Ardhangini in Hindi Love Stories by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 19

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 19

अपने पति सागर से जतिन के बारे मे सुनने के बाद ज्योति मन मे अपने भइया जतिन की चिंता लिये उसके कमरे मे चली गयी, जतिन के कमरे मे जाने के बाद ज्योति ने देखा कि कमरे मे आने के बाद से अभी तक जतिन ने अपने कपड़े नहीं बदले थे और अपने माथे को अपनी एक बांह से छुपाये बिस्तर की टेक लेकर और पैर नीचे की तरफ करके बैठा हुआ था बिल्कुल ऐसे जैसे कोई बहुत बड़ी समस्या जतिन के जीवन मे आ गयी हो लेकिन वो किसी से बता ना पा रहा हो, ज्योति ने देखा कि जतिन ने अभी तक अपने जूते भी नही उतारे थे.... जतिन को ऐसे चिंता मे डूबा देखकर ज्योति को भी अजीब सा लगा और वो सोचने लगी कि "भइया ऐसे क्यो बैठे हैंं, जरूर ऑफिस मे कोई बात हुयी है जिसकी वजह से भइया का ध्यान घर पर है ही नही" यही सोचकर ज्योति जतिन के पास गयी और बहुत धीरे से उसे आवाज लगाते हुये कहा- भइया...... भइया!!

ज्योति के बिल्कुल बगल में खड़े होकर आवाज लगाने पर भी जतिन टस से मस नही हुआ, ऐसा लगा जैसे बगल मे खड़ी ज्योति की आवाज उसे सुनाई ही ना दी हो!! जब जतिन ने ज्योति की आवाज नही सुनी तो जतिन को थोड़ा सा हिलाते हुये ज्योति ने इस बार थोड़ी तेज आवाज मे उसे पुकारा, ज्योति के हिलाने पर जतिन एकदम से चौंक गया और अपना हाथ अपने माथे से हटाते और आंखे खोलकर ज्योति की तरफ देखकर बोला - अरे छुटकू तू यहां..!! तू कब आयी और अकेले आयी है क्या..? अकेले क्यो आयी मुझे फोन कर देती मै लेने आ जाता...

जतिन ने जिस तरीके से ये बात बोली उसकी बाते सुनकर ज्योति को थोड़ा अजीब सा लगा उसका व्यवहार ये सोचकर कि "भइया को बिल्कुल भी एहसास नही हुआ कि घर पर कोई आया है, अब तो पक्का है कि कोई बड़ी बात हुयी है आज ऑफिस मे"... ज्योति ये सोच तो रही थी लेकिन जतिन के सामने उसने जताया नही कि जतिन के रियेक्शन नॉर्मल नही हैं आज, जतिन के लिये अपनी चिंता को अपने दिल मे दबाये हुये ज्योति ने जतिन के सवालो का मुस्कुरा कर जवाब देते हुये कहा- हां भइया मै यहां और मै अकेले नही आयी हूं सागर आये थे मेरे साथ...
जतिन ने चौंकते हुये कहा- अरे सागर आये थे..!! तो तूने उन्हे रोका क्यो नही? उन्हें मुझसे मिलकर जाना चाहिये था ना...!!

जतिन की ये बात सुनकर ज्योति के मन मे अजीब सी घबराहट सी होने लगी और ये सोचते हुये कि "भइया को आज हो क्या गया है इन्हे सच मे सागर नही दिखाई दिये" ज्योति ने कहा- भइया वो अभी नही गये, ड्राइंगरूम मे बैठे हैं.... (मौके की नजाकत और जतिन की मनस्थिति को समझते हुये ज्योति ने झूट ही कह दिया) हो सकता है जब आप आये हों तब सागर वॉशरूम चले गये हों इसलिये वो आपको नही दिखे होंगे...

ज्योति की ये बात सुनकर जतिन चौंकते हुये बोला- क्या बात कर रही है सागर ड्राइंगरूम मे बैठे हैं..!! ओहो... मै भी ना एकदम इडियट हूं... (ऐसा कहते हुये जतिन एक अजीब सी खिसियायी हुयी सी हंसी हंसने लगा)

ज्योति सब समझ रही थी और वो जतिन के हर एक्सप्रेशन को जैसे अच्छे से पढ़ पा रही थी, मन ही मन उसे जतिन की बहुत चिंता हो रही थी लेकिन वो जतिन के सामने नॉर्मल रियेक्ट कर रही थी..

ज्योति के मुंह से सागर के साथ आने की बात सुनकर बिना देर किये जतिन अपनी जगह से उठा और अपने कमरे से सागर के पास ड्राइंगरूम मे जाने लगा, ज्योति भी जतिन के पीछे पीछे ड्राइंगरूम की तरफ चल दी...

ड्राइंगरूम मे पंहुच कर इससे पहले कि जतिन सागर से कुछ कह पाता ज्योति ने सागर से तेज आवाज मे कहा- सुनिये आप जब वॉशरूम गये थे ना तभी भइया आ गये थे...

ज्योति की बात सुनकर सागर सोचने लगा कि "मै कब वॉशरूम गया..?" लेकिन जब उसने ज्योति की तरफ देखा तो ज्योति ने अपनी आंखे मिचकाते हुये सागर की तरफ इशारा किया कि "कह दो कि हां मै वॉशरूम गया था"....

