आज जो मै आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो मेरे दादाजी के साथ हुआ था | दिसम्बर के कड़ी ठंड का समय था घना कोहरा छाया था | दादाजी शहर में क्लर्क थे उस दिन सारे लोग जल्दी कार्यालय का सारा काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे |दादा जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक थे |रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे | रास्ते में उन्हे हाट से कुछ समान भी लेना था तो वे अपने साथियों से अलग हो गये | उन्होने घर की कुछ जरूरत के समान लिए और गाड़ी आगे बढ़ा दी |
आगे जाने पर उन्हे कुछ मछली बाज़ार दिखा और वे मछली खरीदने के लिए रुक गये | ताज़ी मछलियाँ लेने और देखने मे टाइम ज़्यादा ही गुजर गया | उनकी जब अपनी घड़ी पर नज़र गई तो उन्हे आभास हुआ की आज तो घर जाने मे बहुत देर हो जाएगी और ये सब लेकर घर पहुचने मे काफ़ी समय लग जाएगा|फिर यही सब सोच कर उन्होने सोचा कि क्यू ना जंगल के रास्ते से निकला जाए तो जल्दी पहुँच जाउँगा | तो उन्होने अपना रास्ता बदला और जंगल की तरफ़ अपनी गाड़ी को घुमा लिया |
रात के 10 बज चुके थे गाड़ी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी तभी अचनाक तेज ब्रेक के साथ गाड़ी को रोकना पड़ा |उनकी गाड़ी के आगे एक औरत ज़ोर-जोर से रो रही थी!उन्होने सोचा इस वीराने मे ये औरत क्या कर रही हैं उन्हे लगा की कोई मजदूर की पत्नी होगी जो नाराज़ होकर घर छोड कर जॅंगल मे भाग आई हैं तो उन्होने उससे पूछा की यहाँ जॅंगल मे तुम क्या कर रही हो? लकिन उसने कोई जवाब न देकर और ज़ोर जोर से रोने लगी|
सारे जंगल मे उसकी हूँ हूँ हूँ हूँ सी सिसकियाँ गूँज रही थी! फिर दादा जी ने पूछा तुम्हारा घर कहाँ हैं?लेकिन वो कुछ भी ना बोली!
तब दादा जी ने कहा की आज चलो मेरे घर मे रहना सुबह अपने घर चली जाना ये जॅंगल बहुत सारे जंगली जानवर से भरा हे रात भर यहाँ मत रूको चलो आज मेरे घर मे सब के लिए खाना बना देना और कल सुबह अपने घर चली जाना ! उसने ये सुना तो झट से तैयार हो गई ! और गाड़ी मे पीछे की सीट पर बैठ गई! सिर मे बड़ा सा घूँघट डालने की वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था ! कुछ ही देर मे गाड़ी घर के दरवाजे पे थी! घर के लोग कब से उनकी राह देख रहे थे ! गाड़ी रुकते ही माँ ने पूछा आज तो बहुत देर हो गई और सारे लोग आ भी चुके हैं ! तब उन्होने सारी बातें अपनी माँ को बताई और कहा की आज खाना इससे बनवा लो कल सुबह ये अपने घर चली जाएगी! इतनी रात को बेचारी जंगल मे कहा भटकती ! इसलिए मैं ले आया ! पर माँ को कुछ संदेह हो रहा था की कहीं चोर तो नहीं हे रात को सोने के बाद या खाना बनाते समय कहीं घर के सामान ही चुरा कर ना ले जाए! पर बेटे की बात को कैसे माना करती ! उन्होने उस औरत को कहा देखो आज तो मैं रख ले रही हूँ लेकिन कल सुबह होते ही यहाँ से चली जाना! और जाओ रसोई मे ये समान उठा कर ले जाओ और खाना बना दो ! उसने फिर से जवाब नहीं दिया ! बस हूँ हूँ हूँ की ध्वनि सी बाहर आई! और वो सारा सामान लेकर माँ के पी छे २ चल दी!
