Ishq to hona hi tha - 2 in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | इश्क तो होना ही था - 2

Featured Books
Categories
Share

इश्क तो होना ही था - 2

Dr को आभास हुआ कोई उनकी और शर्मा जी की बातें सुन रहा है तो उन्होंने कहा " कौन है ? कौन है वहां पर्दे के पीछे दरवाजे के तरफ देखते हुए बोले ।

पर्दा सामने से हटा एक लड़का करीब उसकी उम्र 23 से 24 के बीच रही होगी ।
अंकल मैं अगस्त्य आपने ही तो मुझे बुलाया था ।

शर्मा जी : हां अगस्त्य बेटा मैंने ही आपको बुलाया था .... आपसे मुझे कुछ जरुरी बात करनी थी धीरे से बोले ।

अगस्त्य शर्मा जी के दोस्त अमेंद्र वर्मा का बेटा था जो अभी अपने पिता का कारोबार संभालता था । पिता के जाने के बाद परिवार का सारी जिम्मेदारी अगस्त्य के कंधों पर आ गया था ।
उसका छोटा सा परिवार था जिसमें उसकी मां कौशल्या जी और उसकी छोटी बहन आरुषि थी जो अभी 12th क्लास में पढ़ रही थी । आरुषि मुंगेर के हॉस्टल में रह कर पढ़ती थी । कौशल्या जी एक एनजीओ से जुड़ी हुई थी । महिलाओं को आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती थी । अगस्त्य को अकसर घर और अपनी मां से दूर रहना पड़ता था काम के सिलसिला में ।
अमेंद्र वर्मा जी के जाने के बाद बड़ा परिवार टुकड़ों में बंट चुका था ।

________________________________________________

अगस्त्य शर्मा जी के पास आकर उनके पास बेड पर बैठ जाता है। तब तक dr खुराना कहते हैं " अच्छा शर्मा जी अब मैं चलता हूं लेकिन आप मेरी बातों पर गौर फरमाइएगा । "
अगस्त्य: चलिए अंकल आपको मैं बाहर तक छोड़ देता हूं ।।।
जैसे ही dr खुराना के साथ अगस्त्य बहार आता है वैसे ही आरोही अपने पापा के कमरे में आती है ।
आरोही : पापा आप ठीक तो है न शर्मा जी के तरफ देखते हुए पूछती है ।।

शर्मा जी : ठीक हूं बेटा .....

शर्मा जी आरोही के मदद से bed पर टेक कर बैठ जाते है।
आपको कितनी बार कहा है पापा आप अपना ख्याल रखा कीजिए ..... आप जानते हैं न आपको बीमार देख कर मुझे रोना आता है।

शर्मा जी : कल को मेरी सांसे थम गई तो .... तुम्हारा क्या होगा बेटा ? यह सोच कर मेरा दिल बैठ जाता है।

आरोही : बस पापा ... अब एक और शब्द नही ।
आपको और आपकी सांसों को कुछ नहीं होगा मेरे रहते हुए समझे प्यार दिखाते हुए बोली ।

शर्मा जी : बेटा तुम तो जानती हो आजकल जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है , इसीलिए मैं तुम्हारी शादी करवाना चाहता हूं ।

आरोही : प्लीज पापा .... फिर से आप मेरी शादी की बात बीच में मत लाइए । मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं ।
अभी मेरी उम्र ही क्या है ?? 20 वर्ष होने को है और आप मेरी शादी करवाना चाहते हैं।

शर्मा जी : काश ! मैं तुम्हे बता पाता बेटा मैं क्यों तुम्हारी शादी जल्दी करवाने की सोच रहा हूं । कब मेरी सांसे मुझे धोखा दे दे ये तो मुझे भी नही पता है ।

________________________________________________

आरोही : मैं आपके लिए जूस लेकर आती हूं पापा लेकिन जाने से पहले अपने दोनो हाथों से अपने कान को पकड़ लेती है , बिल्कुल छोटी बच्ची की जैसी लग रही थी ।
" I am really sorry papa "
शायद आपकी तबियत मेरी वजह से खराब हुआ है ।

शर्मा जी : अरे नही री बिटिया ऐसी मत सोचो और अपने कान को छोड़ो वरना इतनी जोड़ से पकड़ोगी तो वो दोनो तुम्हारे हाथ में आ जाएंगे हंसते हुए बोले ।

आरोही : अपने पापा को खुश देख कर मुस्कुरा देती है , झटके में पीछे मुड़ी और दरवाजे के तरफ बढ़ गई अगस्त्य पर्दे के पीछे था ,से टकरा जाती है ।
आरोही गिरने वाली ही होती है तब तक अगस्त्य उसे बचाने के लिए हाथ पकड़ अपनी ओर खींचा जिससे आरोही अगस्त्य के बिल्कुल करीब हो गई लेकिन दोनों के बीच अभी भी पर्दा था।
आरोही को अंजान व्यक्ति का आहट महसूस हुआ जिससे वो पर्दे से खुद को दूर की " कौन है पर्दे के पीछे ?"
और आपकी हिम्मत कैसे हुई अंदर आने की कड़क स्वभाव से बोली ।।

अगस्त्य : जी .... जी .... कर के हकला रहा था ।
क्योंकि अगस्त्य सिर्फ जानता था शर्मा जी की एक बेटी है लेकिन कभी उसे देखा नही था ।

तब तक शर्मा जी बोल पड़ते हैं " अरे आरोही बेटा उसे आने दो वो कोई चोर उच्चका नही है उसे मैने ही बुलाया है ।
फिर आरोही साइड से निकल जाती है उससे पहले की अगस्त्य की नजरे आरोही पर पड़ती।

आरोही किचेन के तरफ बढ़ जाती है शर्मा जी के लिए जूस जो लेना था । फिर उसके दिमाग में एक बात आया , कही ये वही तो लड़का नहीं है जिससे पापा मुझसे मिलवाने वाले थे ।
बेटा आज तो तुम गए .....


Continue.....
____________________________________________