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वो तुम थे!!!
उन्होंने उसे भी पेपर देने की अनुमति दे दीं। वह जल्दी से अपनी व्हील चेयर खिसकाता हुआ, अंदर जाने लगा। राजवीर और रघु ने उसे देखा तो उन्हें भी थोड़ी हैरानी हुई, मगर फिर समय की नजाकत को देखते हुए अपना पेपर करने लगे। निहाल के पास सवाल ज्यादा है और समय कम। उसे राजवीर पर गुस्सा आ रहा है, मगर अपने गुस्से पर काबू पाते हुए उसने अपना सारा ध्यान पेपर में लगाना ही बेहतर समझा। वह बड़ी तन्यमयता से पेपर करता जा रहा है। उसे उम्मीद है कि वह समय के रहते पेपर कर लेगा। जब उसने वहाँ खड़े टीचर से एक्स्ट्रा टाइम की माँग की तो उसने कहा, “यह हमारे में हाथ में नहीं है, पेपर तो अपने समय पर खत्म होगा। निहाल का दिमाग और हाथ, अब और तेज़ी से दौड़ने लगा। सोनाली और नंदन भी खुश है कि नन्हें पेपर दे पा रहा है।
राजवीर और रघु तो अब भी तुकबंदी करकर ही अपना पेपर कर रहें हैं। समय गुज़रता जा रहा है। जहाँ सभी स्टूडेंट्स को पेपर पूरा करने के लिए तीन घण्टे मिलें है, वही नन्हें को सिर्फ़ डेढ़ घटा मिला है।
जब कमरे में ड्यूटी पर तैनात टीचर ने बताया कि सिर्फ पद्रह मिनट रह गए हैं तो सबकी धडकनें तेज़ हो गई। जिन्हें पेपर आता है, उनके लिए तो यह टाइम भी कम है, लेकिन जिन्हें नहीं आता, उनके लिए तो यह समय जल्दी गुजरे, वही ठीक है। नन्हें का हाथ तो तेज़ चल रहा है, मगर उसका दिमाग जल्दी के चक्कर में दुविधा में फंसा हुआ है। अब धीरे-धीरे घड़ी की सुई आगे खिसकती जा रही हैं। सोनाली भी आख़िरी के सवाल से हार मान गई है। अब उसने भी तुकबंदी करना शुरू कर दिया, यही हाल नंदन का भी है। वह भी इसी धुरी पर चल पड़ा है।
तभी एकदम से टीचर ने ज़ोर से कहा, “ टाइम खत्म हो गया !!” फिर ज़ोर से घंटी बज जाती है। अब वह सभी स्टूडेंट से पेपर लेना शुरू कर देता है। सबसे लेने के बाद वह नंदन के पास पहुँचता है ताकि उसे पेपर करने का और टाइम मिल सकें। फिर नंदन के कहने पर उसे पाँच मिनट और फालतू दे दता है, यह देखकर राजवीर और रघु जलभुन जाते हैं। अब सभी पेपर देकर क्लास से जा चुके हैं। अब उस टीचर ने कहा, “लाइए मिस्टर निहाल! पेपर दे दीजिए । उसने यह सुना तो हताश मन से पेपर उन्हें पकड़ा दिया। फिर जाते हुए नन्हें उन्हें बोला, “थैंक्यू सर !!” यह सुनकर वह भी मुस्कुरा दिया।
बाहर नंदन वैन के पास खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा है। सोनाली तो अपने भाई गोपाल के साथ निकल गई है। नंदन ने नन्हें को वैन में बिठाया और वैन गॉंव के रास्ते की ओर चलने लगी, नंदन को उसके दिल का हाल पता है, इसलिए उसने कुछ पूछना बेहतर नहीं समझा। “चिंता मत कर, नन्हें इस पेपर में राजवीर पास नहीं होने वाला।“ “मैं उसके बारे में नहीं सोच रहा बल्कि अपने पेपर का सोच रहा हूँ। टाइम कम मिलने के चक्कर में आते हुए सवाल भी गलत हो गए हैं।“ यह कोई कोर्स थोड़ी न है जो पता हो कि यह सवाल गलत है, एक बार रिजल्ट आने दें दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।“ उसने सुना तो उसे थोड़ी तस्सली तो हुई पर उसका मन जानता है कि यह पेपर उसके हिसाब से नहीं गया है। “इस राजवीर को नहीं छोड़ेंगे, “ नन्हें ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, “आज की हरकत उसे बहुत महँगी पड़ेगी।“
