The Author RashmiTrivedi Follow Current Read धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 11 By RashmiTrivedi Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मी आणि माझे अहसास - 102 दिलबर दिलबरच्या डोळ्यातले संकेत समजत नाहीत, तो अनाड़ी आहे. स... तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 10 श्रेया मुख्याध्यापकांच्या केबिन चा दरवाजा ठोठावते प्रिंसिपल... अनुबंध बंधनाचे. - भाग 29 अनुबंध बंधनाचे.....( भाग २९ )खुप वेळ झाला प्रेम तिथेच त्या ग... नियती - भाग 47 भाग 47धावता धावता त्याच्या लक्षात आले... की कुत्र्यांचे भुंक... माहेरची साडी माहेर ची साडी ..**************बँकेत काम करताना जसे काम जबाबद... 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"क्रिस्टीना... क्रिस्टीना की आत्मा है वो...मैं यक़ीन के साथ तो नहीं कह सकता लेकिन मुझे लगता है कि जेनेट ने जिस लड़की को उस शीशे में देखा था,वही होगी क्रिस्टीना!", अशोक ने कहा। शिवाय ने क्रिस की तरफ़ देखते हुए कहा,"क्रिस्टीना? अब यह कौन है यार?" क्रिस ने अपने दोस्तों को चुप कराते हुए कहा,"वन मिनिट गाइज. ..मैं अशोक अंकल को अच्छे से जानता हूँ, अगर उन्होंने यह बात कहीं है तो उसके पीछे ज़रूर कोई वजह होगी। वह ज़रूर ऐसी बात जानते हैं जो हम नहीं जानते। क्यूँ अंकल,मैं सच कह रहा हूँ न?" अशोक ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा,"क्रिसबाबा, असल में एक बात है जो मैडमजी यानी आपकी दादी के हिदायत की वजह से मैंने आपसे छुपाई है। यह बात सच है कि यह विला कई दिनों से बंद था और इस विला के बारे में तरह तरह की बातें भी कहीं जाती थी,जैसे कि यहाँ किसी आत्मा का वास है। इसी वजह से इसे कोई खरीद नहीं रहा था। मगर आप तो अपनी दादी को जानते है न,वो कितनी प्रैक्टिकल औरत हैं! वो इन सब भूत-प्रेत की बातों पर विश्वास नहीं करती। जब उन्होंने देखा कि इतना अच्छा विला इतनी प्राइम लोकेशन पर इतने कम दामों में मिल रहा है तो सब कुछ जानने के बावजूद भी उन्होंने इसे खरीदने का फ़ैसला कर लिया था। यहाँ आने के बाद उन्होंने मुझे सख्त हिदायत दी थी कि मैं कभी इस बारे में आपसे बात न करूँ, वरना खामखाँ वहम आपके दिल में घर कर जाएगा। सच कहूँ तो पहले मैं भी इन सब बातों को नहीं मान रहा था,न ही पहले मुझे इसके पीछे की कहानी पता थी। लेकिन सुबह जब इस विला में दाख़िल हुआ तो मुझे कुछ महसूस हुआ,जैसे कुछ तो यहाँ अजीब हो। आपको याद है,सुबह उस गेट का अपने आप बंद हो जाना?! हमें लगा था, रिमोट में कुछ गड़बड़ है। मैंने तो पीटर की बताई हुई क्रिस्टीना की कहानी पर भी यक़ीन नहीं किया था,लेकिन जब चौकीदार ने एक लड़की का ज़िक्र किया,वो भी सफ़ेद लिबास वाली लड़की का...तो मेरा दिमाग़ घूम गया। क्यूँकि पीटर ने भी यही कहा था। अक्सर लोगों को यहाँ वो लड़की नज़र आती है और फिर ग़ायब हो जाती है!" अशोक की पूरी बात सुन क्रिस ने पूछा,"पीटर... मतलब वो नया बटलर..जिससे आज सुबह आपने मुझसे मिलवाया था? क्या आप उसी की बात कर रहे हैं? क्या बताया उसने आपको? कैसी कहानी?" तब अशोक ने कहा,"कई वर्षों पहले पीटर के पिताजी यहाँ इस विला में काम करते थे। उन्होंने ही अपने बेटे को इस बारे में बताया था। उनके मुताबिक़...... आगे अशोक ने सब को क्रिस्टीना की वही कहानी सुनाई जो उसने पीटर से सुनी थी। कहानी सुनने के बाद सब लोग एक दूसरे की ओर देखने लगे जैसे आँखों ही आँखों में पूछ रहे हो,"क्या तुम यक़ीन करते हो इस कहानी पर?"... क्रिस ने अशोक की पूरी बात सुन आगे कहा," अच्छा तो आप यह कहना चाहते हैं कि यह क्रिस्टीना का विला है और वो नहीं चाहती कि हम यहाँ रहे इसीलिए अपने होने का एहसास वो हमें इस तरह डराकर करवा रही है!".. "लग तो कुछ ऐसा ही रहा है मुझे भी! कुछ समझ नहीं आ रहा। कभी लगता है यक़ीन करूँ,कभी लगता है नहीं।", अशोक ने कहा। क्रिस ने अतुल और शिवाय की ओर देखा, उन दोनों के चेहरे पर तो जैसे साफ़ साफ़ लिखा था कि उन्हें इस कहानी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था! लेकिन अशोक अंकल की वजह से वह दोनों चुप थे। तभी क्रिस ने आगे पूछा,"तो अब हमें क्या करना चाहिए? क्या यहाँ से चले जाना चाहिए?" "हमारे जाने से हमारी प्रॉब्लम तो दूर हो जाएगी लेकिन क्रिस्टीना...क्या उसकी आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी? वो तो यही इसी घर में क़ैद होकर रह जाएगी और कभी भी कोई इस घर में रह नहीं पायेगा।",अशोक ने कहा। तभी अतुल ने धीरे से शिवाय के कानों में मज़ाकिया लहज़े में कहा,"तो अब यह अंकल उस आत्मा को मुक्ति दिलाकर ही रहेंगे!"... अतुल की बात सुन शिवाय को हँसी आ रही थी। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को रोकते हुए अपने हाथ की घड़ी की ओर देखा। बातों बातों में उन्हें पता ही नहीं चला था,सारी रात यूँ ही गुज़र चुकी थी। सुबह के पाँच बजने वाले थे। क्रमशः ... रश्मि त्रिवेदी ‹ Previous Chapterधुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 10 › Next Chapter धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 12 Download Our App