Kismat se mila rista - 5 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 5

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 5

अब तनवी बहुत ही ध्यान से जेट विमान को अंदर से देख रही होती हैं जेसे वो पहली बार इस जेट विमान में बैठ रही हो और उस जेट मे बैठे हुए अभय, आकाश, राज और रवि, तनवी की हर हरकत को बड़े अच्छे से नोटिस कर रहे होते हैं।

तनवी जेट विमान के दरवाजे की तरफ देख रही होती हैं जिसे देख अभय उस से पूछता है, "क्या हुआ, तुम जेट के दरवाजे की तरफ क्यू देख रही हो, बताओ मुझे....?"

अभय की बात सुन, तनवी अभय से कहती हैं, "भैया इस एयरोप्लेन प्लेन में तो बहुत सारी सीट खाली रह गई है तो क्या और भी लोग आने वाले हैं, हमारे साथ इस जेट मे जाने के लिए...!"

तनवी की बात सुन, आकाश, राज और रवि हैरान होकर उस को ही देखे जा रहे थे और अभय, तनवी से कहता है, " नही, बस हम लोग ही जा रहे है....!"

अभय की बात सुन, तनवी बहुत ज्यादा हैरान हो जाती है और अपने अभय भैया से कहती हैं, "क्या भैया, इतना बड़ा लेने की क्या ज़रूरत पढ़ गई थी जब बस हम पांच लोग और ये चार बॉडीगार्ड्स को ही जाना था तो कोई छोटा जेट भी यूज किया जा सकता था....!"

तनवी की बात सुन, अब की बार अभय भी हैरान रह जाता हैं, क्योंकि तनवी, अपनी याददाश जाने के पहले बहुत बार या फिर ये कहो कि ज्यादातर दूर की जगहों पर वो जेट विमान से ही जाया करती थी और तो और उसे बड़े से बड़ा जेट विमान लेकर जाने की आदत थी।

तनवी को देख, आकाश अपने मन में कहता है, "ये "द बिजनेसमैन अभय सिंह राजपूत" की बहन तनवी सिंह राजपूत ही है क्युकी उन का व्यवहार ऐसा तो कभी बिलकुल भी नही रहा।" पर फिर वो सोचता है शायद तनवी मैम की याददाश नही है तो ऐसा व्यवहार कर रही होंगी।

चार घंटे बाद,

मुंबई में,

अभय का जेट विमान एक 30 मंजिला बिल्डिंग की छत पर लैंड करता है तो वो तनवी को देख कर बस देखता ही रह जाता हैं क्योंकि वो किसी मासूम बच्ची की तरह अभय के कंधे पर अपना सिर रख कर सो रही होती हैं।

तो अभय बहुत ज्यादा हैरान हो जाता है क्योंकि तनवी ने कभी भी अभय के साथ ऐसा व्यवहार नही किया था और उस ने तो कभी भी अभय के लिए भैया शब्द का उपयोग ही नही किया था।

और न ही कभी तनवी, अभय के पास आकर बैठी थी जब तक उस को अपनी भाई से कोई काम नही होता था, तो आज अभय का ऐसा हैरान होना लाजमी था ही।

फिर अभय, बड़े प्यार से तनवी को देखता हुआ उस से कहता है, "तनवी, चलो अब उठ जाओ...!"

अभय के इतने प्यार से बोलने से तनवी पहली बार मे ही उठ जाती हैं और उस से पूछती हैं, "क्या हम मुंबई पहुंच गए भैया...?"

तनवी की बात सुन, अभय उस से कहता है, "हां, हम मुंबई पहुंच चुके हैं तो अब उठ जाओ, फिर हमें निकलना भी तो है...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "ठीक है भैया, मै अभी फ्रेश हो कर आती हु।"

थोड़ी देर बाद,

तनवी फ्रेश होकर बाहर आ जाती हैं तो अभय से कहती हैं, "चले भैया...!"

तनवी की बात सुन, अभय जो अभी अपने फोन मे इंपोर्टेंट ईमेल देख रहा होता है तो तनवी से कहता है, "हां, चलो...!"

फिर अभय, तनवी के साथ उस जेट विमान से बाहर आ जाता है तो उस 30 मंजिला बिल्डिंग से लिफ्ट के द्वारा वो सब नीचे आ जाते है तो उस की 11 ब्लैक बीएमडब्ल्यू गाडियां वही पर खड़ी हुई होती हैं।

जेसे ही वो लोग अभय और तनवी को साथ देखते हैं तो जल्दी से उन गाड़ियों से बाहर निकल आते हैं और सब एक साथ अभय और तनवी को सिर झुकाकर ग्रीट करते हैं।

इतने सारी गाड़ियों और बॉडीगार्ड्स को देख तनवी, अभय से पूछती हैं, " भैया, हम तो एक ही कार में जा सकते है तो आपने यहां पर इतनी सारी गाड़िया और बॉडीगार्ड्स क्यों बुलाए है...?"