राजवीर ने रघु से उसकी नक़ल के बारे में पूछा तो उसने बताया, “मैंने जूते के नीचे छुपा ली थीं ।“ हरिहर ने कहा मैंने तो मौका देखते ही खिड़की से बाहर फ़ेंक दी थीं ।“ “इसका मतलब हम सब फिसड्डी ही रहें,” राजवीर ने हँसते हुए कहा ।
अब राजू ने दोनों को उनके घर के बाहर छोड़ा। नन्हें ने उतरते ही वैन वाले को पैसे पकाड़ाएं और अंदर आ गया। अम्मा ने उसे लाड से खाना खिलाया और उसके पेपर के बारे में पूछा। “ठीक था, माँ।“ उसने खाना खाते हुए कहा। अब वह आराम करने के लिए अपने कमरे में लेट गया नींद आते ही उसके सपने में भी पेपर का दृश्य आने लगा लेकिन ख़्वाब में वह ख़ुशी ख़ुशी पेपर दे रहा है और रिजल्ट आने पर खुद को पुलिस की वर्दी में देख रहा है।
राजवीर अपने दोस्तों के साथ घूम फिरकर शाम को घर पहुँचा तो उसके पिता गिरधारी चौधरी ने उसे टोकते हुए कहा,
छोटे चौधरी, आज भी कोई करामात की थी क्या ?
नहीं बाबा, उन लोगो को कोई गलतफहमी हो गई थीं।
बेटा !! वो तुम्हें नहीं जानते, मगर हम तुम्हें जानते है। समझे!!!
अगर मैं गलत होता तो सरपंच जी मेरी गवाही क्यों देते।
क्योंकि तेरा बाप अभी ज़िंदा है, इसलिए।
उसकी भाभी ने अब उससे पूछा, “कुछ खाएंगे?” “ नहीं भाभी।“
मधु ज़रा उस बिरजू को बोलो कि मैं उसे बुला रहा हूँ। जी!! अब उसकी भाभी बिरजू को बुलाने उसके कमरे में चली गई।
राजवीर नदी के किनारे अपनी मित्र मंडली के साथ क्रिकेट खेलने की तैयारी में है। उसने सोना को अपने पास आते देखा तो उससे पूछा,
क्यों सोना खेलोगी ?
नहीं, मैं ज़रा बाजार जाने के लिए निकली थीं।
तुम्हारा पेपर कैसा गया?
ठीक था पर तुमने ऐसी हरकत क्यों की?
कौन सी हरकत? अब उसने भौंहे उचकाते हुए कहा, “तुम्हें पता है।“
मैं देख रहा हूँ कि तुम आजकल उस नन्हें के पीछे लगी हुई हो।
मैं किसी के पीछे नहीं हूँ।
“तो मैंने भी ऐसी हरकत नहीं की। अब उसने बेट अपने हाथ में थाम लिया। तुम्हें मानना है तो मानो, वरना मैं किसी को कोई सफाई नहीं देने वाला।“ यह कहकर वह मुड़ा तो एक कागज़ उसकी जेब से नीचे गिर गया। वह तो आगे निकल गया पर सोनाली उस कागज़ को उठाकर देखने लगी। देखते देखते उसके चेहरे के हावभाव बदल गए और उसने गुस्से में राजवीर को पुकारते हुए कहा, “राजवीर यह सब क्या है?” राजवीर रुककर मुड़ा और सोना के हाथ में पकड़े कागज़ को देखने लगा, अब उसके चेहरे का रंग भी फीका पड़ गया। “इसका मतलब तुम ही वो चोर थें?” रघु और हरिहर भी राजवीर का मुँह ताकने लगें। राजवीर सोना के करीब आया तो वह चिल्लाकर बोली, “अब तुम सफाई पंचायत को देना। सोना जाने लगी तो राजवीर ने अपना बल्ला वही फेंका और उसके पीछे भागा। “सोना रुको !! मेरी बात सुनो !!” मगर सोना तो चलती जा रही है। अब रघु और हरिहर भी राजवीर के पीछे भागने लगें।