मुस्कान होंठों पे सजाए रखना l
जिगर में हौसला बनाए रखना ll
एकतरफ़ा ही सही सिद्दत से l
प्यार के रिसते निभाए रखना ll
ग़मों से भरी जिंदगी में हर पल l
मुहब्बत का जाम पिलाए रखना ll
१६-६-२०२४
मौसम की पहली बारिस गिरते ही बिखर जाता हूँ l
फिर यादों की बौछार आते ही संभल जाता हूँ ll
आशिक बनकर बदनाम हो गया हूँ फ़िर भी आज l
ख़्यालों में उनके एक तबस्सुम से निखर जाता हूँ ll
पवन की लहरकी उनकी मदमाती अह्सास ले आई l
फ़िज़ाओं में खुशबु की महक से सँवर जाता हूँ ll
लम्बी जुदाई के दिनों में फूलों ओ सौगात के साथ l
ख़त में बस याद भेजते हैं तो भी बहल जाता हूँ ll
एक उम्र गुजर गई है जी भर के बरसे नहीं है तो l
बरसने को तैयार बादल के जैसे मचल जाता हूँ ll
१७-७-२०२४
सोचा ना था ज़िंदगी ये दिन भी दिखाएंगी l
महबूब किसी और का नाम भी लिखाएंगी ll
प्यार में जीने मरने की कसमें खाने वाली l
जुदाई के दिन रात हसी खुशी से बिताएंगी ll
साथ साथ बिताएं हुए लम्हों को भुलाकर l
आज किसी और से साथ शादी रचाएंगी ll
नई ज़िंदगी नया यार नया रिश्ता मिला तो l
घर आँगन को महकते फ़ूलों से सजाएंगी ll
दिल का रिश्ता एक ही पल में दफ़ना दिया l
चाहते हैं नया रिश्ता सिद्दत से निभाएंगी ll
१८-६-२०२४
सोचा ना था अपने यूँ बदल जाएंगे ll
खून के रिश्ते हाथों से फिसल जाएंगे ll
साथ जीने मरने को आये थे क्या हुआ ?
कि जल्द ही जिन्दगी से निकल जाएंगे ll
एक दौर एसा आएगा, ऐसे भी जीना होगा l
दर्द छुपाकर यूँही दिन रात ढल जाएंगे ll
नाज़ था जिन रिश्तों पर आज उड़ गया l
मिरी शौहरत देख मेरे अपने जल जाएंगे ll
जरा सा भी इल्म ना था कलियुग आएगा l
अपनापन दिखाकर अपने ही छल जाएंगे ll
१९-६-२०२४
मोबाईल की लत बुरी बला हैं l
इन्सां बेकार सा हो चला हैं ll
इस की आभासी कायनात बड़ी l
फेंक अकाउंट बना के छला हैं ll
ग़र सही तरीके से इस्तेमाल हो l
कार्यक्षमता बढ़ाने की कला हैं ll
खेल ने का टाइम चुरा लिया है कि l
आज बचपन साथ उसके पला हैं ll
अब हमारे दिन रात वो चलाता है l
रिश्तों का नेटवर्क ढीला ढला हैं ll
१९-६-२०२४
सीने में मनचाहा मुरव्वत दर्द सुलगता रहा l
जड़ों तक ज़ख्म लगे तो ताउम्र तड़पता रहा ll
रिश्तो की दुहाई ना देना जज़्बात मर गये हैं l
बेवफाओं से दिली ताल्लुक़ से मचलता रहा ll
जिंदा रहने के लिए गलतफहमी पाल रखी थी l
दिलमें उठते यादों के बवंडर से छलकता रहा ll
भीगी पलकों से सहला लेते हैं बीते लम्हों को l
जुल्मी के वादे याद कर करके बहकता रहा ll
पागल इतने है कि फ़िर से विश्वास कर लिया l
सखी मुलाकात की गुंजाईश से बहलता रहा ll
२०-६-२०२४
सुख दुख में हसते रहना पापा ने सिखलाया l
हिम्मत से आगे बढ़ना पापा ने सिखलाया ll
हौसलों के साथ जीवन की राह पर चलना l
कभी किसीसे न डरना पापा ने सिखलाया ll
कभी भी पीठ पीछे वार ना करना, हमेशा l
