Yaado ki Asarfiya - 10 in Hindi Biography by Urvi Vaghela books and stories PDF | यादों की अशर्फियाँ - 10. टाईम टेबल की लड़ाई

Featured Books
Categories
Share

यादों की अशर्फियाँ - 10. टाईम टेबल की लड़ाई

वेकेशन के बाद

10. टाईम टेबल की लड़ाई

दिवाली की छुट्टियों के बाद फुलगुलाबी ठंडी में स्कूल फिर शुरू हुई। दिवाली के पहले हमारे लिए टीचर्स नए थे क्योंकि हम सेंकेडरी में आ गए थे पर अब हम उनके साथ घुलमिल गए थे। धीरेन सर की मुताबिक कुछ दिनों तक स्टूडेंट्स कम होते है पर धीरे धीरे शिक्षा की रेलगाड़ी पट्टरी पर चढ़ जायेगी।
कुछ दिनों बाद हमारा पीरियड का टाईम टेबल आ गया। बार बार किसका पीरियड होगा वह बुक में देखने की दिक्कत होती थी। इसकी जरूरत सबको पड़ती थी स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनो को। इस लिए कोई एक स्टूडेंट्स बड़े कागज़ में लिखकर बोर्ड के पास चिपका देता है। हमने भी ऐसा किया। रीति ने टाईम टेबल बनाकर बोर्ड की दाईं ओर जहां गर्ल्स बैठती थी वहा चिपका दिया। पर तब बॉयज कुछ न बोले फिर दो तीन बाद वह हमसे भी बड़ा टाईम टेबल यानी दो पेज को जोड़ कर बनाया और लेकर आए। हमारी स्कूल में गर्ल्स बॉयज को ज्यादा बात करने की परमिशन नहीं थी। हम सिर्फ काम कर के दिखाते थे जेसे बॉयज ने बड़ा टाईम टेबल बना डाला। इस टाईम टेबल को उनकी साईड चिपका दिया। हम समझ गए की वह दिखाना चाहते थे की वह भी कम नहीं है। पर अब हम क्या करे वह हमने सोचा नहीं था। हर स्कूल में गर्ल्स बॉयज की लड़ाई जरूर होती है और हम भी उसमे कम न थे। यह लड़ाई तो सिर्फ पहली थी बाद में लाईन लगने वाली थी।

दीपिका मेम का पीरियड आया वह बाकी टीचर की तरह नहीं थे, वह हमे प्रोत्साहन देते थे अपने अच्छे काम के लिए और अगर ऐसी लड़ाई हो तो सुलह भी करवाते थे, डांटने के बजाय। दीपिका मेम की नज़र बॉयज के उन बड़े वाले टाईम टेबल पर पड़ी। उसने तुरंत कहा,
" यह क्या? एक ही क्लास में दो दो टाईम टेबल?
" गर्ल्स का टाईम टेबल हमे नहीं दिखता था। " निखिल ने तुरंत कहा।
" तो आपने उन से बड़ा बनाया। मेम ने हसकर कहा। "अच्छा, आपको दिख रहा है? " मेम ने हमारी ओर देख कर पूछा।
" नहीं दिखाई दे रहा है।" हम सब ने भी पलट कर उत्तर दिया, मेम को नहीं , निखिल को ।
" आप सब एक काम करो कोई एक बड़ी ड्रॉइंग शीट लेकर टाईम टेबल बनाकर बीच में चिपका दो इसलिए दोनो को दिखे ।"
हम सब ने यही लगा की यह मेम का सुझाव था।
थोड़ा ठहर कर मेम बोले जेसे वह इंतजार कर रहे थे की कोई कहेगा की में बना कर लाऊंगा पर हमने मेम की आशा पर पानी फेर दिया।
"बोलो, कौन बनाकर लाएगा?"
फिर सन्नाटा, कोई उत्तर नही क्योंकि हम अब तक यह समझ रहे थे की यह मेम का सुझाव है ना की हुक्म। हम तय कर कुछ बोले उनसे पहले ही मेम ने कह दिया
" बॉयज, आप बनाकर लाना।" हमे अच्छा तो नहीं लगा पर फिर हम क्या कर सकते थे।
" कौन बनाएगा? बॉयज में?" मेम ने तो आज ठान ली थी की टाईम टेबल बनवाकर ही चैन से बेठंगे। जब किसी ने उत्तर नहीं दिया तो मेम खुद ही चुन लिया - वंश को। हमारे क्लास में दो वंश थे एक जो मानसिक रूप से अस्वस्थ था और एक यह।
हमने भी स्वीकार कर लिया।

