Nakal ya Akal-15 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 15

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नक़ल या अक्ल - 15

15

रिश्ता टूटना

 

 

सुबह गिरधारी चौधरी सैर करने के लिए बाहर जाने लगा तो उसने देखा कि दरवाजे का ताला ठीक से बंद नहीं हुआ,  उसने अपने नौकर घनश्याम को बुलाकर पूछा कि यह सब क्या है?  उसने देखा कि  ताला ठीक से बंद नहीं हुआ है और हाथ लगाने पर एकदम खुल गया ह। उसने भी हैरान होते कहा,

 

सरकार! मैंने तो ठीक से ताला बंद किया था,  मैं तो खुद हैरान हो कि यह सब कैसे हुआ ।

 

“अब कोई भूत तो आ नहीं गए होंगे, कल से ध्यान रखियो  समझा।“ यह कहकर वह किवाड़  खोलकर घर से निकल गया और घनश्याम सोचने लग गया कि ताला तो मैंने खुद लगाया था,  फिर यह  कैसे  हो गया ।

 

 

दोपहर का वक्त  है,  अत्यधिक  गर्मी के कारण ज़्यादातर लोग घरों के अंदर ही है। किशोर का मन फिर राधा को मिलने के लिए बैचैन हो रहा है। अब उसका बेलगाम दिल फिर कोई तरकीब सोचने के लिए उसे  मजबूर करने लगा।

 

राधा अपने कमरे में चारपाई पर लेटी किशोर के बारे में  ही सोच रही है। उसका मन भी उससे मिलने के लिए उतावला है। उसके घर में  एक ही फोन है और वो भी अम्मा अपने पास रखती है। वह चुपके  से उठी तो देखा कि अम्मा तो खराटे मारकर सो रही है,  उसने फ़ोन ढूंढा तो देखा कि उसमे बैटरी नहीं है । अब उसने उसे चार्जिंग पर लगाया और फिर रसोई में आकर पानी पीने लगी। तभी उसके घर  के बाहर आवाज़ हुई,  “केले ले लो, केले  ले लो।“ उसने उसे अनसुना  किया,  ‘इतनी गर्मी में  इसे केले बेचने की पड़ी है।‘  उसने अब दोबारा  आवाज सुनाई दी, “ केले! मीठे रसीले केले, ले लो। केले भी कोई रसीले होते हैं, बेवकूफ कहीं का।“ अब वह अपने  कमरे में जाने ही लगी थी कि तभी उसे फिर आवाज़  आई,  “केले ले लो,  किशोरावस्था के केले,  राधा रानी के मनमोहक केले!” अब उसका दिमाग  ठनका । वह दौड़ते हुए गई और झट से दरवाजा खोल दिया,  उसने देखा कि उसने गमछे से अपना मुँह अच्छे से ढका  हुआ है,  उसकी सिर्फ आँखें दिखाई दे रही है और एक हाथ में केले की टोकरी है। उसने हलके से गमछा हटाया तो वह बोल पड़ी,

 

“किसोर !!” अब उसने उसे चुप रहने का ईशारा किया और फिर दोनों वही दहलीज पर बैठ गए और राधा  केले देखने लगी। केले देखते हुए उसने उसका हाथ पकड़ा लिया,   “कैसी है राधा,  बहुत कमज़ोर हो गई  है।“

 

उल्टियाँ  आ  रही थी,  अब ठीक है।

 

आज नहर  के पास मिलने आ सकती है ?

 

नहीं !! बहुत कमज़ोरी है,  अम्मा  घर से निकलने नहीं देगी।

 

तेरे  घर में  शादी को लेकर  बात हुई?

 

हाँ  हुई!! तेरे अम्मा बापू तैयार  है । किशोर ने कोई ज़वाब  नहीं दिया।

 

एक बुरी  खबर है,  किसोर! उसकी आँखों में  आँसू आ गए और किशोर का दिल बैठ  गया।

 

नन्हें पूरी तन्मयता से पढ़ाई में लगा हुआ है। कल उसकी सब इंस्पेक्टर की प्रवेश परीक्षा है। उसने किशोर को कहकर अपने लिए एक वहील चेयर मँगवा ली है। कल वो गाड़ी में बैठकर जाने की तैयारी में है। हालाँकि उसके अम्मा बापू  थोड़ी आनाकानी  कर रहें थें,  मगर फिर बेटे की मेहनत और दृढ़ निश्चय  के आगे उन्हें झुकना पड़ा। कुछ  देर बाद,  नंदन आया तो उसने पूछा,

 

नंदू  गाड़ी  का इंतज़ाम हो गया?

