The Six Sense - 26 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 26

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द सिक्स्थ सेंस... - 26

राजवीर की गहराइयों से भरी बातों को सुनकर अपने दिल में उसके लिये और जादा प्यार महसूस कर रही सुहासी थोड़ा शरारती अंदाज में उससे बोली- हम्म्.. अच्छा जी तो मतलब है कि तुम्हे कोई इंसान अच्छा लगता है तो तुम उसे अपने हिसाब से portray करके अपनी डायरी में लिख लेते हो और उससे बातें भी करते हो, हैना..!!

राजवीर बोला- ह.. हां मुझे अच्छा लगता है!!

सुहासी राजवीर को देखकर उसी शरारती अंदाज में बोली- इसका मतलब तुम मुझसे भी अपने दिल में खूब सारी बातें करते होगे!!

अपनी बात कहते कहते सुहासी ने बड़े नॉटी और बचपने से भरे प्यारे से तरीके से राजवीर की तरफ देखते हुये अपनी एक आंख मिचकायी और अपनी जीभ मुंह के साइड से बाहर निकालकर मुस्कुराने लगी|

चूंकि राजवीर को ये बात पता नहीं थी कि सुहासी उसकी डायरी पढ़ चुकी है इसलिये वो उससे उसकी बात से अनजान से हुये लहजे में बोला- मतलब...!! मैं समझा नहीं!!

सुहासी बोली- मतलब ये कि जैसे अपनी डायरी में लिखे किरदारों से जिस तरह से तुम अपने दिल के जरिये बात करते हो वैसे ही मुझसे भी करते होगे ना!!

सुहासी की ये बात सुनकर राजवीर के दिमाग में कुछ तो खटका लेकिन फिर भी वो अनजान सा हुआ बोला- पर तुम तो मेरे सामने हो फिर मैं तुमसे अपने दिल के जरिये बात क्यों करूंगा?

सुहासी बोली- वही तो मैं पूछना चाहती हूं कि जब मैं तुम्हारे सामने हूं तो फिर तुम अपनी डायरी के जरिये मुझसे अपने दिल की बात क्यो करते हो... सामने क्यों नहीं हम्म्!! कल मैंने तुम्हारी डायरी पढ़ ली थी!!

सुहासी की बातों से राजवीर को हल्का हल्का एहसास तो हो गया था कि हो ना हो सुहासी ने डायरी पढ़ ली है लेकिन फिर भी वो उसके मुंह से ये बात सुनकर मुस्कुराते हुये थोड़ा सीरियस हुआ और सीरियस तरीके से ही सुहासी से बोला- वैसे किसी की डायरी उसका पर्सनल सब्जेक्ट होता है, तुम्हे डायरी नहीं पढ़नी चाहिये थी!!

हमेशा हंस कर प्यार भरे लहजे में बात करने वाले राजवीर के मुंह से इस सीरियस तरीके से की गयी बात को सुनकर सुहासी को महसूस हुआ कि शायद राजवीर को बुरा लग गया है और लड़कियां तो वैसे ही तुरंत इमोशनल हो जाती हैं बस वैसे ही राजवीर की बात सुनकर सुहासी भी इमोशनल हो गयी और खिसियायी हुयी सी उससे बोली- आ.. आई एम सॉरी राजवीर, मैं जानती हूं मुझे तुम्हारी डायरी नहीं पढ़नी चाहिये थी पर मैंने ऐसे ही कैजुयली डायरी खोल कर देख ली थी, आई एम सॉरी!!

अपनी बात कहते कहते सुहासी की आंखो में आंसू आ गये, उसके आंसू देखकर राजवीर हल्का सा मुस्कुराते हुये बोला- अरे तो तुम रो क्यों रही हो, मैं मजाक कर रहा था, उस डायरी में ऐसा कुछ है ही नहीं कि उसे पढा ना जा सके, प्लीज तुम रो मत!

राजवीर की बात सुनकर सुहासी नीचे की तरफ देखकर सुबकने लगी और उसकी एक आंख से आंसू टपक कर नीचे गिर गया, उसे ऐसे रोते देख राजवीर को जैसे बहुत अफसोस होने लगा था इसलिये वो उसे रोते देख उसके सामने अपने घुटनों के बल जमीन पर बैठ गया और सकपकाता हुआ सा बोला- सुहासी नहीं यार मैं सच में मजाक कर रहा था, अच्छा तुमने पढ़ा था ना डायरी में कि मैंने लिखा है कि तुम्हारी स्माइल मुझे बहुत अच्छी लगती है फिर मैं तुम्हारे आंसू कैसे देख सकता हूं, प्लीज सुहासी ऐसे मत करो यार मैं तुम्हारी हंसी की, तुम्हारी खुशियों की वजह बनना चाहता हूं ना कि तुम्हारे आंसुओं की, सुहासी यार मैं बहुत सेंसिटिव हूं मैं तुम्हारे इन आंसुओ का वजन सह नहीं पाउंगा, सुहासी प्लीज मत रो प्लीज!!

राजवीर सुहासी के लिये अपनी डायरी में लिखी सारी बातें धीरे धीरे करके उसके सामने बोले जा रहा था और सुहासी थी कि जैसे उसकी कोई बात सुन ही नहीं रही थी वो बस रोये जा रही थी!!

उसे लगातार सिर झुकाकर रोते देख राजवीर अपने कान पकड़कर बोला- अच्छा सॉरी, देखो मैंने कान भी पकड़ लिये अब मैं कभी इतना सीरियस मजाक नहीं करूंगा, सॉरी.. सॉरी!!

सुहासी से सॉरी बोलते हुये राजवीर ने अपने दोनों हाथों से उसकी हथेलियों को पकड़ लिया और जैसे ही उसने सुहासी की हथेलियों को पकड़ा वैसे ही ऐसा लगा कि वो लोग जो अपने अपने दिलों में एक दूसरे के लिये एक अजीब सा कनेक्शन महसूस करते थे वो कनेक्शन राजवीर के सुहासी का हाथ पकड़ने से जुड़ गया था, दोनों के दिलों का वो तार जैसे आपस में जुड़ गया था जो तार उन दोनों को एक दूसरे के बारे में सोचने के लिये मजबूर कर रहा था और उस जुड़े हुये तार के जरिये ऐसा लग रहा था मानो जो प्यार उन दोनों ने अपने अपने दिलों में एक दूसरे के लिये दबा रखा था वो प्यार उस तार के जरिये दोनों के दिलों में ट्रांसफर हो गया था!!

सुहासी की प्यारी प्यारी, छोटी और सॉफ्ट सी हथेलियां अपने हाथों में लेने के बाद राजवीर के दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थीं, उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी थीं और वो बुरी तरह से नर्वस हो रहा था, वो नर्वसनेस की वजह से अपना उतरा हुआ चेहरा लेकर थोड़ा नीचे झुका और ऐसे जैसे सुहासी के दिल से निकल रही लव वाइब्स उसे मजबूर कर रही हो कुछ कहने के लिये वैसे मजबूर सा हुआ सुहासी से बोला- स.. सुहासी मत रो यार, मैं तुम्हे रोते हुये सच में नही देख सकता, आा...आााई ल. ल.. ल..
लव यू, अआााई ललललव यू सो मच!!

क्रमशः