ज्योति और सागर एक दूसरे को इशारो मे समझा ही रहे थे कि इतने मे जतिन ने सागर से कहा- नमस्कार सागर जी मुझे पता ही नही चला कि आप दोनो आये हुये हैं...

सागर ने भी जतिन को देखकर मुस्कुराते हुये कहा- नमस्ते भइया और पता कैसे चलेगा ज्योति मम्मी जी के साथ रूम मे थी और मै वॉशरूम मे था...

जतिन ने कहा- हां ये बात तो है और बताइये कैसा चल रहा है सब...
सागर ने जवाब दिया- सब अच्छा चल रहा है भइया और आपको तो पता ही है ज्योति को डॉक्टर ने कुछ दिनो बाद से कहीं भी आने जाने के लिये मना किया है तो मैने सोचा कि इसे कुछ दिनो के लिये आप सबके पास छोड़ आता हूं क्योकि इसके बाद तो कम से कम 6 महीने के लिये ज्योति आ नही पायेगी...
जतिन ने कहा- हां ये बात तो सही है और ऐसी परिस्थिति मे डॉक्टर की बात तो माननी ही पड़ती है...

चूंकि सब लोग साथ मे थे तो बाते करते करते हंसी मजाक होने लगा और इस हंसी मजाक मे किसी और की हो ना हो ज्योति की पूरी नजर बस जतिन पर ही थी, वो देेख रही थी कि जतिन हंस तो रहा है लेकिन उसकी हंसी मे वो चमक नही है जो हमेशा रहती थी, वो देख रही थी कि सागर के आने से उसके भइया जतिन खुश तो हैं लेकिन उनकी खुशी मे वो बात नही है जो सागर को देखकर हमेशा होती थी, ऐसा लग रहा था मानो जतिन का सिर्फ शरीर यहां पर है पर उसका ध्यान कहीं और है और वो जबरदस्ती बस यहां उपस्थित है सबको ये एहसास करवाने की कोशिश कर रहा था..!!जतिन अपनी छोटी बहन ज्योति की जान था... ऐसे मे अपने प्यारे भइया को इस तरह से हंसते देख ज्योति का दिल दुख सा रहा था लेकिन वो ये सोच कर चुप थी कि जब भइया अकेले मे होंगे तब मै उनसे खुलकर बात करूंगी कि आखिर बात क्या है....!!

बातचीत और हंसी मजाक के बाद सबने साथ मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद सागर ने कहा- अच्छा जी अब मै चलता हूं काफी देर भी हो गयी है...

सागर की ये बात सुनकर जतिन ने कहा- अरे जाना क्यो है आज रात यहीं रुकिये और कल सुबह आराम से नाश्ता करके यहीं से ऑफिस चले जाइयेगा...

जतिन की बात सुनकर सागर ने कहा- भइया असल मे मुझे कल सुबह एक हफ्ते की ट्रेनिंग के लिये दिल्ली जाना है और ज्योति को भी कुछ दिनो के लिये यहां आना था तो मैने सोचा कि बेकार मे अकेली रहेगी घर पर क्योकि मम्मी पापा मामा जी के घर गये हुये हैं, यही सोच कर मै इसे यहां ले आया कि इसी बहाने आप लोगो के साथ कुछ दिन बिता लेगी तो इसे भी अच्छा लगेगा बाकि रही मेरे रुकने की बात तो मै जब वापस आउंगा तो आराम से एक दो दिन रुक के ही इसे यहां से ले जाउंगा.....

सागर की पूरी बात सुनने के बाद जतिन ने फिर उसे नही रोका और उसे छोड़ने सबके साथ बाहर आ गया...

बाहर आकर सागर ने ज्योति से कहा- ज्योति जरा एक मिनट सुनना...

चूंकि मियां बीवी एक हफ्ते के लिये अलग हो रहे थे तो सागर के ज्योति को अलग बुलाने पर जतिन और उसके मम्मी पापा थोड़ा अलग हट गये ये सोच कर कि कोई जरूरी बात करनी होगी सागर को, सागर के बुलाने पर ज्योति जब उसके पास गयी तो उसने ज्योति से कहा- ज्योति सही मौका देखकर अकेले मे भइया से बात करना कि माजरा क्या है क्योकि भइया बहुत बुझे बुझे से लगे मुझे आज... (इसके बाद ज्योति के कान के पास आकर सागर ने बहुत धीमी आवाज मे कहा) भइया का कोई चक्कर वक्कर था क्या??

अपने प्यारे भइया के लिये ऐसी बात सुनकर अपनी भौंहे चढ़ाकर थोड़ा गर्म लहजे मे ज्योति ने सागर से कहा- कैसी बात कर रहे हो आप सत्रह साल के थे वो तब से उन्होने घर संभालना शुरू कर दिया था, उनके पास इन सब कामो के लिये टाइम ही नही है आपको तो बस यही लगता रहता है...
ज्योति की इस बात पर सागर ने दबी आवाज मे कहा- अरे ठीक है डांट क्यो रही हो, मुझे तो बस भइया की चिंता हो रही थी तो मैने बोल दिया लेकिन तुम पूछना जरूर...

ज्योति ने कहा- हां वो तो मै पूछुंगी ही और जैसा होगा वो आपको बता दूंगी...

इसके बाद सागर ने सबसे विदा ली और वहां से चले गये....

क्रमशः

ज्योति के पूछने पर क्या जतिन उसे कुछ बतायेगा या अंदर ही अंदर घुटता रहेगा? देखना दिलचस्प होगा... हैना?