Yaado ki Asarfiya in Hindi Biography by Urvi Vaghela books and stories PDF | यादों की अशर्फियाँ - 11. कम्प्यूटर लैब की धमाल.

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यादों की अशर्फियाँ - 11. कम्प्यूटर लैब की धमाल.

 

धीरे धीरे सूर्य की गरमी कम होती गई जेसे ही शरदी की मौसम ने दस्तखे़ थी। हमारी मस्तियां भी कुछ ऐसी ही थी जो शर्दी के साथ बढ़ती चली गई। बारिश और गर्मी के दिनों में यह इतनी नही बढ़ी जितनी ठंडी में क्योंकि इन दिनों मेरे मुताबिक टीचर्स का दिमाग ठंडी की तरह ठंडा रहता है, गरम नही। ठंडी के उन दिनों में भी हम क्लास में सिकुड़ कर बैठना नही चाहते थे। जेसे मौका मिलता है की बहार निकलने की कोशिश शुरू। उसमे भी अगर कोई ऐसा टीचर हो जो हमारी फितरत नहीं जानते तो हमारी तो निकल पड़ी सवारी। हम सब जितना बाहर जाने के लिए टीचर्स को मनाने के लिए एफोर्ट्स करते है उतने यदि पढ़ने के लिए किए होते तब तो हम कहा के कहा निकल पड़े होते। खास कर तो लॉन में खेलने जाने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते है टीचर को मनाने के लिए और जब से नसरीन टीचर गए थे तब से पी.टी. का पीरियड मेना टीचर के पास आ गया था और वह हमे बाहर खेलने ले जाने का नाम ही नही लेते थे। इसलिए हमे दूसरे टीचर्स को मनाना पड़ता था और वैसे भी पी.टी. का वीक में एक ही पीरियड आता था। कुछ अच्छे टीचर्स जेसे निशांत सर, गौरव सर हमे लेकर जाते थे और जो लॉन में खेलने की मज़ा थी उनकी तो बात ही मत करो । हम ज्यादातर चोर -पुलिस खेलते जिसमे सबसे खूंखार चोर ध्रुवी थी और सबसे कमज़ोर माही। हालांकि इस गेम में सिर्फ चोर और पुलिस ही होते है पर हमे क्लास में ज्यादा लड़कियां होने पर उसमे रिपोर्टर, हवालदार भी रखते थे और जब तक जाते थे तो एक दूसरे का पैर खींच कर गिरा देते या तो खुशाली जेसे हलके फुल्के फ्रेंड्स को उठा लेते थे पर फिलहाल तो कंप्यूटर के नए टीचर अजंता टीचर पहले ही क्लास में अगर हमे लोन में लेकर जाए तो उनकी कल से छूटी कर दी जाएंगी इसलिए हमारा प्रयास कुछ और ही था।

" मेडम, हमे यहा नही समझ आएगा । लैब में लेकर चलो ना टीचर।" निखिल हमेशा की तरह कोई भी टीचर को मैनिपुलेट करने में माहिर था और वैसे भी वह अजंता टीचर, जो अभी अभी नए टीचर आए थे उसको मना रहा था।
" थियरी पढ़ने के लिए थोड़ी ना लैब में जाते हैं? थियरी पढ़ने के बाद प्रैक्टिकल में जाएंगे। "
" आप वहा पढ़ाना थियरी हम कहा मना कर रहे है।" जेसे ही निखिल बोलता है सब बोलने लगते है की वहां पढ़ाना टीचर मतलब की पूरा क्लास निखिल के साथ सहमत था यहां तक गर्ल्स भी।
" पर मेरे पास लैब की चाबी भी नही है आज यहां पढ़ लो अगले पीरियड में जरूर जाएंगे। " हम कोई नही चाहते थे की हमे कोई रोके लैब में जाने से। निखिल ने टीचर को मना लिया तो यह चाबी क्या चीज़ है?
" मेडम, चाबी तो में प्रणव सर से ले आऊंगा। फिर आप ले जायेंगे ना? " अजंता टीचर को हा कहने के अलावा कोई और ऑप्शन ही नहीं था।

मुझे पक्का यकीन है की टीचर को भरोसा होगा ही की प्रणव सर चाबी नही ही देंगे पर उसे यह नहीं पता था की वह निखिल है कुछ भी कर के वह चाबी लें आया। अब हम सब टीचरके कहने के पहले ही शूज़ निकाल कर खड़े होकर चल दिए। जेसे ही ज्यादा आवाज़ होती थी तो टीचर नहीं लेकर जाने की धमकी देते थे पर हर बार हमे पूरा यकीन होता था की वह जरूर ले जाएंगे।