जो है मुँह पर कहना पापा ने सिखलाया ll
जीस्त है ऊँच नीच तो होती रहती है तो l
दर्द मुस्कराते सहना पापा ने सिखलाया ll
कपड़ों से नहीं ख़ुद की करनी है पहचान l
उच्च विचार पहना पापा ने सिखलाया ll
जिंदगी की नैया को अपने ख़ुद के बल l
संसार सागर तरना पापा ने सिखलाया ll
दुनिया कई तरह के लोग मिलेगे, सुकूं l
किसीका ना हरना पापा ने सिखलाया ll
गर जीवन में बड़ा आदमी बनना चाहते हो l
खुब लिखना पढ़ना पापा ने सिखलाया ll
शौहरत और इज्जत कमाकर सीडियां l
इंसानियत की चढ़ना पापा ने सिखलाया ll
कोई भी ग़लत काम को ना करना कभी l
अन्याय से लडना पापा ने सिखलाया ll
जीवन की कश्ती पर लगाने के लिए l
साथ समय सरना पापा ने सिखलाया ll
दुनिया में आना जाना लगा रहेगा तो l
दिल में प्यार भरना पापा ने सिखलाया ll
भाइचारे और अमन के साथ जीवन जीना l
मानवता ही गहना पापा ने सिखलाया ll
खुद ही पढ़ना लिखना सिखाया, जीवन l
समंदर में बहना पापा ने सिखलाया ll
२१-६-२०२४
बरसती बारिश का मौसम मस्ताना क्या कह रहा हैं l
आसमान से बरसता पानी निगाहों से बह रहा हैं ll
शायद फ़िर से ये पल ये लम्हें फ़िर मिले ना मिले l
भीगने भिगोने का ले लो जी भरके मजा कह रहा हैं ll
मस्त बहारों का मौसम आया है खिलखिलाता देखो l
चारों ओर खुशी से कायनात हरा दुपट्टा पह रहा हैं ll
सख्त तपिश से तपी हुई हेरा परेशान तप्ती प्यासी l
धरती का हर कोना चप्पा चप्पा बूँदों को गह रहा हैं ll
संग अपनों के चहचहाने, खुशी से के मुस्कुराने का l
बरखा की बूँदों से प्रेम तृष्णा बुझाने ख़ुद तह रहा हैं ll
२२-६-२०२४
आषाढ़ में आंखों से सावन भादों बरस रहे हैं l
भीगने भिगोने के लिए जज़्बात मचल रहे हैं ll
आषाढ़ की सुहानी मदमाती नशीली बरसात में l
आज रिमझिम मादक मौसम में बहक रहे हैं ll
आषाढ़ी बादल नेह की पावन गंगा बहाते l
प्यार बरसाती मीठी नज़र को तरस रहे हैं ll
बागो में कोयल पपीहे मीठे मधुर गीत गाते l
बहका हृदय पीयू मिलन को तड़प रहे हैं ll
हवाएं गा उठीं सरगम,मयूरा नाचता छम-छम ।
पानी बरसाने को रेडी दिल फ़रेब गरज़ रहे हैं ll
आकाश से मुस्काती बूंदे धरा से मिलने आई l
क़ायनात के छोटे बड़े जीव इसे पनप रहे हैं ll
२३-६-२०२४
मोर कोयल ने मचाया हैं शोर l
आसमाँ में छाये बादल घनघोर ll
मिलन के लिए आतुर मनवा l
कहाँ छुप के बैठा है चितचोर ll
बारिश लाई यार का संदेश l
दिले गुलज़ार से बंधी है डोर ll
प्रेम प्यार और अमन चैन का l
बरसे बादल छमछम चहुंओर ll
पीयू संग चाँद रात यूं बीती l
आंखों ही आंखों में हुईं भोर ll
२४-६-२०२४
मृग तृष्णा के पीछे कहाँ तक भागोगे l
प्यास बुझाने के लिए कहां जाओगे ll
पूरी शिद्दत से क़ायनात साथ देगी l
ग़र मन में ठान लो सब कुछ पाओगे ll
चाँद सितारे क़दमों में बिछा देगे तभी l
चहेरे पर हसी मुस्कुराहट लाओगे ll
