Final Dicision - 3 in Hindi Fiction Stories by Pradeep Shrivastava books and stories PDF | फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 3

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 3

भाग -3

ब्रेस्ट में पेन की बात सुनकर गार्गी काफ़ी चिंतित हो उठी। उसने बेटी से काफ़ी विस्तार से एक-एक बात पूछनी शुरू कर दी। बेटी ने भी शुरूआती संकोच के बाद सारी बातें बता दीं। गार्गी ने वीडियो कॉल के ज़रिए भी जितना पाॅसिबल हो सका उसे देखकर समझने की कोशिश की। जो देखा उससे उसकी चिंता ख़त्म हो गई। 

उसने कहा, “बेटा तुम्हारी प्रॉब्लम वो नहीं है, जो तुम समझ रही हो। तुम्हारी प्रॉब्लम तुम्हारी लाइफ़ स्टाइल, फ़ास्ट फ़ूड, अपने शरीर के बारे में कोई भी जानकारी नहीं रखना है। सच में बेटा मैं बहुत शाॅक्ड हूँ कि तुम्हें अपनी बॉडी की बेसिक नॉलेज भी नहीं है। तुम्हारी बातें सुनकर लोग हँसेंगे कि एक डॉक्टर वह भी एक गायनेकोलॉजिस्ट की बेटी को ख़ुद अपने शरीर के बारे में ही कुछ पता नहीं है। उसे यह भी नहीं मालूम है कि कौन से कपड़े उसे पहनने हैं और कौन से नहीं पहनने हैं।” 

“क्या मम्मी, आप भी कैसी बातें करती हैं? मैं इस टॉपिक पर किसी से बात करने जा रही हूँ क्या, जो किसी को कुछ मालूम होगा और वह मुझ पर हँसेगा।” 

“लेकिन मुझे तो फ़ील हो रहा है न, देखो जैसे तुम स्कूटी चलाती हो, अगर उसकी टेक्नॉलोजी के बारे में बेसिक नॉलेज रखोगी, तो तुम समय से समझ सकोगी कि उसमें क्या प्रॉब्लम हो रही है, कब उसे लेकर मैकेनिक के पास जाना है, कब सर्विस करानी है। हमारी बॉडी भी ऐसी ही है। अगर उसको ठीक से समझ लें, तो हम बहुत सी बड़ी प्रॉब्लम से भी बचे रह सकते हैं। इसलिए इसे बहुत अच्छे से जानना बहुत ज़रूरी है। तुम जान लोगी तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम हो रही है, तुम्हें कब डॉक्टर के पास जाना है, इसको तुम टाइम से समझ सकती हो।”

“मम्मी अभी मैं मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर रही हूँ कि एनाटॉमी के बारे में जान जाऊँ। और मेडिकल्स की इतनी मोटी-मोटी बुक्स पढ़ने के लिए मैं बिल्कुल तैयार भी नहीं हूँ।”

“बेटा मैं तुमसे बुक्स पढ़ने के लिए नहीं कह रही हूँ। मैंने पहले भी तुम्हें टाइम-टू-टाइम बहुत सी बातें बताई हैं, लेकिन तुमने किसी पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण बात कुछ है ही नहीं और तुम कुछ और समझ कर मुझसे या किसी भी अन्य डॉक्टर से जाने-समझे बिना ग़लत दवाएँ ले रही हो। यह भी ध्यान नहीं दे रही हो कि इन दवाओं के बहुत साइड इफ़ेक्ट्स होते हैं। तुमने बहुत ग़लत किया है। कोई भी दवा कभी अपने ही मन से नहीं लेनी चाहिए।”

“ओके मम्मी, आगे से नहीं लूँगी।”

“ठीक है बेटा। साथ ही तुम्हें यह भी करना है कि सबसे पहले तुम पैडेड टाइट और अंडर वायर ब्रॉ पहनना तुरंत बंद कर दो। जब तक घर में हो ब्रॉ नहीं पहनो, देखना कल शाम तक तुम्हारा दर्द बिल्कुल ख़त्म हो जाएगा, अगर नहीं होता है तो बताना। इसके अलावा कल ही तुम सही साइज़ की कॉटन ब्रॉ ले आओ, तुम्हें जो साइज़ लेना चाहिए तुम उससे छोटा साइज़ पहन रही हो। 

