Love Contract in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | Love Contract - 4

Featured Books
  • પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-122

    પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-122 બધાં જમી પરવાર્યા.... પછી વિજયે કહ્યુ...

  • સિંઘમ અગેન

    સિંઘમ અગેન- રાકેશ ઠક્કર       જો ‘સિંઘમ અગેન’ 2024 ની દિવાળી...

  • સરખામણી

    સરખામણી એટલે તુલના , મુકાબલો..માનવી નો સ્વભાવ જ છે સરખામણી ક...

  • ભાગવત રહસ્ય - 109

    ભાગવત રહસ્ય-૧૦૯   જીવ હાય-હાય કરતો એકલો જ જાય છે. અંતકાળે યમ...

  • ખજાનો - 76

    બધા એક સાથે જ બોલી ઉઠ્યા. દરેકના ચહેરા પર ગજબ નો આનંદ જોઈ, ડ...

Categories
Share

Love Contract - 4

आदिया सामने से कुछ लोगों को आते हुए देख घबरा कर वहां से झटके में निकलने की सोची , अपने साईकिल का रफ्तार तेज़ की आगे बढ़ने लगी । मन ही मन सोच भी रही थी ,
काश ! वो कही से मेरे सामने आता 15 साल हो गए है , आज तक इस घर में कोई रहने नहीं आया पता नहीं कहां चला गया ।
यहां तो अपने नानी मां के साथ रहता था लेकिन उसका घर कहां था ? उसके मम्मी पापा कौन थे इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता है । क्या आज भी मुझे वो याद करता होगा सोचते हुए साईकिल तेज़ रफ़्तार में चला रही थी ।
सामने आदिया का ध्यान नहीं था और सामने से अा रहे रीवान से टकरा जाती है रास्ते पथरीले थे आदिया अपना बैलेंस खो देती है लड़खड़ा कर रिवान के ऊपर गिर जाती है ।

आदिया रीवान के ऊपर होती है और रीवान नीचे जमीन पर गिरा पड़ा था, आदिया झटके से रीवान के ऊपर से उठ खड़ी हुई लेकिन रीवान उसके आंखों को देखता रहा ... ये तो वही आंखे जैसे दिख रहे है जैसे मेरी चुहिया के थे ।

आदिया अपना साईकिल उठाई और वहां से जल्दी से निकल गई , जब तक आदिया रीवान को दिखती रही उसे वो देखता रहा ।
आदिया कुछ दूर जाने के बाद अपना साईकिल रोक कर एक पेड़ के नीचे रुकती है वहां फूलों में पानी गिर रहा था आदिया अपना दुपट्टा चेहरे से हटा ती है फिर अपने चेहरे पर पानी के फुहारे मारती है उसके बाद आराम से साईकिल चलाते हुए अपने गांव ' ऊधमपुर ' ये सोचते हुए
पहुंचती है आखिर वो लड़का कौन था ऐसा मुझे पहली बार क्यों मेहसूस हुआ उससे मेरा कोई पुराना रिश्ता हो ।
जिसे मैं बहुत पहले से जानती हूं ।

घर पहुंचने के बाद साईकिल को खड़ा करते हुए आदिया ' चल मेरी परो अब यहीं खड़ी - खड़ी आराम कर ' , बाबा जब तक घर आते है मैं तब तक घर के सारे बिखरे पड़े सामान को समेट लेती हूं ।
कल मुझे शहर भी जाना है फूलों का ऑर्डर देने ।
कल तो मेरा इंटरव्यू भी देने जाना है ।

सुबह - सुबह ही निकल जाऊंगी मैं फूलों का ऑर्डर लेकर
ऑर्डर पहुंचाने के बाद फिर इंटरव्यू के लिए निकल जाऊंगी मैं ।

रीवान को नीचे गिरा देखकर झटके में विराज पास आता है , अरे भाई तुम नीचे क्या कर रहा है ?
अपना हाथ रीवान के तरफ बढ़ाते हुए विराज वो
कौन थी लड़की जो तुम्हें अपने सायकिल से धक्का भी मारी और तुम उसे ऐसे ही जाने दिया ।

रीवान छोड़ न भाई विराज के हाथ को पकड़ कर उठते हुए क्या अब छोटी - छोटी बातों के लिए लड़कियों से मुंह लड़ाना । गलती उसकी नहीं थी ध्यान मेरा ही कहीं और था ।

' विराज ' ऊपर आसमान को देखते हुए हेय भगवान ! उठा ले मुझे रीवान के इस रूप को मैं नहीं झेल सकता ।
उठा ले ... मुझे उठा ले 😂

