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अतीत
श्याम तान्या के लिए गिफ्ट खरीदकर घर जा रहा है, तभी उसे रास्ते में एक ज्योतिष की आवाज़৷ सुनाई दींI “ज्योतिष विद्या का लाभ उठाओ और अपना भविष्य दिखाओ, यह ज्योतिष भविष्य भी देखेंगा और भविष्य में होने वाली परेशानियों का उपचार भी बताएगाI “ उस ज्योतिष ने श्याम को एक उम्मीद भरी नज़र से यह सोचकर देखा कि वह उसके पास आएगा, मगर उसने मुस्कराते हुए उसे मना कर दियाI “ बाबा!! मुझे लगता है, अब मेरी सारी परेशानियों का हल होने वाला हैI” “ बेटा जीवन है तो परेशानी भी लगी रहेगीI” सबको सबकुछ तो नहीं मिलताI” “क्या आपने अपना भविष्य देखा था??” “यह एक विद्या है, मैंने सीखी और यहाँ सड़क पर बैठ गयाI “अगर आज मैं किसी ए.सी. वाले ऑफिस में बैठा होता तो तब भी तुम यही कहतेI अब श्याम उसके मुँह से यह ज़वाब सुनकर निरुत्तर हो गयाI
बबलू ने इमरती को ओपन की बिल्डिंग के बाहर छोड़ा, वह अंदर जाने लगी तो उसने कहा, “ तुम्हें लेने मैं आऊँगाI इसलिए थोड़ी देर हो जाये तो मेरा इंतज़ार कर लेनाI” “मैं अपने आप चली जाऊँगीI मुझे यहाँ से मेट्रो का रूट मालूम हैI” “अरे !!पहली बार घर से निकली हूँ, भला अकेले घर कैसे आऊँगीI” “मैं इतनी भी गँवार नहीं हूँ, जितना आप मुझे समझते हैI” बबलू ने उसे गुस्से से देखा तो वह भी उसे आँखे दिखाकर चली गईI
गायत्री को विकास ने मिलने के लिए कहा तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि वह कल फेस्ट की वजह से काफ़ी थक चुकी हैI वह अपने बिस्तर पर लेटे-लेते श्याम के बारे में ही सोच रही हैI ‘तुमसे यह उम्मीद नहीं थी, मुझे लगा कि तुम्हें मेरे साथ दिखने में शर्म आती है पर तुम तो उस ज्योति के कहने में थेI ‘
वही दूसरी ओर श्याम आज शाम को होने वाली तान्या से मुलाकात के बारे में सोच रहा है, अब उसने घड़ी देखी तो शाम के पाँच बजे हैंI वह तैयार होने के लिए जैसे उठा, उसे तान्या का मैसेज आया कि आज उसकी कजिन फरीदाबाद से आ गई है इसलिए आज की मुलाकात फिर किसी दिन रख लेते हैं I उसने मन मसोसकर ओके लिखकर भेज दियाI अब उसने ज्योति को कॉल किया तो उसने बताया कि ‘ऑफिस के बाद, वह साथ में डिनर कर सकते हैंI’ यह सुनकर वह ख़ुश हो गयाI तभी उसे अम्मा ने आवाज दी कि महक आई हुई हैI वह मुँह बनाते हुए नीचे आया तो महक बोली,
भाई !! क्या बात है? कही जा रहें हो?
तुझे क्या काम है?
मैं उस लड़की की फोटो लाई हूँI
तुम दोनों माँ-बेटी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगेI
एक बार देख तो लोI मैं बाहर जा रहा हूँ, आकर बात करते हैंI
आ गए तुम और हो ली बातI उसने चिढ़कर ज़वाब दियाI मैं तो चाहता ही हूँ कि मेरे आने से पहले तुम यहाँ से चली जाओI
इमरती की क्लॉस खत्म हो गई, वह मेट्रो की तरफ जा रहीं हैI तभी पीछे से आकर किसी ने अपनी बाइक रोकी तो वह सहम गई,
अरे! इमरती तुम ???
उसने गौर से देखा तो सामने मनोहर खड़ा हैI
मनु तू ??? वह खुश हो गईI
यहाँ क्या कर रही है?
बी.ए. की क्लॉस ले रही हूँI
अच्छा !! यह तो बहुत अच्छी बात हैI तेरा पति मान गयाI
उसे मना लिया गया पर क्या तेरी पढ़ाई पूरी हो गई??
फाइनल का रिजल्ट आना बाकी है पर एक मॉल में स्टोर मैनेजर की नौकरी मिल गई हैI
वाह! मनु, तूने तो बहुत तरक्की कर लीI
चल तुझे घर छोड़ दूँI
“नहीं रे !! फ़िलहाल मेट्रो तक छोड़ दें, मेरे मोटे ने देख लिया तो दिमाग खराब करेगा I’ उसने उसे मैट्रो के बाहर छोड़ दिया और बोला, “कभी मिलने का दिल करें तो बताइओI” “तुझे वो खेत याद है?? “अब वह शरमा गई I “ मैं तो कुछ नहीं भूलाI” “मैं भी नहीं भूली, तेरा जैसा साथ और आनदं उस मोटे ने कभी नहीं दियाI” अब वह मुस्कुराकर चल दियाI बबलू का नंबर अपने फ़ोन पर देखकर उसने खींजते हुए ज़वाब दिया, “आ रही हूँ, क्यों मरे जा रहें होI” अब वह मेट्रो में अंदर बैठकर अपने गॉंव की गलियों में घूमने लगीI