भाग 18
रात को जब कविता घर पहुँची तो विक्रम पहले से ही कमरे में मौजूद था। उसके हाथों में शॉपिंग बैग देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला, “क्या बात है! इतनी सारी खरीदारी। वैसे, जहाँ तक मेरी जानकारी है मैडम आप केस के सिलसिले में गईं थीं पर…यहां तो हाथों में बैग भर शॉपिंग करके लौट रहीं हैं।”
“जलन हो रही है कि तुम्हारे लिए कुछ नहीं लाई।” कविता ने बैग बिस्तर पर पटकते हुए कहा।
“जानेमन, हमें आपसे क्यों जलन होने लगी भला। आप इन डिज़ाइनर सूट को पहन कर जब पार्टी में आएंगी तो शान तो हमारी ही बढ़ेगी ना।” विक्रम ने उसे बाहों में भरते हुए कहा।
कविता ने विक्रम को कस कर गले से लगाते हुए कहा, “मैं बहुत खुशनसीब हूंँ कि मेरी ज़िन्दगी में तुम हो। क्या होता अगर मुझे भी अमोल जैसा जीवन साथी मिल जाता? मुझे एक पिंजड़े में बांध कर रखता। मेरी हर हरकत पर सवाल उठाता। ना कहीं आज़ादी से जाने देता और ना ही किसी से बात करने देता।”
ये कहते ही कविता विक्रम के आगोश में मुँह छिपाकर रोने लगी।
“अरे! कवि! क्या हुआ आज तुम्हें? ऐसी बातें क्यों कर रही हो?” विक्रम ने कविता के होंठों को हल्के से चूमते हुए पूछा।
“कुछ नहीं, बस ऐसे ही। ये केस बहुत उलझ गया है। कौन सही कह रहा है, कौन ग़लत कह रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा।” कविता सिर पकड़ कर बैठ गई।
“हाँ, ये तो सही कहा तुमने। अच्छा कल हम विपुल को पूछताछ के लिए बुलाएंगे। तुम आना चाहो तो आ सकती हो।”
“ठीक है, देखती हूँ।”
तभी कविता का फोन बजता है।
“हैलो, कौन बोल रहा है?” कविता ने नम्बर बिना देखे ही पूछा।
“मैम, मैं सोनम बोल रही हूँ। आपने मैसेज किया था। मैम, नीलम का कुछ पता चला क्या?”
"हैलो सोनम…जी, मैंने ही आपको मैसेज किया था कल। आप नीलम की बचपन की दोस्त हैं ना? कुछ बता सकेंगे आप नीलम के बारे में?" कविता ने नीलम की सहेली जो अमेरिका में रहती थी से फोन पर बात करते हुए पूछा।
“मैम, नीलम बहुत समझदार, सुलझी हुई महिला है। वो अपने परिवार को बहुत प्यार करती है, खासतौर से बच्चों को। उसके लिए बच्चे ही सब कुछ थे। बहुत टेलेंट था उसमें मैम, पर…” ये कह वो चुप हो गई।
“आपको क्या लगता है सोनम, क्या नीलम आत्महत्या जैसा कदम उठा सकती है?” कविता ने पूछा।
"मैम, मुझे लगता है वो बहुत बड़ी मुश्किल में है। मैम…नीलम आत्महत्या या कोई और ग़लत कदम उठा ही नहीं सकती। अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है वो। उनके उज्जवल भविष्य के लिए ही तो दिन - रात लगी रहती थी।" सोनम ने दुखी स्वर में कहा।
"हम्मम….और अमोल भी तो नीलम से बहुत प्यार करता है। जान देता है उसपर।" कविता ने सोनम को उकसाते हुए कहा।
सोनम कुछ देर तो शांत रही फिर बोली,
“मैम…वो सोनम पर जान नहीं देता….वो तो केवल शक करना जानता है। नीलम पर ना जाने कितने प्रकार के शक करता था। वो किसी से हंँस कर बात कर ले तो शक, वो बाहर बालकनी में खड़ी हो जाए तो शक, वो फोन पर किसी से मैसेज के ज़रिए बात करे तो उसका फोन चैक करता था। आप बताइए…. ऐसे शक्की मिजाज के पति के साथ कैसे निभ सकती है? नीलम रो-रो कर अपना दर्द सुनाती थी।
मैम…. खूबसूरत होना गुनाह तो नहीं है?
ऊपर से वह बहुत इंटेलीजेंट भी थी। अमोल के शक की वजह से नौकरी भी नहीं कर पाती थी। पर मैम….मेरी नीलम कमज़ोर नहीं थी। मैम .. मैं आपको एक एड्रेस भेज रही हूँ। ये हरियाणा के एक गांँव का पता है। यहाँ उसकी चचेरी बहन रहती है। शायद…परेशान हो वहाँ चली गई हो। पर प्लीज़….सर्च फॉर हर।"
“आप फ़िक्र मत करिए सोनम। हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं। एक बात बताइए। क्या आपको लगता है कि अमोल नीलम के साथ कुछ ग़लत कर सकता है?”
