राठौड़ हाउस में....
राजवीर तैयार होकर डायनिंग टेबल पर आया अनु पहले ही बैठ चुकी थी ..
राजवीर अपनी चेयर बैठने के लिए खिसकाते हुए बोला ,"अनु आज शाम सात बजे कुमार विश्वास का प्रोग्राम है , क्या तुम उसे सुनने जाओगी ..??
अनु ने कुमार विश्वास का नाम सुनकर एक्साइटेड होकर मुस्कुराई और बोली,"क्या कुमार विश्वास का प्रोग्राम है ..??
राजवीर ने कहा,"हां आज शाम ..!!
अनु ने कहा,"ठीक है आप जल्दी आ जाना फिर हम चलेंगे ..!!
राजवीर ने कहा मुंह लटकाकर ,"सॉरी अनु मुझे लेट हो जाएगा इसलिए तुम चली जाना शालू को लेकर ड्राइवर के साथ मैं ड्राइवर को बोल दूंगा वो ले जाएगा फिर मैं टाइम निकाल कर आ जाऊंगा ..!!
शालू ने दोनों को नाश्ता सर्व किया..!!
अनु ने कहा ,"ठीक है , मैं इंतजार करूंगी आपकी ..!!
इधर ..
अरनव आज जल्दी ऑफिस आया और दौरे पे चला गया जहां कुमार विश्वास का प्रोग्राम होना था ,उसने ऑडिटोरियम की व्यवस्था देखी और पुलिस की सिक्योरिटी देखी फिर एयरपोर्ट के तरफ अपने कुछ टीम के साथ गये ..!!
शाम को...
अनु तैयार होने लगी आज उसने डार्क पिंक कलर की अनारकली सूट पहनी और शालू के साथ शाम छह बजे ड्राइवर के साथ चली गई ...
ऑडोटोरियम को बहुत सुंदर सजाया था लोगों का आना शुरू हो गया था यहां वीआईपी गाड़ियों और आम लोगों की पार्किंग व्यवस्था अलग अलग जगह थी और आने जाने वाले विजीटर्स लोगों की रास्ते अलग थी ..
कुछ ही देर में - प्रोग्राम शुरू हुआ और स्टेज पर तीन चार कवि जन स्टेज़ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई...
एम सी ने प्रोग्राम शुरू किया माइक पकड़कर और पहले दो अन्य कवि को माइक दिया और शमा बांधे .. अनुप्रिया शालू के साथ वीआईपी लाइन के दूसरे रो पर बैठी थी और शालू उसे उन कवियों के बारे में बात रही थी और अरनव अपने काम के बाद अपने पैरेंट्स के साथ जस्ट अनु के रो के अपोजिट बैठे ,समय बीता और कुमार विश्वास की बारी आई ..!!
कुमार विश्वास ने माइक पकड़ तो हुटिंग और तालियां बजाकर स्वागत किया वहां बैठे नीचे दर्शकों ने ...तो
कुमार विश्वास ने मुस्कुराते हुए अभिवादन किया और कुछ समाजिक बातें कहीं और कुछ न्यू जेनरेशन के बारे में तो कुछ राजनीति पर बात किया ,फिर वो अपने बारे में बताया और कविता याद करके अपना मशहूर कविता गाया ...
"तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में
एक गीत पलकों पर
लिखना एक गीत होंठों पर
लिखना यानि सारी गीत
हृदय की मीठी-सी चोटों पर लिखना
जैसे चुभ जाता है कोई काँटा
नंगे पांव में ऐसे गीत उतर आते हैं,
मेरे मन के गाँव में ..
कोई दीवाना कहता है...
कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ,
तू मुझसे दूर कैसी है
(स्टेज़ के नीचे बैठे दर्शकों ध्यान पूर्वक देख रहे थे और सुन रहे थे ,अनु भी बहुत ध्यान से सुन रही थी )
ये तेरा दिल समझता है
या मेरा दिल समझता है !!
जो धरती से अम्बर जोड़े ,
उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े,
उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तक तो, जाती है
हर उम्र मगर,बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ..
पूरे ऑडिटोरियम में तालियां बजाने से गुंज गई , फिर कुछ देर में प्रोग्राम खत्म होने की एनाउंस मेंट हुआ और दर्शक अपने घर जाने के लिए उठे ...
सभी दर्शकों के बीच में अनु भी जाने लगी भीड़ बहुत थी तो अनु के चप्पल पर किसी ने धोखे से पैर रखा जाता है और वो अनबैलेंस होकर सामने जा रहे पुलिस वर्दी वाले शख्स को गिरने से बचने के लिए पकड़ लेती है ...
वो शख्स कोई और नहीं अरनव खुराना रहता है ,उसे एहसास होता है कोई गिरने से बचने के लिए पकड़ लिया है तो वो अपने हाथ को पीछे करके पकड़ता है गिरने वाले को और खड़े हो जाता है..!!
