अब आगे,
रूही को अपने लिए आवाज उठानी नही आती थी वो तो बस अपने ऊपर होने वाले सारे जुल्म सह कर भी चुप ही रह जाती थी और कोई भी उस के भोलेपन और मासूमियत का फायदा उठा सकता था..!
और क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम और सौतेली बहन रीना उस को मिले महीने के खर्च के रुपए जो रूही के सगे पिता अमर अपने तीनो बच्चो को देकर जाते थे..!
वो भी उस से छीन लेते थे इसलिए वो कॉलेज की कैंटीन में पार्ट टाइम जॉब कर के अपना खर्चा निकाला करती थी और इसी पैसों की कमी की वजह से रूही ने अपनी पढ़ाई में एक साल का गैप भी कर लिया था..!
रूही जेसे तेसे कर के अपने कॉलेज की फीस भर कर पढ़ाई कर रही थी, साथ में वो अपने कॉलेज की स्कॉलरशिप स्टूडेंट थी जिस की वजह से उस को कुछ रुपए ही फीस के रूप में देने होते थे बाकी का सारा खर्चा सरकार और कॉलेज का प्रशासन उठाता था..!
रूही, अभी आर्ट स्ट्रीम से अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट करना चाहती थी और उस का अभी दूसरा साल चल रहा था..!
और क्योंकि रूही अपने कॉलेज की टॉपर थी इसलिए उस को स्कॉलरशिप मिला करती थी जिस से भी रूही की पढ़ाई लिखाई का खर्चा निकल जाता था..!
कुछ दिन बाद,
जब रूही के घाव कुछ भर गए तो घर के सारे काम जल्दी जल्दी निपटा कर वो आज अपने कॉलेज के लिए निकलने वाली थी..!
और इसलिए ही वो अपने कमरे मे कुछ रुपए छुपाकर रखे हुए थे क्योंकि आज रूही की इकलौती दोस्त खुशी का जन्मदिन जो था..!
बस इसलिए ही रूही ने बहुत महीनो से उस के लिए कोई छोटा सा गिफ्ट लेने के लिए अपने कॉलेज की कैंटीन में काम कर कर के जो थोड़े थोड़े रुपए बचाकर रखे थे जिस से वो अपनी इकलौती दोस्त खुशी को अपने तरफ से कुछ दे सके..!
क्योंकि एक खुशी ही थी जो रूही का जन्मदिन याद रखती थी और उस के लिए गिफ्ट व केक भी लेकर आती थी और उस का जन्मदिन बहुत अच्छे से मनाया करती थी और तो और उस की फिकर भी किया करती थी..!
साथ में उस को अपना सबसे अच्छा दोस्त भी मानती थी जबकि वो बहुत ही अच्छे परिवार से थी फिर भी उस ने कभी भी रूही को एक मिडिल क्लास फैमिली की होने की वजह से नीचा नही दिखाया था..!
और हमारी रूही बहुत स्वाभिमानी भी थी अगर कोई उस के लिए कुछ भी करता था चाहे वो एक छोटी सी भी चीज ही क्यों न हो तो रूही का भी दिल करता था कि वो भी अपनी तरफ से उस के लिए कुछ करेगी, चाहे उस के लिए उस को अपनी सौतेली मां कुसुम, सौतेली बहन रीना और सौतेले भाई के जुल्म ही क्यों न सहने पड़े..!
इसलिए वो अपने छुपाए हुए रुपए को ढूंढ रही थी पर उस को मिल ही नही रहे थे जिस से वो परेशान हो गई और रोने लग गई..!
रूही की बचपन से एक आदत थी कि अगर उस को दी हुई चीज या फिर उस ने अपनी ही चीज को कही रख दिया और फिर उस को वो चीज वहा पर मिलती थी है तो वो जल्दी ही परेशान हो जाती थी और रोने लगती थी..!
रूही रो ही रही थी कि उस की सौतेली बहन रीना वहा उस के कमरे मे आ गई और उस के पास उस के बेड पर बैठ गई और अब रूही की सौतेली बहन रीना ने अपनी सौतेली बहन रूही से बड़े प्यार से पूछा, "क्या हुआ तुझे और तू इतना परेशान होकर रो क्यू रही है..?"
अपनी सौतेली बहन रीना की बात सुन कर अब रूही ने रोते हुए अपनी सौतेली बहन रीना से कहा, "हां, वो मैने कुछ रुपए बचाए थे वो रूपए नही मिल रहे..!"
अपनी सौतेली बहन रूही की बात सुन कर, उस की सौतेली बहन रीना ने अपनी सौतेली बहन रूही से पूछा, "वैसे किस मे रखे थे तूने अपने वो रुपए जो तूने बचाये थे...?"
अपनी सौतेली बहन रीना की बात सुन कर अब रूही ने सुबकते हुए अपनी सौतेली बहन से कहा, "एक सफेद रंग के लिफाफे में रखे थे मैंने अपने से जोड़े हुए वो रुपए...!"
अपनी सौतेली बहन रूही की बात सुन कर, उस की सौतेली बहन रीना ने अब अपनी सौतेली बहन रूही को एक सफेद रंग का लिफाफा दिखाते हुए अपनी सौतेली बहन रूही से पूछा, "कही ये तो नही है ना..!"
अपनी सौतेली बहन रीना की बात सुन कर और उस सफेद रंग के लिफाफे को देख कर रूही के चेहरे पर खुशी आ गई और वो अपने बेड से उठ कर एक दम से खड़ी हो गई और उसी खुशी के साथ, अपनी सौतेली बहन रीना से पूछा, "हां, ये ही तो वो सफेद रंग का लिफाफा और आप को ये कहा से मिला..?"
To be Continued...
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।