तिरे नाम इक खूबसूरत शाम हो जाए तो l
महफ़िल में दिल का सौदा करने आओगे ll
मोहब्बत की हवेली नीलाम कर दो आज l
दिल से ग़र महसूस करोगे तो भाओगे ll
२५-६-२०२४
बात दिल की लिखने में वक्त तो लगता है l
तुम्हें अपना कहने में वक्त तो लगता है ll
ख्वाइशे खूबसूरत साथ ढूँढती रहती कि l
मुहब्बत को जितने में वक्त तो लगता है ll
हँसने के लिए दोस्तों की जरूरत होती l
चाक जिगर सिलने में वक्त तो लगता है ll
उम्मीद का दामन ना छोड़ना कभी भी l
पहली बार सिखने में वक्त तो लगता है ll
उतार चढ़ाव ज़िंदगी में आते जाते रहते l
हार जीत झिलने में वक्त तो लगता है ll
भरी महफ़िल में नशीले गीत सुनते ही l
खुशमिजाज दिखने में वक्त तो लगता है ll
कभी कभी एक उम्र भी कम पड़ जाती है l
ज़हन से याद मिटने में वक्त तो लगता है ll
२६-६-२०२४
यादों के बादल छाने लगे हैं l
पुराने तरन्नुम गाने लगे हैं ll
मुलाकात की बात सोच के l
जुदाई के दिन भाने लगे हैं l
कई दिनों के बाद होश आया l
चैन और सुकून पाने लगे हैं ll
अब्र का अंदाज़ दिखा रहा है l
तड़पने के दिन जाने लगे हैं ll
गुज़रे सुहाने लम्हों की याद l
होठों पे हसी लाने लगे हैं ll
बचपन के दोस्त मिले तो l
मुकम्मल पल आने लगे हैं ll
२७-६-२०२४
भीगी भीगी चाँदनी रात में मुलाकात करे l
जीवन की नये तरीके से शुरुआत करे ll
काटेंगे तो उम्र ओ ' जिये तो जिन्दगी है l
तो हसी खुशी जीने के पैदा हालात करे ll
नटखट हवाएँ चल रहीं हैं तो आओ बेठे l
इस मनचली शाम में दिल की बात करे ll
मौसम का तकाज़ा है आज महफिल में l
नज़रे मिलाके इज़हार ए जज़्बात करे ll
हर पल सुकून की तलाश में रहते हैं l
खुद के अह्सास का खयालात करे ll
२८-६-२०२४
बात अधर तक आते आते रह गई l
फ़िर निगाहें इशारों में ही कह गई ll
दर्द फ़ूलों की तरह महकते रहे और l
आजमाइश में सारी उम्मीद बह गई ll
सहमी हुईं साँस, कांपते है पाव फिर भी l
सखी जुदाई के पल हस्ते हस्ते सह गई ll
औरों के हाथ थाम मंजिल की ओर चले l
थोड़ी सी खुशी थी साथ उसके वह गई ll
खता मत गिन किसने क्या गुनाह किया l
मोहब्बत में दोनों की अच्छाई गह गई ll
२९-६-२०२४
जीत का जश्न मनाने के लिए सकारात्मक योगदान देना चाहिए l
जिन्दगी में खेल हो या कुछ और पूरी सिद्दत
से भाग लेना चाहिए ll
जंग हो या खेल एक अकेला ही काफ़ी होता है
मंजिल तक पहुंचाने को l
हार जीत लगी रहती है दिल में जीत ने का जज्बा होना चाहिए ll
जीतने का जुनून जब सिर पर चढ़कर जीत ही लक्ष्य बन जाये तब l
मनचाहा फल पाने के लिए दिलों दिमाग में हौसला बोना चाहिए ll
खुद की कश्ती खुद ही के समन्दर में समा
जाती एक दिन l
जीवन जीतना भी मिले हसतें मुस्कराते जी भरके जी लेना चाहिए ll
जो भी करो पूरी तरह से तैयार होके दिली लगाव के साथ करो l
जहा हो वहा अपना पूरा तन मन धन और ध्यान देना चाहिए ll
३०-६-२०२४