तनवी की बात सुन, अभय के बॉडीगार्ड्स, आकाश, राज और रवि सब के सब शॉक रह जाते है क्योंकि उन सब को अच्छे से पता है, "तनवी मैम कभी भी बिना किसी बॉडीगार्ड्स और गाड़ियों के विला के बाहर कदम भी नही रखती है और वो आज, ये सब कह रही है।

तो अभय अपनी डीप वाइस मे, तनवी से कहता है, "देखो, तुम्हारी और मेरी सेफ्टी के लिए इन गाड़ियों और बॉडीगार्ड्स का जाना बहुत ज्यादा जरूरी है इसलिए अब जाओ जाकर गाड़ी में बैठ जाओ....!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "ठीक है भैया..!"

अभय की बात सुन, तनवी अपना सिर हां में हिला देती हैं और वहा खड़ी 11 गाड़ियों मे से एक गाड़ी की तरफ बढ़ जाती हैं फिर उस गाड़ी का ड्राइवर, तनवी के लिए उस गाड़ी का दरवाजा खोलता है तो तनवी उस गाड़ी में बैठ जाती हैं।

उस गाड़ी का ड्राइवर, तनवी से पूछता है, "मैम, हम विला के लिए चले...?"

ड्राइवर की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "अभी नही, थोड़ी देर रोकते हैं फिर चलेंगे ...!"

तनवी की बात सुन, ड्राइवर उस से कहता है, "जैसा आप कहे...!"

कुछ घंटे बाद,

जब तनवी को लगता हैं कि उस का भाई, गाड़ी में आकर बैठ ही नही रहा है तो वो गाड़ी से बाहर निकलने लगती हैं जिस पर उस गाड़ी में बैठा ड्राइवर उस को गाड़ी से बाहर निकलता देख वो भी गाड़ी से बाहर निकल जाता हैं।

तनवी वापस से उसी जगह पर पहुंच जाती हु जहा अभय ने उस को गाड़ी में बैठने के लिए बोला था। अभय, आकाश से अपनी मीटिंग के बारे में बात कर रहा होता है तभी वहा तनवी आ जाती है जिसे देख आकाश, अभय से कुछ दूरी बना कर खड़ा हो जाता है।

आकाश को ऐसा करते देख, जब अभय पीछे देखता है तो वहा तनवी खड़ी होती हैं जिसे देख अभय, तनवी से पूछता है, "तुम अभी तक विला नही गई...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "नही...!"

तनवी की बात सुन, अभय उस से पूछता है, "और वो क्यू...?"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "क्योंकि मै, बहुत देर से आप का इंतजार कर रही हू और आप आने का नाम ही नही ले रहे हैं तो इसलिए मैं भी गाड़ी से बाहर निकल आई...!"

तनवी की बात सुन, अभय उस से कहता है, "तुम अपनी गाड़ी से विला पहुंच जाओ और मै दूसरी गाड़ी से आ रहा हूं...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से जिद करते हुए कहती हैं, "नही भैया, मुझे आप के साथ ही घर जाना है और मैं आप के साथ ही घर जाऊंगी...!"

तनवी की बात सुन, आकाश से ज्यादा तो अभय हैरान रह जाता हैं, क्योंकि तनवी तो हमेशा से गाड़ियों में अकेले ही जाया करती थी पर आज वो अभय के साथ जाने की जिद पकड़ के बैठ गई है जिस से वहा खड़ा हर इंसान शॉक रह जाता हैं।

सब से बड़ी बात तो तनवी ने कभी भी किसी चीज के लिए बच्चों जैसी जिद नही करी है हालाकि वो अभय से कुछ चीज़े मांगा करती थी पर जब वो उस के पहुंच के बाहर हो जाती थी तब ही तनवी, अभय से कहा करती थी।

तनवी ने कभी भी ऐसी छोटी छोटी चीजों और बातो के लिए कभी ज़िद की ही नही या फिर ये कहो कि उस को कभी जरुरत पड़ी ही नही।

तनवी के जिद करने से, अब अभय को उस पर गुस्सा आ रहा होता है क्योंकि आज अभय को अपने सबसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली निकलना है पर अभय, तनवी के जिद के आगे कुछ नहीं कहता है क्योंकि उस को अच्छे से पता है कि अभी तनवी की याददाश भी नही है।

और साथ में उस सीनियर डॉक्टर ने, अभय से साफ साफ कहा है, "तनवी पर किसी भी बात का गुस्सा नही करना है और शांति से काम लेना है नही तो उस की तबियत और भी ज्यादा खराब हो सकती हैं या फिर उस की याददाश हमेशा के लिए भी जा सकती हैं..!"

इसलिए अभय शांत हो जाता है और तनवी से कहता है, "ठीक है, मै तुम्हारे साथ एक ही गाड़ी में विला के लिए चलता हु पर फिर मै अपने ऑफिस के लिए निकल जाऊंगा और तुम उस विला में आराम कर लेना...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती है, "भैया, मै आज ही तो मुंबई आई हु और आप मुझे विला में अकेले छोड़ अपने ऑफिस के लिए निकल जाओगे...!"

तनवी उदास होते हुए आगे कहती हैं, "भैया आप मेरे साथ ऐसा केसे कर सकते हो...?"


अब क्या जवाब देगा अभय, तनवी के सवाल का ? और अब तनवी क्या क्या करेगी अपनी याददाश जाने के बाद ?

इस चैप्टर पर अपने रिव्यू दे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी कहानी अगला एपिसोड सिर्फ मातृभारती पर।