Hotel Haunted - 59 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 59

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 59

कपड़ों में गाँठ बाँधते हुए मुझे लगभग 2 घंटे लग गए थे और अब बारी थी ये देखने की इसकी लम्बाई उतनी हुई है जितनी मुझे चाहिए थी? मेंने एक छोर से कपड़े को सीड़ियों की बाउंड्री से बाँध दिया और दूसरे छोर को लेकर कॉरिडोर की तरफ बढ़ने लगा और बढ़ते हुए दिमाग में फिर वही बातें घूमने लगी जो मैने वहां से निकलने के पहले की थी।

"याद रखना लड़के उसके पास शैतानी ताक़त जरूर है पर उसकी भी कुछ सीमाएं है,उसने उस निर्दोष लड़की के शरीर पर कब्ज़ा तो कर लिया पर उस लड़की को भी इस मूर्ति के प्रति कुछ आस्था थी जिससे उसकी भक्ति केबल स्वरूप उस रूह को कुछ सीमाओं मैं बांध दिया है,जिससे उसकी ताक़त कम हो गई है।"
उनकी बात सुनकर मैने सोचते हुए पूछा,"अगर ऐसा है तो आंशिका के शरीर पर कब्ज़ा करने के बाद उसको भी इस बात का पता चल गया होगा फिर भी उसने आंशिका को आज़ाद क्यों नहीं किया?"
"क्योंकि उसे जो करना है उसके लिए उसे आने वाले वक्त में एक शरीर की जरूरत पड़ेगी और उस लड़की से अच्छा शरीर उससे कही नहीं मिल सकता,अभी कुछ वजह है जिसकी वजह से उसने उस लड़की के शरीर को चुना पर वो हर वक्त ताकतवर नहीं रहती उसकी ताक़त घड़ी और प्रहर के बीच मैं बदलती रहती है।"
इन सब बातो से बाहर निकलकर श्रेयस अपने हाथ पे चाकू रख के मैं हथेली को काटने ही वाला था कि ट्रिश ने उसका हाथ पकड़ लिया, उसने अपनी नज़रें उठा के ट्रिश तरफ देखा "तेरा already बहुत खून बह चुका है, ला मुझे दे....." उसने अपना हाथ बढ़ाया चाकू लेने के लिए लेकिन मैंने अपनी नज़रें उससे हटाई और घुटनों के बल बैठ गया, "it's okay, मैं कर लूँगा...." मैंने चाकू को हथेली पे रखा था कि उसने मेरा हाथ फिर पकड़ लिया,"ट्रिश हाथ छोड़ मैं ओर वक्त बर्बाद नहीं कर सकता।"


मेरे कहने के बाद भी उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा, "मैंने कहा मेरा हाथ छोड़ तृष्टि" इस बार मैंने उसकी तरफ देखते हुए जवाब दिया।
"इतना गुस्सा हो गया मुझसे?" उसने बेहद सहज और सरलता से जवाब दिया।
"नहीं, मैं गुस्सा नहीं हूँ" मैंने थोड़ा शांत होकर कहा।
"क्यों झूठ बोल रहा है,जब भी तू गुस्सा होता है तब तू मेरा पूरा नाम लेता है।" उसका कहना बिल्कुल सही था इसलिए मैं कुछ नहीं बोला।
"सॉरी ट्रिश पर यहां मैं तुम्हारा खून नहीं रख सकता क्योंकि जिसका भी खून यहां पर गिरा होगा वो सबसे पहले उसे मारने के लिए आएगी,ये ताजा खून की महक से वो आकर्षित होती है।" मेरी बात सुनकर उसने मेरे हाथों को पकड़ते हुए कहा,"श्रेयस मुझे तुझ पर इतना ही भरोसा है जितना तुझे तेरे प्यार पे, मुझे तेरे लिए किसी भी फैसले पर कोई डाउट नहीं है, मुझे किसी की फिक्र है तो वो सिर्फ तू है मुझे डर है कि तुझे कुछ ना हो जाए।"इतना कहकर उसने मुझे अपने गले से लगा लिया।


