Ishq to hona hi tha - 3 in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | इश्क तो होना ही था - 3

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इश्क तो होना ही था - 3

आरोही किचेन के तरफ बढ़ जाती है शर्मा जी के लिए जूस जो लेना था । फिर उसके दिमाग में एक बात आया , कही ये वही तो लड़का नहीं है जिससे पापा मुझसे मिलवाने वाले थे ।
बेटा आज तो तुम गए .....

आज तुम्हारे मुंह के साथ तुम्हारे शर्ट को भी चाय/कॉफी पिलाऊंगी हल्की मुस्कान के साथ खुद से बड़बड़ाई ।

शर्मा जी के कमरे में
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अगस्त्य : शर्मा जी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए , " अंकल अब आपकी तबीयत कैसी है ?

शर्मा जी : बेटा जी मैं तो बिल्कुल ठीक हूं मायूसी के साथ बोले ।

अगस्त्य : आपको कौन सी बात परेशान कर रही है अंकल ? आप मुझसे कहिए । आपको मैं बहुत पहले से जानता हूं । आपने मेरे बुरे वक्त में हमेशा एक पिता के तरह संभाला है और साथ दिया है । पापा के जाने के बाद आपने उनकी कमी महसूस होने नही दिया है ।

शर्मा जी को लग रहा था अगस्त्य ने dr खुराना और मेरी बात तो नही सुन लिया है मन ही मन सोच रहे थे ।
तभी अगस्त्य बोल पड़ता है " अंकल आपको अपनी बीमारी के बारे में आरोही को बता देना चाहिए । "

शर्मा जी : कौन सी बीमारी बेटा आश्चर्य से बोल कर बात को बदलने की कोशिश कर रहे थे ।

अगस्त्य : अंकल आप बात बदलने की कोशिश मत कीजिए मैने सुन लिया है dr और आपकी सारी बातें ।
मैं भी dr की बातो से सहमत हूं आपको सब आरोही को बता देना चाहिए ।

शर्मा जी : अगस्त्य बेटा तुम मुझसे वादा करो आरोही से कुछ नहीं कहोगे । मैं नहीं चाहता हूं मुझे लेकर आरोही के आंखों में आंसू आए अपना हाथ अगस्त्य के तरफ बढ़ाते हुए शर्मा जी कहते हैं ।

उस वक्त शर्मा जी के आंखों में आरोही को लेकर जो फिक्र थी अगस्त्य महसूस करता और देखता है ।
फिर बिना सोचे अगस्त्य वादा करता है " अंकल मैं आरोही को कुछ नहीं बताऊंगा । "

आरोही पर्दे के पीछे से " अच्छा बच्चू पापा से तुम यह वादा कर रहे हो , मुझे यह पता न चले की तुम वही लड़का हो जिससे पापा मुझे मिलवाने वाले थे । "

अभी बताती हूं " आरोही तूफान है उसे हर कोई नही संभाल सकता है कुछ सोचते हुए बोली । "

आरोही अंदर आती है बिना अगस्त्य के तरफ देखते हुए शर्मा जी के तरफ जूस लेकर बढ़ जाती है ।

पापा जूस .... आरोही जूस का ग्लास बढ़ाते हुए बोली ।

आरोही बेटा , अगस्त्य के लिए चाय या कॉफी लाओ ।
आरोही को शर्मा जी बहाना बना कर भेजते हैं ताकि अगस्त्य से उनकी बात हो सके जिसके लिए उन्होंने बुलाया था ।

जी पापा कहकर आरोही चली जाती है ।
अगस्त्य आरोही को देखने की हिम्मत जुटा कर अपनी नजरे उसकी ओर किया तब तक आरोही जा चुकी थी ।

" मेरा दिल इतना बेचैन क्यों हो रहा है ? अगस्त्य सोच रहा था । "

तभी शर्मा जी : मैं तो बातों बातों में भूल ही गया बेटा मैंने तुम्हे यहां क्यों बुलाया है ?

अगस्त्य : सोचते हुए " कहिए न अंकल आप क्यों बुलाए थे ? "
मेरे दिमाग से भी निकल गया था कि पूछूं आप यहां क्यों बुलाए थे ??

दूसरी तरफ आरोही किचेन में " मेरी बर्बादी को दावत लेकर आए हो और मैं तुम्हे चाय मीठी पिलाऊंगी , ऐसा तो मेरी भूत भी न करे । "
मैं तो फिर भी अभी जिंदा हूं और मेरा नाम आरोही शर्मा है । फिर मुस्कुराते हुए चाय में चीनी की जगह नमक भर भर कर एक कप चाय में 10 चम्मच नमक डाल देती हैं ।

शर्मा जी : जैसा कि तुम सारी बातें सुन चुके हो और यह भी जान चुके हों मेरा कैंसर अब फोर्थ स्टेज में पहुंच चुका है। इसीलिए मैं चाहता हूं मेरे आंखों के सामने मेरी बेटी आरोही की शादी हो जाए , लेकिन वो शादी के लिए नही मान रही है ।

बेटा क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो ? एक अच्छा लड़का ढूंढने में और शादी के लिए उसे मानने में ।
मेरी आखिरी इच्छा समझ कर तुम पूरी कर दो ।

अगस्त्य : अंकल , मुझसे जितना हो पाएगा मैं करने की कोशिश करूंगा । आप चिंता मत कीजिए आरोही की शादी जरूर होगी । लेकिन अंकल आपको उससे पहले अपने कैंसर के बारे में बता देना चाहिए ।

शर्मा जी : नही बेटा .... मैं नहीं चाहता हूं कोई मजबूरी में खुद को पा कर शादी का फैसला ले ।
कल हॉस्टल चली जायेगी ।

तब तक आरोही अगस्त्य के लिए स्पेशल चाय लेकर आ जाती है ।।।





Continue….....


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