लैब ऊपर के माले में थी जिसमे ज्यादा से ज्यादा 15 - 20 कम्प्यूटर होंगे जिनमें से शायद दो - तीन ही अच्छे से चल रहे होंगे। हम सब नीचे बैठ गए और टीचर कुर्सी पर। अब हम जंग जीत गए थे। थोड़ी देर के बाद पीछे से आवाज़ आनी शुरू होती है।
" चुप.....चुप....." कोई नही सुनता।
" निखिल, मेने तुम्हारे कहने पर सबको यहां ले आई देखो तुम्हारे फ्रेंड्स ही शोर कर रहे है। फिर नही लेकर आऊंगी। यह आखरी बार। " टीचर ने चिल्लाकर कहा।
" सब चुप हो जाओ, अब मेरी इज्जत का सवाल है। " निखिल ने हंसकर कहा।
" मेडम, अब एक भी आवाज नहीं आएगी। आप पढ़ाओ।"
तभी थोड़ी देर के बाद फिर आवाज आती है पर इस बार लड़कियों की तरफ से आती है अब मेरी बारी। निखिल ने साफ कह दिया की उसकी गेरंटी मेरी नही। मेने सिर्फ इशारा किया और चुप हो गए। ध्रुवी ही होती थी जो खुशाली को, माही को, और करी को यानी क्रिशा को वह उसे इसी नाम से पुकारती थी।
अब टीचर का टेंपर लोस हो गया था इसका अंजाम बहुत भयानक था।
" अब जहां से भी जिसने भी आवाज़ की चाहे कोई भी हो, लड़के या लड़की यह स्केल सीधा वहां लगेगी फिर मत कहना की चोट आ गई।"
स्टूडेंट्स को टीचर्स के यह गरजते मेघ की बहुत अच्छी सी जानकारी होती है की यह गरजते मेघ बरसते नही। पर यह क्या? यह मेघ तो सच में बरस गए। यह मेघ जैमिन पर बरसा जो निखिल का पक्का दोस्त था और झारा भाई था।
" मेडम, इसे केसे आप मार सकते है अगर लग जाती तो? ऐसे आप मारेंगे तो आप पर केस हो सकता है।" जेसे ही झारा ने वाक्य खत्म किया की तुरंत स्केल बहुत ज़ोर से पड़ी। अब ऐसा मत समझना की पूरा पीरियड हम सब ने अच्छे बच्चे की तरह पढ़ा होगा। टीचर स्केल फेंक फेंक कर थक जायेंगे पर हम बात करके नही थकेंगे सिवाय मेरे क्योंकि में पढ़ती थी ध्यान से हमेशा।

***

जब दूसरी बार अजंता टीचर लेकर गए तब में हमे कम्प्यूटर पर बैठने के लिए कहा गया। हम सब अपना अपना कम्प्यूटर ढूंढ कर बैठ गए। गर्ल्स की बारी होती थी आधा घंटा और फिर आधा घंटा बॉयज की बारी। हमारी बारी थी। ध्रुवी तो कम्प्यूटर में पावरफुल क्योंकि उनके पापा की शॉप थी।
" इसमें तो माउस ही नहीं है, दूसरा ढूंढना पड़ेगा" मेने उदास होकर कहा
" तुम टेंशन मत लो, उरी। में दूसरे कम्प्यूटर का माउस फीट कर देती हु।" ध्रुवी मुझसे कहा
" नहीं, यार, टीचर डाटेंगे और कुछ बिगड़ गया तो। में तुम्हारे साथ बैठ जाती हु।"
" उरी, तुम भी, बहुत डरती हो। कुछ नही होगा।"
उसने तुरंत लेकर बदल दिया। में तो हैरान थी ध्रुवी है ही ऐसी। हर बार मेरी हेल्प करती है। यह देख कर हाला क्रिशा ने कहा। हमारे क्लास में दो लड़कियों का नाम क्रिशा था। हम दूसरी लड़की जो हमारे ग्रुप में नही थी उनको हम 'हाला' नाम से ही पुकारते थे। जो अलग थी हमे नहीं पता था की वह क्यों ऐसी है मतलब शायद उनका भी मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। वह नॉर्मल बात नही करती थी। बस सामने देखा करती। हाइजिन मेंटेन नही करती थी और कोई टीचर भी उसे कुछ नही कहता था।
" मुझे भी लगाना है माउस।" हाला मेरा देख कर ध्रुवी से कहा।
" जाओ, वहा से माउस लेकर आओ"
" यह क्या इसका वायर कहा है? दूसरा लेकर आओ" वह लेकर आई । इसी तरह उनका भेजा बहुत कम चलता था।
हम सब को कंप्यूटर के प्रोग्राम कम आते थे। लगभग मेरे सिवा तो कोई प्रैक्टिकल सीरियसली करता ही नही था। कुछ लोग सिर्फ बाते करते या फिर ध्रुवी की तरह गेम खेलते थे। डेस्कटॉप में छोटी सी गेम रखते थे। जेसे ही टीचर आते थे क्लॉज कर देते थे। हमे खेलना काम आता था पर देखने में मज़ा आता था।
एक बार तो में कुछ नही कर रही थी। मेरा मूड मस्ती का था । मॉनिटर होने के कारण मेरे पास चॉक होती थी। में उस चॉक से हमारे यूनिफॉर्म की कोटी जो ब्लैक कलर की थी उसमे पीछे नाम लिखती थी। जेसे ध्रुवी के पीठ पर उनका नाम, माही के पीछे उनका। इस ही में झारा के पीछे नाम लिखने गई। फिर बैठते वक्त पता नही कब स्टूल पीछे हट गया और में गिर गई। जिस तरह से में गिरी हम सबको हसीं आ गई। अब जेसे ही रिकवर होकर में खड़ी हो ही रही थी की फिर से ही गई मेरा सिर टकरा गया। सब देखने लगे। टीचर भी दौड़ आए। अच्छा हुआ की मुझे बहुत चोट नही लगी थी।

" कैसी लगी चोट? " कोई धीरे से बोला मुझे तो सुनाई तक नहीं दिया था जब में झारा के साथ रिसेस में जा रही थी। मैने तो कोई जवाब नहीं दिया पर झारा ने मुं पर कह दिया , " तुम्हे चाहिए क्या?"