अनु ने पुलिस वर्दी वाले शख्स को बोली है ,"सॉरी सर , मैंने जानबूझकर नहीं पकड़ा ...!!
अरनव को वो आवाज़ जानी पहचानी लगी और पीछे मुड़कर देखा तो अनु थी अरनव बेहद आश्चर्य हुआ और आंखों में चमक आई ,अनु अरनव को छोड़कर आगे बढ़ रही थी ,अरनव बस देखता ही रहा तो अनु फिर भीड़ में जा रही थी, अरनव की दिल की धड़कन बढ़ गई फिर कहा ,"अनु .... फिर उसने आवाज दिया ,अनु ..अनु.. ,,,,अनु भीड़ में गायब हो गई!!
मृदुला ने सुनी अरनव को आवाज देते और रुककर पूछी ,"अरव ,किसे आवाज दे रहा है ..??
अरनव ने कहा ,"मॉम ,अनु को आपको याद है नहीं अनु ..??
मृदुला ने सोचा फिर ,"अनु ...
अरनव ने कहा ,"मॉम ,अनुप्रिया शंकर याद करो ..??
कुछ कदम पर जा चुका था अमरीश खुराना ने मुड़कर देखा और कहा,"आओ चलो , एक जगह पर खड़े क्यों हो लोगों को जाने दो ..!!
अरनव और मृदुला ने अमरीश को देखा और कहा सिर हिला कर ,"हां आ रहे हैं , फिर दोनों जाने लगे ..!!
इधर ..
अनु , शालू के साथ थी वो लोग दरवाजे के पास खड़े थे और ड्राइवर को फोन कर दिया अनु बोली,"ड्राइवर भैया आप गाड़ी पार्किंग से दरवाजे पर ले आओ , और फोन कट किया ...तो
अरनव अपने पैरेंट्स के साथ था वो अपने पैरेंट्स को छोड़ने आ रहा था तभी उसके पैरेंट्स को पहचान वाले मिले तो बात करने लगे ,अरनव को कुछ दूर में बगल में खड़ी अनु पर नजर गया ,इस बार उससे रहा नहीं गया और अपने पैरेंट्स को बिना कुछ बोले अनु के तरफ आया और बोला,"अनुप्रिया शंकर तुम यहां ,अरनव ने मुस्कुराते हुए कहा..!!
अनु ने देखा पर वो अजनबी की तरह घूरने लगी ..!!
अरनव को लगा अनु पहचान नहीं रही है फिर अनु के थोड़े पास जाकर कहा ,"पहचाना नहीं क्या , इतनी जल्दी भूल गई ,नॉट फेयर अनु , तुम्हारी कितनी छोटी याददाश्त है , कुछ साल नही देखी तो भूल गई मुझे , मैं अरनव खुराना ,अरव खड़ूस याद आया हम एक कॉलेज में थे ..!!
अनु ने अपना दिमाग में जोर दिया तो कुछ याद नहीं आया उल्टा सिर दर्द होने लगी तो बोली,"सॉरी सर मैं आपको नहीं पहचानती ..!!
अरनव ने आंखें सिकोड़ कर कहा,"क्या ,तुम मुझे नहीं पहचानती , क्या तुम अनुप्रिया शंकर नहीं हो तुम्हारे पिता का नाम मनोहर शंकर , मां का नाम कविता शंकर है और तुम एक चाल में रहती थी ,याद करो ,मैं और तुम दोस्त थे ,हम मुंबई युनिवर्सिटी में पढ़ाई करते थे ,तुम इंटिरियर डिज़ाइनर बनना चाहती थी मैं आईपीएस...!!
अनु ने कहा आश्चर्य से बोली,"हां , मुझे मेरे माता पिता के नाम पता है लेकिन मैं आपको नहीं जानती ,मेरा विश्वास कीजिए..!!
अरनव ने अनु के मांग पर सिंदूर देखा और गले में मंगलसूत्र देखा और कहा,"सॉरी आप शादी शुदा हो गई इसलिए मुझे पहचानने से मना कर रही हो एनिवेय मैं शायद आपका समय बर्बाद कर रहा हुं जाइए आप ,वो बोला और जाने लगा ..!!
अनु ने कहा जाते हुए अरनव को देखकर ,"मेरी याददाश्त नहीं है मैं नहीं जानती अपने पिछले अतीत के बारे में ,उसने अपना सिर पकड़ लिया...
शालू ने देखा अनु परेशान हो रही थी वो अपने सिर पर हाथ रख दिया था ....
कहानी जारी है....
पाठकों आप लोगों से अनुरोध है कृपया समीक्षा जरूर दीजियेगा कहानी पसंद आई तो .. धन्यवाद 🙏