नमस्कार मित्रो
"हर टाइम पढ़ाई की बात करते रहते हैं सब लोग! मेरी तो समझ में नहीं आता ये पढ़ाई बनाई ही क्यों है भगवान ने?"
उर्मी अपने दोस्तों के साथ साथ अक्सर पढ़ाई को लेकर ये सब बातें करती। दोस्त भी उसकी हाँ में हाँ मिलाकर अपने दिल के ग़ुबार को हल्का करने की कोशिश में लगे रहते।जबकि सभी लोग शिक्षित परिवारों से हैं। उन सब पर ज़रूर घर में भी पढ़ाई पर ज़ोर दिया जाता होगा।
विश्वास को लगता कि उसके मित्र समझ क्यों नहीं पाते कि शिक्षा का आख़िर महत्व क्या है? वह अपने पिता को अब तक पढ़ाई करते हुए देखता था। कुछ वर्षो पहले तक तो वे अपने प्रमोशन के लिए पढ़ाई करते थे। अब जब भी ख़ाली समय मिलता है वे कुछ न कुछ पढ़ते हुए नज़र आते हैं। उनसे किसी भी विषय पर चर्चा की जा सकती है।उसे शुरु से ही अपने पिता पर बहुत गर्व महसूस होता था और वह उनको देखकर ही विभिन्न विषयों में रुचि लेने लगा था।
उसने एक दिन उर्मी के पढ़ाई के बारे में उसके व्याख्यान में अवरोध डाल ही दिया।
विश्वास ने अपने मित्रों से पूछा-
"क्या आपने कभी सोचा है कि हम शिक्षा क्यों ग्रहण करते हैं? इतिहास, गणित, भूगोल पढ़ने की क्या जरूरत है? क्या कभी सोचा है कि आप स्कूल और कॉलेज क्यों आते हैं? आपका जवाब होगा, माता-पिता भेजते हैं। शायद इसलिए कि वे भी परीक्षाएं पास करके, डिग्रियां लेकर नौकरी कर रहे हैं । उन्हें शिक्षा से नौकरी मिल गई। लेकिन मित्रों, केवल इतनी सी बात नहीं है।"
सारे मित्र विश्वास के चेहरे को टकटकी लगाकर देखने लगे। 11हवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को अक्सर घर पर टोका जाता था कि उन्हें अधिक मेहनत करने की ज़रुरत है, अब उनके कैरियर की लाईन चुनने का समय आ गया है और वे सब मिल कर भुनभुनाता करने लगते।
कुछ रुककर विश्वास ने फिर कहा :
"शिक्षा के जरिये हम अपनी नजर के सामने सारा संघर्ष देखते हैं- अध्ययन करने का, परीक्षा उत्तीर्ण करने का, जीने का संघर्ष है। घर से दूर किसी स्थान पर सहजता से रह सकें, वह भी एक संघर्ष है। अच्छी तरह से हँसते -खेलते जीवन गुजार सकें, इसके लिए भी संघर्ष करते हैं। गुजरते हुए परीक्षाओं से क्या आप जीवन का पूरा महत्व समझने जा रहे हैं? कुछ लोग परीक्षा पास करने में बहुत अच्छे होते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वे बहुत बुद्धिमान हैं। दूसरे जो परीक्षा उत्तीर्ण करना नहीं जानते, या परीक्षा के हिसाब से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, हो सकता है कि वे कहीं अधिक बुद्धिमान हों। हो सकता है वे अधिक सक्षम हों। हो सकता है वे चीजों को उस व्यक्ति की तुलना में अधिक गहराई से सोचें जो केवल पास होने के लिए रटते हैं।"
*दरअसल शिक्षा हमारे जीवन का वह प्रकाश है जो हमारे अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करती है। शिक्षा का होना हर व्यक्ति के जीवन में अनिवार्य है। शिक्षा से अज्ञानता के बादल छंटते हैं और ज्ञान रूपी नया सवेरा होता है।*
सब लोग विश्वास को बड़े ध्यान से सुन रहे थे ,उसको अपनी बात रखने का बल मिला और वह आगे अपने मन की बात सबके सामने रखते हुए बोला ;
*हम इसके लिए जिम्मेदार नही हैं कि हमारी आँखें क्या देखती हैं ? हम जिम्मेदार इस बात के लिए हैं कि हम उसको अपनाते कैसे हैं। हमारे भीतर ऐसी शक्तियाँ हैं जो हमें बचा सकती हैं । संकल्प एवं संयम की शक्ति बहुत बड़ी है। अनावश्यक कल्पना मानसिक बल को नष्ट कर देती है। लोग अनावश्यक कल्पना बहुत करते हैं । यदि उस कल्पना को संकल्प में बदल दिया जाए और उस पर संयम का अंकुश लगा दिया जाए तो वह एक महान शक्ति बन सकती है ।"
बहुत दिनों बाद विश्वास ने इतना लंबा व्याख्यान दे डाला था | उसे नहीं मालूम था कि जो मित्र पढ़ाई से मन चुराते हैं, वे उसकी बात को कैसे लेंगे ? जब सबने बहुत ध्यान से सुना तो उसको अच्छा लगा लेकिन उसके सभी मित्रों को अच्छा लगा यह उसके लिए बड़ी बात थी |
सबने उसकी बात गंभीरता से सुनी और उसके लिए तालियाँ बजाईं | उनमें उर्मी भी थी जो अभी तक शिक्षा के खिलाफ़ ही बोलती रहती थी | विश्वास को अब विश्वास हो गया कि उसने अनजाने में ही अपने मित्रों को एक अच्छी राह पर चलने के लिए प्रेरित किया है |
जीवन से जुड़ी छोटी छोटी बातों से ही मनुष्य को अच्छा जीवन व्यतीत करने का प्रशस्त मार्ग प्राप्त होता है | मित्रों! आप क्या सोचते हैं इस विषय में? कृपया अपने विचार रखें |
धन्यवाद
आपकी मित्र
डॉ . प्रणव भारती