शर्मा जी : नही बेटा .... मैं नहीं चाहता हूं कोई मजबूरी में खुद को पा कर शादी का फैसला ले ।
कल हॉस्टल चली जायेगी ।
तब तक आरोही अगस्त्य के लिए स्पेशल चाय लेकर आ जाती है ।।।
अगस्त्य अपने फोन के तरफ देख रहा था ....
आरोही : अब मेरे हाथ की चाय पीने के बाद , तुम क्या तुम्हारा भूत भी मुझसे शादी करने के बारे में सोचने से डरेगा मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली ।
अगस्त्य आरोही की आहट को महसूस कर चुका था कि वो चाय लेकर आ गई है .....
लेकिन पता नहीं क्यों अपनी पलकें उठा कर उसकी ओर देखने का हिम्मत जुटा नही पा रहा था।
ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था । वो खुद भी समझ नहीं पा रहा था आखिर मैं आरोही को देखने की हिम्मत जुटा क्यों नहीं पा रहा है ? शर्मा जी से आरोही की तारीफ कई बार सुन चुका था , इसीलिए उसे देखने की चाहत दिल में उमड़ रही थी।
आरोही अगस्त्य के पास आई और थोड़ा सा झुक कर चाय से भरा कप अगस्त्य की ओर बढ़ाते हुए " जी लिजिए आपकी चाय ... हल्की जबरदस्ती मुस्कान के साथ मुस्कुराती हुई बोली ।
तो अगस्त्य न चाहते हुए भी उसे हिम्मत कर के आरोही के तरफ देखा तो उसकी नजरे आरोही पर ठहर गई ।
आरोही : चाय का ट्रे लिए हुए " देख तो ऐसे रहा है जैसे आज तक किसी लड़की को देखा ही नहीं है । बेटा चाय पी लो पहले फिर अंदाजा मिल जायेगा मैं कोई शरीफ लड़की नही हूं खुद से बड़बड़ाई। "
" भोले बाबा की कसम तुम तो सपने में भी शादी के नाम से डरोगे अगर अपना फैसला नही बदला चाय पीने के बाद। "
शर्मा जी : बेटा अगस्त्य चाय का कप तो उठाओ ट्रे से .... तो अगस्त्य होश में आया ।
अगस्त्य : चाय का कप उठाते हुए , आरोही से नजरे चुरा लिया ।।।
आरोही : कुछ दूर जाकर खड़ी हो जाती है । ये तो शर्माता भी है अपना मुंह बनाते हुए बोली ।
अगस्त्य पहला लड़का नही था जो आरोही को देखकर उसकी खूबसूरती में खो जाए ।
ऐसा होना लाजमी भी था इतनी खूबसूरत हमारी आरोही थी भी तो ......
रंग गेहुंआ .... बड़ी बड़ी भूरी चमक वाली आंखें और उनमें हल्की सी काजल , कंधे से नीचे आ रहे काले घने बाल जो इस वक्त खुले पड़े थे ।
गुलाब की पंखुड़ियों की भांति उसकी गुलाबी होंठ .... गोलाई शेप वाली चेहरे को आकर्षक लुक दे रहा था ।
दिखने में तो मासूम थी लेकिन कोई उसके सामने गलत व्यक्ति का साथ दे या कोई गलत काम करें उसका विरोध करने में बिल्कुल भी चुप रहने वाले में से नही थी ।
गलत चीजों का साथ भी क्यों दे ? उसका सपना भी था सिविल सर्विस में जाना ।बिहार लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग exam की तैयारी gradution के बाद करना ।
अभी मुंगेर के ही एक यूनिवर्सिटी से आरोही हिस्ट्री ऑनर्स से स्नातक कर रही है जो वर्तमान में 3rd year में पढ़ रही है ।
कॉलेज का सेशन कुछ ही दिनों में समाप्त होने वाला था ।
उसके बाद फाइनल exam आने वाला था ।
आरोही शादी करने से पहले वो अपने पैर पर खड़ा होना चाहती थी इसलिए वो शादी के नाम से ही चिढ़ जाती थी ।
अभी उसकी उम्र भी तो नहीं हुई थी जो पापा के कहने पर शादी के बंधन में बंध जाए । लेकिन अगले महीने में उसका जन्म दिन आने वाला था उस दिन वो 20 वर्ष की होने वाली थी ।
लेकिन शर्मा जी की भी मजबूरी थी , उनका कैंसर फोर्थ स्टेज में पहुंच चुका था । उनके जाने के बाद आरोही का ख्याल कौन रखेगा यह सोच कर उनकी आंखे भर जाती थी । मरने से पहले वो किसी अच्छे लड़के से जो सरकारी नौकरी में कार्यरत हो करवा देना चाहते थे ताकि अपनी जिंदगी खुशी से गुजार सके ।
लेकिन आरोही इस बात से अंजान थी आखिर उसके पापा जो कल तक मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्शाहित करते थे आज अचानक मेरी शादी की बात क्यों कर रहे हैं ???
आरोही लोगों की मदद और अपने पापा के द्वारा दिखाए सपने को पूरा करना चाहती थी ।
लेकिन शर्मा जी और आरोही दोनो में से किसी को नहीं पता था जिंदगी ऐसे मंजर भी दिखाएगी ।
______________________________________________
अगस्त्य चाय लिए सोच रहा था ... चाय इतनी गर्म है कैसे पिएं ? मुझे तो गर्म चाय पीने की आदत भी नहीं है ।
ऑफिस में काम के दौरान अक्सर चाय टेबल पर रखी रखी गर्म से ठंडी ही हो जाती है ।
अगर आरोही के सामने गर्म चाय नही पिया तो क्या सोचेगी ??
तब तक शर्मा जी टोक ही देते हैं " क्या हुआ बेटा तुम चाय क्यों नहीं पी रहे हो ?
अगस्त्य : जी .. जी .. जी वो .. वो अंकल बस पी ही रहा हूं ... ।
आरोही : कही चाय ज्यादा गर्म तो नहीं है तंज कसते हुए बोली ।
अगस्त्य : बिना आरोही के तरफ देखे ... जी नहीं ! ज्यादा
गर्म नही है । कहते है कप को अपने होठों के बीच दबा लिया .... ।।
आरोही दूर खड़ी मन ही मन मुस्कुरा रही थी ।।।
अगस्त्य : चाय का एक घूंट पीते ही जोर जोर से खांसने लगता है ," मौका का फायदा उठाकर क्या हुआ चाय अच्छी नहीं है या चीनी की जगह कुछ और मिला है अपनी हंसी को दबाते हुए आरोही बोली । "
Continue.......