"ahhemm...तुम दोनों का हो गया हो तो मैं कुछ कहूं।" तभी कानों में मिलन की आवाज़ पड़ी,जिससे सुनकर ट्रिश मुझसे अलग हो गई और हकलाते हुए बोलने लगी ,"वो....क्या...हम तो कुछ नहीं....बस ऐसे ही...." हम तीनों ट्रिश की हालत देखकर हंसने लगे जिसकी वजह से वो मुझे गुस्से के साथ घूरने लगी।
कुछ देर बाद शांत होकर मैने मिलन से पूछा,"काम हो गया क्या?" जवाब में उसने मेरी तरफ वो खून से भरी बॉटल बढ़ा दी।
"कैसे किया?" मैंने उसकी ओर देखते हुए पूछा।
"बस हो गया.....ये ले...." मैने वो खून से भरी बॉटल हाथ में पकड़ी और कुछ पल सोच में चला गया कि आज मैंने एक अच्छे इंसान के हाथो से किसी निर्दोष जानवर का खून बहाया है जिसका मुझे अंदर ही अंदर एक गिल्ट पैदा हो गया।
"सॉरी दोस्त....आज मैंने अपने लिए तेरे हाथ किसी के खून से रंग दिए।" मैंने बेहद धीमी आवाज़ में मिलन की तरफ देखते हुए कहा।
"तुझे किसने कहा मैंने किसी का खून किया है?" मिलन की बात सुनते ही मैं सोच मैं पड़ गया,"तो फिर ये कैसे!!??"
"तेरे आइडिया के मुताबिक हमें किसी का खून चाहिए था और फिर हम दोनों यही सोचने लगे कि हमने हाँ तो कर दी लेकिन रिज़ॉर्ट के अंदर खून लाएंगे कहाँ से,पर फिर घंटों की मेहनत के बाद हमें मरी हुई बिल्ली पड़ी मिली, जिसका सर नहीं था और उसकी गरदन से खून निकल रहा था, मानो अभी अभी ही मरी हो, बस फिर क्या था मैंने बिल्ली उठाई और उसका खून बॉटल में भर दिया, लेकिन अगर प्रिया मेरे साथ न होती तो ये काम में नहीं कर पाता, मुझे तो इतना खून देखकर ही चक्कर आ गये थे, वो तो प्रिया ने कब वो बिल्ली उठाकर बॉटल खून से भर दी पता ही नहीं चला" मिलन ने एक सांस में अपनी बात खत्म कर दी।


"लगता है आंशिका ने ही...." उसकी बात सुन के मैं इतना ही कह पाया,"Thank you very much both of you.... जाओ तुम दोनों पहले जाकर अपने हाथ धो लो" मैंने उनके खून से भरे हाथ को देखते हुए कहा फिर मिलन और प्रिया दोनों चले गए, मैंने घड़ी में टाइम देखा तो पता चला कि हम वक्त से काफी पीछे हैं।
"ट्रिश तू रस्सी और हूक को ले आई?" मेरी बात सुनते ही ट्रिश ने हां में गर्दन हिलाई।
मैने उस बॉटल में से खून निकालकर उस लंबे कपड़े पर बांधना शुरू किया,कपड़े के आगे के सिरे से लेकर पीछे तक पूरा कपड़ा खून से सन गया बाकी का खून वही Floor पर डाल दिया और अपनी हथेली पर चाकू रखकर बीच में से काट लिया जिसकी वजह से मेरा खून निकलते हुए फर्श पर गिरने लगा, बाबा के कहने के मुताबिक मुझे कुछ ऐसा करना था जिससे आंशिका खुद ब खुद मेरे पीछे आए तो मेरे दिमाग ने मुझे बस यही एक आइडिया दिया, उस शैतान को खून बहुत पसंद है तो उससे फांसने के लिए मैंने उसकी पसंद का सहारा लिया, जानवर का और इंसान का खून, अब मुझे पूरा विश्वास था कि वो मेरे बनाए हुए इस खेल में जरूर फँसेगा।


शाम चुकी थी और बाहर धीरे धीरे अंधेरा छाने लगा था पर अभी तक हमारा काम पूरा नहीं हुआ था। मैंने क्लिप से रस्सी को बांध दिया और उसे ऊपर लगी chain से अच्छे से जोड़ दिया,इसके साथ ही मैने सीढियों के पास लगे कपड़े को भी पूरी ताकत से खींच के देखा तो वो भी नहीं निकला, यानी ये काम भी हो चुका था, ये सिर्फ मेरा एक बैकअप प्लान का हिस्सा था यानी कि अगर जैसा बाबा ने कहा था अगर वो नहीं हो पाया तो इससे जरूर मुझे मदद मिलेगी। मैं अपनी जगह से खड़ा हुआ और मुड़ के पीछे देखा तो तीनों खड़े मुझे ही देख रहे थे,"कैंडल्स ले आए?" मैंने तेज़ चलती सांसों से पूछा तो ट्रिश ने हां में गर्दन हिला दी।
"इन्हे जहाँ-जहाँ बताया था वहा लगा दो" मेरे कहते ही ट्रिश और मिलन बताई हुई जगह पर कैंडल्स लगाने लगे।
"श्रेयस इन कैंडल्स की क्या जरूरत है?" उनके जाते ही प्रिया ने पूछा।
"कुछ चीज़ें ऐसी हैं प्रिया जो सिर्फ इस जलती लौ में ही नजर आएगी" मेरी बात सुनकर उसके माथे पर शिकन आ गई लेकिन मेरे कहने के तरीके से समझ गयी कि वक़्त आने पर ये बात भी पता चल जाएगी। अब सिर्फ़ एक ख़ास काम बचा था जो कि सबसे ज़्यादा ज़रूरी था और वो था एक घेरा बनाना, मैंने उस थैली में हाथ डाला और भस्म निकाल लिया इसे देखकर मन में कुछ बाते घुमने लगी।


