा निशी की बात समझने की कोशिश में था । लेकिन उसने जो देखा उसपर उसे ज्यादा विश्वास था तभी मीशा उसके पास आकर बोली।
जब भी मिहिर से कीर्ति ने बात की तब हमेशा कांफ्रेंस में मैं साथ में थी। तुम हनीमून पर थे उस दिन भी राजीव । और अगर तुम्हे उससे प्यार नही था तो फिर वो किसी के साथ भी बात करे तुम्हे उससे क्या ? बीवी तो तुमने उसे कभी माना ही नही।उसने तुम्हारे लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी । क्या जरूरत थी उसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की ? क्या उसे कोई अच्छा लड़का नही मिल सकता था? तुम तब भी नही समझे की वो तुमसे प्यार करती है? शर्म आती है मुझे तुम्हारी बहन हूं मैं"
मीशा भी यह कहकर जीजू का सहारा लेकर कमरे में चली गई ।
सम्राट अंकल राजीव के पास आकर बोले, "तुझे उसके साथ मिलाने के लिए वो नकली वसीयत का खेल रचा था मैने पता नही था मेरे झूठ से उस लड़की की जिंदगी खराब हो जायेगी।और पता नही था की वसीयत के लिए तू मेरे साथ उल्टा खेल खेलेगा ।" सम्राट अंकल भी रोते हुए कमरे में गए रोहिणी आंटी उनके पीछे चली गई । राजीव चक्कर खाकर वहीं सोफे पर गिर गया ।

अगले दिन सुबह ,

"सुनिए , कीर्ति अपने कमरे में नही है और उसके कमरे से ये खत मिला है।" रोहिणी आंटी की आवाज में घबराहट थी जीसे सुनकर राजीव उठ कर दौड़कर उनके पास गया और खत पढ़ने लगा ।
खत पढ़ने के बाद उसके हाथों से खत जमीन पर गिर गया।
"क्या लिखा है खत में?"
राजीव कुछ नही बोला उसने अपने सर पर हाथ रखा और वही जमीन पर बैठ गया ।

सम्राट अंकल ने खत उठाकर पढ़ा और वह भी स्तब्ध रह गए।
आंटी ने पूछा क्या लिखा है मुझे भी बताइए प्लीज।
मीशा और जीजू भी बाहर आ गए थे।मीशा धीरे धीरे जीजू के सहारे सम्राट अंकल के पास आई, उस ने वो खत अंकल के हाथ से लेकर पढ़ना शुरू किया। तो उसके पैरो तले भी जमीन खिसक गई। जीजू ने उसे कहा
"मीशा क्या लिखा है जोर से पढ़ो मम्मी भी परेशान हो रही है "

क्या लिखा था खत में मैने ? क्यों इतना परेशान हो रहे थे सभी? जानेंगे अगले भाग में