रसोई मे सारा सामान रखवा कर माँ ने उसे खाना जल्दी बनाने की सख्त हिदायत दी!और वहाँ से चली गई !लेकिन उनका मन कुछ परेसान सा था !फिर ५ मिनट मे रसोरे मे उसे देखने चली गई की वो क्या कर रही हे और उसका चेहर भी देखना चाहती थी!लेकिन वहाँ पहुची तो देखा की वो मछलियों का थैला निकल रही थी! उन्होने बहुत ज़ोर से गुस्से मे कहा यहाँ सब खाने का इंतजार कर रहे हे और तुम अभी तक मछलियाँ ही निकल रही हो कल सुबह तक बनाओगी क्या? उसके सिर पर घूँघट अभी भी था तो चेहरा देखना मुश्किल था ! उन्होने उससे कहा तुम जल्दी से खाने की तैयारी करो मैं आग सुलगा देती हूँ काम जल्दी हो जाएगा !और वे जल्दी से चूल्हा जलाने की तैयारिया करने लगी !लेकिन साथ ही वो उसका चेहरा देखने की भी कोशिश कर रही थी ! लेकिन वो जितना देखने की कोशिश करती वो और पल्लू खींच लेती! अंत मे हार कर वे बोली देखो मैने आग सुलगा दी हैं अब आगे सारा काम कर लो ! कुछ ज़रूरत हो तो बुला लेना ! लेकिन वो फिर कुछ नहीं बोली ! अब उन्हें लगा की यहाँ से जाने मे ही ठीक हैं ! वरना मेरा भी समय खराब होगा और हो सकता हैं अंजान लोगों से डर रही हो !
ये सब सोच कर उन्होंने उसे कहा की मैं आ रही हूँ जल्दी से खाना बना कर रखना !और वहाँ से निकल गई ! मन अभी तक परेसांन ही था ! कभी अपने कमरे कभी बच्चों के कभी बाहर सब को देख रही थी, कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए!एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाई ! अभी पाँच मिनट ही हुए थे पर उनके लिए वो घड़ी पहाड़ सी हो रही थी ! समय बीत ही नहीं रहा था !आठ मिनट बड़ी मुश्किल से गुज़रे और वे तुरंत ही कुछ सोच कर रसोरे की तरफ दौड़ी ! और वहाँ पहुँच कर …..जैसे ही उन्होने रसोई घर का नज़ारा देखा , उनकी आँखे फटी की फटी रह गई ! उनके पैर बिल्कुल ही जम गये ना उनसे आगे जाया जा रहा था ना ही पीछे ! उनके हृदय की धडकने रुक रही थी ! वो औरत रसोरे मे बैठ कर सारी कच्ची मछलिया खा रही थी ! सारे रसोरे में मछलियाँ और खून बिखरा पड़ा था !
उसके सिर से घूँघट भी उतरा पड़ा था !
इतना खौफनाक चेहरा आज तक उन्होने नहीं देखा था !
बाल, नाख़ून सब बढ़े हुए थे !
मछलियाँ खाने मे मगन होने की वजह से उसे कुछ ध्यान भी नहीं था !
और खुशी से कभी २ वो आवाज़े भी निकल रही थी !हूँ हूँ हूँ सी आवाज़े गूँज रही थी !
रसोरा पिछवारे मे होने की वजह से और लोगों का ध्यान भी इधर नही आ रहा था ! माँ को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था , कि चिल्लाने से कहीं घर के लोगों को नुकसान ना पहुचाए !वो चुड़ैल से अपने घर को कैसे बचाए उन्हे समझ नहीं आ रहा था !बस भगवान का नाम ही उनके दिमाग़ मे आ रहा था !अचानक वे आगे बढ़ने लगी उसकी तरफ !और झट से एक थाल लिया और चूल्हे की तरफ दौड़ी ! उस चुड़ैल की नज़र भी माँ पर पड़ चुकी थी सो वो भी कुछ सोच कर उठी अपनी जगह से !माँ कुछ भी देर नहीं करना चाहती थी , उन्हे पता था की आज अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो अनहोनी हो जाएगी !उस चुड़ैल के कुछ करने से पहले ही उन्हे चूल्हे तक पहुचना था !और चूल्हे के पास पहुँच कर उन्होने जलता हुआ कोयला थाल मे भर लिया !और चुड़ैल की तरफ लेकर जोर से फेंका !