 

हाँ यार,  राजू  ट्रेवल से बात की है।  वह अपनी  वैन लेकर कल सुबह  सात बजे पहुँच जायेगा। 

 

तू भी मेरे साथ चल,  मैं तो कहता हूँ कि  सोना से भी पूछ लें।

 

उसका भाई उसे छोड़ने जा रहा है। 

 

नन्दू तेरा बहुत बहुत धन्यवाद !!

 

कैसी बात कर रहा है?

 

दोस्त भी मानता है और परायो सी बातें करता है।  अब उसने उसे गले लगा गया और दोनों साथ में  पढ़ने लगें। 

 

सोनाली भी किताबों के संग  समय बिता रही है,  उसे भी कल के पेपर को पास करने की लालसा है। पहले भले ही वो इस पेपर को गंभीरता से नहीं ले रही  थीं,  मगर नन्हें  ने उसके अंदर  एक जोश भर  दिया है। साथ ही उसे यह भी  लग रहा है  कि अगर रिमझिम कुछ बन गई तो उसे बड़ा बौना महसूस  होगा। उसे इस तरह पढ़ाई करते देखकर,  उसके घरवाले  भी बड़े ख़ुश  हो रहें हैं।

 

राजवीर तो कभी पढ़ता है तो कभी सुस्ताने लगता है। उसकी बड़ी भाभी मधु उसके लिए कुछ न कुछ  खाने के लिए लाती जा रही है। वे तीन भाई है, सबसे बड़ा भाई,  सुधीर, दूसरा बिरजू और तीसरा  राजवीर और उससे छोटी बहन दमयंती है। अब जब वह पढ़ते-पढ़ते थक गया तो अपने ही घर में  चक्कर काटने लगा। फिर उसकी नज़र कमरे में सो रहें बिरजू पर गई। ‘भाई ने अपना क्या हाल बना रखा है?  पता नहीं,  किस सुध में रहते हैं, कॉलेज करे हुए भी तीन साल से ज्यादा हो रहें हैं,  इतने होशियार थें, अगर कोशिश करते तो यह कबके इंस्पेक्टर बन जाते। आज यह बापू की किसी काम में मदद नहीं करते और न ही अपना कोई काम खोलते है,  बस निक्क्मे और नाकारा बन चुके हैं।‘ उसे अपने भाई पर तरस आने लगा। वह उसके कमरे में गया और उसके  माथे पर हाथ फेरा,  मगर बिरजू तो बेपरवाह सो रहा है। अब हरिहर और रघु ने उसे आवाज लगाई तो वह वहाँ से उठकर चला गया।

 

क्यों रे !! क्यों शोर मचा रखा  है।

 

कल की तैयारी हो गई?

 

चल रही है। उसने मुस्कुराते हुए कहा तो वह हँसते हुए बोले,  “हमारी पर्चियाँ भी तैयार है। कमीनों धीरे बोलो,  “किसी ने सुन लिया तो लेने के देने पड़ जायेंगे,  वह अब उन्हें अपने कमरे में ले गया।“ 

 

किशोर ने परेशान होते हुए पूछा,  “राधा ऐसे बोलकर मेरी जान न ख़राब कर,  जल्दी से बता कि  क्या  बात है।“

 

अम्मा बापू तेरा रिश्ता मना करने  की सोच रहें हैं ।

 

पर क्यों ?

 

राधा बस रोए जा रही है,  उसने उसके आंसू पोंछते हुए कहा,  “यह गंगा जमना  मत बहा और सही बात बता।“   अब उसका गला सूखने  लगा।

 

उसने अब धीरे से कहा,   “वो बंसी काका का लड़का है न साहिल वो शहर से आया हुआ है।“ 

 

तो?  वह उसे सवालियाँ नज़रों से देखने लगा।

 

अम्मा बापू उसे हाँ कहने के चक्कर में है। किशोर ने यह सुना तो उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गई।  यह नहीं हो सकता,  हमारा रोका हुआ है।

 

तो क्या हुआ,  “रोका तो तोड़ा भी जा सकता है।“ ऐसा बापू ने कहा।  अब  राधा की आँखों से फिर नीर बहने लगा।