The Six Sense - 27 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 27

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

द सिक्स्थ सेंस... - 27

सुहासी को रोते देख राजवीर को इतना बुरा फील हुआ कि भावनाओं में बहकर उसने सुहासी से अपने प्यार का इजहार कर दिया लेकिन ये क्या... राजवीर के आई लव यू बोलते ही सुहासी ने एकदम सीरियस फेस बनाकर अपना झुका हुआ सिर ऊपर उठाया और बहुत सीरियस सी हुयी उससे बोली- मैं रो नहीं रही, मैं तो बस तुम्हारे मुंह से वो बात निकलवाना चाहती थी जो तुमने डायरी में लिखी थी!!

अचानक से सुहासी की तरफ से आया ऐसा रूखा रूखा रियेक्शन देखकर राजवीर सकते में आ गया और सकपकाया हुआ सा जैसे ही वो बोला "अरे पर सुहासी!!" वैसे ही सुहासी उसे बीच में ही टोकते हुये बोली - लंच ब्रेक ओवर हो चुका है राजवीर, वो देखो मैम क्लास की तरफ जा रही हैं!!

इसके बाद अपनी बात कहकर सुहासी अपनी जगह से उठी और वैसा ही सीरियस चेहरा लिये हुये वहां से चुपचाप क्लास की तरफ चली गयी..!!

आज का दिन - - - - - -

"हां हां मुझे याद आया... उस दिन तो तुमने मुझे बहुत डरा दिया था सुहासी पता है मेरी जान हलक में अटक गयी थी तुम्हारा ऐसा रियेक्शन देखकर, मुझे लग रहा था कि मैंने गलती कर दी तुमसे आई लव यू बोलकर!!" सुहासी के मुंह से अपने पास्ट की बातें सुन रहे राजवीर ने उसे बीच में ही टोकते हुये ये बात बोली, ऐसा लग रहा था कि सुहासी राजवीर को सब याद दिलाने के जिस उद्देश्य से इतने तूफान में भी उसके पास आयी थी उसका वो उद्देश्य पूरा हो रहा था, राजवीर को धीरे धीरे करके सब याद आ रहा था!!

राजवीर की अचानक से कही गयी इस बात को सुनकर सुहासी हंसते हुये बोली- हां जानती हूं पर क्या करती तुमने भी तो मेरे साथ मजाक करके मुझे डराया था इसलिये मैंने सोचा थोड़ा मजाक मैं भी कर लूं!!

6 साल पहले---

अपनी बात कहकर सुहासी क्लास में चली गयी और राजवीर भी अपना उदास चेहरा लिये मन में मलाल सा लेकर ठिठके हुये कदमों से उसके पीछे पीछे क्लास में चला गया, सुहासी के रियेक्शन्स सिर्फ एक मजाक थे लेकिन ये बात सिर्फ सुहासी जानती थी राजवीर को यही लग रहा था कि सुहासी नाराज हो गयी है और इसीलिये क्लास के दौरान राजवीर का मन उसे ये सोच सोचकर परेशान कर रहा था कि "क्या जरूरत थी प्यार का इजहार करने की, थोड़ा और इंतजार करना चाहिये था, अभी दिन ही कितने हुये हैं सुहासी से मिले, क्या उसे ये नही लगेगा कि लड़का डेस्परेट है!!" वहीं दूसरी तरफ जिंदगी में पहली बार किसी के मन में अपने लिये प्यार महसूस करके सुहासी को अपने शरीर में एक अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी, उसे शर्म सी आ रही थी, उसके मन की बेचैनी ने एक बार फिर उसके गोरे चेहरे को शर्म से गुलाबी कर दिया था लेकिन राजवीर को उसका शर्म से गुलाबी हुआ चेहरा देखकर ये लगा कि सुहासी उसकी बात की वजह से गुस्से में है और ये सोचकर वो और जादा परेशान हो गया!!

इन्हीं सब बातों के बीच आज की सारी क्लासेज़ खत्म हो गयी थीं , क्लास खत्म होने के बाद सुहासी ने चुपचाप अपना बैग उठाया और राजवीर से बिना कुछ बोले वहां से जाने लगी, उसे ऐसे चुपचाप वहां से जाता देख पहले से ही गिल्ट फील कर रहा राजवीर मन ही मन ये सोचकर कि "मैंने गलती कर दी यार शायद अब सुहासी मुझसे कभी बात ना करे!!" और जादा उदास हो गया था, वो ये बात सोच ही रहा था कि तभी दरवाजे पर पंहुचकर सुहासी ने कहा- राजवीर चलना नहीं है क्या?

सुहासी ने राजवीर को तंग करने के मकसद से फिर से ये बात बड़े सीरियस तरीके से कही थी जिसे सुनकर राजवीर को फिर से यही महसूस हुआ कि "यार सच में मुझसे गलती हो गयी, सुहासी नाराज है कल तक इसका गुस्सा थोड़ा ठंडा हो जायेगा तब मैं इसे समझाकर सॉरी बोल दूंगा!!" और ये बात सोचकर राजवीर उदास सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लेकर अपनी जगह से उठा और चुपचाप सुहासी के साथ क्लास के बाहर आकर हॉस्टल की तरफ जाने लगा|

हॉस्टल के रास्ते में भी जहां एक तरफ राजवीर सुहासी को नाराज समझकर चुप था वहीं दूसरी तरफ सुहासी चुप होकर मन ही मन जैसे हंस रही थी और सोच रही थी कि "मेरे साथ इतना सीरियस मजाक करके मजा आया ना, देखो कैसे मुंह लटक गया राजवीर का..!!"

वो दोनों चुपचाप चलते चलते आखिरकार उस मोड़ पर पंहुच गये जहां से दोनों के हॉस्टल का रास्ता अलग होना था, उस जगह पर पंहुचकर सुहासी राजवीर से फिर से उसी सीरियस तरीके से बोली- ठीक है राजवीर तो मैं चलती हूं!!

सुहासी नाराज है ये सोच रहा राजवीर बेचारा हल्का सा मुस्कुराया और धीरे से सिर हिला कर बस "हम्म्.. ओके!!" ही बोल पाया, इसके बाद सुहासी अपने हॉस्टल की तरफ जाने लगी, राजवीर अभी भी इतने गिल्ट में था कि वो उसकी तरफ देख ही नहीं पा रहा था और सुहासी अपने हॉस्टल की तरफ बढ़ते हुये मुस्कुरा रही थी और सोच रही थी कि "यार शायद मैं ओवर कर रही हूं!!" ये सोचते हुये सुहासी ने किसी को अपने मोबाइल से फोन किया और उससे बात करते हुये अपने हॉस्टल चली गयी और राजवीर बेचारा उदास सा हुआ अपने हॉस्टल!!

क्रमशः