“यह भी ध्यान रखो कि ब्रॉ तीन या चार महीने के बाद चेंज कर देनी है। नहाते समय तुम्हें निपल्स पर साबुन नहीं लगाना है, तुम्हारे निपल्स से लग रहा है कि तुम वहाँ ज़्यादा साबुन यूज़ कर रही हो। इससे नुक़्सान होता है, क्योंकि उसकी ड्राइनेस बढ़ जाएगी, उससे क्रैक्स भी पड़ सकते हैं। इसलिए पूरे ब्रेस्ट को रेगुलरली मॉइश्चराइज करती रहा करो। डेली छह-सात मिनट मसाज भी करो। ऐसी चीज़ों को ज़रूर खाओ जिनसे विटामिन डी मिल सके। साथ ही थोड़ा समय धूप में भी रहो। 

“देखो मैंने तुम्हें पहले भी बताया है कि ईश्वर ने हमारी बॉडी में एक छोटा सा ऐसा पार्ट भी बनाया है जो हमें हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम के शुरू होते ही इंडिकेट करने लगता है। जैसे तुम्हारी स्कूटी की सर्विस कराने का टाइम क़रीब आता है तो उसकी इंजन की आवाज़ चेंज होने लगती है, ब्रेक्स वग़ैरह ठीक नहीं लगते, यानी हमें इंडिकेशन मिलने लगता है कि हमें गाड़ी की सर्विस करा लेनी चाहिए। 

“इसी तरह हम यदि अपने शरीर के उस छोटे से पार्ट की लैंग्वेज को रीड करना जान जाएँ तो कौन सी प्रॉब्लम है, या आगे हो सकती है, इसका एक क्लियर इंडिकेशन हमें मिल जाएगा और हम उसी के हिसाब से डिसाइड कर सकते हैं कि हमें डॉक्टर के पास जाना है या नहीं जाना है।”

बड़ी देर से सुन रही विदुषी ने बड़ी उत्सुकता से पूछ लिया, “ऐसा कौन सा पार्ट है मम्मी। जो प्रॉब्लम के बारे में इंडिकेट करने लगता है।”

गार्गी चाहती भी यही थी कि वो अपने बारे में ढेर सारे प्रश्न करे, जिससे वो उसे शरीर के बारे में बहुत सी जानकारी दे सके। उसने बहुत प्यार से उसे समझाते हुए कहा, “बेटा वह इम्पॉर्टेंट पार्ट्स हैं हमारे निपल्स।”

“क्या मम्मी, आप भी क्या बोल रही हैं। इतने छोटे से पार्ट में कैसे कोई इंडिकेशन मिल जाएगा।” 

“पहले पूरी बात तो सुन लो बेटा। निपल और उसके बाद जो सर्किल होता है यानी 'अरेओला' यह हमारी बॉडी का वह पार्ट है जो हमें बहुत क्लियरली मैसेज देता है। जैसे सभी के फिंगर प्रिंट्स डिफरेंट होते हैं, उसी तरह सभी के निपल भी डिफरेंट होते हैं। कलर्स, शेप, साइज़ एक जैसे नहीं होते। 

“जैसे किसी का कलर गहरा भूरा होता है, यह कई बार तो इतना डार्क हो जाता है कि ब्लैक लगने लगता है। किसी का हलका भूरा होता है। किसी का तुम्हारी तरह गुलाबी भी होता है। शेप के हिसाब से इनके नाम अलग-अलग होते हैं, जैसे तुम्हारे निपल को इरेक्ट कहते हैं। क्योंकि यह बाहर की ओर निकले हुए हैं। यही यदि अंदर की तरफ़ दबे होते तो इनवर्टेड कहे जाते। 

“इसी तरह प्रोट्रूडिंग, ओपन, सुपरन्यूमेरेरी, हेयरी निपल्स भी होते हैं। जब बॉडी में कोई चेंज होने लगता है या कोई प्रॉब्लम शुरू होती है तो इनका कलर चेंज होने लगता है, कई बार रेसेस पड़ जाते हैं, मिल्की या ब्लड डिस्चार्ज होने लगता है। ब्लड डिस्चार्ज कैंसर होने का संकेत है, ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। 

“इनका कलर पीरियड के समय भी चेंज होता है। जब तुम्हारे पीरियड का टाइम आए तो इस बार ध्यान रखना, निपल्स के कलर को देखना, तुम्हें उसमें चेंज दिखाई देगा। तुम्हारे लिए अभी इतना और जान लेना ज़रूरी है कि ओव्यूलेशन के समय, हार्मोनल डिस्टरबेंस के कारण, एस्ट्रोजन लेवल बढ़ने पर निपल्स टाइट होकर बड़े हो जाते हैं। 

