Mahila Purusho me takraav kyo ? - 95 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 95

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 95

अभय टौंटी खोलकर अपना मुंह हाथ से धोने लगा । बदली भी उसके पीछे ही खड़ी थी , अभय ने कहा बदली ! पानी तो अच्छा है । पानी पीकर वहां से अभय हट गया , अब बदली की बारी थी बदली ने अपने दोनो हाथों से अपना मुंह धोया फिर पानी पिया ।

उधर अभय 50 मीटर दूर, मिट्टी से बने घर की ओर बढ रहा था । अभय को बकरी के मल मूत्र की गंध आरही थी । अभय के कदमो की आहट से बकरी बोलने लग गयी ..
अभय बकरियों के पास पहुंच चुका था । वहां दो बकरी व एक बकरी का बच्चा अभय ने देखा .. तभी अभय की नजर खेत के गेट की तरफ गयी उधर से एक आदमी अपने हाथ में एक लोहे का डिब्बा लिए आरहा था .. संभवतः वह शौच जाकर आरहा था ।
अपने खेत में अजनबियों को देखकर.. उसने राम राम किया ...अभय ने राम राम का उत्तर राम राम से दिया ।
आदमी ने कहा आप लोग सुबह सुबह कहा से आरहे हो ? अभय ने बदली और खुद को का परिचय देकर सारी कहानी संक्षिप्त में कह सुनाई । अभय ने आदमी से पूछा ! यहां से कोई साधन हमे मिल जायेगा क्या ? हमे सीकर जाना है । पास में कोई थाना पड़ता है क्या ? आदमी ने कहा यहा से तो 5 कोस तक कोई थाना नही है । और साधन तो पैदल ही जाना पड़ेगा ..भाग्य से कोई साधन मिल भी सकता है । यहां साधन तब हो न , जब यहा रास्ते अच्छे हो .. यहां तो बीहड़ ही बीहड़ है ।
आदमी ने कहा आप लोग चाय पीयेंगे क्या ? आप उस चारपाई पर बैठो ! मै आपके लिए चाय बनाता हूँ ..लेकिन चाय बकरी के दूध की मिलेगी , आप शहरी हो पता नही आपको पसंद आयेगी या नही । अभय ने कहा ..क्यों नही पसंद आयेगी आप तो बनाइए । बदली के चेहरे पर एक स्मित मुस्कान तैर गयी ।
10 मिनट बाद अभय और बदली के हाथों मे गरमा गर्म चाय का कप था । बदली ने चुस्की ली ..उसे चाय बेस्वाद तो लगी लेकिन चाय पीली । उधर अभय को तो कोई परेशानी नही हुई, क्योंकि उसने तो अपने घर मे भी पहले ऐसी चाय पी थी । उधर बदली ने कहा ..जीजू ! यहां फ्रेस ...अभय को हंसी आगयी, अभय ने कहा फ्रेस तो यहां खुले में ही होना होगा । आदमी ने कहा उधर खेत के कोने मे एक गड्डा है उधर हो आइए । बदली को बड़ा अटपटा लग रहा था । अभय ने कहा अपने देश मे तो सब बाहर ही जाते है शहरो को छोड़कर।
आदमी ने अपने हाथ से इशारा करके कहा उधर एक डिब्बा रखा है उसे लेलो । बदली के सामने कोई विकल्प नही था । वैसे बदली पहले भी कई बार खुले में शौच जा चुकी थी ।
* खुले में शौच जाना महिलाओ की मजबूरी रहा है । गांवो मे महिलाओं का खुले में शौच जाना, किसी के आने की आहट पर बीच में ही खड़ी होजाना , उसके जाने तक खड़े रहना यह सब आम बात रही है । किन्तु इस ओर माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का ध्यान गया और आज गांवो मे भी लोग शौचालयों मे ही शौच जाते हैं *

अभय और बदली अपनी नित्यक्रिया से निवृत्त होकर वहा से रवाना हो जाते हैं ।