***

दूसरे दिन, शनिवार था। रिसेस के बाद मेम का पीरियड आया। हम सब टाईम टेबल की बात भूल गए थे जेसे होमवर्क भूल जाते थे। वंश बनाकर लाएगा हमे कोई चिंता तो नही थी। वह भी निश्चिंत था क्योंकि कल रविवार था तो उन्होंने सोचा होगा की कल बनाएगा।
मेम ग्रामर पढ़ाने के बाद पूछा
" आज कोई टाईम टेबल बनाकर लाने वाला था, क्यों?" हम सब तो चौक गए। हम नहीं जानते थे की मेम टाईम टेबल ऐसे मांगेगे जेसे उसने दिया हुआ होमवर्क हो जो कंपलसरी हो। शायद बॉयज ने भी यही सोचा होगा और उसे भी नहीं लगा होंगा की मेम हाथ धो कर पीछे पड़ जाएंगे। मेम को याद नहीं था की उसने वंश को चुना था तो उसने निखिल की ओर इशारा किया।
" वंश को कहा था ना? तुमने बनाया? निखिल ने वंश को मेम का सवाल पूछ लिया। वंश ने ना में सिर हिलाया।
" क्यों नहीं बनाया? " कोई उत्तर नहीं। "अब आपका चांस गया। अब गर्ल्स में से कोई टाईम टेबल बनाएगा। आपस में तय कर लेना किसको बनाना है।"
मेम तो चले गए। बॉयज का अपमान हो गया और हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई और कन्फ्यूजन भी। कौन बनाएगा टाईम टेबल? मेरी अंदर से इच्छा थी की में बनाऊं क्योंकि मेरी राइटिंग भी अच्छी है और में मेम को इंप्रेस भी करना चाहती थी आखिर में वह मेरे फेवरिट टीचर थे। प्रश्न यह था की रीति भी बनाना चाहती थी। बड़ी मुश्किल से यह कार्यभार मुझे सोंपा गया।
हम नए घर में शिफ्ट हुए थे। शनि -रवि की छुट्टियों में यह कार्यक्रम रखा था। मुझे बहुत मुश्किल से वक्त मिला। वंश के मेम जो इंक्वायरी की थी उसके कारण में पोस्पोन भी नहीं कर सकती थी। ड्रॉइंग शीट खरीद कर, स्केच पेन कलर पड़ोसी से मांग कर और रात तो 12 बजे तक जाग कर मैने दिल से जेसे कोई गिफ्ट तैयार कर रहा हो ऐसे टाईम टेबल बना रही थी । मुझे नहीं पता था मुझे इसके बदले में क्या मिलेगा।

***

सन्डे की छूटी के बाद जब में टाईम टेबल की ड्रॉइंग शीट को रोल कर के ले आई तो सब देखने के लिए बैचेन थे। जब अन्य कक्षा वालो ने भी देखा तो चौक गए , इतना अच्छा और बड़ा टाईम टेबल! वाउ ! मेरे सभी फ्रेंड्स भी खुश हो गए।
"अगर बॉयज ने बनाया होता तो ऐसा थोड़ी न बनाते, देखो हमारी कितनी वाह वाह हो रही है। " झारा तो बहुत खुश भी थी और हो भी क्यों न आखिर हम जीत गए थे बॉयज से। पर अफसोस की बात यह थी की आज मेम का लेक्चर नहीं था।
टाईम टेबल बोर्ड के ऊपर बीच में लगाना था इसलिए हमने लंबे सर - गौरव सर से कहा की आप लगाने में मदद करो पर सर ने मना कर दिया। हम भी आज मेम को दिखा देना चाहते थे की हम बॉयज की तरह नहीं थे । फिर हमने रिसेस में कुर्सी लेकर ध्रुवी, झारा, क्रिशा, अंजनी, में और रीति सब मिलकर आखिर में टाईम टेबल चिपका दिया। अब इंतजार था मेम निगाहे उन पर पड़ने की।