आग की जलन की वजह से वो अजीब सी डरावनी आवाज़े निकालने लगी !अब तो उसकी आवाज़े बाहर भी जा रही थी सारे लोग बाहरसे रसोरे की तरफ भागे !वो चुड़ैल ज़ोर २ से हूँ हूँ हूँ …………… की आवाज़ आयीनिकाल रही थी और पूरे रसोरे मे दौड़ रही थी और माँ को पकड़ना भी चाह रही थी !लेकिन अब सारे लग रसोरे मे आ चुके थे तो लोगों की भीड़ देख कर वो और भी डर गई थी !लोंगों की भीड़ को थेलती हुई वो बाहर जॅंगल की तरफ भागी !और सारे लोग ये मंज़र देख कर डरे साहमे से खड़े थे ! और मन हीं मन माँ की हिम्मत की दाद दे रहे थे !तो ऐसे छूटा चुड़ैल से पीछा|
कहते हैं सिर्फ शैतान के सिर ही सींग होते हैं. पौराणिक कथाओं में हम जितने भी असुरों को देखते या सुनते आए हैं उनकी पहचान लंबे-लंबे सींगों से की जाती रही है. बड़े-बुजुर्गों के मुंह से भी जब किसी दैत्य, असुर या किसी राक्षसी व्यक्तित्व वाले इंसान का जिक्र सुनाई देता है तो भी उनके इस जिक्र में उस व्यक्ति का बाहरी स्वरूप सामान्य ना होकर डरावना ही होता है. यहां तक कि दादी-नानी की कहानियों, जिसके द्वारा वह छोटे बच्चों को डराती हैं, में भी सींगों वाले राक्षस का जिक्र होता है. अभी तक तो आप इसे सिर्फ मनगढ़ंत कहानी के तौर पर देखते थे लेकिन जरा सोचिए अगर असल में वही शैतान आपके सामने अवतरित हो जाएं तो आप क्या कहेंगे?
जी हां, उन किस्सों कहानियों में जिस सींगों वाले राक्षस का जिक्र होता था वह आज असलियत का रूप लेकर हमारे ही समाज का एक हिस्सा है.
अब आप मानें या ना मानें लेकिन बिहार के सलेमपुर गांव में रहने वाले 96 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश कापरी के सिर पर अचानक सींग उगने लगे हैं. उनके सिर उगा सींग स्थायी और जानवर के सिर पर मौजूद सींगों की ही तरह मजबूत है, जिसे देखकर आसपास के लोग यहां तक कि डॉक्टर भी हैरान हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उनके मेडिकल कॅरियर में यह अपनी तरह का पहला मामला है.
सुनने में थोड़ा हास्यास्पद लगेगा लेकिन जगदीश के एक रिश्तेदार के अनुसार सर्दियों के समय जब जगदीश ऊनी टोपी पहना करते थे तो उनका सींग उनकी टोपी फाड़कर बाहर आ गया था, तब सभी उसे देखकर बहुत हैरान हुए थे और जब उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टर भी उनके इस सींग के असल होने पर भरोसा नहीं कर पाए.
डॉक्टरों का कहना है कि कई बार मांस के टुकड़े एक साथ जुड़ जाते हैं जिसकी वजह से वह शरीर के किसी अंग से बाहर आने लगते हैं, लेकिन यह पहला मामला है जब शरीर में से सींग निकलने लगे हैं. उनके अनुसार मेडिकल हिस्ट्री में भी ऐसा कोई मामला नहीं आया है. जगदीश की मानें तो सिर के सींग उन्हें परेशान तो नहीं करते लेकिन अचानक से सींग उग जाना उनके लिए बहुत अजीब है, जिसकी वजह से वह सहमे हुए हैं.
जगदीश की उम्र देखते हुए डॉक्टर उनका ऑपरेशन करने से भी कतरा रहे हैं इसीलिए जगदीश भी यह उम्मीद छोड़ चुके हैं.
