Wo Ankahi Bate - 27 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 27

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 27

ऐसा चाहती थी।।
दोपहर को तुम्हारा अन्नप्राशन संस्कार हो गया तुम्हें खीर खिलाया गया।
शाम को सभी मेहमानों का स्वागत गीत से किया हमने।।
चांदनी ने खुद जाकर एक बहुत बड़ा सा केक लेकर आईं।
तुम तो रो रहें थे क्यों कि भीड़ भाड़ काफी नया चेहरा।।
फिर हम तीनों ने मिल कर केक काटा।
सब को केक भी खिलाया और डिनर करने के बाद सब अपने ,अपने घर लौट आए।
हमने अस्पताल से आएं डाक्टर और नर्स को भी अच्छी तरह से खातिर किया क्योंकि भगवानकब किस रूप में हमारे पास आ जाएं ये तो सिर्फ वही बता सकता है जिसके साथ चमत्कार हुआ है।।


फिर सब चले गए।
पार्टी के बाद तुम्हारी तबियत खराब हो गई तुम्हें बुखार आ गया था वो भी टीका लगाने की वजह से।।
सारी रात तुम्हारी मां ने तुम्हें अपनी सीने से लगा कर तुमको सुलाया पर खुद जागती रही।।।
सुबह वो भी सो रही थी और तुम भी उसकी गोद में सो रहे थे।ऐसी होती हैं मां बिना किसी स्वार्थ के सब कुछ कर सकती हैं तभी तो मां कहलाती है।।
यश ने कहा हां, पापा मै तो मां को ज्यादा समय तक नहीं देख पाया।
बिमल ने कहा हां, उस समय तो तुम पांच साल के थे।
स्कूल में वार्षिकोत्सव समारोह था और तुम राजकुमार बने थे।
याद है तेरी मां ने तुम्हें सारा डायलाग याद करवाया था।

और फिर तुमको फर्स्ट प्राइज भी मिला था।
यश ने कहा हां मुझे सब याद है कितना कठिन था हिंदी के शब्द।।


बिमल ने कहा हां भगवान ने सब कुछ तो दे दिया था हमें पर तेरी मां का प्यार शायद मुझे रास नहीं आया और फिर एक बरसात की रात को तेरी मां की हालत गंभीर हो गई थी और फिर मैं चांदनी को अस्पताल ले जाने लगा पर चांदनी का मन न था अस्पताल जाने का ,तो डाक्टर को घर पर बुलाया।
तेरी मां को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी और फिर डाक्टर ने कहा कि अब वक्त निकल गया है कभी भी कुछ हो सकता है।।
और फिर तेरी मां मुझे और तुमको अपने पास ही बैठा रखा था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और फिर तू सिर्फ पांच साल का बच्चा।।
चांदनी ने कहा बिमल मैंने कोई पुण्य किया होगा जो मुझे तुम जैसे एक नेकदिल जीवन साथी मिला पर मैंने तुम्हें हमेशा एक ही बात कही कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती हुं पर सच तो यह है कि मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती थी पर डर लगता था कि कहीं मैं तुम्हें खो न दूं तो इस बात पर समझौता कर लिया कि तुम मेरेलिए नहीं बने हो क्योंकि मेरी बिमारी की वजह से मैं तो तुम्हें कुछ नहीं दे सकती थी।पर फिर भी एक समझौते पर ही शादी हो गई पर जब बात बच्चे की आ गई तो मैं हार ही गई थी अगर उस समय तुमने मेरा साथ न दिया होता।।उस समय जब सबको ये लगा कि मैं सच में मां बनने वाली हुं।
पर मुझे जब पता चला कि वो तो एक वहम था मुझे ,पर तुमने मुझे समझाया कि उस वहम पर ही अब निर्भर करना होगा।।नौ महीने तक मैं उसी में रही और सबको वो ही बताया और फिर अस्पताल में भर्ती होने के बाद मुझे इस बात का डर था कि क्या होगा?और जब नर्स ने दवा देकर बेहोश कर दिया और फिर जब आंख खुली तो देखा एक नन्हा सा राजकुमार लेटा हुआ था और मेरे आंखों से खुशी की आंसु बहते जा रहें थे।।
बिमल ने कहा अब बस करो तुम आराम करो।।
चांदनी ने कहा नहीं आज मुझे बोलने दो।
यशु जब अठारह साल का हो जाएगा तो उसे सब बता देना मैं चाहती हूं।।।बस इतना कह कर चांदनी सदा के लिए इस जीवन
से मुक्त हो गई।
क्रमशः