A Perfect Murder - 21 in Hindi Thriller by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 21

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 21

भाग 21

“हाँ गौतम, क्या न्यूज़ है?” विक्रम ने जीप साइड में रोकते हुए पूछा।

“विक्रम थोड़ा अर्जेंट है, थाने आ जाओ, सब बताता हूँ।” इंस्पेक्टर गौतम ने फोन पर कहा।

“थाने? तुम दिल्ली में हो?” विक्रम ने पूछा।

“हाँ, आज ही आया हूँ।”

“ठीक है मैं आता हूँ।” ये कह विक्रम ने फोन रख दिया। “गौतम का फोन था। उसे प्रीति पर नज़र रखने को कहा था। लगता है कुछ सबूत हाथ लगे हैं। एक काम करता हूंँ तुम्हें अपर्णा घई के छोड़कर मैं थाने निकल जाता हूँ।” विक्रम ने कविता से कहा।

“ठीक है, पर कुछ पता चलते ही मुझे फोन करके ज़रूर बता देना‌। और हाँ, गौतम को आज रात डिनर पर ज़रूर बुलाना।” कविता ने कहा।

“अब ये तो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात हो जाएगी। तुम्हें देख उसके ज़ख्म हरे हो जाएंगे।” विक्रम ने व्यंग्यात्मक हँसी में कहा।

“उफ्फ विक्रम, कॉलेज छोड़े ज़माना हो गया। क्या तुम भी! अब वो शादीशुदा है और एक बच्चे का बाप भी है।”

“अरे जानेमन! पहला प्यार भुलाए नहीं भूलता। और तुम उसका पहला प्यार हो जिसको उसके सबसे अच्छे दोस्त ने ही छीन लिया। ये ज़ख्म कभी नहीं भरने वाला।” विक्रम ने हँसते हुए कहा।

“सुधर जाओ तुम विक्रम। चलो रोको, क्लिनिक आ गया।” कविता ने प्यार से उसके गाल खींचते हुए कहा।

विक्रम ने गाड़ी रोक दी। कविता जब उतर‌ रही थी तो विक्रम ने शरारती अंदाज में कहा, “सुनो, डॉक्टर से सबसे बेस्ट दिनों की जानकारी भी ले लेना।”

कविता को कुछ समझ नहीं आया तो वो हैरानी से विक्रम की तरफ देखने लगी।

“अरे! वो दिन जब माँ बनने के सबसे ज़्यादा चांस हो। मुझे भी एक बच्चे का बाप बनना है।” विक्रम ने उसे दूर से उड़ता हुआ चुम्बन दिया और हँसते हुए वहाँ से निकल गया।


अपर्णा घई का क्लिनिक
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“मैम मैं कविता राठोर।‌ मैं एक डिटेक्टिव हूँ और एक केस के सिलसिले में आपसे कुछ पूछताछ करनी है।” कविता ने अपर्णा घई के कैबिन में घुसते हुए कहा।

“आइए प्लीज़। कहिए क्या सहायता कर सकती हूँ मैं?”

कविता ने उन्हें नीलम की तस्वीर दिखाते हुए पूछा, “आप इसे जानती हैं?”

अपर्णा घई कुछ समय तक नीलम की तस्वीर देखती रही और फिर बोली, “नहीं, जहाँ तक मुझे याद है ये मेरी पेशेंट नहीं है। अब बहुत पहले की बात होगी तो मैम चेहरे याद रखना बहुत मुश्किल हो जाता है।”

“पहले की नहीं हाल-फिलहाल की ही बात है। ध्यान से देखिए।”

“यही तो कह रही हूं मैं मैम। हाल-फिलहाल में इस शक्ल-सूरत की मेरी कोई पेशेंट नहीं है।” अपर्णा घई ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा।

“तो आपने बिना जाने-पहचाने इस औरत को डॉक्टर चंद्रा के पास भेज दिया, वो भी अबॉर्शन जैसे केस के सिलसिले में?” कविता ने ताज्जुब जताते हुए पूछा।

अपर्णा घई के चेहरे पर बहुत सी शिकन दिखाई दे रही थीं। वो समझने की कोशिश कर रहीं थीं कि आखिर कविता कहना क्या चाहती है?

