Heer... - 4 in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | हीर... - 4

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हीर... - 4

चारू के पापा अजय जानते थे कि राजीव तकलीफ़ में हो और चारू उसका साथ देने ना जाये ऐसा तो किसी कीमत पर नहीं होने वाला था लेकिन वो ये बात भी बहुत अच्छे से जानते थे कि चारू अगर ट्रेन से चाहे टैक्सी से.. तुरंत भी दिल्ली के लिये निकलेगी तब भी उसे दिल्ली पंहुचते पंहुचते रात हो जायेगी और रात में दिल्ली का माहौल कैसा हो जाता है ये बात किसी से छुपी नहीं थी, ऐसे में जवान लड़की को अकेले दिल्ली भेजने का निर्णय लेना अजय तो क्या किसी भी लड़की के पिता के लिये बिल्कुल भी आसान नहीं था... इसलिये चारू को समझाते हुये उन्होंने कहा- चारू बेटा जल्दबाजी में हमें कभी कोई डिसिजन नहीं लेना चाहिये, हमें शाम तक राजीव के कॉल का वेट करना चाहिये उसके बाद ही आगे की प्लानिंग करनी चाहिये...

अजय की बात सुनकर चारू ने अपना सिर नीचे झुका लिया और असहाय सी होकर सुबकने लगी, उसे ऐसे असहाय सा हुआ देखकर पास ही बैठी उसकी छोटी बहन अर्चिता जो उससे करीब चार साल छोटी थी.. वो अजय से बोली- पापा.. दीदी सही कह रही हैं इन्हें राजीव भइया से मिलने जाने दीजिये... आप भी साथ चले जाइये ना!!

अर्चिता की बात सुनकर इससे पहले कि अजय कुछ बोल पाते... चारू तपाक से बोली- हां पापा.. आर्ची सही कह रही है, आप भी मेरे साथ चलिये... पापा मैंने मॉम और पापा जी से वादा किया है कि राजीव देर शाम में उन्हें कॉल ज़रूर करेगा लेकिन उसने कॉल ना करी तो... भगवान ना करे उसके साथ कुछ......

अपनी बात कहते कहते चारू रोने लगी, उसकी हिम्मत बढ़ाते हुये उसके बगल में बैठीं उसकी मम्मी ममता ने उसकी पीठ सहलाते हुये कहा- चारू बेटा इतनी जल्दी ये सब नहीं सोचना चाहिये..

चारू को समझाने के बाद उन्होंने अजय से कहा- सुनिये जी.. चारू की चिंता जायज है और सच बोलूं तो मुझे भी घबराहट हो रही है, मैं जानती हूं कि राजीव बहुत अच्छा और सुलझा हुआ लड़का है.. भगवान उसके साथ कुछ गलत नहीं होने देंगे लेकिन फिर भी चारू को उसके पास जाने दीजिये...

पहले आर्ची फिर चारू और अब ममता... इन तीनों के दबाव बनाकर एक ही बात कहने के बाद अजय कुछ बोले तो नहीं और दिल्ली जाने के लिये मान भी गये लेकिन उनके एक्सप्रेशन्स से साफ़ लगने लगा था जैसे उन्हें ये बात कुछ कुछ समझ आने लगी हो कि राजीव के सिर्फ फोन रिसीव ना करने से चारू इतना जादा परेशान क्यों हो रही है!!

इस पूरी बातचीत के बाद ये तय हुआ कि अजय और चारू जान पहचान के ही एक ट्रैवल्स जायसवाल ट्रैवल्स की टैक्सी से दिल्ली जायेंगे और दिल्ली में राजीव से मिलकर देर रात मेरठ में रहने वाले चारू के मामा के घर में रुककर अगले दिन कानपुर वापस आ जायेंगे....

जहां एक तरफ़ राजीव की चिंता करते हुये चारू हद से जादा परेशान हो रही थी और अपने पापा अजय के साथ दिल्ली के लिये निकलने की तैयारी कर रही थी वहीं दूसरी तरफ़ भुवनेश्वर में रियो रेस्टोरेंट में अंकिता के साथ बैठे अजीत ने उससे बातचीत करते हुये अपनी बात घुमाते हुये कहा- अम्म् अंकिता... हम पिछले दो सालों से अच्छे दोस्त हैं और इन दो सालों में शायद ही ऐसा कोई दिन रहा हो जब हम एक दूसरे से मिले ना हों... या एक दूसरे के साथ वक्त ना बिताया हो!!