सोनम कुछ देर के लिए शांत हो गई। फिर कुछ सोचते हुए बोली, “मैम, मुझे ऐसा नहीं लगता।
मैं अमेरिका में एक साइकेट्रिक हूँ। और जहां तक मैंने नीलम से अमोल के बारे में सुना है, मुझे वो दिमागी मरीज़ लगता है। एक व्यक्ति जिसे शक करने की बहुत आदत है और जिसे लगता है कि उसकी खूबसूरत बीवी पर सबकी नज़र है।”
“तो क्या दिमागी मरीज़ किसी को नुक़सान नहीं पहुंचा सकते?” कविता ने सवाल उठाया।
“ऐसा नहीं है, वो नुकसान पहुंचा सकते हैं। पर अमोल के केस में मुझे ऐसा नहीं लगता। एक बार नीलम का एक्सिडेंट हुआ था, उस समय इत्तेफाक से मैं दिल्ली आई हुई थी, एक कॉन्फ्रेंस के लिए। उस समय मैंने अमोल की हालत देखी थी। नीलम को हाथ में फ्रेक्चर हुआ था। अमोल ने दिन-रात उसकी सेवा की थी। तो…मुझे नहीं लगता कि अमोल इस हद तक गिर सकता है।” सोनम ने कहा।
“किसी और पर शक है आपको? वैसे, क्या नीलम का कोई बॉयफ्रेंड रहा है कभी?”
“मैम नीलम का बॉयफ्रेंड तो कभी नहीं रहा पर एक सरफिरा आशिक था कॉलेज में। उसने नीलम का जीना हराम कर रखा था। हर जगह उसे स्टॉक करता रहता था। इसी चक्कर में उस लड़के को पांच साल की जेल हुई थी।”
“क्यों, ऐसा क्या हुआ था?”
“मैम उस लड़के ने नीलम से छेड़छाड़ की थी। उस दिन यदि हॉस्टल की वॉर्डन नहीं आती तो ना जाने क्या हो जाता।”
“थोड़ा विस्तार से बताओ सोनम। शायद इससे कुछ मदद मिले हमें।” कविता ने कहा।
“मैम ये बात हमारे बी. ए. फाइनल इयर की है। उन दिनों नीलम साइक्लॉजी पढ़ने हमारे हॉस्टल आया करती थी।”
चौदह साल पहले, वुमन हॉस्टल, दिल्ली विश्वविद्यालय
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“हाँ नीलम, तुम आ रही हो ना?” सोनम ने पूछा।
“हाँ, सोनम बस आधे घंटे में पहुंचती हूँ।” नीलम ने अपने मोहल्ले की दुकान से फोन करते हुए कहा।
आधे घंटे के भीतर नीलम हॉस्टल गेट पर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था।
“अरे ये क्या यहां तो ताला लगा है। उफ्फ लगता है मैं लेट हो गई। अब क्या करूं?” नीलम सोच में पड़ गई।
तभी उसे पीछे के गेट का ख्याल आया। उसके कदम उस गेट की तरफ बढ़ गए। वहां पहुंच जैसे ही वो गेट के अंदर घुसी, किसी ने उसे ज़ोर से खींच लिया।
नीलम घबरा गई। उसने जैसे ही चिल्लाने की कोशिश की उस व्यक्ति ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया।
“चुप, शोर मत करना। आज हाथ आ ही गई तू। कितने समय से तेरे पीछे पड़ा था। पर तू है कि घास ही नहीं डाल रही थी। बहुत अकड़ है ना तुझमें! आज तेरी सारी अकड़ निकालूंगा।” उस व्यक्ति ने कहा।
नीलम उसकी आवाज़ से पहचान गई कि वो कोई और नहीं कॉलेज का गुंडा मनोज था। नीलम अपने आपको मनोज के चुंगल से छुड़ाने के लिए छटपटाने लगी।
मनोज ने अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी और उसके गालों को कसकर दबाते हुए बोला, “जानेमन, आज नहीं छोड़ूंगा तुझे। वेलेंटाइन डे पर तूने सबके सामने मेरा प्यार से दिया गुलदस्ता मेरे मुँह पर मारा था ना। उस अपमान का बदला आज मैं तेरे शरीर को नोंच कर लूंगा। उस दिन जितने गुलाब मेरे गुलदस्ते से नीचे ज़मीन पर गिरे थे, उतनी बार तेरे शरीर को नोचूंगा। आज तू कुछ नहीं कर पाएगी।”
मनोज ने उसे दीवार की तरफ धकेला और कसकर उसे जकड़ लिया। और अपने होंठों से उसके शरीर को चूमना शुरू कर दिया।
नीलम असहाय अवस्था में थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वो झटपटा रही थी। चीखना चाह रही थी, पर उसके मुँह में दबा कपड़ा उसे चीखने नहीं दे रहा था। मनोज की हरकतें और तेज़ होती जा रही थीं। उसके मुँह से शराब और सिगरेट की दुर्गंध आ रही थी। नीलम की सांस रुक रही थी। वो आँखे बंद कर अपने प्रभु को याद कर रही थी।
मनोज के हाथ अब उसके वस्त्रों तक पहुंच चुके थे। इससे पहले की वो नीलम की इज्ज़त को तार-तार करता, थोड़ी दूर पर खड़ी हॉस्टल की वॉर्डन की चीख सुनाई दी, “दूर हट लड़की से।”
मनोज जो नशे में चूर था, वॉर्डन के चीखने से होश में आया और उठ भागने लगा। पर वो जैसे ही भागा वॉर्डन ने पीछे से डंडा मार उसे गिरा दिया। इतने में नीलम की सहेली सोनम अपनी अन्य सहेलियों के साथ वहां पहुंच गयी। उन सबने मनोज की खूब पिटाई की।
नीलम द्वारा पुलिस को दिए बयान की वजह से मनोज को पांच साल की जेल हो गई।
“मैम इस तरह उस लड़के से नीलम का पीछा छूटा।” सोनम भी उस घटना को दोबारा याद कर सहम गई थी।
“सोनम उस लड़के का पता है तुम्हारे पास?”
“नहीं मैम, पर कॉलेज से पता चल जाएगा आपको।”
“उसे कौन से जेल में सज़ा हुई वो पता है क्या?”
“मैम ये पता है कि उसे तिहाड़ जेल भेजा गया था।”
“ठीक है। थैंक्स सोनम।”
क्रमशः
आस्था सिंघल