" इस भस्म का क्या करना है बाबा? "
"ये वो है जिसकी जरूरत पड़ेगी,भले ही रुद्राक्ष तुम्हारे पास हो पर दूर से कीए गए किसी भी चीज के वार से यह तुम्हारी रक्षा करेगा।"वो मुठ्ठी भर भस्म देखकर मैने पूछा,"क्या इतना काफी होगा?"
मेरी बात सुनकर वो हंसने लगे,"तुझे जितनी जरूरत है उतना मैने रख दिया है और मन में विश्वास हो तो एक तिनका भी अस्त्र बराबर होता है,याद रखना तेरे मनके विश्वास में कमी नहीं आनी चाहिए।" इतना कहकर उन्होंने थैली में डाल दिया पर न जाने क्यूं उसे जेब में रखते हुए दिमाग में यही आया कि ऐसा नहीं हो सकता ये तो ऐसे ही खत्म हो जाएगा।
मैंने घेरा बनाना शुरू किया और एक घेरा बना दिया लेकिन हैरानी मुझे तब हुई जब मैंने ये देखा कि छोटा सा घेरा बनाने में ही भस्म खत्म हो गया,खाली हाथ देख मुझे उस बाबा पे हल्की हंसी आई कि वो कुछ ज़्यादा ही अंधा विश्वास करते हैं,पर मेरा काम अब पूरा हो चुका था इसलिए सब चीजों को मैने साइड में रख दिया कि तभी ट्रिश की आवाज़ आई।


"अब क्या करना है, सारी तैयारी तो हम कर चुके" ट्रिश की आवाज़ में हल्की घबराहट थी, उसकी बात सुन कर मिलन और प्रिया भी मेरे पास आ गए और मुझे देखने लगे।
"अब हमें सिर्फ़ एक चीज़ करनी है और वो है इंतेज़ार.....उस घेरे को देख रहे हो ना, अब हमें उस घेरे के अंदर ही रहना है, 1 घंटा, 2 घंटा या फिर पूरी रात लेकिन हमें उस घेरे से बाहर नहीं आना है, चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन जब तक मैं नहीं कहूंगा हम से कोई भी इसमें से बाहर नहीं निकलेगा....समझ गए ना तुम तीनो?" मेरा इतना कहने पर पहले तो तीनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ जिन्हें देखते ही मैं समझ गया कि ये तीनों मुझसे कुछ पूछना चाहते हैं।
"कुछ पूछना चाहते हो?"
"जब हमारे पास ये रुद्राक्ष है तो फिर ये घेरा क्यूं?" मिलन का सवाल बिल्कुल सही था, ये वही सवाल था जो मैंने उस बाबा से पूछा था।

"हर चीज का अपना काम होता है, ये रुद्राक्ष तुम्हें कुछ समय तक बचाए रखने के लिए है और एक बार उसे पता चल गया कि तुम में से हर कोई उसे पकड़ना चाहता है तो वो तुम्हे मारने की पूरी कोशिश करेगा,ये पवित्र चीज़े उसके जमीन पर रखते ही उसकी रूह भड़कने लगेगी और तब हमे यह घेरा ही सुरक्षित रख पाएगा।"मुझे जो बाबा ने कहा था वो मैने सबको बता दिया।
अभी श्रेयस ने अपनी बात खत्म ही की थी तभी उसके कानों में एक आवाज़ पड़ी और हम चारों उस आवाज़ की तरफ मुड़ा तो देखा रिसॉर्ट का main गेट खुला और सबसे पहले किसी की झलक दिखी तो वो था भाई, उसके बाद एक-एक करके सभी अंदर आने लगे, जिन्हें देखते ही मेरी सांसें तेज़ हो गई और उसी पल वो डर उभर आया जो मैंने कहीं छुपा दिया था क्योंकि मैं जानता था कि ये ठीक नहीं हुआ, इन सब का वापस आना ठीक नहीं हुआ।



To be Continued.......