Mera bhai - 4 in Hindi Women Focused by Naaz Zehra books and stories PDF | मेरा भाई भाग - 4

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मेरा भाई भाग - 4

अब आगे



थोड़ी देर बाद



जैसे ही रमन जी और कनक घर में आए तो वहां पर बहुत सारे लोग पहले से ही खांडे हुए थे और शांति को पलंग पर लेट रखा था•••! (कनक शांति जी के पास आई और रमन से बोली बाबा देखो ना मां उठ नहीं रही है इनको बोलो ना यह उठे उनके पास में जो बुजुर्ग औरत रहती थी उन्होंने कनक को अपने सीने से लगाया और बोली बेटा अब वो नहीं उठेगी क्योंकि वो तुम सबको छोड़कर चली गई है)•••! तुम अपने आप को संभालो उनकी बात सुनकर कनक बोली नहीं दादी ऐसा नहीं हो सकता मेरी मां मुझे छोड़कर नहीं जा सकती वह मुझे कैसे छोड़ कर जा सकते हैं नहीं जा सकती मां उठो ना मां आपने कहा था••••!


आप मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेंगी आप ऐसा कैसे कर सकती हैं मां उठो ना मां यह कहकर कनक रोने लगी उसकी बहने
जो सब रो रही थी उन्होंने कनक को अपने सीने से लगा लिया रमन जिसकी आंखों में आंसू थे उसने अपने बच्चों को ऐसा रोता देखा तो अपने दोस्त के सीने से लग गया और बोला
मुझे अकेला छोड़ कर चली गई इसने यह नहीं सोचा हमारे बच्चे इसके बिना कैसे रहेंगे उनको कौन संभालेगा कभी में इसकी जगह नहीं••••!



ले सकता मैं कैसे अपनी बेटियों का ख्याल रखूंगा संजय शांत हो जा यार और तू ही ऐसा टूट जाएगा तो अपने बच्चों को कैसे संभालेगा शांत हो जा देख अपने बच्चों की तरफ क्या हाल हो गया उनका रमन विजय से अलग हुआ और उसने अपने बच्चों की तरफ देखा जो एक दूसरे के गले लगा कर रो रहे थे••••!



उनके पास जाकर उनको अपने सीने से लगा लिया


5 साल बाद


अब कनक की तीनों बहनों की शादियां हो गई थी सब अपने-अपने ससुराल चली गई थी घर में कनक और रमन गुड्डू बचे थे कनक पहले से और ज्यादा समझदार हो गई थी अपने भाई और बाबा का बहुत ख्याल रखती थी•••• !


संजय रमन के घर आया और रमन से बोल रमन अब तेरी बड़ी बेटियों की शादी भी हो गई है सब सही चल रहा है तो क्यों ना कनक की रोखसती ••••!



कर दी जाए रमन के तो सही रहा है कब तक उसको अपने घर रोक सकूंगा अब तो उसको अपने घर जाना ही होगा एक काम कर तू अपनी फैमिली को लेकर आज मैं कनक की रोखसती कर दूंगा संजय ठीक है अब मैं चलता हूं अपनी बहू के आने की तैयारी भी करनी है यह कहकर वो वहां से चला गया••••!


कुछ दिनों बाद



कनक की रोखसती हो रही थी कनक अपने बाबा के सीने पे सर रखकर बहुत रो रही थी रमन की आंखों में भी आंसु थे कनक रमन से अलग होकर गुड्डू के पास आई और बोली गुड्डू तुझे अब अपना ख्याल रखना होगा अब मैं नहीं हूं इसलिए तू अच्छे से रहना बाबा को तंग मत करना अगर तुझे कुछ चीज चाहिए हो तो बाबा को बता देना कहीं इधर-उधर मत निकल जाना•••!




मैं तुझसे मिलने आतीं
रहूंगी गुड्डू कनक की बात सुनकर अपना सा ना में हिलने लगा •••!(जैसे कह रहा हो नहीं तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा मां भी चली गई दीदी भी चली गई अब तुम भी चली जाओगी तो मेरा क्या होगा )••••!कनक उसको इस तरह देख अपने सीने से लगा लिया और रोते हुए बोली मैं तुझसे मिलने आती रहूंगी अगर तू ऐसा रोता रहेगा तो मैं नहीं जा सकूंगी रमन ने गुड्डू को कनक से अलग करा और कनक से बोल बेटा अपना ख्याल रखना और अपने ससुराल वालों की हर बात मानना कभी उनसे ऊंची आवाज में बात नहीं करना कनक ने हां में सर हिला दिया और रमन गुड्डू को एक साथ गले लगाया और वहां से चली गई ••••!



जारी है,,,,,,, रेटिंग कमेंट देना ना भोलिए 👍