जेसे ही रिसेस खत्म हुई मेम हमारी क्लास की ओर आए। आखिर मेम की नज़र टाईम टेबल पर पड़ ही गई। मैम ने खिड़की में से देखा और कहा
" देखो, बॉयज , इन्होंने टाईम टेबल बनाकर लगा भी दिया। कुछ सीखो इनसे। ऐसा होता है काम"
मेम का यह कथन हमारी विजय पताका था। मेम ने वह कह दिया जो हम कहना चाहते थे।

हमने गौरव सर को भी दिखाया था। उन्होंने मना कर दिया था ना चिपकाने से और देखो हमने अपने आप ही लगा दिया। उन्होंने तब भी तारीफ नही की। उनको दिखी मेरी एक मिस्टेक जहा मैने संस्कृत लिखा था वहा इंग्लिश में मुझे संस्क्रित लिखना था क्योंकि ऐसा होता है स्पेलिंग इंग्लिश में। कहते है ना कोई भी चीज़ पूर्ण नही है दुनिया मे, वैसे ही मेरा टाईम टेबल भी पूर्ण नहीं था। जेसे चांद में दाग होने पर भी खूबसूरत है वैसे ही मेरा वर्क भी खूबसूरत था। मेने दूसरे दिन ही गलती को सुधार दिया।

मंगलवार को मेम का पीरियड आया। उन्होंने पैर रखते ही टाईम टेबल की ओर देखा और बोल पड़े
" वाह! कितना बड़ा है! अंधे को भी दिख जाए ऐसा बनाया है। " फिर कुछ देर तक देखते रहे। " कलरफुल स्केचपेन, बड़े बड़े अक्षर काफी खूबसूरत लग रहा है। जिसने भी बनाया है उन्होंने बड़े प्रेम से बनाया है साफ दिखाई दे रहा है। यह टाईम टेबल सिर्फ उनका नही है, पूरा क्लास का हैं। इसे बनाने में कम से कम एक घंटा तो लग ही गया होगा तब इतना अच्छा बना है। उनके लिए तालियां तो बनती है।"
में क्या फील कर रही थी वह में शब्दों से बया नहीं कर सकती। फिर जेसे ही तालियां बजनी शुरू हुई की में सोच ने लगी की मेम को तो यह पता नही की यह मैने बनाया है अगर मेने ताली नहीं बजाई तो लगेगा की में खुश नहीं हूं और सबको पता है की मेने बनाया तो में अपने लिए ताली कैसे बजाऊं? में तो सोचती ही रह गई की तालियों की गूंज शम गई।
" इसका मतलब है की जिसने ताली नहीं बजाई उसने यह बनाया है।" उन्होंने मेरी और मुस्कुराकर कहा।
वह मुस्कान मेरा पुरस्कार थी। मेने जो रात को 12 बजे तक जग कर मेहनत की थी उनका परिणाम थी। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। वह मुस्कान आज भी मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देती है।

यह टाईम टेबल की बहुत तारिफ हुई। दूसरी कक्षा के लोग आकर कहते की 9th क्लास के टाईम टेबल की प्रशंसा बहुत सुनी है चलो देखते है। टीचर्स भी बहुत तारीफ करते थे। निशांत सर और यह की मेना टीचर ने भी करी। अमी दीदी ने मुझे पर्सनली एप्रिशिएट किया। पर कहते है ना एक सिक्के के दो पहलु होते है वैसे ही तारीफ के साथ नुकसान भी हुआ। मतलब जब टाईम टेबल नही लगाया था तब भूरी टीचर पढ़ाते तो हम कहते की कल आपके दो पीरियड है कल पढ़ाना और वह मान भी लेते ऐसे हम बच जाते। पर अब वह सीधा ऊपर देख लेते की हम सच बोल रहे है या झूठ।