रीवान उड़ा ले बेटा मजाक , जितना चाहे उड़ा ले
जब तुमको किसी से प्यार होगा उस दिन तुमको पता चलेगा मेरी खैर छोड़ो । फॉलो मी विराज को बोलकर आगे बढ़ने लगा ।

यार धीरे - धीरे चल न , मुझे मार डालेगा क्या ??
एक तो मेरे पेट में चूहे कूद रहे है ऊपर से तुम मुझे इतना भागा रहा विराज अपना मुंह बनाते हुए बोला ।

रीवान तुझे खाने के अलावा कुछ और दिखता है , मैं जानता था तुम्हें भूख लगेगी इसीलिए मैंने तेरे बैग में अरे देखो चिप्स पड़े होंगे । विराज ये चिप्स के पैकेट से क्या होगा ?? मेरा तो इससे कुछ नहीं होने वाला ।

रीवान कुछ दूर जाने के बाद एक घर के बाहर रुका जो शायद बहुत सालों से बंद पड़ा था । मेन गेट पर ताला लटका था लेकिन दरवाजा खुला था , रीवान अंदर चला जाता है .... यही वो जगह है जहां हम दोनों छुपन - छुपाई
खेलते थे अंदर के तरफ भागते हुए और यहां नानी मां बैठ कर हमें प्यारी - प्यारी राजा और रानी की कहानियां सुनाया करती थी ।

ये आंगन आज भी कितना प्यारा दिख रहा है । आज मैं इस आंगन में 15 साल से ज्यादा वक़्त गुजरने के बाद आया हूं लेकिन उसके साथ गुजारे हर एक लम्हा इस आंगन में हमारे लगाए फूलों सा महक रहा है ।
कुछ कदम ही मैं तुमसे दूर हूं , पर मुझे अंदर ही अंदर ये सवाल खाए जा रहा ' तुम मुझे पहचान लो लोगी ? '
या अगर मैं तुम्हारे सामने आया तो बचपन के तरह रूठ जाओगी । अब तो मै तुम्हे यूं माना लूंगा अगर रूठने का दिखावा करोगी तो भी 😊

विराज चिप्स खाते हुए रीवान के पास आया , ये तो मुझे कोई भूतिया बंगले के जैसा दिख रहा है भाई तुम किसके घर में घुस गया पता चला यहां अलग अलग प्रकार के भूतों का टीला होगा ।

अचानक घर के छत के तरफ से फड़फड़ाते हुए कबूतर अा कर रीवान के कंधे पर आकर बैठ जाता है , विराज
फड़फड़ाने कि आवाज़ सुनकर डर जाता है ये देखकर
रीवान् जोड़ - जोड़ से हंसने लगता है । 😁

अरे भाई डर मत ये कबूतर है कोई भूत नहीं जो इतना डर रहा है , अगर तेरे सामने अभी भूत अा जाए तो क्या करेगा ?

रीवान अभी तक तुम यही रहते हो , कंधे से उतार कर उसके सिर को सहलाते हुए कहता है । कुछ ही मिनटों में कबूतर उड़ कर आंगन में लगे पेड़ पर बैठ जाता है ।
शायद वो कबूतर उस पेड़ के तरफ रीवान का ध्यान आकर्षित करना चाहता था ।

वो पेड़ उस वक़्त लगाया गया था जब वो उस कबूतर को घर लाए थे । लेकिन रीवान का ध्यान उस पेड़ के तरफ नहीं गया ।
कुछ देर बाद रीवान का फोन बजा , मुस्कुराते हुए जींस के पॉकेट से अपना फोन निकाल कर स्क्रीन के तरफ देखा तो
नाम फ़्लैश पापा हो रहा था फोन को स्लाइड कर कान से चिपकाया तो उधर से आवाज़ आया बेटा तुम कहां हो ??

रीवान को झूठ बोलना बिल्कुल पसंद नहीं था इसीलिए वो पापा से ' पापा मैं वो समल पुर गांव आया हूं अरुण मितल
हेल्लो ... हेल्लो करते रह जाते है लेकिन उनको रीवान का आवाज़ बिल्कुल सुनाई नहीं दिया '

रीवान का ध्यान अपने बाए कलाई पर पहनी घड़ी पर , ओह नो इतना वक़्त हो गया घर जल्दी जाना पड़ेगा वरना पापा को माना फिर मुश्किल हो जाएगा ।

विराज को कार में जा कर बैठने के लिए कहता है , दौड़ते हुए एक घर के पास पहुंचा मेन गेट पर ताला देखकर अपना मुंह लटकाए कार में अा कर चुप चाप बैठ जाता है । अंकल आप घर के तरफ कार को ले लो ।








कहानी अच्छी लगती है तो इसे पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करें 🙏🙏🙏


Continue ....