डॉक्टर जहां इस केस को विज्ञान की दृष्टि से देख रहे हैं वहीं जगदीश के गांव वालों का कुछ और ही कहना है. गांववालों की मानें तो यह उनके पूर्व जन्म से संबंधित हैं. किसी इंसान के शरीर में दैत्य सींगों का उगना सामान्य नहीं है. जरूर इसका वास्ता उनके पूर्व जन्म में किए गए कर्मों से है.
अब यह तो अपनी-अपनी मान्यता पर आधारित है कि हम किसे सच मानते हैं और किसे झूठ. लेकिन जो भी है एक बात तो है कि मामला बहुत गजब का है.
कनाडा के ओनटेरियो के नियाग्रा फॉल्स के पास स्थित इस टनल का नाम सुनते ही लोग कांपने लग जाते हैं. इस टनल का निर्माण सन 1900 में ग्रांड रेलवे लाइंस के ठीक नीचे किया गया था और इस टनल को बनाने का उद्देश्य उस इलाके के पानी के बहाव को पास ही स्थित खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाना था. 16 फीट ऊंची और 125 फीट लंबी इस टनल की कहानी किसी को भी हि
ला कर रख सकती है. टनल का निर्माण हुए काफी वक्त बीत गया था और सब कुछ बहुत आराम से और ठीकठाक चल रहा था. लेकिन अचानक एक दिन यहां एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया.
इस टनल के आसपास आबादी बहुत कम थी इसीलिए हर समय यहां पानी भी नहीं बहा करता था. जब पानी बहुत भर जाता था तो उस समय इस टनल का प्रयोग किया जाता था. इस टनल में यूं तो कई हादसे हुए लेकिन एक हादसा ऐसा था जिससे ओनटेरियो शहर आज तक उबर नहीं पाया है.
एक बार की बात है जब इस टनल में पानी का बहाव नहीं था, इस टनल के पास एक घर में बाप और बेटी रहा करते थे. हवा का रुख बहुत तेज था और चारों ओर सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था. लड़की घर में अकेली थी और पीछे वाले कमरे में सो रही थी कि अचानक उस घर में आग लग गई और देखते ही देखते आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया. लड़की ने घर से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन तब तक उसके कपड़ों को आग ने पकड़ लिया. खुद को बचाने के लिए वह टनल की तरफ भागी लेकिन टनल में भी उस समय पानी नहीं था. आग की जलन की वजह से वह चीखती चिलाती रही, उसकी चीख बहुत भयानक और दर्दनाक थी जिसे सुनकर कई लोग वहां इकट्ठा हो गए लेकिन किसी ने उस लड़की को नहीं बचाया और आखिरकार उस लड़की ने यहां दम तोड़ दिया.
इसके अलावा यहां एक और लड़की की ऐसे ही जलने के कारण मौत हुई थी. लोगों का कहना है कि इस टनल में कुछ दरिंदों ने एक लड़की का सामूहिक बलात्कार किया और अपने जुर्म को छिपाने के लिए उस लड़की को जिन्दा जला दिया. उसकी चीखें आसपास के इलाकों तक सुनाई दीं.
सुबह जब लोग उस टनल में पहुंचे तो लड़की का अधजला हुआ शरीर वहां पड़ा था और तब से लेकर आज तक वहां शरीर के जलने की वैसी ही बदबू आती है जैसी पहले आती थी.
रोशनी को देखकर परेशान करती हैं रूहें
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर कोई उस स्थान पर रोशनी करता है तो उन लड़कियों की रूहें उसे परेशान करती हैं. कहते हैं एक सफाई कर्मचारी जब टनल की सफाई के लिए अंदर गया तो जैसे ही उसने माचिस जलाई तभी एक भयानक चीख उस टनल में गूंजने लगी और उस कर्मचारी ने अपने सिर के ठीक ऊपर दीवार पर एक छिपकली की तरह कुछ रेंगते देखा. उसका चेहरा जला हुआ था. इस घटना के बाद वह आदमी तो बच गया लेकिन उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया.