Wo Ankahi Bate - 29 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 29

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 29

और फिर बोला देखो यशु को सब बता दिया मैंने जैसा तुमने कहा था?
पर लगता है कि यशु नाराज़ हो गया है। फिर बिमल रोज की तरह पलंग पर लेट गए।
और सो गए।
दूसरे दिन सुबह उठकर देखा तो यश का दरवाजा बंद था और फिर अन्दर से तोड़ फोड़ करने की आवाज आई तो मैं मन में हंसा और फिर बोला कि हां ,सब कुछ स्वाभाविक ही है मेरा यशु तो ये सब पहले भी करता था।
कुछ देर बाद सरिता भी आ गई और फिर नाश्ता तैयार करने लगी।
यश अपने रूम में अपने सारे गुस्से, अभिमान को तोड़ फोड़ कर दिया और फिर बोला अगर सच में ये लोग मुझे नहीं बताते तो क्या मैं कभी इनको माफ करता और फिर मुझे कभी भी महसूस नहीं हुआ कि मैं इनका सन्तान नहीं हुं।।सच में इन दोनों का प्यार देख कर एक कहानी लिखने को दिल करता है ऐसा प्यार कहीं देखने को नहीं मिलेगा समझौते के प्यार कहां से कहां लेकर गया।।
I feel very proud।
यश तैयार हो कर नीचे पहुंच गया और फिर बोला पापा आपने दवाई लिया?
बिमल ने कहा अरे बाबा नहीं लिया तू देगा ।।
यश ने दवा देते हुए कहा कि पापा आज मुझे पता चला कि जन्म देने वाले मां बाप से बड़ा वो होता है जो पाल पोस कर एक अच्छी जिंदगी देता है और फिर मुझे तो कभी कुछ पता नहीं चल पाया।यश कहते कहते रोने लगा और फिर बिमल ने गले लगा लिया।
यश ने कहा पापा मुझे गर्व है आप दोनों पर और मैं एक दिन एक अच्छा इंसान बनकर दिखाऊंगा।।
बिमल ने अपने गले से लगा लिया और फिर बोला हां, बेटा यशु तू ही तो मेरा सब कुछ है तेरी मां के जाने के बाद ही मैं और तू, और मेरा एक ही उद्देश्य था कि तुझे एक अच्छा इंसान बना सकूं।
यश ने कहा हां पापा अब समझ गया मैं कि आप ने मां के जाने के बाद दूसरी शादी क्यों नहीं किया?
मां और पापा का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है और फिर ये तो प्यार की अनोखी कहानी है जो कि सब से परे है।
समझौते का प्यार भी होता है यह आज पता चला और समझौते के रिश्ते में प्यार का एहसास इतना अनोखा होता है कि जो इसमें एक बार चला जाए वो बस उनकी यादों के सहारे पुरी जिंदगी बिता देते हैं और फिर प्यार का दूसरा नाम समर्पण, त्याग ,बलिदान ही तो है।।
बिमल ने कहा चांदनी देखो तो हमारा यशु आज कितना बड़ा हो गया है।। हां पापा मिलास देने वाली इश्क।।
कुछ देर बाद ही रिचा आ गई और फिर बोली अंकल आज मेरे पापा आ रहें हैं शाम को।।
बिमल ने कहा जीती रहो मेरी बच्ची। मेरी मुंह की बात कही है।।बस एक यही काम बचा हुआ है।
यश ने कहा अच्छा ठीक है अब हम चले कालेज के लिए।।
फिर दोनों हाथों में हाथ डाल कर निकल गए।
बिमल अपनी चांदनी की यादों को समेटे हुए अपने कमरे में जाकर शाम होने का इंतजार करने लगे।।
शाम को रिचा के पापा मम्मी आ गए और फिर सब कुछ तय हो गया।
रात को सोते समय बिमल ने चांदनी की तस्वीर के पास जाकर बोला कि देखो तुम्हारे बेटे की शादी अगले महीने है।
और तुमने का था तुम यश के पास आओगी।।
है ना मेरी बुढ़ी आंखें तुम्हें देखने के लिए तरस गई है।
क्रमशः