अजीत की बात सुनकर अंकिता ने कहा- हां यार.. पहली बार ऐसा हुआ कि हम दोनों इतने दिनों तक एक दूसरे से नहीं मिले, हैना?

अजीत ने कहा- हां और इन्हीं पंद्रह दिनों में मुझे ये एहसास हुआ कि तुमसे मिले बिना, तुम्हें देखे बिना और तुमसे बातें किये बिना.. मेरी जिंदगी कितनी अधूरी अधूरी सी है!!

अजीत की बात सुनकर अंकिता ने मुस्कुराते हुये अपना सिर हल्का सा नीचे झुका लिया और फिर ब्लश करते हुये बोली- अम्म्.. सच बोलें तो इन दिनों हमने भी तुम्हें बहुत मिस किया और जब तुमने हमें बताया था कि तुम जॉब स्विच कर रहे हो तब हमें अच्छा नहीं लगा था... इसलिये नहीं कि तुम प्रमोट हो रहे हो और तुम्हें हमसे जादा अच्छी डेजिग्नेशन मिल रही है बल्कि इसलिये... कि हमें तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करने की आदत सी हो गयी थी, तुम्हारे साथ ही चाय पीना और तुम्हारे साथ ही लंच करना.. अब ये सब कहां हो पायेगा, बस यही सोचकर लेकिन तुम प्रमोट होकर नयी जॉब में जा रहे हो इस बात को लेकर हम तुम्हारे फ्यूचर के लिये बहुत खुश भी हैं!!

अंकिता की बात सुनने के बाद अजीत ने टेबल पर रखे उसके हाथ पर प्यार से अपना हाथ रखते हुये कहा- अंकिता आई ट्रूली लव यू और मैं तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहता हूं!! विल यू बी माई वैलेंटाइन फॉर द रेस्ट ऑफ माय लाइफ़?

अजीत के इस प्रपोजल को सुनकर अंकिता शर्मा गयी और काफ़ी देर तक अपने हाथ पर रखे उसके हाथ को देखती रह गयी फिर... थोड़ी देर बाद हल्की सी सुबकी लेते हुये अजीत से बोली- अजीत.. हमें भी तुम बहुत अच्छे लगते हो, शायद हम भी तुमसे प्यार करने लगे हैं लेकिन.....

अपनी बात कहते कहते अंकित चुप हो गयी और आंखों में आंसू लिये हुये उसने अपना सिर झुका लिया, उसे ऐसा करते देख अजीत ने बहुत प्यार से उससे कहा- क्या लेकिन अंकिता?

अजीत के सवाल का जवाब देते हुये अंकिता ने अपनी एक उंगली से अपनी आंखों में आये आंसू पोंछते हुये उससे कहा- लेकिन ये अजीत कि... हमारा एक पास्ट है जिसकी काली छाया हम तुम पर नहीं पड़ने दे सकते इसलिये शायद हम इस रिश्ते में आगे ना बढ़ पायें!!

अंकिता के मुंह से ये बात सुनकर अजीत थोड़ा सरप्राइज़ रह गया और फिर उसने कहा- पिछले दो सालों से हम साथ में हैं अंकिता लेकिन तुमने इससे पहले इस बारे में कभी बात नहीं करी और ऐसा क्या पास्ट है तुम्हारा जिसकी काली छाया हमारे रिश्ते पर पड़ सकती है?

अजीत के सवाल को सुनकर अंकिता ने अपने बैग से अपना फोन निकाला और राजीव की मिसकॉल लिस्ट खोलकर अजीत को दिखाते हुये बोली- ये है हमारा पास्ट... कानपुर का रहने वाला राजीव सक्सेना, एक नंबर का गुंडा, लड़की बाज़.. बेशर्म, बत्तमीज इंसान राजीव सक्सेना!!

जहां एक तरफ़ अंकिता... अजीत से राजीव के बारे में इतनी अच्छी अच्छी बातें कर रही थी वहीं दूसरी तरफ़ अपने फ्लैट में नशे की हालत में जमीन पर पड़े राजीव को हल्का हल्का होश आने लगा था लेकिन वो अपने सेंस में बिल्कुल भी नहीं था...

हल्का हल्का होश में आ रहा राजीव जमीन पर ही पड़े पड़े धीरे-धीरे अपने हाथ पैर हिलाते हुये बदहवास से लहजे में बोला - मुझे फिर तबाह कर, मुझे फिर रुला जा.. सितम करने वाले कहीं से तो आजा!!

क्रमशः