“क्या नाम बताया आपने इनका?” डॉक्टर अपर्णा घई ने पूछा।

“अभी तक तो बताया नहीं था। खैर, बता देती हूँ। इसका नाम नीलम है। खिड़की एक्सटेंशन में रहती है। लगभग दो महीने की प्रेगनेंसी थी।

डॉक्टर अपर्णा घई अपने दिमाग पर ज़ोर डालते हुए बोली, “हाँ, नीलम…जी, याद आया। मैंने ही इन्हें डॉक्टर चंद्रा को रिकमेंड किया था।”

“तो फिर आप इन्हें पहचानी कैसे नहीं डॉक्टर अपर्णा?” कविता ने पूछा।

“दरअसल, मैं इनसे कभी मिली नहीं। मेरे एक सहपाठी हैं, उन्होंने मुझसे बहुत आग्रह किया कि मैं नीलम का केस देख लूँ। पर जब मुझे पता चला कि दो महीने की प्रेगनेंसी है, तब मैंने उनका केस डॉक्टर चंद्रा को रिकमेंड कर दिया।” डॉक्टर अपर्णा घई ने बताया।

“ये कौन सहपाठी हैं आपके डॉक्टर? प्लीज़ मुझे नाम जानना बहुत ज़रूरी है।”

“पर मैम, ये सब कॉन्फिडेंशियल होता है। ऐसा क्या हुआ है इस औरत को कि आप यहाँ तक आईं हैं?” डॉक्टर अपर्णा ने पूछा।

“डॉक्टर, नीलम 16 जुलाई से गायब है। हम हर एंगल को तलाश रहे हैं। शायद कोई सुराग मिल जाए। इसलिए पूछ रही हूँ कि कौन सहपाठी थीं जिन्होंने नीलम के बारे में आपसे बात की।” कविता ने बहुत विनम्र निवेदन करते हुए पूछा।

खिड़की गाँव थाना
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“क्या हाल है इंस्पेक्टर गौतम! कैसा है यार!” विक्रम ने थाने में घुसते ही अपनी बाहें फैला इंस्पेक्टर गौतम का स्वागत किया।

“विक्रम! बहुत बढ़िया हूँ दोस्त! तू बता, सब कैसा चल रहा है?” गौतम ने विक्रम को गले लगाते हुए पूछा।

“सब बहुत बढ़िया चल रहा है मेरे भाई। आजा केबिन में चलते हैं।” विक्रम ने कहा।

“तो अब बता, दिल्ली कैसे आना हुआ?” विक्रम ने गौतम को बैठा कर खुद कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

“कमिश्नर ने बुलाया था। तो सोचा तूने जिस केस की इंवेस्टिगेशन करने को कही थी उसके बारे में मैं खुद तुझे सारी जानकारी दे दूँ।”

“तो बता यार, कुछ पता चला प्रीति की गतिविधियों के बारे में?”

“देख विक्रम, जितना तूने मुझे केस के बारे में बताया, मैंने एक आदमी सादे कपड़ों में प्रीति और उसके घर के अन्य सदस्यों पर नज़र रखने के लिए छोड़ दिया।” ये कह गौतम ने‌ एक लिफाफा निकाला और उसे खोल उसमें से कुछ तस्वीरें निकालीं।

“देख, ये है प्रीति का पति, प्रमोद गुप्ता। उससे उम्र में दस साल बड़ा है। एक सफल बिजनेसमैन है। उसकी ये दूसरी शादी है। पहली बीवी एक नौ साल का बच्चा छोड़ मर गई तो परिवार के दबाव में आकर उसने प्रीति से शादी कर ली। प्रीति के घरवाले उसके लिए अमीर खानदान ढूंढ रहे थे तो उन्होंने बिना कुछ सोचे प्रीति की शादी इससे कर दी। ये आदमी, बहुत रंगीन मिजाज का है। घर से ज़्यादातर बाहर ही रहता है।

ये हैं प्रमोद का बेटा, आर्यन। इसकी उम्र अब इक्कीस साल है। बाप की तरह ये भी लड़कियों के चक्कर में लगा रहता है। बाप क्या रहा है ये लुटा रहा है।