“बेटा तुम्हें अब इन सारी चीज़ों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। तुम अपनी बॉडी के बारे में जितना डीपली जानोगी समझोगी तुम्हारी हेल्थ उतनी ही ज़्यादा अच्छी रहेगी, क्योंकि जानकारी रहेगी तो तुम उसी हिसाब से अपनी हेल्थ की केयर करती रहोगी।”

“मम्मी क्या इतना सब कुछ करना बहुत ज़रूरी है?” 

“बेटा हमेशा हेल्दी बनी रहना चाहती हो तो यह सब करना ही चाहिए।”

“क्या आप यह सब करती रहती हैं?” 

“बेटा तुम भी कैसी छोटी बच्चियों जैसी बातें करती रहती हो, अब बड़ी हो गई हो। यह सब करना कोई बड़ी बात नहीं है। हर लेडी को करना ही चाहिए। इससे हम तमाम बीमारियों से बचे रह सकते हैं। अभी तो इसके बारे में और भी बहुत सी बातें हैं जो तुम्हें जान ही लेनी चाहिए। मैं इससे रिलेटेड लिटरेचर तुम्हें मेल करती रहूँगी। कोर्स की पढ़ाई के बाद जब भी तुम्हें टाइम मिले तो उन्हें पढ़ लेना।”

“लेकिन मम्मी आपने मेरे क्वेश्चन का जवाब नहीं दिया, क्या आप यह सब करती रहती हैं?” 

“हाँ, करती हूँ। अपनी हेल्थ सही रखनी है तो हमें अपनी केयर करनी ही होगी।”

“मम्मी मैंने केवल इसलिए पूछा क्योंकि आप और पापा वहाँ पर अकेले हैं और बहुत बिज़ी भी। आप लोग अपनी केयर के लिए टाइम नहीं निकाल पाते, मुझे कई बार आपको लेकर टेंशन होने लगती है, क्योंकि मुझे यह पता चल चुका है कि दादी जी की डेथ ब्रेस्ट कैंसर से हुई थी और बड़ी वाली मौसी की भी। 

“मतलब की मदर और फ़ादर दोनों ही साइड में यह बीमारी थी। मैंने किसी मैग्ज़ीन में एक बार पढ़ा था कि फ़ैमिली में अगर किसी को होता है तो नेक्स्ट जेनरेशन में होने के चांसेज भी ज़्यादा होते हैं। इसलिए आप भी बहुत ज़्यादा ध्यान रखिए।”

“अरे बेटा तुम तो बहुत कुछ जानने लगी हो, मैं तो समझ रही थी कि तुम्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।”

“मम्मी हेल्थ रिलेटेड लिटरेचर पढ़ती रहती हूँ, आपने जो कुछ मुझे बताया उसके बारे में मैं पहले से जानती हूँ, लेकिन कभी ध्यान नहीं दिया।”

“अरे तो फिर मुझे पहले क्यों नहीं बताया, मैं इतनी देर से तुम्हें यह सोचकर लेक्चर दिए जा रही थी कि तुम इनोसेंट हो, तुम्हें कुछ पता ही नहीं है।”

यह सुनते ही विदुषी खिलखिला कर हँसती हुई बोली, “मम्मी मैं तो यह चेक कर रही थी कि जैसे मेरी फ्रेंड्स की मदर अपनी बेटियों से ऐसी बातें करने में संकोच करती हैं, क्या आप भी उसी तरह से हैं।”

“अच्छा, तो तुम मेरा टेस्ट ले रही थी, नटखट बताओ मैं तुम्हारे टेस्ट में पास हुई कि नहीं।”

विदुषी बच्चों की तरह खिलखिलाती हुई बोली, “आप हंड्रेड पर्सेंट मार्क्स के साथ पास हुई हैं।”

“चलो ठीक है बेटा। अपनी लाइफ़-स्टाइल को थोड़ा सही कर लो, अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दो और नानी का ख़ूब ध्यान रखो, वह तुम को लेकर बहुत चिंतित रहती हैं।”

“ठीक है मम्मी, आप भी अपना ध्यान रखिएगा। गुड नाइट मम्मी।”

“गुड नाइट बेटा।”