मेरे भेजे आदमी के अंदाज़े से, प्रीति का ना अपने पति से और ना बेटे से इतना अधिक गहरा रिश्ता है। बस नाम का ही रिश्ता है। और एक बात, मेरे खबरी के हिसाब से प्रीति किसी से छिप कर फोन पर बातें करती थी। और, जिस फोन से वो‌ छिप कर बातें करती थी वो फोन दूसरा था।”

“ओह! तो नम्बर भी दूसरा होगा? कैसे पता चलेगा?” विक्रम ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा।

विक्रम की इस बात पर गौतम व्यंग्यात्मक लहज़े में हँसते हुए बोला, “भाई! मेरा खबरी भी कम नहीं है। उसने नम्बर हासिल कर लिया।”

“क्या! अरे वाह! पर कैसे?” विक्रम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

“प्रीति मॉल गई थी एक दिन। वहाँ एक चोर से उसका पर्स चोरी कराया और फोन से नम्बर डायल कर पर्स वापस रख दिया। इस तरह प्रीति को शक भी नहीं हुआ।”

“क्या बात है भाई! मानना पड़ेगा तेरे जासूस को। भाई कविता को भी उससे ट्रेनिंग दिला दे।” विक्रम ने हँसते हुए कहा।

“कविता बहुत अच्छी जासूस है। उसके बारे में कुछ मत बोल।” गौतम ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा।

“ओहो! आज भी दर्द है दिल में!” विक्रम ने हँसते हुए कहा।

“तू भी ना यार! बेकार बात करता है। सच में तारीफ कर रहा हूँ कविता की। शी इज़ गुड।”

“नो, शी इज़ बेस्ट!” विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा।
“और आज तेरी बेस्टी ने तुझे घर बुलाया है, डिनर पर।”

“भाई, दोस्त बुलाए और हम ना जाएं, ऐसे तो हालात नहीं।” गौतम ने हँसते हुए कहा।

“अच्छा प्रीति का दूसरा नम्बर दे। मैं कॉल डीटेल्स निकलवा लेता हूँ।” विक्रम ने कहा।

गौतम ने फिर मुस्कुराते हुए एक दूसरा लिफाफा निकाला और विक्रम की तरफ बढ़ाते हुए कहा,
“ले भाई तेरा ये काम भी कर दिया है। और उस नम्बर की डीटेल भी है जिसपर प्रीति फोन करती थी। दरअसल इस नम्बर से प्रीति केवल एक ही नम्बर पर फोन करती थी, और ज़ाहिर है वो नम्बर और वो शख्स खास ही होगा।”

“किससे बात करती थी वो?” विक्रम ने लिफाफा खोलकर जब देखा तो उसके होश उड़ गए।

अपर्णा घई का क्लिनिक
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“क्या? ये आप क्या कह रहे हैं डॉक्टर? इसने आपसे नीलम को डॉक्टर चंद्रा के पास भेजने के लिए कहा?” कविता वो नाम सुन स्तब्ध रह गई।

“येस मैम, मैं सच कह रहा हूँ। दोस्ती बहुत अच्छी है इसलिए मैं मना नहीं कर पाई। उस लेडी, मतलब नीलम की जो मजबूरी मुझे बताई गई थी, मैं भी उसपर दया किए बिना नहीं रह पाई।” अपर्णा घई ने कहा।

“डॉक्टर आप अपने दोस्त को मत बताना कि मैं यहां आई थी और आपने मुझे सब कुछ बता दिया है। प्लीज़ आपसे निवेदन है।” कविता ने कहा।

“श्योर मैम, मैं कुछ नहीं कहूँगी। आगे भी आपको कोई सहायता चाहिए हो तो मैं तैयार हूँ। गुड बाय”

“थैंक्स, गुड बाय।”

विक्रम और कविता दोनों को उस नाम ने हैरत‌ में डाल दिया। केस सुलझने की जगह और उलझ गया था शायद। नीलम कैसी है और कहाँ है, ये सवाल दोनों को कचोट रहा था।

क्रमशः
आस्था सिंघल